ज़िंदगी बनानी है तो ये करना होगा – Arun bajaj

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मेरी एक छोटी सी जिंदगी मैं एक दर्जी का लड़का जंहा से उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की । उसे कहां तक पहुंचा हूं एक दर्जी की कहानी है यह ये कहानी है जिसका नाम है अरुण बजाज (Arun bajaj) और वे पटियाला से।

स्कूल टाइम में मुझे एक दर्जी का लड़का कहा करते थे लोग । वे बतलाते है की उसे मिडिल क्लास फैमिली का है लोग उसे छेड़ा करते थे। पर दर्जी का लड़का पूरी दुनिया में लोगों को बता सकता कि दरजी कौन है? , क्या कर सकते हैं ? आज उन्होंने करके दिखाया है .

मिलिए इस superstar दर्जी से जो लाखो कमाता है

अरुण बजाज (Arun bajaj) जर्नी 

जब वह छोटा था तब 12 साल की उम्र का था।  वह अपने फादर के साथ जो चाहता था . उनके पिता कहते थे दुकान संभालो

दुकान पर काम करो , दुकान के पास आया . फादर के साथ बैठक दो-तीन साल काम किया . काम करने के बाद जब यह मन नहीं लगता था . ना पढ़ाई में मन लगता था ना काम में मन लगता था . स्कूल में भी उन्हें वहां पर टीचर पहले कह देती थी अरुण बाहर जाओ क्योंकि सबसे नालायक बच्चा में था अरुण बजाज (Arun bajaj) क्या करता था

वे कहते है अरे बच्चे मुझे प्यार करते थे मैं उनकी ड्राइंग बनाता था। उनकी जो प्रैक्टिकल होती है वह बनाता था पेंटिंग करता था स्केचिंग करता था और रात बैठकर दिन में बैठकर में लगा रहता था . उनके घर वाले भी मुझे बोलते थे कि बेटा खाना खा ले यह क्या कर रहा है . पढ़ाई कर ले घर वाले तो बोलते हैं , पढ़ाई में मन नहीं लगता था . जो बंदा पढ़ नहीं रहा जो बंदा काम नहीं कर रहा

जिस बंदे का कहीं मन नहीं लग रहा . जो किसी से बात कर के राजी नहीं है वह क्या करेगा . यह उनके मां-बाप के सवाल थे .

उसके बाद वहां पर उनके फादर ने कहा काम करने के साथ बैठकर के साथ बैठकर काम करना शुरू किया . रोज खाना लेकर आना , उनका कपड़े प्रेस, करने यह करना , इंटरलॉक बहुत कुछ होता है दर्जी के काम में।  पर एक जो कहते थे ना स्कूल में मुझे दर्जी का लड़का वह उन्हें बहुत चुभती थी .

क्योंकि एक मिडिल क्लास फैमली में दरजी के काम को छोटा काम करके कहा जाता था और वो देखो दरजी का लड़का जा रहा है कहकर के चिढ़ाते थे । ऐसी बाते उन्हें बहुत ही चुभती थी ।

ऐसी बात उन्होंने सुनी तो मन में ऐसा हुआ कि कुछ नया और हट के दिखने की हिम्मत उठी ।  वे कहते है जो इंसान रोकता है टोकता है उसे आप नेगेटिविटी में न लो आप उसे positivty में लो .

जो कोई तीर छोड़ता है उस तीर क्यों पकड़ कर रख लो कि 1 दिन मैं चला लूंगा तेरे पर एक दिन वक्त मेरा आएगा . कोई काम करते हुए मैं जब शॉप पर बैठा तब एक घटना घटी थी उनके साथ ऐसी हुई उनकी छोटी उम्र में यह उसकी  उम्र 16 साल की थी . तब उनके फादर साहब एक्सपायर हो गए .

शॉप में उन्हें सिर्फ 3 साल 4 साल हुए थे मैं फादर के साथ बैठा काम सीख हुआ था वह .

जब उनके पादर की एक्सपायरी जुई , अरुण बजाज (Arun bajaj) की फादर की डेथ हुई . वह उसके बाद शॉप में आया . उन्हें यह भी नहीं पता था मैं सुबह बिल कैसे करूंगा  ?, मैं आटा कैसे लेकर आऊंगा , ? घर का खर्चा कैसे करूंगा ?

