Top 5+छत्तीसगढ़ी कहानी | cg kahani | cg story

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हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी हमारे व्लॉग में । दोस्तों आज की cg kahani  में फिर हम आपके लिए छत्तीसगढ़ के कई लोक कथा , lok kanahi , लोगो के जुबानी kahani के बारे में जंहा पर chhatisgarh  के परमपराओं को बनाये रखा है .

छतीशगढ के कहानी  की अपना एक अलग ही विशेषता है । cg की बोली , cg की भाखा , छत्तीसगढ़ के वाधय यंत्र , छत्तीसगढ़ के मड़ई , छत्तीसगढ़ के बाजार हाट , और छत्तीसगढ़ के जनजाति यंहा तक , chhatisgarh ki kahanI (cg kahani), की अलग ही पहचान है ।

CG कहानियो के LIST  

भारत ही नहीं देश विदेश में cg kahani एक अलग ही पहचान बनाई , एक अलग ही छाप छोड़ती है । जो विश्व के लिए गौरव मान है । cg की बस्तर की चित्रकोट जलप्रपात ,  डोंगरगढ़ में स्थित माँ बम्लेश्वरी , जगदलपुर का कुटुम्बसर गुफा , और भिलाई का स्टील प्लांट विश्व प्रसिद्द है ।

तो आइये जानते है cg kahani की अनमोल कड़ी में छत्तीसगढ़ी भाषा में , छत्तीसगढ़ के प्रसिद्द कहानियो को , लोककथा को —–……..


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1 . चल रे तुमा बाटे बाट ( cg kahani )

ये cg kahani में एक बेटी अपने बड़ी दादी को जानवरो के बचाने के लिए क्या क्या प्रयत्न्न करते है इस छत्तीसगढ़ी  कहानी में बताया गया गया है ।।

cg kahani

तइहा के बात हरे एक ठन गांव माँ एक झन डोकरी रहए । डोकरी के एक झन बेटी रहाए तेहा अपन ससुराल चल दे रहाए ।

डोकरी के बेटी के गांव हां अब्बड़ दूरिया रहाए । डोकरी ला अपन बेटी के खूब सुरता आवय ।

फिर का करय बेटी के ससुराल के रद्दा मा , जंगल अउ पहाड़ तिन्हा , बगवा , भलुआ , अउ चितवा के बाड़ा रहाए । जमा डर के मारे रद्दा रेगना मुश्किल रहाए ।

एक दिन डोकरी हा अपन बेटी घा जाये बार सोचिस । बने बने रोटी पिता बना डालिस , अउ मोटरी मा बांध के चलते बनिस .

जंगल भीतरी डोकरी भीतरी डोकरी बिचारि रेंगत रहाए ।

थोरिक दूरिया मा बघवा ला देख के कापे लागिश । फेर डोकरी हा अपन हिम्मत ला नई हारिस । वो हा बघवा ला देख के रेंगते बनिस ।

बघवा हा तीर मा आते अउ गुर्रा के कथे – आवो डोकरी मोला गजब भूख लगत हे . टोला खाहू ।

डोकरी का कथे – बेटा अभी तो मेहा जर बुखार मा दुबरा गेहॅव , अपन बेटी घा जावत हो उंहा ले बने तब तै मोला खा लेबे ।

बघवा हा डोकरी के बात ला सुन के खुस हो जाते हु कथे बने कहात है डोकरी जा फेर छटकुन लहुट के आ जाबे ।

डोकरी हा लेकर धकर रेंगिस ताहन थक गे । थोरकिन सुरताईस फेर रेंगते बनिस ।

रेंगते रेगत यही रद्दा मा फेर एक झन भलुआ हा छेक लिस ।

भलुआ हा अपन चुंदी अउ मुड़ी ला हाला के कथे – ये वो डोकरी मोला अड़बड़ भूक लगे हे , में टोला नई छोड़व , टोला खाहू ।

