121+ CG Janula छत्त्तीसगढ़ कहावत/जनउला/अउ मुहावरा

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Chhattisagarhi Lok साहित्य में , Chhattisgarhi Kahawat , छत्तीसगढ़ी जनउला pdf, तथा लोकोक्तियों का सबसे अधिक महत्व है , क्योंकि पहेली और लोकोक्ति इतनी छोटी और असरकारक होती है की उसे किसी भी समय प्रस्तुत किया जा सकता है । जैसे -“छोटे मिर्चा ज्यादा झार” वाली Chhattisgarhi उक्ति इन तीनो विधाओं पर सटीक बैठती है । यदि उक्त भाषागत विशेषताय किसी भी भाषा में न हो तो , वह निश्चय भाव को दिखने में असमर्थ हो जाता है ।

cg janula
cg janula

ऐसी स्थिति में भाव को व्यक्त करने के लिए एक भाषा को नहीं कहा जा सकता है और इसके लिए छत्तीसगढ़ी भाषा (Chhattisgarh Language) इन आभुषणो से अलंकृत है ।

आप देखेंगे की छत्तीसगढ़ की बोली में संस्कृत के मूल सब्द भी पाए जाते है । किन्तु अन्य भासाओ की तरह ही छत्तीसगढ़ भाषा भी पूर्ण विकसित और कंही अधिक संमृध्द है ।

जिसका अभिमान इसमें मिला हुआ । उच्च कोटि के हाना (CG Janula) ,  लोकोक्ति (Chhattisgarhi Kahawat)  , जनउला (पहेली) Chhattisgarhi Janaula ,कहावत या मुहावरे (CG Kahawat) से होता है । इनमे छत्तीसगढ़ी संस्कृति (chhattisgarh local language) के दर्शन होते है । यही संछिप्त में बताया जा सकता है ।

कहावत (Chhattisgarhi Kahawat)-

लोक (Chhattisgarh) में हजारो की संख्या में कहावत जिनमे से छत्तीसगढ़ी जनउला pdf , केवट , कनाट , कहनात , कवडा , आदि नमो से जाना जाता है । cg janula  का शाब्दिक अर्थ कही हुई बात होता है । ये हजारो वर्षो की ज्ञान और अनुभव की घनीभूत रचना है । कहावत (CG Kahawat) में मनुष्य के सदियों के लोकव्यवहार के निस्कर्स और परम्परातगत दृश्टिकोण होते है । जिन्हे सारभूत लोक विचार भी कह सकते है ।

छत्तीसगढ़ भाषा (Chhattisgarh Language) में प्रचलित कुछ कहावतों (Chhattisgarhi Kahawat) को निचे दिया जा रहा है ।

1 . तेली घर तेल होथे , त पहाड़ ला नै पोते ।

2 . खाटू परे त खेती , नै ता नदिया के रेती ।।

3 . अपने मरे बिना सरन गई दिखे ।

4 . करनी दिखे मरनि के बेर ।।

5 . जिन्हे डौकी शियान उन्हे मरे बिहान .

6 . जतका के मूड नहीं तत्का मुड़वाउनि .

7 . ज्यादा मीठ मा किरा परए ।

8 . तिथि के पेले ले पहाड़ नई पेलाय ..

9 . देख में कपडा नहीं , जाय बार कलकत्ता ।

10 . मरे में मचा उखाने ।

जनउला ( पहेली ) – cg paheli

संस्कृत में पहेली (CG Janaula) को प्रहलिका भी कहते है । पहेली (Chhattisgarhi Janaula) बुध्दि बढ़ाने की कला है । छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कई ऐसे पहेलियाँ (CG Janula) प्रचलित है । जिनका उत्तर देने में बड़े बड़े की बुद्धि चक्र जाती है । प्रकट रूप से जिस वस्तु का वर्णन जिस पहेली (Janula) में होता है ।
वह तो कभी होती ही नहीं । संकेतो के माद्यम से हम सिर्फ इसका आंकलन लगा सकते है । पहेली को जिंदगी में इतना अधिक प्रयोग लाया जाता है की किसी भी लोक साहित्य में जो नहीं दिखा देता है ।

यंहा तक की पहेली (Janula) दो से चार शब्दों से मिलकर के बन जताई है । पहले में कोई छड़बंध होती है तो कोई निबद्ध होती है । और जो हम पहेली पूछते है वह गाने के सुर के सामान होता होता है । इसलिए इसे जनउला (CG Janula)कहते है ।

