बिजनेस शुरू करने प्रमुख नियम || Business Shuru Karne Ka Tarika

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हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे इस ब्लॉग पोस्ट में दोस्तों आज की इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम किस प्रकार से बिजनेस शुरू (Business Shuru Karne Ka Tarika) कर सकते हैं इसके बारे में इस पोस्ट के माध्यम से आपको पूरी डिटेल के साथ में जानकारी देने वाले हैं इसके लिए कौन कौन से प्रमुख तरीके और किस प्रकार से हम बिजनेस को लीगल तरीके से खोल सकते हैं इसके बारे में इस पोस्टर से जाने वाले हैं तो चले बिना किसी देरी के इस पोस्ट को पढ़ते हैं :-

बिजनेस शुरू करने के कुछ प्रमुख नियम || Business Shuru Karne Ka Tarika

भारत में आज के समय में दिन प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के बिजनेस के स्ट्रक्चर प्रचलित होते जा रहे हैं। किसी भी व्यवसाय की संरचना चिन्ना एक बिजनेस द्वारा लिए गए सबसे महत्वपूर्ण नियमों में से एक है। केवल एक अच्छे विचार और निवेश से कोई भी जो व्यवसाय होता है वह सफल नहीं हो सकता । एक सफल बिजनेस इस बात पर निर्भर करता है कि उसके लिए किस प्रकार के बिजनेस स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया गया है। इस लेख में हम उपलब्ध कुछ प्रकार के बिजनेस स्ट्रक्चर के बारे में चर्चा करेंगे जानेंगे की सही व्यवस्था की संरचना पर कैसे निर्णय लिया जाए और बिजनेस में कैसे सफल हुआ जाए।

1. सोल प्रोपराइटरशिप – व्यापार के नियम

1. इस प्रकार के बिजनेस में केवल एक ही मालिक होता है जिसका सभी प्रमुख पहलुओं पर उनका अपना स्वयं का सीधा नियंत्रण होता है। इसमें बिजनेस और मालिक एक ही होते हैं अर्थात बिजनेस की एक अलग कानूनी इकाई नहीं होती है।

2. सोले प्रोपराइटरशिप के रजिस्ट्रेशन के लिए किसी कानूनी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं होती है हालांकि बिजनेस के हिसाब से जरूरी लाइसेंस या फिर सर्टिफिकेट लेने पड़ सकते हैं जैसे कि शॉप्स एंड एस्टेब्लिशमेंट सर्टिफिकेट आदि।

3. इस बिजनेस का अपने आप में कोई अलग अस्तित्व नहीं होता। मालिक व्यक्तिगत रूप से इकाई की सभी देनदारियों के लिए उत्तरदाई होता है। इसका मतलब यह है कि देनदारी कर्जदार ई या किसी और नुकसान के मामलों में मालिक का निजी संपत्ति तक बात आ सकती हैं।

अर्थात सोल प्रोपराइटरशिप ऐसा बिजनेस है जिसमें एक मालिक के द्वारा सारी बिजनेस को संभाला जाता है और यदि किसी भी प्रकार के कर्ज या फिर मुनाफा होता है तो वह स्वयं ही इसके जिम्मेदार होते हैं इनमें किसी प्रकार की कोई लीगल डॉक्यूमेंट नहीं लगता।

2 . पार्टनरशिप – व्यापार के नियम

1. इस तरह के बिजनेस में दो या दो से अधिक लोग मिलकर के इस बिजनेस को स्टार्ट करते हैं। इसमें दोनों ही मालिक होते हैं जो साझेदारी के तहत बिजनेस को दोनों चलाते हैं। व्यवसाय बनाने के लिए विभिन्न कौशल ज्ञान और प्रतिभा के लोग एक साथ आते हैं जिन्हें पार्टनर्स कहा जाता है।

2. पार्टनरशिप का रजिस्ट्रेशन वैकल्पिक होता है। हालांकि इस तरह का बिजनेस शुरू करने से पहले हमेशा एक पार्टनरशिप डीड तैयार करवानी चाहिए जिससे साझेदारी के सारे नियम व शर्तें उनको मालूम हो और पूरी बातें उन पर लिखी हो और उस डीड को रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए। पार्टनरशिप से जुड़ा कानून इंडियन पार्टनरशिप एक्ट में दिया गया है। ध्यान दें कि केवल एक पंजीकृत पार्टनर फार्म मुकदमा कर सकती हैं।

3. पार्टनरशिप फर्म के साझेदार सब प्रकार की देनदारियों के लिए तय हिसाब से जिम्मेदार होते हैं। सब पार्टनर मिलकर के सबसे पहले यह तय कर लेते हैं कि इस बिजनेस में उन्हें कितना मुनाफा होगा और कितना फायदा होगा और उस मुनाफे और फायदे में उनको कितना प्रतिशत प्रॉफिट मिलने वाला है इनके बारे में उनको जानकारी का हिसाब तैयार किए जाते हैं। यदि किसी भी प्रकार की कर्ज या नुकसान की स्थिति होती है तो जितने भी पार्टनर सोते हैं उतने इस बिजनेस की संपत्ति में अपना धन भेज सकते हैं और उस कर्ज को खिल कर सकते हैं।

3. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी – व्यापार के नियम

1. यह एक ऐसी इकाई है जिसमें कुछ प्राइवेट लोगों द्वारा बनाया जाता है जिन्हें शेयर होल्डर कहा जाता है। एक कंपनी का अपना गठन करने वाले सदस्य से अलग-अलग कानूनी अस्तित्व होता है। कंपनी अपने आप में एक लीगल पर्सन मानी जाती है प्रोग्राम कंपनी कोई मुकदमा कर सकती है तथा लड़ सकती है यह प्रॉपर्टी खरीद बेच सकती है और कांट्रेक्ट भी कर सकती है।

2. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाना अति अनिवार्य होता है । कंपनी का रजिस्ट्रेशन एक्ट 2013 के तहत होता है। इसके अलावा एक कंपनी को चलाने के लिए समय-समय पर जरूरी औपचारिकताएं पूरे करते रहना पड़ता है इसके लिए आपको एक पेशेवर चार्टर्ड अकाउंट की जरूरत पड़ती है।

3. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का अस्तित्व अपने सदस्यों से अलग होता है। शेयर होल्डर की देनदारी केवल अपने शेयर कैपिटल के हिसाब से होती है। आमतौर पर किसी देनदारी कर्ज या और किसी नुकसान के मामले में कंपनी के मालिकों की व्यक्तिगत या फिर निजी संपत्ति पर कोई भी प्रकार की नुकसान नहीं होती या फिर आज नहीं आती हैं।

अर्थात कहने का तात्पर्य है कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शेयर के माध्यम से चलने वाले कंपनी हैं जिनमें जो मालिक होता है उसमें किसी प्रकार की उसे कर्ज है देनदारी या फिर नुकसान की कोई भरपाई नहीं करनी पड़ती हैं।

4. एलएलपी – व्यापार के नियम

एलएलपी का अर्थ होता है लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप जिसका हिंदी में तात्पर्य होता है सीमित दायित्व वाला भागीदारी। एलएलपी बिजनेस अभी वर्तमान में इसका चलन काफी बढ़ रहा है। सरल भाषा में कहा जाए तो यह पार्टनरशिप बिजनेस और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बिजनेस के बीच की एक कड़ी के रूप में एलएलपी बिजनेस काम करता है।

2. हर प्रकार के एलएलपी लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट 2008 के तहत नियंत्रित होती है और इसी अधिनियम के तहत इनका रजिस्ट्रेशन भी किया जाता है। और प्राइवेट कंपनी लिमिटेड की तरह ही इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराना अभी अनिवार्य होता है। एक प्राइवेट कंपनी की तुलना में एलएलपी में काफी कम कागजी औपचारिकताएं होती हैं।
3. एक एलएलपी और उसके भागीदारों को अलग कानूनी इकाई माना जाता है। नुकसान या कर्ज के प्रति उसकी उसके द्वारा किए गए निवेश तक ही सीमित है । यदि किसी पार्टनर के व्यक्तिगत कार्य के karan आने वाले देनदारी के लिए बाकी पार्टनर से जिम्मेदार नहीं होती हैं अर्थात वह स्वयं खुद उस नुकसान या कर्ज के प्रति स्वयं जिम्मेदार होता है।।


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Business Shuru Karne Ka Tarika से सुझाव 

1. यदि आप केवल अपने दम पर ही बिजनेस करना चाहते हैं (Business Shuru Karne Ka Tarika) और बिजनेस को एक बड़ा रूप देना चाहते हैं तो इसके लिए आप कागजी औपचारिकताएं बिल्कुल ना करें और हो सके तो सोल प्रोपराइटरशिप आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।

2. यदि आप किसी के साथ में मिलकर के बिजनेस करना चाहते हैं (गांव में बिजनेस करने का तरीका) और साथ ही उसके साथ कागजी औपचारिकताएं यदि बिल्कुल कम रखना चाहते हैं तो आप जो है पार्टनरशिप बिजनेस को स्टार्ट कर सकते हैं जिसके लिए आपको किसी अच्छे पार्टनर्स की आवश्यकता होगी जो स्किल प्रोफाइल वाला हो। साथी इसे रजिस्ट्रेशन कराना भी अति आवश्यक होता है तू अब पटना से बिजनेस स्टार्ट करने के बाद रजिस्ट्रेशन जरूर करवाएं ।

3. यदि आप प्रोफेशनल तरीके से काम करना चाहती हैं और बिजनेस बढ़ाने के लिए फंड की आपको जरूरत पड़ती है तो आप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को शुरू कर सकते हैं क्योंकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को बैंक आसानी के साथ में लोन दे देता है। इसके अलावा इसमें आप किसी शेयर फोल्डर से भी संपर्क कर सकते हैं। इसमें काजी औपचारिकताएं बहुत ही ज्यादा होती हैं परंतु देनदारी के मामलों में भी अधिक सुरक्षा होती हैं।।

7. यदि आप प्रोफेशनल तरीके से काम करना चाहते हैं (अपना रोजगार कैसे शुरू करें) लेकिन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की जितनी औपचारिकता है उसे आप पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो आप एलएलपी बिजनेस आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि आपको एलएलपी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भारती आपको फायदा देती हैं और साथ ही आपको पार्टनरशिप से होने वाले जो नुकसान हैं उसकी भरपाई भी करती हैं तो आप एलएलपी बिजनेस स्टार्ट।


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