मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट यह लड़का आईपीएस बन गया । 2 बाद iAS निकाल लिया और रिकार्ड वक्त तक कलेक्ट्री की फिर एक दिन उसके दुसमन ने ही उसको सीएम की कुर्सी तक पहुंचाया .
मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी (Ajit Jogi IAS rank )
Ajit Jogi IAS rank
1985 शहर इंदौर रात का वक्त रेजिडेंसी एरिया स्थित कलेक्टर का बंगला . कलेक्टर साहब सो रहे हैं । अचानक फोन बचता है पहरा कर रहे कर एक कर्मचारी उठाता है बताता है कलेक्टर साहब सो गए हैं।
पर फोन की दूसरी तरफ से अधिकार भरे स्वर में आदेश आता है । कलेक्टर साहब उठाइए और बात करवाइए साहब जट्ट फोन पर आते हैं दूसरी तरफ से आवाज आती है तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं सोच लो राजनीति में आना है या कलेक्टर ही रहना है । दिग्विजय सींग लेने आएंगे उनको फैसला बता देना . यह फोन था प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पीए विटसेज जार्ज का और फोन उठाने वाले थे अजित जोगी ( Ajit Jogi)
अजित जोगी ( Ajit Jogi) CM की बनने के कहानी

अजीत जो नेता नहीं कलेक्टर अजीत जोगी ढाई घंटे बाद जब दिग्विजय सिंह कलेक्टर आवास पहुंचे तो वह नेता जोगी बन चुके थे। कांग्रेस ज्वाइन कर ली कुछ ही दिन बाद ाल इंडिया कमिटी वेलफेयर OF शेड्यूल कास्ट ट्राइब्स के मेंबर के तौर पर ले लिया गया । और उसके कुछ महीनों बाद उन्हें और राज्यसभा भेज दिया गया ।
जो भी कांग्रेस में राजीव की पसंद से आए थे यह वह वक्त था जब राजीव ओल्ड गार्ड को ठिकाने लगाकर नई टीम बना रहे थे । एमपी से दिग्विजय सिंह उनकी लिस्ट में थे . छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी इलाके के लिहाज से उन्हें जरूरत लगी एक नए लड़के . लड़का है जो शुक्ला ब्रदर्स को चुनौती दे सके और इस तरह से राजीव की नजर गई AJIT JOGI पर . एक तेज तर्रार IAS जो बोलता भी बहुत था , काम भी करता था . कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद अजीत कि गांधी परिवार से नजदीकियां बढ़ती रहे ।
अजीत जोगी सीधी और शहडोल में लंबे समय तक कलेक्टर रहे थे । सीधी में पड़ता है चुरहट जहां से अर्जुन सिंह का उस वक्त मध्यप्रदेश में सिक्का चलता था . AJIT JOGI ने हवा का रुख भाफ अर्जुन को अपना गॉडफादर बना लिया । बड़ा सर पराया खुद को पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों का नेता मानने लगे। इतना बड़ा कि जो दिग्विजय सिंह उन्हें राजनीति में लाए थे उनके खिलाफ ही मोर्चा खोलने की तैयारी करते और फिर खोला भी .
1993 में जब दिग्विजय सिंह के सीएम बनने का नंबर आया तो जोगी की भी दावेदारी थी हालांकि यह चली नहीं पर इस चक्कर दोस्त को दुश्मन जरूर बना लिया . इस दुश्मनी को यद् रखियेगा दुश्मनी को याद रखेगा क्योंकि इसका फिर जिक्र आएगा ।
1999 केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में NDA आई छोटे राज्यों की मांग ने जोर पकड़ा . बीजेपी छोटे राज्यों की समर्थक थे . जून 2000 आते आते तय हो गया कि देश में 3 नए राज्य बनेंगे उत्तराखंड , झारखंड और मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ ,
1924 में कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन में पहली बार छत्तीसगढ़ की मांग उठी थी . जुलाई 2000 में यह पूरी हुई . यह पूरी प्रक्रिया जुलाई से 30 अक्टूबर 2000 तक चली पूरा मध्यप्रेश बेचैनी में डूबा हुआ था 44 साल से उसे जमीन का एक बड़ा टुकड़ा अलग हो रहा था और जमीन के साथ विदाई ले रहे थे। 90 विधायक श्यामाचरण शुक्ल, विद्या चरण शुक्ला ,राजेंद्र शुक्ला , मोतीलाल वोरा छत्तीसगढ़ कौन बनेगा .