एकदम से पैरों के नीचे से जमीन निकल गई कि वे करेगा उन्होंने क्या किया जब अरुण बजाज (Arun bajaj) ने दुकान खोली 13 दिन के बाद मैंने शॉप खुली तो मैं ₹80 की रिले वे उधर लेके आया हुआ था और वे कहते है जिन्हे बाद में काम करने के बाद वापस करने थे ।

उनके मन में यह आता था कि कुछ हटके करूं . इसलिए उन्होंने ने लोगों की अचकन बनाई , शेयर बनी बनाई,  एंब्रॉयडरी की क्योंकि इन्ही पैसो से उन्हें भी घर का खर्चा तो चलाना है . वे आगे कहते है जब मेरे फादर साहब एक्सपायर हुए थे मेरी सिस्टर की शादी हुई थी।  महीना पहला महीने बाद उनकी डेथ हो गई . घर में यह भी पैसा नहीं था कि कुछ लेकर आ सके कि कुछ

मेरी हेल्प हो सके , कि मेरी कोई मदद हो सके,  कोई दोस्त नहीं था,  कोई रिश्तेदार नहीं था कोई साथ नहीं देता .

मेरा मकान छोटा था . 50 गज का थे . पूर मन में तमन्ना थी कि मैं इससे बड़ा बनाऊंगा . अंदर की तमन्ना होती है मैंने शेरवानी बनाई एंब्रॉयडरी के साथ लोगों ने बहुत पसंद की . लोग बनाते थे सूट अचकन  बहुत लोग कम बनाते हैं बिना आपके बिना निशान से बनती है वह कुर्सी सीधा मशीन से चलाकर बनानी पड़ती है वह मैं बना लेता था क्योंकि स्केचर थे ।

उसके बाद जब उन्होंने यह काम किया . इसका दौर खत्म हुआ चार-पांच साल बाद फिर उन्होंने ड्रेस ओं में आ गया । वे कहते है पंजाबी सिंगरों कि मैं ड्रेसेस बनाने लग गया गुरदास मान जी की ड्रेसेस बनाई . दलेर मेहंदी के ड्रेसेस ,  हरजीत हरमन,  मनिंदर मंगा , सुरजीत खान सिंगर आदि कई लोगो के ड्रेस बनाया करते थे . जिन्हे उन्हें अलग लेवल तक ले गे हुए थे

वे कहते है लेकिन इन्वेन्द्री का काम ऐसा होता था कि अगर आपने कोई एंब्रॉयडरी का काम बनाना है कोई लोगो बनाना है तो आप जाओ अरुण बजाज (Arun bajaj) के पास

लोग यह कहते थे जो काम किसी से नहीं बनता था।  वह क्या था वह लड़का बना देगा वह पागल है वह कहते थे वह बना देगा यह देखना वह मिल जाए अगर वह आपको नहीं मिलेगा तो यहां पटियाला में कोई आपका काम नहीं बनाएगा ।  सर यह लड़का बना कर देगा  .

वे कहते है इन्होने कभी नहीं सोचा क्या मैं बड़े से बड़ा काम करूंगा मैंने कहा छोटे से छोटा भी करूंगा . किसी की जैकेट निकल गई फट गई वह मेरे पास आता था।  उसको ठीक कर दो उसको . मैं ठीक करके देता था .

वे कहते है वह लोगो बना कर के देते थे , स्कूल के लोगो बना के देते थे . जब वे स्कूल के लिए लोगो बनाने लगे तब उन्हें स्कूल वाले कहते थे – लोगो क्यों बना कर देते हो क्योंकि यह तो हम कंप्यूटर बनाते हैं . क्योंकि वे क्या करता था कंप्यूटर के काम को हाथो से उन्हें बना देते थे ।  था इतनी ज्यादा काम के अंदर फर्निशिंग आ गई थी .

वे कहते है मुझे लग रहा था कि मेरा जो अपने पेंटिंग का शौक है  पेंटिंग का शौक है वह छूटता जा रहा है क्योंकि जब उन्हें अम्बेडरी में चला गया , शॉप चला गया काम करने लग गया . अपने काम को मैं यह देख रहा हूं , बहुत अच्छा कर रहा हूं मैं अपना तू मेरे से स्केचिंग करता था उसमें रख जाता था . सारा रात बैठा रहता था वह कहीं मेरे से छूट है मुझको

वे कहते है एक दिन उन्हें ख्वाब आया उन्हें पाया कि वह गुरु नानक देव जी का पोर्ट्रेट तस्वीर में बैठा बना रहा है ख्वाब में ।  वे कहते है की उन्हें नहीं पता था कि यह पॉसिबल है ।  मैंने सोचा यह पॉसिबल है , यह कैसे हो सकता है कि एक सिलाई मशीन से किसी का पोट्रेट बन सकता है ।