ता डोकरी हा कथे सुन बेटा भलुआ मेहा हा अपन बेटी घा जात हो मोटा के आनहु ता खाबे ।

भलुआ हा डोकरी के बात ला मान के ओला छोड़ देथे ।

डोकरी बेचारी आघू  dahan  रेंगिस अउ एक कन दूरिया मा चितवा सन भेट होथे ।

चितवा घलो डोकरी ला खाहू कथे ।

डोकरी हा ओहु ला समझाथे । 

चितवा हा गलो डोकरी के बात ला मन जाते ।

रेंगत , बइठत , सुरतावत डोकरी हा अंत मा अपन बेटी के घर में पहुंच जथे ।

डोकरी ला देख के ओकर बेटी अब्बड़ खुश हो गे ।

महतारी बेटी दोनों झन सुख दुःख गोठियाइन , बने खाइन ।

डोकरी गजब दिन रहिगे अपन बेटी घर । जब ओकर मन भर गे ता अपन बेटी ला कथे ।

तोर घर रहत गजब दिन हो गे बेटी अब मै अपन घर जन्हु ।

ता बेटी हा कथे – आज भर अउ रही जाते दाई काली जुवार खा पि के चल देबे ।

डोकरी किहिस का होही बेटी एक दिन अउ रही जन्हु फिर मोला जाय बार हिम्मत नई होवत हे , मेहा संसो फिकर मा पर गे हव ।

बेटी हा पूछते – का संसो फिकर में पड़ के है दाई , थोरकिन महू ला तो बता ।

ता डोकरी हा कथे – कुछु उपाय बताबे ता काम बन जहि बेटी ।

ता बेटी कथे – हव दाई मै टोला बने उपाए बताहू ।

तब डोकरी हा कथे सुन बेटी , मै हा जब तोर घर आत रहे हो ता रद्दा मा बघवा , भलवा , अउ चितवा मन मोला खाये बार छेके रिहिस । ता ओमन ला मै हा भुलवारे हव की बेटी घर ले मोटा के अन्हु तब मोला खा लुहू ।

वो तीनो झन मन रद्दा मा अगोरा देखत बैठे होही । अब में का करोव ।

अपन दाई के बात ला सुन के बेटी हा कथे तै थोरको संसो फिकर झन कर दाई ।

थोरकिन मा डोकरी के बेटी हा एक ठन लम्बा , अउ चाकर तुमा ला लाइस । ओला बने खोल दिन अउ ओमा तीन ठन छेदा कर दिस । दुठन आँखि बर अउ एक ठन नाक बर ।

ओहि तुमा मा डोकरी हा खुसर गे । अउ रद्दा में दुला के डोकरी के बेटी हा कहिस चल रे बेटा बाटे बाट ।

अब तुमा हा रद्दा मा ढुलत ढुलत जावत राहय ।

रद्दा मा तेंदुवा हा आगू मिलिस । तेंदुवा हा तुमा ला पुछथे । कास रे तुमा डोकरी ला कंही देखे हस का ।

तुमा भीतरी ले डोकरी कथे – डोकरी देखे न फोकली चल रे तुमा बाटे बाटे ।

तुमा डुलगत डुलगत भालू दहन चल दिस , भलवा डोकरी के अगोरा में रहाए । तुमा ला देखिस , अउ पूछिस ये जी तुमा तै डोकरी ला देखे हस का ।

तुमा भीतरी ले डोकरी हा फिर कथे – डोकरी देखे न फोकली चल रे तुमा बाटे बाटे ।

आखरी मा बघवा घलो मिलथे तुमा ला ओहु पूछते ता डोकरी हा फेर अइसनेच कथे – डोकरी देखे न फोकली चल रे तुमा बाटे बाटे ।

तुमा सन डुलगत डुलगत अपन गांव पहुंचगे ।

तुमा ला फट ले फोर के डोकरी निकल गे ।

दोस्तों ये cg kahani (chhatisgari kahani)  हमें ये बात बतलाती है की डोकरी के हिम्मत और उसकी बेटी के चालाकी बहे ही सुन्दर उदाहरण है । ये कहानी से हमें बुढ़िया के सामान हमें किसी भी परेशानी में हार नहीं मानना चाहिए और उस परेशानी का सामना करने के लिए हमें अपने सुछ भुज , चालकी के साथ में काम करना चाहिए । जैसे की इस chhatisgari kahani में बुढ़िया के बेटी करती है

और इसी के साथ में हम अपने किसी भी परेशानी का सामना कर सकते है ।


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2 . सतवंतिन गाय ( cg kahani )

दोस्तों ये cg kahni हरे गाय के बारे माँ । जेकर नाम रथे बहुला , बहुला है सबके बणिया अउ अपन बात के पक्का रथे ।

एक दिन के बात आय बहुला है जंगल मा मगन हो के चरत रहाए , अउ चरते चरत ओहा बगवा के माडा में जा परथे .