सबसे आगे थे श्यामाचरण शुक्ल उन्होंने कांग्रेस के नेता छत्तीसगढ़ राज्य संघर्ष मोर्चा भी बना लिया और ताकत दिखाने के लिए 12 विधायकों को भी मैदान में उतर दिया और चर्चा यंहा तक भी बनी रही वह मुख्यमंत्री बनने के लिए बीजेपी का सपोर्ट भी ले सकते हैं ।
बीजेपी को भी शुक्ल में विभीषण नजर आ रहा था और दूसरी तरफ थे जोर लगाने वाले एमपी के दो बार के सीएम और यूपी के गवर्नर रहे मोतीलाल वोरा . झगड़ा खत्म करने के लिए तब कांग्रेस हाईकमान ने दखल दिया ।
कहा कि छत्तीसगढ़ की पुरानी मांग पूरी हो एक आदिवासी मुख्यमंत्री बने . आदिवासी कौन प्रमाण पत्र तो अजीत जोगी के पास ही था अनुसूचित जनजाति वाला . तो क्या हुआ कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला दिया ।
2018 के फैसले के बाद लगा किस पर पूर्ण विराम लग गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया और यह फैसला दिया कि अजीत जोगी आदिवासी ही है । 2018 से वापस 2000 चलते है आदिवासी सीएम की मांग को पूरा कर कांग्रेस अपने घर को बचाए रखना चाहती थी। ऐसे में लॉटरी खुली अजीत जोगी .
अब सीन यह था योगी को विधायक दल का नेता बनाने के लिए चाहिए था दिग्विजय का समर्थन क्योंकि विधायक तो मध्य प्रदेश के लंबे समय से मुख्यमंत्री थे 93 से उन्हीं के साथ थे, उन्हीं के ज्यादा वफादार थे . एक वक्त था जब योगी के CM बनने की भाविस्य्वानी की थी । लेकिन तब दोनों में 36 का आंकड़ा नहीं था . अब हाईकमान के सामने मुश्किल थी और उन्होंने इसका इलाज खोजा
दिग विजय को ही कहा गया कि आप आधिकारिक तौर पर अजीत जोगी का नाम आगे बढ़ाएं और यह सुनिश्चित करें कि जो भी कांग्रेस विधायक दल का नेता बन जाए . जब आदेश सोनिया की तरफ से आया दिग विजय इंकार नहीं कर पाए .
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दिग्विजय ने दुश्मनी को मुल्तवी किया और 31 अक्टूबर 2000 को अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बन गए . हालांकि सपना पूरा होने पर भी जोगी को दुनिया अधूरी लग रही थी । उन्हें अपनी बेटी याद आने लगी जो कुछ दिन पहले ही दुनिया छोड़ गई नाम का अनुषा बेटी से बहुत प्यार करते थे इसलिए उनके नाम से एक बड़ा सा बांग्ला भी बनवाया गया है अनुषा विला .
जोगी तब इंदौर में रहते थे बताते हैं कि अनुषा किसी से प्रेम करती थी शादी करना चाहती थी लेकिन पिता की मर्जी नहीं थी . बिटिया नहीं मानी 12 मई 2000 बताते हैं उस दिन सोनिया गांधी इंदौर आई थी पिता सोनिया गांधी की अगवानी में लगे थे घर में बेटी ने आत्महत्या कर ली .
इंदौर के कब्रिस्तान में बेटी को दफन कर दिया गया . अजीत दफ़नाय जा चुके शव को अपने गांव गोरिला गांव जाना चाहते थे लेकिन उन्हें परमिसन नहीं मिली . अजित मुख्यमंत्री बने तब अनुमति मिलगई राजकीय हेलीकॉप्टर से बिलासपुर ले अजीत जोगी दिल्ली में थे कलेक्टर से मिलने रायपुर पहुंच गए और बेटी का शव दफना दिया गया .
दफन ईसाई में अंतिम संस्कार की एक प्रथा । अजित जोगी के पिता ईसाई धर्म अपना लिया था और ये ईसाई धर्म वाली बात यहां तक पहुंचती है कि जब और राज्यसभा में थे तब जानबूझकर हर रविवार उस विरजे में जाते जहां सोनिया गांधी जाती थी इस तरह वह सोनिया गांधी के करीबी बनना चाहते थे . ऐसा उनके आलोचक कहते है ।
दिग्विजय के लिए जोगी का सपोर्ट इतना आसान नहीं था और उन्हें अपने सियासी कदम से नीमच अपने कुर्ते के रूप में चुकानी पड़ी . CM ऑफ़ रायपुर विद्याचरण शुक्ल बिफर गए क्योंकि उनकी योजना फ्लॉफ़ हो गई थी , वो सफथ ग्रहण के दिन जोगी को गच्चा देने के मुड थे ।
16 विधायक उनके फ्रॉम हाउस में थे । लेकिन जोगी में फसा फेका और 8 विधायक उनके समर्थक हो गए थे . विधायक उनके प्रत्याशी समर्थक अपने फ्रेम हाउस में ही बैठे रह गए . उन्हें विधयाको को बाहर भवन से बाहर लाने की जिम्मेदारी भी दिग्विजय को मिली गुलाम नबी आजाद फ्रॉम हाउस में पहुंचे तो शुक्ल के लोगो ने झूमा झटकी कर दी ।
दिग्विजय जब मुलाकात करके बाहर आए तो उनके कुर्ते की फटी हुई थी लेकिन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा राजनीती में यह सब चलता रहता है ।
2003 छत्तीसगढ़ में पहले चुनाव की घड़ी आ गई । चुनाव हुए तो कांग्रेस के पास सीटों की संख्या कम थी बीजेपी को 50 सीटें मिली थी जबकि अजीत जोगी की कांग्रेस को 37 सीट . उस वक्त स्टिंग ऑपरेशन ने दावा किया कि अजीत जोगी पैसे के दम पर बीजेपी के विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रहे हैं . टेप के सामने आने के बाद अजीत जोगी को कांग्रेस से 5 साल के लिए बाहर करने की सिफारिश की गई ।
हालांकि सोनिया गांधी ने उन्हें निकाला नहीं . जनवरी 2017 में सीबीआई ने इस मामले में अजीत जोगी को क्लीन चिट दे दी .
