अरपा पैरी के धार लिरिक्स | arpa pairi ke dhar lyrics जो सुने में मधुर और मन को भने वाले गीत है । इस गीत को सुनकर के मन झुमरने लगता है । इस arpa pairi ke dhar lyrics में इतनी मिठास है की इस गीत के माध्यम से छत्तीसगढ़ के पुरे भूभागों , उनके अंचल , रहन सहन और छत्तीसगढ़ के नदियों नालो , छत्तीसगढ़ के परिवेश वनांचल आदि के बारे में गीत के माध्यम से पिरोया गया है ।
इस गीत को अरपा पैरी के धार लिरिक्स | arpa pairi ke dhar lyrics को नरेंद्र देव वर्मा जी के द्वारा बड़े ही स्नेह भाव से रचित या फिर लिखा गया है ।
इस गीत को छत्तीसगढ़ के सरकार ने इसे छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत के रूप में अपनाया है । अरपा पैरी के धार लिरिक्स को 3 नवम्बर 2019 को छत्तीसगढ़ के तत्कालीक मुख्यमंत्री माननीय श्री भूपेश बघेल जी ने साइंस कालेज रायपुर ( छत्तीसगढ़ ) में आयोजित राज्योत्सव के मंच से राजकीय गीत के रूप में इस गीत (state song of chhattisgarh,) को घोषित किया ।
डाक्टर नरेंद्र देव वर्मा जी का जन्म – 4 नवम्बर, 1939, वर्धा में हुआ था ; मृत्य – 8 सितंवर, 1979 इनकी स्वर्गवास को प्रपात हुए । उनकी द्वारा लिखी गई कृतियाँ – शोध ग्रन्थ – ‘ छत्तीसगढ़ भाषा व् साहित्य का उद्विकास‘ । ये कवी नाटककार , उपन्यासकार , कथाकार , समीक्षक एवं भाषा विद थे । इनका ‘छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह’ , ‘अपूर्वा’ , ‘सुबह की तलाश’ आदि इनकी प्रकाशित ग्रन्थ है । इनके रचित ग्रन्थ ‘मोला गुरु बनई लेते’ छत्तीसगढ़ी प्रहसन अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था ।
अरपा पैरी के धार लिरिक्स | Arpa Pairi Ke Dhar Lyrics Hindi
अरपा पैरी के धार
माँ हे नदी हे अपार
इंद्रावती हा पखारे तोर पइया
महू पांव परव तोर भुइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया ||
हूँ हूँ हूँ , हूँ हूँ हूँ
ओ ओ ओ ,
ओ ओ ओ
आ आ आ
आ आ आओ ओ ओ,
ओ ओ ओआ आ आ,
आ आ आ
सोहे बिंदिया सही
घाट डोंगरी पहाड़
चंदा सुरुज बसे तोर नैना ||
सोनहा धान के अंग
लुगरा हरियर हे रंग ||
तोर बोली हवे सुग्घर मैना
अचरा तोर डोलावे पुरवैया
महू पांव परव तोर भुइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया ||
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया ||
ओ ओ ओ,
ओ ओ ओ
आ आ आ,
आ आ आ
रायगढ़ हवे सुग्घर
तोरे मउर मुकुट
सरगुजा अउ बिलासपुर हे बइहा
रायपुर कनिहा सही
घाट सुग्घर फबे
दुर्ग बस्तर सोहे पैजनिया
नांदगांव नवा करधनिया
महू पांव परव तोर भुइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया ||
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया ||
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया ||
अरपा पैरी के धार
माँ हे नदी हे अपार
इंद्रावती हा पखारे तोर पइया
महू पांव परव तोर भुइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया ||
अरपा पैरी के धार लिरिक्स | arpa pairi ke dhar lyrics hindi का सारांश
कवि ने छत्तीसगढ़ को इस कविता के माध्यम से एक माँ के रूप में देखा है और इक बेटे के रूप में वह छत्तीसगढ़ महतारी को चरण वंदन काढ़े है , उनके बखान कर रहे है , उनकी महिमा का वंदन कर रहे है । अरपा छत्तीसगढ़ में बहने वाली एक नदी है जिसका नाम है अरपा । जो छत्तीसगढ़ के मध्य भाग को सिंचित करते हुए आगे बढ़ते है ।