लोकोक्ति की तरह ही पहेली (Janula) लोगो के बुध्दि विकाश एवं मनोरंजन के लिए सबसे अच्छा साधन माना गया है । इसके अलावा लोकोक्ति के माध्यम से किसी भी व्यक्ति की ज्ञान की परख भी किया जा सकता है जनउला के माद्यम से । सीजी जनउला उत्तर सहित का उदहारण निचे दिया जा रहा है –

  • 1 . घाम माँ जन्मे , हवा मा मुरझाय , गोई टोला पूछे हो , हवा मा सुख जाये .
  • 2 . पर्रा भर ले , गगन भर छाई ?
  • 3 . पूछी ले पानी पिए , मुड़ी ले हरियाय ?
  • 4 . पांच बही के एक अंगना ?
  • 5 . रात में गुरु, दिन में हुरु ?
  • 6 . पहाड़ हे फेर पथरा नहीं , नदी हे फेर पानी नहीं ।
    शहर हे फेर मनखे नहीं , वन हे फेर बिरवा नहीं ।।
  •  7 . दूर देश मा मइके तोर , गांव गांव ससुरार ।
    गली गली में तोर दुका बढ़े , घर घर तोर परिवार ।।
  • 8 . लात मारे ता चिचयाय , कण ला ऐंठे ता भाग जाए ।?
  • 9 . काटे ले कटाये नहीं , भोंगे ले भोगए नहीं ?
  • 10 . दू जहां दुब्बर , घानी के बैल ।
    दुनो जहां परे , कांच के जेल ।।
  • 11 . ओला देखे दू जहां , ओला बिनय दस झन
    ओला खाय बत्तीस झन , स्वाद पाय एक झन ।।
  • 12 . कलिंदर जैसे गोल मटोर , सेव कस चमकीला हरियर हरियर , डरा दीखते रंगीला ।।
  • 13 . उचकुल गुचकुल कुवा खदान , बत्तीस पेड़ मा एक पान ।।
  • 14 . दिखे मा करिया , जले मा लाल फेके मा सदा बताय बकर हाल ।।
  • 15 . बाप बीटा के एके नाम , नाती के नाम आने ।।
  • 16 . दिन मा सोवे , रात में जगे , जतका जगे ओतका सोवै ।।
  • 17 . मुट्ठी भर आंठा , घर भर बांटा ।।
  • 18 . छै गेडिया बैड बिन बुलाय आये बिन बीमारी सूजी देते  , बिना पैसा घर जाये ।।
  • 19 पंडरा खेत मा  करिया नागर ।।
  • 20 . काटे ले कटाय नहीं , बोंगे ले बोंगाय नहीं ।।
  • 21 . नानकुन तुरी कोकणी आसान पेट , कान्हा जाबे तुरी रतनपुरी देश ।।
  • 22 . पांच भाई के एके अंगना ।।
  • 23 . पूछी में पानी पिए , मुड़ी हर ललिये ।।
  • 24 . करिया बैला बैठे हे , लाल बैला भागत हे ।।
  • 25 . नान कुन तुरी है कूद कूद के पर बंधे ।।
  • 26 . चारा रहत ले चर बोकरा , चारा सिरागे ता मर बोकरा ।।
  • 27 . बचपन हरा , बुढ़ापा में लाल , टिप्स के परत मा बिगड़ गए गाल ।।
  • 28 . चाँद बरोबर मुखड़ा , धरती न आगास ,
    घेरि बेरी बहु देखे , एको घरी न सास ।।
  • 29 . करिया हे पर कौवा नहीं , लम्बा है पर सांप नहीं है ।
    तेल चढ़ाये पर हनुमान नहीं , फूल चढ़ाये पर भगवान नहीं ।।
  • 30 . एक हड़िया जमा दू रंग के पानी ।।
  • 31 . घाम में जन्मे , छाव मा मुरछाय ।
    are पूछो तोला वंहा देख सुख जाये ।।
  • 32 . एक थाली में मोती भरे , ओमे ले एको न गिरे ।।
  • 33 .  खर खाय , खाय खुटी खाय , पानी पिये मर जाय ।।
  • 34 . चार चौक बीच बाजार , सोलह बेटी के तीन दमांद  ..
  • 35 . एक गोड में सौ थान गुंगरू ।।
  • 36 . अनजान रूप बिंरजन चिरई , हेल रुख ता बोले चिरई ।।
  • 37 . उड़े त खन खन करे , बैठे पंख बिछाय ।
    लखन जिव ला मरिके , आपन कुछ नहीं खाय ।।
  • 38 . आठ पहर चौसट घडी , नर पढ़ नारी चढ़ी ।।
  • 39 . बिना पंख के सुवना , उडी चले आकाश ।
    rup रंग ओखर नई है , मरे न भूख प्यास ।।
  • 40 . ठुड़गा ऊपर बुड़गा नाचे ।।