अतकेच में हुडुक ले एक ठन बगवा हा ओकर आगू मा आ जाते .

सांगर मोंगर गाय ला देख के बघवा के लार हा चूहे परथे ।

बघवा हा मने मन गुनते आज तो मोला पेट भर मांस खाय ला मिलहि .

बघवा हा गरज के कहिथे ये गैया थे तैयार हो जा में टोला खाहु ।

बहुला ला बघवा के बात ला सुन के थोरको डर नई लागे ।

फेर बहुला हा अपन नान कन पीला के सुरता करथे । अउ हाथ जोड़ के बघवा ले विनती करथे की हे जंगल ले raja ते मोला abhi जहां खा ,

मेहा हां अपन लेवाई लइका के मिल के आ जथो तहन खा लेबे .

बहुला के बात सुन करके बघवा हा अपन मन मा विचार करथे की एक बखत देखे जाये । का यह कहत हे तइसने करते के नहीं .

अइसन बिचार करके बघवा हां बहुला ला कथे – ले जा भाई अपन लइका ला अपन दूध पियाके के आ जा ।

में हा तोला यही मेर अगोरत बैठे रहु ।

अब बहुला अपन घर कोती लहुट जाते अउ अपन पीला ला खूब माया करथे । ओ अपन पीला ला कथे ले बेटा आखरी बेरा दूध ला पि ले ।

येला सुन के बछरू हा कथे – कबर तेहा अइसने कहात है दाई । तोर मुहु हा घलोक उतरे कस दिखत हे ।

बहुला हा सबो बात ला अपन पीला ला बता देते .

अब पीला हा अपन महतारी ला कथे – ते कैसे वचन दे के आ गए हस दाई . तोला थोरको मोर सुरता है आइस .

चल अब महू तोर संघरा जाहु .

एमा बहुला हा अपन पीला बढ़ समझाथे । बेटा तोला मई हा मोर महतारी करा छोड़ देथोव उहि हा अब तोला पाल्हि पोषिहि .

अब एमा ओकर पीला हा कान्हा मानने वाला है ।

महतारी के संगे संग जंगल में पहुंच जाते ।

बघुवा हा गाय ला अगोरत बैठे रथे ।

बहुला हा अपन पीला सन बघवा के आगू मा आ जाते ।

पीला ला देख के बघवा हा कथे ये नान कन बछरू ला ते कबर lay hobe अपन सन मा . मई एकर kay karhu .

ये बघवा के बात ला सुन के बछरू आ आगे आ जथे अउ कथे जय जोहर मामा  . में अपन महतारी ला छोड़ के कान्हा janhu , मेहा तो बीमारी के मारे मर जाहु .

तेकर ले ते अइसे कर मोला खा ले . अउ मोर महतारी ला छोड़ दे .

बछरू के बात ला सुन के बघवा हा ागबका जथे । कौन ला खावव्  अउ कोन ला बचाओ .

बघवा के मन हा पसीच  जथे अउ कथे कातिक सतवंतिन  हे गाय हां . अउ ओकर ले आगू तो एकर बछरू हावय jo अपन माँ के बदला में अपन प्राण देबर तइयार हे । 

अउ गाय हर घलो अपन ला बचाये बार अपन प्राण के चिंता नई करत हे । जब करिस ते अपन पीला के ही फ़िक्र करिश . 

बघवा के मन मा दोनों के खातिर बढ़ आदर पैदा हो जथे .

अउ छोटी हा अपन चतुराई ले मामा कहिके दिखा दे रथे अब भाचा के दाई हा होंगे ओकर बहिनी । अउ भला अपन बहिनी ला कोन खाथे । 

अइसने बिचार करके बघवा हा बहुला ला कथे ले जा भई तुमन तो मोर ह्रदय ला जित डारेव , मई तुम दोनों ला नई खावाव । भगवन हर घलो मोर पेट पर कंही दूसर जगह करे होही .

अइसने कहिके बघवा हा जंगल कोती चल देथे .