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Ajit Jogi IAS रैंक भीषण एक्सीडेंट
20 अप्रैल 2004 अजीत महासमुंद लोकसभा सीट से सांसद की उम्मीदवार हुए सामने थे भारतीय जनता पार्टी के नेता हो चुके विद्याचरण शुक्ल । अजित कांग्रेस महसचिव मेहतर लाल के साथ कार से जा रहे थे गरियाबंद के पास उनकी कार एक पेड़ से टकराकर भीषण एक्सीडेंट हुआ अजित के पैर को लकवा मार गया . तब से अब तक अजीत व्हीलचेयर में है । बाद में उन्होंने कहा था मेरे ऊपर जादू टोना किया किसी ने इसलिए गाड़ी एक्सीडेंट हुआ।
4 जून 2003 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एनसीपी नेता राम अवतार की हत्या हो गई . जगदीश की बेटे सतीश ने मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी का नाम लिया . जो भी सत्ता से बाहर हुए तो रमन सिंह ने मामला सीबीआई को दिया . 2005 में अमित जोगी गिरफ्तार हुए और 2007 में अजीत जोगी कांग्रेस की . केंद्र में सरकार थी कांग्रेस की हालांकि 2009 में बाप और बेटी दोनों को निचली अदालत ने बरी कर दिया . अब मामला सुप्रीम कोर्ट में । इससे भी ज्यादा संगीन इल्जाम लगाया था छविंद्र कर्मा ने उनके पिता महेंद्र कर्मा दरगाह के ही रामघाट मारे गए थे साथ में मारे गए थे 30 और कांग्रेसी
छविंद्र ने हमले के 3 साल बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कांग्रेस नेताओं पर हमला अजीत जोगी और अमित जोगी के कहने पर हुआ था . छविंद्र ने कहा कि उनके पिता भी राज्य के मुख्यमंत्री बनने के दावेदार थे लेकिन महेंद्र कर्मा को हमेशा डर रहता था कि अजीत जोगी के शूटरों ने गोली मार देंगे पर ऐसा ही हुआ था कि झीरम हमले की जांच पहले एनआईए और सीबीआई चल रही है ।
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नई पार्टी गठन
2014 में छत्तीसगढ़ के अंतागढ़ में उपचुनाव होना था कांग्रेस की ओर से मंतूराम पवार प्रत्याशी थे . उन्होंने नामांकन दाखिल कर दिया जब नाम वापस लेने के आखिरी दिन मंतूराम में पार्टी को बिना बताए नाम वापस लिया तो आलाकमान की शक की सुई घूमी जोगी की तरफ
2015 के आखिर में ऑडियो टेप सामने आए जिसमें खरीद भरोसे की बात थी आरोप लगे कि टेप में अजीत जोगी उनके बेटे अमित जोगी और मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता की आवाज में पीके बातचीत मंतूराम पवार के नाम वापस लेने के बारे में थी ।
टेप कांड के सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ की प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बेटे अमित जोगी को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया । आलाकमान से सिफारिस कर दी । सोनिया गांधी इससे कुछ पहले ही 6 जून 2016 को अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होने का खुद ही फैसला लिया । अपने विधानसभा क्षेत्र मरवाही के कुसमी में अपने बेटे और पत्नी के साथ में मिलकर के हजारों लोगों के सामने कहा कि मैं अब एक नई पार्टी बना रहा हूं । 23 जून 2016 अजीत जोगी ने अपनी एक नई पार्टी बनाया जिसका नाम रखा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ .
अजीत जोगी वह कर रहे हैं जो हमेशा चाहते थे और करते भी थे । अपने दम पर राजनीति और उन्होंने अपना दम दिखाना शुरू कर दिया है ।
अजित जोगी ( Ajit Jogi) स्वर्गवास
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Jogi) का निधन हो गया है. 74 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. अजीत जोगी को कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) के बाद अस्तपाल में भर्ती कराया गया था. बीते 9 मई से वे अस्पताल में भर्ती थे. अजीत जोगी को वेंटिलेटर (Ventilator) की मदद से सांस दी जा रही थी. तब से उनकी मस्तिष्क की गतिविधियां बहुत कम थी. काफी दिनों से अजीत जोगी की हालत नाजुक बनी हुई थी. तकरीबन 20 दिनों से जोगी कोमा (Coma) में ही थे. बुधवार देर रात उनका फिर कार्डियक अरेस्ट हुआ था. फिर शुक्रवार को दोबारा उनकी हालत बिगड़ी थी | डेथ 29 May 2020 .
FAQ ANSWER
अजीत जोगी का जन्म कब हुआ था?
अजीत जोगी का जन्म 29 APREL 1946 हुआ था /