  • 41 . बन ले बेंदरी , ओकर छेदेव कान ।
    दूध भट जेवन करेव , फेंक देहेव मैदान ।।
  • 42 . लोहा के पेड़ , सोन के फूल ।
    chandi के फर , आँख के फूल ।।
  • 43 . एक सींग के अइसन गाय , जटके पाय ततके खाय ।।
  • 44 . पटल के बटलोही , लोहा के ढकना ,
    टेकर भीतर एक ठन दाना ।।
  • 45 . नानकुन मुतुकदास ओन्हा पहिरे सौ पचास ।
  • 46 . कंधे आये कंधे जाय , नेग नेग म मारे जाये ।।
cg janula
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  • 47 . बोवत देखव बटुरा , जमात म कुसियार ।
    ढाई महीना का छोकरा दाढ़ी मेछा में हुसियार ।।
  • 48 . दउड़िस तेन पैस नहीं , पैस ते खैस नहीं , खैस ते पाइस नहीं ।।
  • 49 . रेचकी घोडा के पिचकी लगाम , ओमा छाडे ससुर दमांद ।।
  • 50 . aaithe goithe , पहर ऊपर बइठे ।।
  • 51 . न गोड न हाथ , न मुँह न दांत ।।
  • 52 . न असर न असर मइल चांटे मारी ।
    अजरा गजरा पानी लेके करे उजियारी ।।
  • 53 . चले न फिरे नोहे कोई जिव ,
    पेट म गम्मत नाचा ,
    baithe छबक छिव ।।
  • 54 . दू गोड के जानवर कण ऐंठे ता खिल खिला के हांसे।।
  • 55 . सर कटे पेअर कटे , धड़ चले इसनान ।।
    khal बेचारी बेचागे , हाडा होंगे खोहार ।।
  • 56 . खस खस पैन बिज्ररा डेटा , रामचरण के सुग्घर बेटा ।।
  • 57 . बचपन हरा , बुढ़ापा लाल , टिप के परत में बिगड़ गए हाल
  • 58 . एक फूल कौवा के बानी , सौ फरे ता तुमन जानी ।।
  • 59 . एक पिता के तुरा , दू कौर खाते ,
    बोड़री ला मस्के ता , डकार ओहा लगाथे ।
  • 60 . कलिंदर जैसे गोल मटोल , सेब कास चमकीला ।
    हरियर हरियर डारा ओरमे , दीखते रंगीला ।।
  • 61 . आजु बाजु गोल गोल , बिच हर गड्ठियाय ,
    आगू हा सकलाय ता , पाछू है चकराय ।।
  • 62 . छोटे खुटी के लाल टुरी , हरियर फीता गाथाये ।
    अइसन तुरा के पाछे परे ता पचक ले फेकाय ।।
  • 63 . टेडी मेडी लकड़ी , पहाड़ चढ़ी जाये ।
  • 64 . बिच तालाब में थोरहे पानी , ओमा नाचे लाल भवानी ।।
  • 65 . मुट्ठी भर आंटा घर भर बांटा ।।
  • 66 . अगर देखे, डगर देखे , देखे कलकत्ता , एक अचम्भा ऐसे देखे फूल ऊपर पत्ता ।।
  • 67 . एक गुफा में चालिश बेंदरा मुँह के काला ,
    पूछी ला धर के रगड़े ता निकले उजाला ।।
  • 68 . लिटिया चिरई भितिया में बइठे,
    raja  देख भुइया में उतरे ।।
  • 69 . येती ोती जावत हे , धरे नई पावत हे  । ।
  • 70 . बिना सिर  के चिड़िया , पंख हे  कई हजार ,
    nikal के पिंजरा जा बइठे दूर डार ।।
  • 71 . सादा तेल करिया चना , हाथ में बोके , मुँह  में  गिना ।।
  • 72 . दार भात के मरम न जाने , कच्चा रोटी  खाय ।।
  • 73 . एक  फ़क़ीर जेकर पेट में  लकीर ।।
  • 74 . दूर देश तोर मइके , गांव गांव तोर ससुराल ।गली गली तोर घनी ठाढ़े , घर घर तोर परिवार ।।
  • 75 . रात में जगे , दिन में सोय ,
    जतका जागे वतका सोय ।।
  • 76 . बीच तरिया में गोबर के थाल ।
  • 77 . कूकरी के मुड़ी , अन्दौरी बरी ,
    tor चटके मोर हालत हे  ।।
  • 78 . सगा घर सगा जाये , धर  सगा सगा ला ,
    मार सगा सगा ला ।।
  • 79 . तीन मूड के शंकर नोहे ,
    दूध देथे गाय नोहे  ,
    पेड़ में रथे ते पंछी नो हे .।
  • 80 . फरे न फुले नवे न डार , जब ले जीवय तब ले खाय ।

