हेलो दोस्तों स्वागत हे आप सभी के हमारे बूग पोस्ट में आज हम फिर ले कर के आ गए है टॉप 20 CG Kavita | Chhattisgarhi Kavita | छत्तीसगढ़ी कविता की सीरीज को जिसमे से आपको छत्तीसगढ़ के नए-नए कविताओं के सीरीज़ के साथ में आप के साथ में साँझा करने वाले है ।
संगवारी हो जैसे की आप सभी को पता है की आज के समय में टॉप 20 CG Kavita | Chhattisgarhi Kavita | छत्तीसगढ़ी कविता को पढ़ने वाले , जान्ने वाले यंहा तक की अब छत्तीसगढ़ के लोग अब छत्तीसगढ़ी भाषा बोलना पसंद नहीं करते है तो हमने अपने माटी , अपनी संस्कृति को बचाये रखने के लिए हम Cg KAVITA को आप सामने लेकर के आये हुए है ।
तो चलिए दोस्तों शुरू करते है बिना किसी देरी के टॉप 20 CG Kavita | Chhattisgarhi Kavita | छत्तीसगढ़ी कविता कविताओं के सीरीज को
छत्तीसगढ़ नया टॉप 20 CG Kavita | Chhattisgarhi Kavita | छत्तीसगढ़ी कविता के LIST
1 . रिस्ता कैंसिल मतलब (CG Kavita)
रिस्ता कैंसल मतलब ,
रिस्ता कैंसल
बड़े होव लड़का के परिवार
छोटे हैवे उकर घर दुवार
देराणी जेठानी के फंदा में फंदोही
देहक लेबे नोनी हर दिन झगड़ा होही
लड़का घर अब्बड़ अकन किसानी हे
खेत नई जाय मोर बेटी हा
काबर की ओहा महल के रानी हे
सास ससुर संग बूढी सास ससुर घला हे
रात दिन सेवा कराही
काबर की डोकरी दाई पलपलही हे
लड़की हैवे लड़का ले ज्यादा पढ़े लिखे
लड़का ले घलो सुग्घर डौकीन दिखे
लड़की के घराना अमीर ता कहा जमहि
गरीब लड़का संग जोड़ी कान्हा फबही
सब मंजूर हे बस लड़का नौकरी चाही
भले चेहरा , घर दुवार कइसनो होना चाहिए
नहीं तो साफ-साफ लड़की वाले के कहना हे
रिस्ता कैंसल मतलब , रिस्ता कैंसल ।।
2 . बिहाव के लफड़ा (CG Kavita)
बिहाव में लड़की खोजे मा
गजब हे गजब हे लफड़ा
टिप टाप सावंगा पहिरे
नवा ओन्हा कपड़ा
साईकिल में जाय के सिरतोन नादागे जमाना
फरफटी मा टूम टॉम पेट्रोल पैसा उड़ाना
तेकर पाय के में कथा संगवारी
बिहाव में लड़की खोजे मा गजब हे लफड़ा
पुस्ते सगा मन हा कतका हाव खेत खर ग
लड़का पढ़े लिखे हे अउ का करथे व्यापार गा
धन दोगनी के हिसाब बटवारा से लगाथे
मोर दमांद कतका पाहि मने मन भाँजथे
तेकर पाय के में कथा संगवारी
बिहाव में लड़की खोजे मा गजब हे लफड़ा
रूप रंग ला छोड़ के सम्पति ला देखत हे
सुन्दर आरुग लड़का ला गरीब जान के खेदत हे
बिरबिट करिया मड़ुवाहा लड़का अच्छा हे
काबर की समधी के नौकरी सरकारी पक्का हे
तेकर पाय के में कथा संगवारी
बिहाव में लड़की खोजे मा गजब हे लफड़ा
टिप टाप सावंगा पहिरे
नवा ओन्हा कपड़ा ।।
3 . दिन आगे देवरी के (CG Kavita)
दिन आगे देवारी दे
सुरोती दिया जलाबो
बैर भाव सब छोड़ के
सुग्घर त्यौहार मनाबो
लिपबो पोतबो घर अंगना ला
अउ कुटियाबो सुग्घर अंगना ला
साफ सफाई मिल जुल के करबो
लक्समी दाई आहि घर मा
जुआ चिट्टी ले दूर रहिके
सुग्घर सन्देश ला बताबो
दिन आगे देवारी दे
सुरोती दिया जलाबो ..