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पोट्रेस्ट दरजी की शुरुआत 

 Arun bajaj
Arun bajaj

तुम मुझे लगा कि मुझे परमात्मा नहीं कर रहा दिखाइए बनाकर देखो मैंने सोचा चलो कोशिश करते हैं . मैं उसको बनाने लगे ,  जब मैं उसको बनाता बनाता हूं उठा . मैंने सोचा यार यह तो बहुत जबरदस्त हफ्ता लगा उसको वन वन वीक में कितना अच्छा बनकर तैयार हो गया . वह मैं लोगों के पास लेकर गया उनको मैं लोगों को दिखाया कि यह देखिए मैंने एक नया पोट्रेट बनाया यह कैसा लग रहा है . लोगों ने इतना पसंद किया उसको कहते हैं अरुण बजाज (Arun bajaj) आप कुछ यही करते हो

बनाते हैं उसको 10 दिन 15 दिन 20 दिन महीना तो लगेगा ।  उसमें खर्चा भी चलाना है . बहाने लगाने में तो लोग कई सारे हैं वह कहते हैं . उनके पास में पैसा नहीं था . उनके पास कोई चीज नहीं थी ।

जैसा की आपसभी को पता है की  लोग बहाने लगाते हैं पर यह नहीं सोचते कि तुम कर सकते हो ।

वे आगे कहते है – क्या किया मैंने लोन लिया .

मुझे लोन मिला मेरे ब्याज से पैसे पकड़े घर का खर्चा निकालने के लिए यह मैंने 20,000 पकड़ा घर वालों को दे दिया और कहा की  भाई लोग महीने का खर्चा चलाओ और मुझे यह काम करने दो . मैं बैठ कर अपना काम करना शुरू कर देता था .

वे आगे कहते है उन्होंने फोटो बनाई गुरु नानक देव जी की . उसके बाद उन्होंने कृष्णा का पोट्रेट शुरू किया . कृष्णा पोट्रेट उन्हें बनाने के लिए पैर के नाखून से शुरू किया . वे कहते है की जब भी वह कोई भी चित्र चीज बनाते है तो पैर के नाखून से शुरू करते है ।  अगर पैर का नाखून नहीं होता नीचे आधे हिस्से से शुरू करते है ।  पर शुरू नीचे से करते है ।  वे आगे कहते है यह सोच कर ही नहीं बनता था कि बनेगा नहीं  .  यह सोच कर बताता हूं कि क्यों नहीं बनेगा दोनों चीजों का बहुत फर्क है

बनेगा कि नहीं बनेगा यह भी होते क्यों नहीं बनेगा या मैंने उसको बनाना वे कहते है कृष्ण जी का हिस्सा बनाया . जब चेहरे पर पहुंचा तो चेहरे पर पहुंचते-पहुंचते मुझे 1 साल लग गया .

जैसे वे कहते है मई काम कर रहा हूं वह मेरे ख्वाब बना रही है,  मैं तस्वीर बना रहा हूं तस्वीर मेरे ख्वाब बता रही है।  क्यों मेरा ख्वाब था बढ़िया मकान लेना है , गाड़ी लेनी है , लोग मुझे पूछे . वह उसमें बोला था जब मैंने वह उसके बैकग्राउंड बनाई उसको बनाते बनाते पूरे टोटल पूरी तस्वीर को 3 साल लग गए .

3 साल में जब लोगों ने यह तस्वीर देखी एकाकी बजाज साहब इससे ऊपर कुछ नहीं हो सकता इस तस्वीर में 2836000 मीटर लगा हुआ है।  जो 3 साल में बनी और उसमें 3545 रिले लगी हुई है।  जो दुनिया की सबसे लंबे धागे की तस्वीरें कभी बनी नहीं उन्हें 3 साल लगे जब वह तस्वीर बन के लोगों के सामने आई तो

उससे उनके नाम से 5 वर्ल्ड रिकॉर्ड बने . जब मेरा सिलसिला शुरू हुआ . वर्ल्ड रिकॉर्ड गिनेस वर्ल्ड,  रिकॉर्ड इंडिया लिम्का ,  यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड लगी झड़ी लगी क्योंकि जब तस्वीर में इतनी बड़ी बना दी 3 साल का बलिदान दिया हुआ था ।

वे कहते है आज उस पिक्चर का जो प्राइस रेट जो पड़ चुका है वह 10000000 रुपए का है . वे कहते है की कर रहा मुझे डिमांड आ रही है आप बताओ आप कितने पैसे लोगे

एक दर्जी का लड़का कहां से कहां तक जा सकता है फिर मेहनत उसमें बहाना नहीं है कि . उन्हें किसी भी प्रकार की कोई हेल्प नहीं मिली , उन्हें कोई  मदद नहीं मिली यह तो सबका होता है जब आप

