हेलो तो स्वागत है आप सभी का हमारे इस ब्लॉग पोस्ट chhattisgarh lok katha in hindi छत्तीसगढ़ी लोक कथा में दोस्तों जैसे कि आप सभी को पता है कि छत्तीसगढ़ में कई सारे लोग कथा प्रचलित है. जिनमें से प्रमुख लोक कथाएं तथाकथित रूप से जनमानस के मुख पर केंद्रित है. आज हम उसी जनमानस के मुख से निकला हुआ एक कहानी chhattisgarh lok katha in hindi जिसे
हम आपके सामने ला रहे हैं. उम्मीद करते हैं यह cg kahani आपको पसंद जरूर आएगा
संगी जैसे की आप सबो झन ला पता हे की आज के समय में कमरछठ के तिहार ला मई लोगन मन हां मनाथे । संगी हो करछठ के तिहार ला भादो महीना के कृष पक्ष सष्ठमी के दिन मनाथे । ये दिन माता मन हां अपन लइका , अउ संतान कल्याण बार ये व्रत ला माता मन हा रखथे । अउ कमरछठ ले जुड़े छत्तीसगढ़ी लोककथा Chhattisgarh lok katha in hindi हे ता आओ संगी हो मै आपमन ला ओ लोककथा के बारे में बतावत हो :-
छत्तीसगढ़ी लोक कथा – कमरछठ | chhattisgarh lok katha in hindi
संगी हो बहुत पहली के बात हरे एक ठन गांव रहए अउ वो गांव में दू झन सउत रहए । जेमे के एक झन बड़े अउ , एक झन हां छोटे रहए । बड़की जउन रहे वोकर लइका नई रहए । अउ छोटे के दू झन बाबू रहए ।
दुनो झन सौतन मन हा बढ़िया घर में रहए , पूजा पाठ करे , घर के काम ला घलो दुनो झन हा मिलबांट के करे । लेकिन दुनो झन ला कोन्हो भी प्रकार के परेशानी नई होय ।
ऐसे करत करत कमरछठ के तिहार हा आ जाथे । ता कमरछठ के तिहार में दुनो सौतन छोटे अउ बड़े हा कमरछठ के उपास रथे ।
बड़की हा छोटकी ला कथे जा ते खेत जा खेत के काम ला पूरा कर के लकड़ी , तोड़ के इक्क्ठा कर के लाबे ।
दोनों सौतन में के समंब्ध हा बढ़ा मधुर रथे कोन्हो प्रकार के भेद भाव नई करे । बड़की के बात ला मान के छोटकी हा कमरछट के उपास रहिके । खेत चल देते अउ अपन जउन भी खेत के काम ला पूरा करथे ।
अउ बड़की हा लकड़ी मगा हे कहिके ओहा जंगल में जाके सबो लकड़ी ला इक्क्ठा कर देथे । बेचारी छोटी लकड़ी ला सकेलत सकेलत बड़ा अकन ले सकल लेथे । अउ जोरे के समय में लड़की हा बहुत अकन हो जाथे ।
अब वो सोचते की अतीक अकन लकड़ी ला कैसे लघु कहिके बढ़ ओहा रोय ले लागथे । ये सोच के रोवत रथे के की मेहा लकड़ी ला नई लेगहु ता बड़की हा गारी दिहि कहिके रोवत रथे । बेचारी छोटकी हा भोली रथे ।
ता यही करा ला एक ठन भिंभोरा ले एक ठ

न नागिन हा निकलथे अउ ओहा कथे – ते काबर रोवत हस कहिके ।
ता छोटकी हा कथे – मेहा हा बढ़ सारा लकड़ी ला सकल तो डरे हो लेकिन मेहा येला लेगव कइसे , अउ अपन दुखड़ा ला नागिन ला रोत रोत बताथे ।
ता नागिन हा छोटीकी के बात ला सुन के ओ लकड़ी मा पूरा रस्सी आसान लापता जथे । अउ जब पूरा बंधा जथे तहान छोटकी हा ओला धार के अपन घर चल देथे ।
छोटकी हा घर पहुंचते । तब बड़की हा देखते की यह तो डोरी नई लगे रिहिस हे फिर भी ये हा अतका सारा लकड़ी ला कइसे ला डरिस कहिके मन में सोच के बढ़ अचम्भा हो जथे ।
तभो ले ओकर मन नई माढ़े ।
छोटकी हा थोडकून बइठ लेते ता बड़की हा फिर कथे – जा तो वो मटका रखा के ओमा पानी लांबे ।
ता संगी हो मटका रथे तेमा साठ ठन छेदा रथे । ओ सोचते की येमे पानी कइसे लहि कहिके ओला पानी लाय बर भेज देथे ।
अउ बड़की के कहे के बढ़ में छोटकी हा पानी लाये बर चल देथे ।