सभी जनउला (CG Janula) का उत्तर निचे दे दिया गया है । आप सबसे निचे में जाकर के जनउला (janula) के सभी प्रसनो के उत्तर को जान सकते है । 

हाना ( लोकोक्ति )

हाना ( लोकोक्ति ) लोक (Chhattisgarh Local Language) की उक्ति लोकोक्ति (Chhattisgarhi Kahawat) कहलाती है । लोक की उक्ति (CG Boli) से मतलब है की कोई कथन , जो सर्वस्वीकार हो एवं जिसका अर्थ सारे लोक मानस पर होती है वही लोकोक्ति (CG Janula) होती है । जिसमे कोई गंभी आशय छिपा होता है । लोकोक्ति या हाना कहना (CG Janaula) महसी की परिपक्व अनुभूति का कौशल है ।

chhattisgarh के हाना में धन्य धन , नारी पुरुष , पशु पाषाण , नदी पर्वत , सधवा विधवा , जवान , किसान , बालक , धरा से लेकर के गगन तक के अनुभूत विषय समाहित होता है । यदि देखेंगे की छत्तीसगढ़ (Language of Chhattisgarh) कृषिप्रधान राज्य होने के बाद भी यंहा की भासा (Chhattisgarhi Language)की अपना एक अलग महत्व  है । 

इसी के कारण से अंचल में कई कहावत (CG Janula) प्रचलित है । इसमें निति संबंधित कहावते (CG Janaula) सबसे ज्यादा है । जिसमे से कुछ निम्म कहावत (Chhattisgarhi Kahawat) को निचे बताया गया है –

सामाजिक हाना (Chhattisgarhi Bhasha)- साथ में उसका अर्थ भी आपको दिया जा रहा है । 

1 . धन अउ बाम्हन के एके हाल ।
अर्थ – धान तथा ब्राम्हण में अनेक भेद  होते है ।

2 . आदमी में नाउला अउ चिरई में कउवा ।।
अर्थ – मनुस्यो  में नाइ और, पंछी में कौवा चतुर होता  है  ।।

3 . उल्टा पुल्टा भर गए संसार , नाउ के मूड ला मुड़े लुहार ।।
अर्थ – जमाना बदल गया है  , धारा विपरीत  है ।।

4 . गदहरा सुर न बगुला जति, बनिया मित्र न वैसी सती ।।
अर्थ – गर्दम में  सुर  मधुर नहीं होता  , न बगुला साधु होता  है , उसी प्रकार से  न बनिया सुभचिन्तक मित्र होता है , न वेश्या में सतीत्व होता है ।

5 . बाप के बानी पठान के घोडा , बहुत नहीं ता थोड़ा थोड़ा ।।
अर्थ – खानदानी स्वभाव मनुस्यो  और पशुओ में थोड़ा सा होता  है ।

6 . बड़ाई के डौकी भुइया में सुतय ।।
अर्थ – उपलब्धता में आभाव का होना ।।

7 . ठलहा बनिया का करे  ,
ए कोठी के धान ला ओ कोठी  में भरे ।।
अर्थ – निठल्ला अनावस्यक काम में लगा रहता है  ।

मुहावरा Chhattisgarhi Muhavare –

मुहावरों (Muhavare) से भाषा की व्यंजना और सौंदर्य बढ़ जाता है । छत्तीसगढ़ी “(Language of Chhattisgarh) में ये मुहावरे भावाभिव्यक्ति को विस्तार देते है तथा सामाजिक रीती रिवाज और प्रथाओं को दिखाते है । इसलिए मुहावरे (CG Kahawat) कहावत की तरह पूर्ण वाक्य न होकर के वाक्यांश होते है , किन्तु इसके भाव पूर्ण होते है । इनके लाक्षणिक अर्थ भाषा में भाव सम्पन्नता का गुण भर देते है ।