दोस्तों ये छोटे  से cg kahahi ( chhatisgari kahani) हमें सच के महिमा के बारे में बताया है की सच बोलने से कैसे हम अपने आप को बचा सकते है और कहा भी गया  की एक सच 100 हाथियों  के बराबर होता है ।


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3 . दिया के सिख

cg kahani एक घाव के बात हरे रात कन के बेरा रथे । चारो कोथि कुलुक अंधियार फिर एक थान कुरिया माँ थोरकन अंजोर रथे । काबर की चार थान दिया है उन्हे बारात रथे ।

चारो ठन दिया है एक दूसर ले गोठियात , बतरात रथे ।

एमा पहली दिया है कथे , मेहा शांति हरो । मेहा जब ये संसार ला देखथव तब बाद दुखी hoothav . चारो कोटि बाद लूट मचे हे हर कोई एक दूसर ला मारत हे , काटत हे , भाई भाई के नै होत हे ।

अइसने में मेहा इन्हे कैसे रहु ।

अतका बोल के वो दिया है बुता जाते ।

अब दूसर दिया घलो अपन मन के बात ला बोलथे – की मेहा विस्वाश हरो । मोला लगते इन्हे झूठ अउ बेईमानी मोर सर्वनाश करत हे , ये जगह मोरो रहे बार नै बचे हे ।

अइसने बोल के वो दूसर दिया है घलो बूटा जाथे ।

तीसर दिया हां घलो अपन मन के बात ला कथे – कि मेहा प्रेम हरो , चाहे होइ भी हो ओकर बार मेहा जल भी सकता हु , फेर ककरो करा मोर बार समय नए बचे हे , घृणा अउ मनखे के स्वार्थ हा मोर जगह ला लेवत हे ।

मनखे मन करा अब अपने मन बार प्रेम नई बचे हे येला अब में नहीं सही सको . अब मोला चले जाना ही ठीक रही .

अइसने बोल के तीसरा दिया हा घलो बुता जाथे ।

तीसरा दिया हा जैन बूतथे तइसनेच में एक जहां नानकुन लइका हां आते .

लइका हा दिया मन ला बताये देख के खूब रोथे ।

लइका हा कथे तुमन कइसे अइसने बुता जथो . तुमन ला तो मर संग संघरा रहना रिहिस । फेर तुमन मोर संग ला छोड़ देव .

अब में के करहु .

लइका के ये बात ला हूँ के चौथा दिया जेन बारात रथे तेहा कथे ।

ते घबरा जहां बीटा में हा आशा हरो अउ मेहा तोर हरदम संग रहु । जब तक में बारात हो तब तक तन्हा मोर लव से दूसरा दिया मन ला बार सकत हस ।

दिया के बात ला सुन के लइका ला बढ़ हिम्मत आते ।

अउ आशा के दिया ले शनती , विश्वाश , प्रेम के दिया ला फेर बार देथे ।

दोस्तों ये छोटे से cg kahani (chhatishgari kahani) हमें बहुत सारे सीखा के दरवाजे , सिख देती है जिसे हम बहुत खुश सिख सकते है । हमारे जिंदगी में समय किसी का एक सामान नहीं रहता । कभी कि का समय अच्छा रहता , कभी किसी का बुरा । समय हमेशा बदलता रहता है ।

जब भी जुन्दगी में बुरा समय , मन में अशांति हो , मन में यदि विस्वाश कम हो जाये और पूरा संसार आपके खिलाफ हो जाये तक आप अपने अंदर के आशा के दिए को जला लेना क्योंकि आशा के दिए से जिंदगी में नए प्रकाश लाया जा सकता है ।

और जब भी आपके अंदर आशा के दिया जलता रहेगा , मन में आशा रहेगा तब तक कभी भी हम किसी भी चीज से हार नहीं सकते और न ही हमारे जिंदगी में कभी भी कोई अधिकार नहीं हो सकता ।

आशा से ही जिंदगी में सब कुछ पाया जा सकता है इसी कारन से जिंदगी में किसी भी चीज से अपने आशा को कभी नहीं छोड़ना चाहिए । जो कि आपको आपकी आशा ही नई उचाईयो तक ले के जा सकती है ।


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4 . राखी (cg kahani)

संगी हो राखी के तिहार हा पूरा भारत भर मनाये जाथे। अब्बड़ खुसी अउ उल्लास ले साथ माने जाते सावन  पुन्नी  के दिन  बहिनी मन भाई के कलाई माँ रक्षा सूत्र बान्दथे . अउ भाई मन एकर बदला में बहिनी मन ला है संकट ले बचाये के प्राण करते .

