5+ भूखी चिड़िया की कहानी | Bhukhi Chidiya Ki Kahani

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Bhukhi Chidiya Ki Kahani) आज हम लोग इस पोस्ट में है भूखी चिड़िया की कहानी के बारे में जानेंगे अगर आपने बचपन में पंचतंत्र की कहानियां सुनी होगी तो इसमें भूली चिड़िया की कहानी कभी ना कभी तुमने जरूर सुनी होगी। अगर नहीं सुनी है तो आज हम इस आर्टिकल में भूखी चिड़िया की कहानी के बारे में जानेंगे।

और मैं आपको पूरा डिटेल्स से बताऊंगा कि वो किसी जा की कहानी का अर्थ क्या है क्योंकि बहुत सारे लोग इस कहानी को जानना चाहते हैं इसके बारे में समझना चाहते हैं इसलिए आज का यह पोस्ट में उन्हीं लोगों के लिए है जो इस कहानी को जानना चाहते हैंOR कुछ इस कहानी से सीखना चाहते है ।

भूखी चिड़िया की कहानी Bhukhi Chidiya Ki Kahani || Hungry Bird Story

1 .  कब तक आश्रृत रहू (भूखी चिड़िया की कहानी ) Bhukhi Chidiya Ki Kahani –

बहुत समय पहले की बात है जंगल में चिड़िया नाम की एक छोटी सी चिड़िया रहती थी। टिल टिली चिड़िया अपने घर में अपने माता-पिता और 2 भाइयों के साथ में एक छोटे से घोंसले में रहती थी। टिल टिली चिड़िया के पंख छोटे और रेशमी मुलायमदार थे जो देखने में सुनहरे और लुभावनी थे उसकी आवाज इतनी मधुर थी की सुनने वाले का मन मोह लेता था ।

टिल टिली चिड़िया और उसका परिवार एक मंदिर की घंटाघर पर बने घोसले में रहता था और उसकी माता ने उसे घंटिया की ताल पर चहकना बखूबी से सिखाया हुआ था । जैसे ही कोई मंदिर की घंटी को बजाता था तो पेड़ की डाल में बैठकर के घंटी के संग में ताल से ताल मिलकर के चहचाने लगती थी ।

उसी मंदिर घंटाघर के पास में एक छोटे से पुराने मकान में एक बूढ़ा व्यक्ति रहती थी जो पक्षियों , पशुओ से बहुत प्यार करता था । वह रोज सुबह उठकर के पक्षियों के लिए दाने डाला करता था , पशुओ के लिए चारे देते थे उनके घर में 2 गाय थे जिनके देखभाल नौकर करते थे । वही टिल टिली चिड़िया और उसके परिवार के लिए भी वह अपने खिड़की पर ब्रेड डालती थी।

टिल टिली चिड़िया बूढ़ा व्यक्ति की रखें ब्रेड को खाती थी और बचे ब्रेड को अपने परिवार के लिए ले आती थी।।

एक दिन की बात है उस बूढ़ा व्यक्ति की तबीयत खराब हो गई और वह एक लंबी अस्वस्थ स्थिति में पड़ गई और कुछ दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। उसके नौकर को नहीं पता था की चिड़िया को उनके मालिक

टिल टिली चिड़िया और उसका पूरा परिवार बूढ़ा व्यक्ति औरत के दिए हुए दाने पर निर्भर रहते थे उन्हें खुद के लिए खाना ढूंढना नहीं आता था . वह बिना मेहनत के ही बड़ा व्यक्ति के चावल के दाने चुग लिया करते थे ।

अब उनकी मृत्यु हो जाने के बाद उनके पास में खाने के लिए कुछ नहीं था, तब लंबे समय तक भूखे रहने के बाद में कुछ सोचने के बाद  टिल टिली चिड़िया कीड़ों का शिकार करने का निर्णय किया और अपने परिवार और अपने पेट पालने के लिए उन्होंने दुर्भाग्य से शिकार के लिए निकल गए।

टिल टिली की भूख बढ़ती ही जा रही थी और रस्ते में उन्हें मात्र 2 कीड़े ही मिले और उसके परिवार में 5 चिड़िया थी इसलिए उसने टिल टिली चिड़िया और उसके दो भाइयों के साथ मात्र छोटे सदस्यों को खिलाने का निर्णय किया।

इधर उनके घर के अन्य चिड़िया खाने की खोज में इधर-उधर भटकती हुई कभी एक घर के मकान में तो कभी दूसरे घर के खिड़की में जाकर के चहचाने लगती जो ज चिड़िया के साथ में उसके भाई और उसकी मां भी भोजन की तलाश में एक घर से दूसरे घर मारा फिरते  एक खिड़की से दूसरे खिंडकी , एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक जाकर के हाथ मारते थे लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिला।

काफी मशक्कत करने के बाद में टिल टिली चिड़िया के पिता को एक ऐसा स्थान मिल गया जहां बहुत सारे कीड़े थे। उसने उनके अनेक दिनों का खाना मिल गया। वहां उन से कुछ को खाने के बाद में अपने परिवार के पास घोसले में वापस लौटा तो वहां उन्हें कोई नहीं मिला वह परेशान हो गए और इधर-उधर ढूंढने लगा।।

टिल टिली चिड़िया एक घर के खिड़की में चोंच मार ही रहा था कि उस घर के मालिक ने उन्हें देख लिया और उन पर राख फेंक दिया उनका शरीर सुन्दर से बदसूरत और रख ही रख कलर से बदलकर बुरा हो गया ।