जैसे की अँधेरे की लकड़ी – वाक्यांश होने के बाद भी पूर्ण भाव लिए हुए है । छत्तीसगढ़ी जनउला पहेलियां में प्रचलित मुहावरे पूर्ण रूप से मौलिक है , क्योंकि ये यंहा के सामाजिक , परम्परागत , धार्मिक , भेष , परिवेश के मूल से उपजे अनुभव से विकसित होता है ।

निचे आपको सीजी जनउला उत्तर सहित के कुछ उदहारण दिए गए है –

1 . अराई लगाना ।
अर्थ – हाथ धोकर के पीछे पढ़ जाना ।।
2 . आँशु dharna .
अर्थ – रोने का अभिनय करना ।
3 . खर नई खाना ।
अर्थ – सह नहीं सकना
4 . चित से उतरना
अर्थ – मन से उतर जाना
5 . खटिया उसलना
अर्थ – मृत्यु होना
6 . चुचवा के रहना
अर्थ – निराश होना
7 . छानी में होरा भुंजाना – अर्थ – अत्याचार करना ।
8 . छोरी घबरना – अर्थ – भिखमंगा होना ।
9 . डाड देना  अर्थ – जुरमाना देना ।
10 . लोटा धरना – अर्थ – भिकारी होना ।

cg janula
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11 . अंगना खंचवा करना – अर्थ – अधिक खुशामद होना ।
12 . आगि में मूतना – अर्थ – अन्याय करना ।
13 . गोड़ किटकना – अर्थ – किसी के द्वारा याद करना ।
14 . आदरमा fatna – अर्थ – वज्र पात होना ।
15 . चाउर छीनना – अर्थ – जादू करना , त्याग करना ।
16 . चुनड़ी हटकना – अर्थ – अपमानित करना ।
17 . छाती फाड़ना – अर्थ – इस्या करना ।
18 . जी जरना – अर्थ – कलेजा जलना ।
19 . टीडी बीड़ी होना  – अर्थ – ललकारना ।
20 . नाउ राउत बंद करना – अर्थ – सामाजिक बहिस्कार करना ।
21 . ठोंक बजा के लेना – अर्थ – जाँच कर लेना ।।

121+ CG Janula छत्त्तीसगढ़ कहावत/जनउला/अउ मुहावरा

टॉप100 छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी || Chhattisgarhi Nacha Party

CG Janula सभी का उत्तर

1 पसीना , 2 . तारे , 3 – दीपक , 4 हथेली  , 5 – खटिया , 6- नक्शा , 7- बिजली , 8 – मोटर सायकिल , 9 – छाया और पानी , 10 – घडी , 11- आम , जीभ  , 12 – टमाटर , 13- मुँह , 14- कोयला , 15- मउहा , 16- मोमबत्ती , 17- अंजोर , 18- मच्छर , 19 – कलम  20- छाया , पानी ,
21- नारियल  , 22- हथेली , 23- दिया , 24- आगी , 25- सुई , 26 – दिया , 27- मिर्च , 28- दर्पण , 29 – बाल , 30 – अंडा , 31- पसीना , 32- तारा , 33 – आग , 34- चौपड़ , 35 – मूंगफली , 36- पायल , 37- केवट के जल , 38 – तुलसी , 39- आत्मा , 40- कुल्हाड़ी ,
41- पतरी , 42- बाबुल , 43- जांता ,44- तेन्दु , 45- प्याज ,46- मृदंग, 47- भुट्टा , 48- पेअर , हाथ , मुँह , 49- चूल्हा , 50- बोइर , 51- अख़बार , 52- साबुन , 53- टीवी , 54- सायकिल घंटी , 55- पटुवा , 56- खीरा , 57- मिर्च , 58- केला , 59- टार्च , 60- टमाटर ,

61- गाड़ा , 62- टमाटर , 63- धुँआ , 64- पूड़ी रोटी , 65- अंजोर  , 66- फूलगोभी , 67-  माचिस के तील , 68- सिर – सूर्य  , 68- छाया  , 69 – किताब , 70- सीलिंग फेन , 71- लिखवाट , संख्या , अंक , 72- चौकी  बेलन , 73- गेंहू  , 75- बिजली , 76- मोमबत्ती , 77- कछुआ , 78- कान की बाली , 79- लोहा , 80- नारियर

तो ये रही हमारी सीजी जनउला उत्तर सहित की लगभग सभी के बारे में आप सभी को एक साथ में बताया गया है । यह सरल , सहज , भाषा में बताया गया गई । यदि आप इसी प्रकार के cg janula  पाना चाहते हो आप हमें कमेंट कर के बता सकते है । आने वाले दिनों में मई आपके लिए cg janula ले कर chhattisgarh local language में ले कर के आऊंगा । इस

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