राजा बलि जो बढ़ धनि raja रथे अउ विष्णु के बढ़ भक्त रथे । एक गांव ओहा यज्ञ के आयोजन करथे यही बेरा राजा बलि के परीक्षा लेबर भगवान वामन अवतार धर के आथे । 

अउ तीन पग भुइया ला दान करे बार कथे । एमा राजा बलि है भगवान के रूप धर के आये वामन रूप ला देख के बढ़ मोहित हो जथे ।

अउ वामन भगवान ला दान दे बर राजी हो जथे ।

वामन अवतार धरे विष्णु जी है तो दू डंका माँ पूरा ब्रम्हांड ला नाप लेथे ।

एमा राजा बलि है देख के समझ जथे की भगवान है ओकर परीक्षा लेवत हे ।

अउ जैसे ही हे भगवान है तीसर डंका ला लमाट रथे वैसे में राजा बलि हा अपन मुड़ी माँ रख लेथे ।

एमा राजा बलि ला देख के बहुत ज्यादा खुश हो जथे । राजा बलि से prasnan होक ओहा अपन विराट स्वरुप ला के दर्शन राजा बलि ला करा देथे । 

विराट रूप ला प्रकट करे के बाद करथे राजा बलि तोर ले बड़े दानवीर राजा कोन्हो नई हो sake . 

में तोर ले बढ़ प्रसन्न हो काबर की तोर करा तो कुछु भी नई बचिस यदि कोन्हो भी तोर याचना होही ते तेहा मोर से कर सकथस ।

एमा राजा बलि हा कथे – भगवान आपके विराट स्वरुप ला देख के महा तृप्त होगेंव । , अब मोर का याचना रही , फेर मोर एक ठन आसा रिहिस आप मन मोर संग मा पाताल लोक मा आ के रातेव ।

ता महा रोज के आपके स्वरुप के दर्शन ला करतेव ।

भगवान हा अपन भक्त के बात ला मान जथे अउ बैकुंठ ला छोड़के पाताल लोक मा आ जथे ।

अब कुछ दिन मा लक्समी ला पता चलते की अब भगवान हा पाताल मा रही ता माता हा बढ़ अकुलित हो जथे ।

माता लक्समी हा भगवान बिस्णु ला अपन पास लाय बर एक ठन लीला करथे । अउ गरीबहिं के रूप बना के राजा बलि करा पहुंच जथे ।

लक्समी माता जेन दिन राजा बलि करा जाथे ओहा सावन पुन्नी के दिन रथे ।

माता हा राजा बलि ला बलाथे अउ ओकर कलाई माँ रेसम के धागा ला बांध देथे ।

raja बलि हा गरीबिन बने लक्समी माता बर बढ़ प्रसन्न होथे ।

अउ कथे मोर करा आपमान ला दे बर कोन्हो संपत्ति नई बाचे हे ।

एमा माता हा कथे – आप मन करा तो साक्षात भगवान हा हावे । ओकर ले बड़े सम्पति अउ का हो सकथे । मोला मात्र भगवान ही चाहिए का आपमान मोला भगवान ला दे सकथव  ।

अब राजा बलि के दान के आगे पूरा संसार हा नदमस्तक हे । तुरते राजा बलि हा भगवान विष्णु ला माता के संघारा जाये बर कही देथे ।

जात जात भगवान विष्णु हा राजा बलि ला बरदान देथे कि हर साल मेहा 4 महीना पाताल लोक मा ही निवास करहु . अउ ये चार महीना हा चातुर्मास के रूप में जाने जाहि , जौं सैनी एकदशी के लेकर के देव उतनी एकादशी तक रही .