जब रख से साणे  हुए उनकी मां अपने बच्चों को लेकर घोसले में लौटे तो टिल टिली के पिता ने उन्हें  पहचान नहीं पाए और उन्हें घोसले से भगा दिया।

तभी टिल टिली चिड़िया लौटे तो पिता उन्हें पहचान नहीं पाए और घोसले में घुसने से पहले उन सब को भगा दिया टिल टिली चिड़िया ने अपने पिता को समझाने का बहुत ही प्रयास किया के किसी ने उसके ऊपर रंग फेंका है लेकिन उनके पंखों में हुए बदलाव के कारण उनके पिता उन्हें पहचान नहीं पाए और चिड़िया भी अपने पिता को नहीं समझा पाए।

चिड़िया और उसके दोनों भाई , माता ने हार नहीं मानी और पास में ही इस तालाब में अपने आप को साफ करने के लिए चले गए और कुछ देर में मदिर के घंटी की आवाज के साथ अपने पसंदीदा गीत की धुन पर चहकना शुरु कर दिया।

टिल टिली चिड़िया के चहकने की आवाज को सुनकर के उनके पिता ने उसके उन्हें पहचान लिया और उन्हें घोसले में आने दिया और उसके बाद सभी ने उसी से एक बैठकर के सुकून के साथ में खाना खाया ।

उस दिन के बाद में उस चिड़िया और उसके परिवार ने भोजन प्राप्त करना सीख लिया और दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए यह बात अच्छे से समझ लिया क्योंकि यदि वह उस बूढ़े व्यक्ति के दाने में ही निर्भर रहता तो वह गुलामी के कारन और मेहनत कष्ट उठाना नहीं sikha होता . 

कहानी की सीख ये भूखी चिड़िया की कहानी Bhukhi Chidiya Ki Kahani  हमें जिंदगी के उन पहलुओं के बारे में बहुत कुछ बता गया की जिंदगी में आगे बढ़ाना है तो किसी के ऊपर आश्रित न रहे , स्वं मेहनत करके , अपनी मेहनत के साथ में अपनी पेट पलना चाहिए भले ही म कमाओ लेकिन ईमानदारी के साथ में काम करे ।

2 . लालच का फल ( भूखी चिड़िया की कहानी Bhukhi Chidiya Ki Kahani)

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भूखी चिड़िया की कहानी Bhukhi Chidiya Ki Kahani- hungry bird story

एक बार की बात है एक जंगल में 2 चिड़िया एक साथ रहते थे । उन दोनों में गहरी दोस्ती थी , डॉन एक दूसरे में जान छिड़कते थे । अपने मन की बातो को एक साथ बतलाते थे , खाना भी एक साथ खाते थे और एक घोसले में दोनों एक साथ रहते थे ।

वे दोनों आस पास के जंगलो में जाकर के दाने चुघ कर के अपने घोसले में शाम तक वापस आ जाते थे । कभी कभी वे पास के खेतो में जाकर के धान के बालियों को अपना भोजन बनाते थे तो कभी जौ को अपना भोजन के रूप में लेते थे ।

ये लगातार 2 से 3 सालो तक वे ऐसा ही जंगलो खेतो में जाकर के अपना भोजन प्राप्त करते रहे लेकिन एक साल ऐसा आया की जंहा वे जंगल में रहते थे वंहा बून्द भर पानी नहीं गिरी और बारिश हुआ तो भी फसल किया ही नहीं जा सका ।

और फसल हुआ तो अधपका ही हुआ । ये दोनों चिड़िया इस साल बारिश न होने के कारण खुश थे कुछ दिनों तक तो वह जंगलो में फलो को खाकर के अपना पेट चलने लगे लेकिन कुछ दिन बाद जंगल से सारे फल ख़त्म हो गए तो वे भूखे रहने लगे ।

जब दोनों दोस्तों की भूख ज्यादा बढ़ने लगा तो उन दोनों ने निर्णय लिया की शहर में जाना चाहिए । ये विचार कर के जंगल से दोनों दोस्त और अपने कुछ साथियो के साथ में जंगल से भूखे पेट शहर की और पहुंच गए ।

शहर के बीचो बिच उन्हें खाने के लिए कुछ भी नहीं दिख रहा था । वे दोनों दोस्त और उनके साथी थके हारे एक पेड़ के शाखा में जाकर के बैठ गए ।

कुछ देर तक बैठने के बाद में फिर दाने की तलाश में रस्ते से चाहे जा रहे थे । रस्ते में जाते जाते उन्हें एक गेहू से लदा ट्रक दिखाई देता है जिनमे से कुछ बोरियो से गेहू के दाने रस्ते में गिरते हुए जा रहे थे ।

दोनों दोस्त और उनके साथियो ने रस्ते में गेहुए के दाने के लिए रुक जाते है । और रस्ते में ही बैठकर के खाने लगते है ।

कुछ ही देर तक खाने के बाद में प्यास लगने की वजह से दोनों दोस्त में से एक दोस्त पानी की तलाश में निकल जाता है जबकि दूसरा दोस्त रस्ते में पढ़े गेहू के चुभ रहे थे ।

रस्ते में होने के कारण और लम्बे समय से भूखे होने के कारण उनका एक दोस्त रस्ते में मग्न होकर के दाने चुभ रहे तभी अचानक से एक भरी ट्रेलर आती है और उसे रौंदकर के चली जाती है ।

दोस्तों ये छोटी सी कहानी (भूखी चिड़िया की कहानी Bhukhi Chidiya Ki Kahani) हमें सिखाती है की जिंदगी में लालच करना बहुत बुरी बात है , हमारे पास में जितना है उतना में ही संतुस्ट रहना चाहिए ।।

 

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