जिसके कारन से कवि ने इसे महत्वपूर्ण नदी बताया है । जो छत्तीसगढ़ के पूर्व छेत्र में प्रवाहित हो जाती है । इंद्रावती नदी बस्तर में प्रवाहित होती है । जिसके कारण से कवि ने इन दोनों नदियों को उनके चरण वंदन कर रहे है । कवि ने यह भी कहा है की छत्तीसगढ़ के ऊपरी भाग को सर बताया है तथा निचे बस्तर के क्षेत्र को पैर बताया है ।
जिसके कारण से इंद्रावती नदी को छत्तीसगढ़ के चरण वंदन करते हुए कहा गया है और इंद्रावती नदी को बस्तर के जीवनदायनी नदी भी कहा जाता है । छत्तीसगढ़ अंचल में पेड़ पौधे , ऊँचे ऊँचे पहाड़ , पठार है जिसे कवि ने छत्तीसगढ़ महतारी के माथे की बिंदिया कहा है । चंदा सूरज को उन्होंने छत्तीसगढ़ महतारी के नयन ( आँख ) की उपमा दी है । जब छत्तीसगढ़ में धान की फसल हो जाती है तब उसका रंग सोने के सामान हो जाता है जिसे कवि ने उसे छत्तीसगढ़ महतारी के अंग माना है ।
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साथ ही पेड़ पौधों को छत्तीसगढ़ महतारी के अंग माना है । छत्तीसगढ़ में पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक पक्षी मैना जिसकी बोली मधुर होती है उसकी उपमा देते हुए कवि ने छत्तीसगढ़ की बोली छत्तीसगढ़ी बोली को मैना के सामान बताया है । और बताया है की जब हवा को छत्तीसगढ़ महतारी के साडी को हिलाने वाली बताया है । रायगढ़ में एशिया का एकमात्र संगीत विश्विद्यालय है जिसे कवि ने छत्तीसगढ़ महतारी के मुकुट बताया है । जंहा ज्ञान का भंडार है । सरगुजा में विद्युत तप गृह है जंहा से बिजली उत्पादन किया जाता है । जिससे छत्तीसगढ़ के कोने कोने तक बिजली की पूर्ति की जाती है ।
बिलासपुर में कोयला का खदान है जिसके कारण से कवि ने इसे छत्तीसगढ़ महतारी के दो भुजाओ कहा है । जो छत्तीसगढ़ महतारी के अपार खनिज सम्पति है । रायपुर, छत्तीसगढ़ के मुख्य केंद्र है । छत्तीसगढ़ के राजधानी, और अन्य सुविधाओं के कारण से इसे छत्तीसगढ़ महतारी के कमर के सामान बताया है । दुर्ग और बस्तर में लौह अयस्क पाया जाता है जिसे कवि ने इन दोनों जिलों को पाव में पहने वाली पैजन के सामान माना है । राजनादगांव में लौह अयस्क , सोना , चांदी , ताम्बा , यूरेनियम की मात्रा पाया जाता है जिसके कारण से इसे छत्तीसगढ़ी महतारी के करधन के सामान बताया है ।
state song of chhattisgarh| arpa pairi ke dhar लिरिक्स रचियिता – डाक्टर नरेंद्र देव वर्मा जी है ।
FAQ ANSWER
छत्तीसगढ़ के प्रथम कवि का नाम क्या है?
छत्तीसगढ़ के प्रथम कवि नरसीह दास वैषणव है । जिसकी कविता शिवायन है ।
छत्तीसगढ़ का प्रथम उपन्यास क्या है?
छत्तीसगढ़ का प्रथम उपन्यास हीरु के कहनिज को उसकी विशालता के कारण कुछ समीक्षक इसे छत्तीसगढ़ का पहला उपन्यास मानते है . बंशीधर पांडे द्वारा रचित रचना है ।
छत्तीसगढ़ राज्य में कितनी भाषाएं बोली जाती हैं?
छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यरूप से 2 भाषाएँ बोली जाती है हिंदी और छत्तीसगढ़ी । जिसमे से छत्तीसगढ़ी मुख्यरूप से बहुतया मात्रा में बोली जाती है । जो छत्तीसगढ़ का जनसमान्य भाषा है । इसके आलावा क्षेत्र के हिसाब से छत्तीसगढ़ में सरगुजिया , खलहाटी , बिलासपुरी , रायपुरी , धमतरी , कांकरी , खैरागढ़ी , बहेलिया , कवरधाइ , हल्बी , गोंडी , लारिया , बघेली , पंडो , सदरी , उराव ,BAASTRI , जशपुरी , कोरवा , भूरिया , बिंझवारी , कलंजिया आदि अन्य छत्तीसगढ़ी के क्षेत्रीय भाषा है जो छत्तीसगढ़ में बोली जाती है ।
छत्तीसगढ़ की मातृभाषा क्या है?
छत्तीसगढ़ की मातृभाषा HINDI है .