संगी हो ये हरे ( cg kahani ) रक्षा बंद के तिहार के कथा , जउन हिन्दू सनातन धर्म मा माता लक्समी हा राजा बलि ला भाई मान के ओकर काले माँ रेसम के धागा ला बांध के चालू करे रिहिस हे ।

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5 . फूल अउ पत्ती (cg kahani)

बात हरे एक ठन गांव के जेकर तीर माँ एक ठन तरिया रथे । तरिया के तीर मा बढ़ अकन ले गुलाब के पौधा जागे रथे ।

मुंदरहा जब गांव के मनखे मन हा तरिया daahan टहले ला आतिश ता गुलाब फूल के सुंदरता हा सब ला मोह डारे । जोन हा फूल मन ला देखतिस , बढ़ प्रसंसा करतिस ।

गुलाब फूल में लगे पत्ती मन हा रोज के ये नजारा ला देखतिस अउ गुंतीस कभू तो कोई मोरो प्रसंसा कर लेतिस .

फेर अइसन कभू नई होये मनखे मन आतिस अउ मात्र गुलाब फूल के ही प्रसंसा करतिस , पत्ती मन ला कोन्हो देखे तक नहीं .

अब सबो पत्ती मन हा मान गए रिहिस की भगवन हा सब कुछ फूल ला ही दे हे . अब हमर ये धरती मा कोन्हो काम नई हे , हमर जिनगी के कोई मोल नई हे , और न ही हमर में फूल आसन कोई बात हे ।

हमन काबा ये धरती मा आये हन अइसने गन के पत्ती मन मुड़ी ला गाडियाके दुखी हो जाते .

अब धीरे धीरे बेरा पहाथे । एक घाव गांव मा बढ़ जोर के हवा तूफान आथे । तूफान अतीक रथे के की सबो फूल मन अउ पत्ती मन झर के गिर जथे ।

ओमे से एक ठन पत्ती हा झर के तरिया मा गिर जथे ।

पत्ती हा तरिया में बोहत रथे अतकिच मा ओकर नजर हा एक ठन चांटी ऊपर पड़ जथे । चांटी हा तरिया माँ डूबत रेथे अउ अपन आप ला बचाये के कोशिश करत रथे ।

फेर ओहा सफल नई हो पाए .

येला देखे के पत्ती हा चांटी ला आवाज देथे अउ कथे तेहा हा मोर ऊपर चघ जा में tola कॉंटा में ले जहु । 

अब चांटी हा तुरते पत्ती ऊपर चख जथे ।

अउ अब हवा गर्रा मन घटम ह जथे , तूफान हा लहुट जथे । ता पत्ती हा तरिया के कोंटा में आ जथे ।

चांटी हा पत्ती ले उतर के अब भुइया मा आ जथे ।

चांटी हा बढ़ खुश रथे । पत्ती ला कथे ते बहुत अच्छा हस . तेहा मोला आज मरे ले बचाये हस , मेहा तोर हमेशा आभारी  राहु . तेहा हा बहुत महान हरस, तोर बहुत बहुत धन्यवाद !

अब येला सुन के पत्ती हा कथे । धन्यवाद तो मोला तोर करना चाहिए कबर की आज आप मन के कारन , मई अपन क़ाबलियत ला , मई अपन ताकत ला पहिचान पाए हो , मेहा तो अपन आप ला कोन्हो काम के नई समझत रहेव ।

तब आज पता चलिस की मोर अंदर घलो अब्बड़ काबिलियत हे । में कुछु अच्छा कर सक्थोव ।

संगी हो ये समस्या cg kahani आज हर झन करा हे हमन हर बार अपन आप ला दूसर मन से तुलना करथन . अउ कूद के बिथर लुकाय काबिलियत ला , वो विस्वाश ला , वो विसेसता ला , वो गन ला भुला जथन ।

हमन ला जरुरत हे कूद ला पहिचाने के अउ जिनगी में आगे बड़े के , कबर की हर मनखे माँ कोन्हो खास प्रतिभा लुकाय रथे । अउ ओहा ओला सब झन ले अलग बनाथे , ओला महान बनाथे ।

ये हरे संगवारी हो chhatishgari  kahani  के पांचवा नंबर के कहानी जे मन ला आप मन पड़े हो । संगवारी को आप मन ला chhatisgari  kahani  किसके लगिस हे कमेंट कर के जरूर बतहु अउ ज्यादा मात्रा में cg kahani ला share घलो कर दुहु ।


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6 . खरगोश अउ कुकुर (cg kahani)

ये बात हरे एक ठन गांव के जिन्हा रहए एक जहां किसान । किसान ला जानवर मन ले बाद माया रथे , बढ़ प्रेम रथे । अउ यही कृषि में ओहा एक ठन खरगोश अउ एक ठन कुकुर पाले रथे ।