छोटकी के जाय के बाद में यही समय में बड़की हा छोटकी के दुनो छोटे छोटे लइका मन ला जरा देथे अउ जरा के ओमान ला घुरवा में फेक देथे ।
छोटकी ला ये बात के खबर नई रहए ।
छोटी हा पानी ला मटकी मा भर के देखते ता ओ देखथे की मटकी ले पानी मिकलत हे अउ पानी हा मटकी मा रुकत नई हे कहिके फिर ले ओहा रोय के चालू कर देथे ।
छोटकी के रोवइ ला देख के मेडक हा आते छोटकी करा – अउ ओहा कथे ते काबर रोवत हस ।
छोटकी हा कथे – मोला बड़की दीदी हा पानी माँगा हे अउ ये मटकी मा सात ठन छोटे छोटे छेड़ा हे जेकर ले पानी निकल जात हे ता मेहा कइसे ये मटकी मा पानी ला कइसे के ले जाहु कहिके रोवत हो मेहा ।
ता आय मेचका मन हा कथे – ते हा पानी ला भर हमन हा आ जाबो तो मटकी में अउ छेदा मेर जाके बइठ जाबो । अइसे कहिके के मेढ़क मन हा कथे ।
मेढ़क के बात ला सुन के छोटकी हा मन ला संतोष करथे अउ रोवइ ला बंद करथे ओकर बाद में पानी ला भरथे । तब सबो मेचका मन हा ओकर गगरी में आ के छेदा मा बइठ जथे ।
तब छोटकी हा अपन आंसू ला पोछत मटकी ला धर के घर लेगथे ।
जैसे छोटी हा पानी ला भर के घर लेगथे अउ पानी ला दूसरा बर्तन मा उलद देथे तब जतका मेचकमान हा रथे तेहा बहार निकल जथे ।
बड़की हा जब येला देखते – की छेदा वाले मड़की मा पानी ला घलो ला डरिस , बिना डोरी के लकड़ी ला ला डरिश कहिहै बढ़ अचंभित हो जथे ।
अब छोटकी हा अपन दुनो लइका मन ला पूछते – दीदी लइका मन हा कान्हा हे ?
बड़की हा तो ओमन ला जारो के फेके रथे घुरवा में ।
ता ओहा कथे – में नई जानो तोर लोग लइका मन ला खेलत होही घुरवा में जा देख ।
बड़की के बात सुन जब लइका मन ला khoje बर छोटकी हा जब घुरवा कोती जाथे ता अपन दुनो लइका मन ला खेलत जिन्दा देखथे । दुनो झन मन हा घुरवा में खेलत रथे ।
दुनो लइका मन लान के अपन दीदी ला कथे – वाह दीदी में अपन लइका मन ला देखे बर छोड़े हो तोर करा ता तेहा मोर लइका मन ला घुरवा में छोड़ देस तै खेले बर ।
जब दुनो लइका मन ला जिन्दा देखते बड़की हा ता अहा बढ़ अचम्भा हो जथे । तब ओहा कथे बहिगे यह कमरछठ के तिहार के आशीर्वाद हरे तेकर सेती ले एकर लोग लइका मन ला कुछु नई होइस हे ।
ता संगी हो छत्तीसगढ़ी लोक कथा/ cg kahani के माध्यम से आज भी ये कहानी बूड़ो दे बच्चो तक आज भी जुबानी याद है जिसे आज भी हमारे छत्तीसगढ़ के लोग इसे बड़े ही श्रद्धाभाव के साथ में कमरछठ के त्यौहार को मनाते है ।
उम्मीद करते है दोस्तों आप सभी को cg story कमरछठ के त्योहर chhattisgarh lok katha in hindi कैसा लगा होगा आप हमें कमेंट कर के जरूर बता सकते है यदि यह chhattisgarhi mein kahani को अपने दोस्तों के पास में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में देयर जरूर करियेगा .
अन्य कहानिया
Best हरेली तिहार के छत्तीसगढ़ी कथा – छत्तीसगढ़ी कहानी
Best आरु साहू | Aaru Sahu || Aaru Sahu का जीवन परिचय
बाबा गुरु घासीदास मंदिर रिंगनी छत्तीसगढ़ | Ringani Chhattisgarh
3 बुद्ध की बचपन की कहानी | Gautam Buddh Ki Bachpan Ki Kahani
5वीं ईसा पूर्व प्राचीन तेली जाति का इतिहास || Best Teli Jati Ka Itihas
Best 4 Takla Motivation || Harsvardhan Jain Motivation
Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai || BEST धनतेरस क्यों