करते हो तो . आप लक्ष्य ढूंढते हो तो परमात्मा आपके साथ आकर कड़े हो जाता है । हम सोचते है की वह करेगा कि तुम करो हम तो यह सोचते हैं कि करेगा कुछ परमात्मा तब हम करेंगे . परमात्मा कहता है – भाई पहले तू तो कर ले मैं तो तेरे साथ खड़ा हूं ।

उसके बाद उन्होंने महाराजा रंजीत सिंह का दरबार 2000 से ज्यादा लोग,  हाथी उसकी डिटेलिंग बहुत ज्यादा थी जिन्हे उन्होंने पाकिस्तान में फोटो को खींचकर के बनाया हुआ था फिर उन्होंने उस चित्र को पाकिस्तान वालों को मैंने भेजा कि यह

देखिए मैंने फोटो तैयार कर दी पाकिस्तान वालों ने मुझे पहले ही कहा था कि अगर उनकी आप बता नहीं पाओगे अगर आप बनाओगे तो हम आपको पाकिस्तान में बुलाकर सम्मानित करेंगे जब उन्होंने यह फोटो देखा यह कहा था सर हम आपके पास नहीं है हम यकीन दिलाते हैं हम अगर आपके पास होते तो आपको नमन करते यह पाकिस्तान वालो ने अरुण बजाज (Arun bajaj) को कहा था ।


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अरुण बजाज (Arun bajaj) को पहचान कैसे मिली 

उस तस्वीर को बनाने के लिए 1 साल लगा था . जब उन्होंने उस तस्वीर को फेसबुक में डाल दी उसको 2100000 से अधिक उसमें like मिले हुए थे । वे कहते है की मैं जब देखा तो में हैरान रह गया तो लोगों को मेरी पोट्रेट को इतने पसंद आ रहे हैं .  वे कहते है वह तस्वीर जो उन्होंने दरजी में सुई धागा भर के बनाई हुई थी उसकी कीमत जानकर के भी आप हैरान रह जायेंगे जो 11 लाख रूपये में बिक चुकी है ।

वे कहते है मुझे तो यकीन नहीं हुआ कि उसने मुझे गाड़ी भी दिला , दी प्लाट भी दिला दिया मकान भी बना दिया ।  इतना कर दिया कि उसके बाद मेरे पास एक से एक बढ़कर के पोटर्ट के आर्डर आने लगे और उसकी बाद से उसकी जिंदगी ही बदल गई ।

इसके बाद में उन्होंने नरेंद्र मोदी ने उन्हें सम्मानित किया क्योंकि उन्होंने नरेंद्र मोदी जी का कपड़ो से सिलाई करके उन्हें हूबहू चित्र बनाया हुआ था ।

वे कहते है आज लोग उन्हें कहते है – कैसे कर रहे हो . तो वे उन्हें जवाब में देते है मैं तो पागल हूं क्योंकि मुझे लोग कहते थे ? ,  यह क्या कर रहा है? ,  पागलों जैसे काम कर रहा है?,  इसको कोई नहीं खरीदेगा ? ,  तो कोई नहीं लेगा क्योंकि जो तुम बना रहे हो यह किसी को पता ही नहीं है , क्या तुम अपना घर चलाओ जो दुनिया चल रही है वैसे चलो

पर वो जो पागल लोग होते हैं ना कहते हैं ना बच्चे बिना करंट के तारों से पतंगे उतार लाते हैं वह काम मैंने किया ।।

वे कहते है की जिंदगी में रुकना नहीं , डरना नहीं . मेरे पिता जी यही कहा था बेटा अगर जिंदगी में तुमने आगे बढ़ना है तो किसी की मत सुनना . आपके अंदर पागलपन होना चाहिए जिंदगी तो मैं आपने कुछ आगे बढ़ना है।  कुछ करना है तो पागलपन चाहिए आपको पागलपन अगर आप करोगे तभी तो आगे तरक्की करोगे .

यह ना सोचो मेरे यह दर्द और है मुझे बहुत दर्द हो रहा 27 साल एक कुर्सी पर बैठकर मैंने काम किया है 72 घंटे बैठा रहा हूं . मैंने रात देखा न दिन देखा जिस जगह पर मैं बैठकर काम कर रहा था मैं सबसे ज्यादा रातों को काम करने वाला मैं हूं . अरुण बजाज (Arun bajaj)#NeedleMan #Success jine आज लोग निडिल मैन के नाम से भी जानते है ।

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