एक दिन किसान है कुछु गुनत बाजार कोटि निकल जथे । अउ बाजार ले एक ठन बोकरा के हाडा अउ एक ठन गाजर ले के आथे ।

घर पहुंचते ता अपन पोसवा कुकर अउ अउ अपना पोसवा खरगोश ला खेत कोती ले के जाथे । किसान हा खेत मा जगह , जगह भोलका कर देथे ।

अउ एक ठन भोलका मा बोकर के हाडा अउ गाजर ला लुका देथे ।

अब किसान हा खरगोश अउ कुकुर ला कथे झेन हा हाडा अउ गाजर ला पहिली खोजहि ओला आजा रत कन खाय बर बढ़ अकन ले मिलहि ।

अब का एल सुन के खरगोश हो सुन के तुरते खोजबीन चालू कर देथे । खरगोश हा बढ़ आशावादी रथे , ओला अपन ऊपर पूरा विस्वास रथे की ओहा हाडा अउ गाजर ला जरूर खोज डरही ।

अउ कुकुर रथे तेन हा ठीक एकर विपरीत ओहा बढ़ सुस्त किसम के आलसी अउ निराशा वादी रथे । कुकुर हा गुंथे ये का मज़ाक हरे । अतीक बढ़ खेत , एक एक ठन भूलका मा हाडा अउ गाजर ला कैसे खोजहु ।

अइसने गुन के कुकुर का खेत के एक ठन कोंटा मा बैठ जथे .

फेर जोन खरगोश हे वो हा पूरा जोश के संघरा खेत के सबो भूलका मा हाडा अउ गाजर खोजत रथे ।

खरगोश हा गुनत रथे महा सबो भूलका मा खोजहु , कंही न कंही मोला वो चीज मन जरूर मिलहि । अइसने गुनत गुनत , अइसने खोजत खोजत बिहनिया ले संझा हो जथे ।

अउ खरगोश हा सबो भूलका ला छान मारथे फेर ओला कुछ हाथ नई लगे . खरगोश हा थक हर के बैठत रथे की ओकर मन में विचार आथे अउ ओहा वो खोदरा मेरे जथे जे मेर कुकुर हा फसकरा के सुते रथे ।

खरगोश हा कुकुर ला थोरकन टार के खोदरा में हाडा अउ गाजर ला खोजथे ।

अउ सही मा हाडा अउ गाजर हा यही खोदरा में राखए रथे ।

अब तो खरगोश के खुसी के कोन्हो ठिकाना नई रहए । फेर कुकुर येला देख के अपन आप मा बढ़ दुखी होथे ।

संगी हो आप मन देखे हो जे करा कुकर हा जे मेर फ़सकराये रिहिस हे । खरगोश ला यही मेर गाजर अउ हाडा हा मिलथे । फेर ओला कुकुर ह तभो ले नई खोज पाए काबर।

काबर की कुकुर हा ये मान के बैठ गए रिहिस के नान कुन चीज हा । अटक बढ़ खेत मा खोजना बढ़ कठिन काम हे । अउ एकरे सेती गाजर अउ हाडा हा ओकर तीर मा होय के बावजूद ओहा नई खोज पाइस ।

जबकि खरगोश हा अपन खोज बिन ला चालू राखिश ओहा हर नई मानिस अउ अंत मा वो दुनो चीज यही ला मिलिश .

संगी हो असम्बव cg kahani कुछु चीज नई हे ये हा मात्र हमर सोच मा ही निर्भर करते . यदि आप मन सोच डारेव की ये काम हा बढ़ मुश्किल हे ता ओ काम ला कभू पूरा नई कर पहु . फेर सोचे हो ये काम हा मुश्किल हे फेर असंभव नई हे , अउ आप मन के भात्र सकारात्मक विचार हे ता वो काम आप मन बर बड़ा आसान हो जथे । पूरा खेल सोच के ही हरे ।

संगी हो ये हरे हमर cg kahani , छत्तीसगढ़ी कहानी के नंबर 6 के छोटे से कहानी जो आप मन ला जरूर पसंद ऐस होही । अउ पसंद आइस होही ता अपन संवरी मन करा ये जरूर >सेंड कर दो ।


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