लक्समी पूजा सुरोती के दिन
गौरी गौरा ला जागहि
दफड़ा निशान मोहरी संग मा
राउत ला नचाबो
दिन आगे देवारी दे
सुरोती दिया जलाबो …
खिचड़ी खवाबो गाय गरु ला
गोवर्धन घलो खुंदाबो
मातर जगाबो गांव गली मा
अउ किसान कन्हैया ला बुलाबो
अइसने मिलजुल के देवारी तिहार मनाबो
दिन आगे देवारी दे
सुरोती दिया जलाबो ……. ||
chhattisgarh ke lokgeet || छत्तीसगढ़ के लोकगीत
Chhattisgarhi Kahani सोन के फर | छत्तीसगढ़ी कहानी
4 . आज कल की लड़की (CG Kavita)
आज काल के टुरी मन हा 12 वी पास होवत हे
अउ पढ़े बर रायपुर भिलाई जावत हे
पढ़े लिखे करे ला छोड़ के संगवारी
टुरा मन संग गुलछर्रा उड़ावत हे
सलवार सूट पहिने ला छोड़ के संगवारी
जींस अउ टॉप ला पहिनत हे
अरे का बतावव संगवारी
आज काल के टुरी मन के हाल ला
बर बिहाव मा जावत हे
अउ हुस्न के जलवा दिखावत हे
दाई दादा के इज्जत ला गिरा के
dj मा ठुमका लगावत हे
सच्चा प्यार करे ला छोड़ के संगवारी
एक कर ले दूसर कर भागत हे
अरे का बतावव संगवारी
आज काल के टुरी मन के हाल ला
आजकल के टुरी मन हा
टुरा मन से टाकीज जावत हे
अउ इंटरवेल मा संगवारी
पापकोन खावत हे
कालेज जावत हे
अउ पैसा वाले टुरा पातावत हे
एक टुरा ले मन भर जावत हे
ता दूसरा टुरा पटावत हे
टुरी के लिपस्टिक अउ मेकउप कराइ ला देख के
दे दादा अब्बड़ लाजवत हे
अरे का बतावव संगवारी
आज काल के टुरी मन के हाल ला ।।
5 . भूलें खुँदे घुमत हे सब (CG Kavita)
सच के गोड़ मा बेदी बंधे हे
झूठ हा छुट्टा घुमत हे
सफलता गुलाम पैसा के
बईमान के चरण चुमत हे
पट्टी बंधे हे कानून के आँखि मा
अन्ताज मा न्याय ला तौलत हे
भूलन खुदे घुमत
सब भूल खुँदे घुमत हे
कार्य हवे प्रगति मा कहिके
अउ फाइल कान्हा गवा गे हे
घरो घर मा नल लगे हे
पर पानी रस्ता बुला गे हे
कान मा पोनी भरे हवय
बात कोन्हो नई सुनत हे
भूलन खुदे घुमत
सब भूल खुँदे घुमत हे ।।
6 . छत्तीसगढ़ के बखान (CG Kavita)
नवा सुरुज के नवा बिहान
नवा हे धरती , नवा जहान
लौह अयस्क चुना पत्थर
भूगर्भ में कोयला खदान
माचो बास्टर वन सम्पन्न
साल सावन बांस कदम
कला कृति यह चित्र कला
महुआ फल इहा कुटीर स्तम्भ
भिलाई सहर स्पॉट नगरी
मैत्री बाग पर्यटन स्थल
रेल चौक सुपेला बाजार
मरोदा डेम करत इन्तजार
महानदी के झलार
झूम उठे खेती खार
रायपुर हे राजधानी
मुक्तांगन जंगल सफारी
कमल विहान विधान सभा
माना ले जिहाज उड़ाही
दुर्ग जिला कार्यवानी
हवय ओवर ब्रिज के अलग कहानी
राज नंदगाव हे देव भूमि
पाताल भैरवी मंदिर इहा
ग्राम जीवन सुख सम्पन्न
छत्तीसगढ़ के देह इहा
छत्तीसगढ़ के बात अलग हे
हर जिला के विशेष झलक हे
खेती खार इहा हरियर हरियर
लहलत हे इन्हे चारो ढहन हे
इहि हमर छत्तीसगढ़ महान हे
इहि हमर छत्तीसगढ़ महान हे ।।
TOP 5 Chhattisgarh Ke Lok Katha || छत्तीसगढ़ के लोक कथा
Top 10 Chhattisgarhi Lokgeet || छत्तीसगढ़ी लोकगीत || cg lokgeet
7 . भठरी जाने ठगे के गन (Chhattisgarhi Kavita)
साधु के सवांगा धरे
दुवार-दुवार मा हाँक पारे
हाथ देख के भविष्य बताथे
गिरहा तारे मंतर मारे
जय गंगान गावत गिंजरत हवे
दान ला बताये परम पुन
भठरी जाने ठगे के गुण
यजमान में पैसा एंठते
जब जब वो पूजा में बैठथे
उपाय बताथे मरीज देख
लालच बढे चीज देख के
जय काली कलकत्ता बोले
मगन रहए अपनेच धुन
भठरी जाने ठगे के गुण
भठरी जाने ठगे के गुण …||
8 . घमंड के महिमा अपार हे (Chhattisgarhi Kavita)
घमंड के महिमा अपार हे
जब चखते ककरो ऊपर
आँखि म पर्दा लग जाथे
जिन्हे नई सके जिन्हा दुब्बर
अमर बेल के नार कस
यही ला चुहक जाथे जी
अभिमान तो जाथे बाद म
ज्ञान पहली उरक जाट हे
सोचे के शक्ति क्षीण हो जथे
अति उत्साह विलीन हो जथे
वाणी म ओखर लाज नई रहे
छोटे बड़े के लिहाज नई रहे
विनास के बादर छाथे तब
समझ में गलती आते तब
कुकर्म तो घमंड हा कराथे
किये म पछताते सब
का बताबे संगी घमंड के महिमा अपार हे
का बताबे संगी घमंड के महिमा अपार हे ।।
9 . बरसात आये ले पहली (Chhattisgarhi Kavita)
भीतरी चटक गेहे कुरिया के
कपाट ला दियार खा देहे
बारी के रुंधना ला
गोल्लर उछार दिस
मुसवा कोठी ला खोलदान बना डरे हे
घर दुवार सुधरे ले पढ़ही
बैसाख आई ये पहली
सानी के खपरा लहुटाये ले पढ़ही
बरसात आये के पहली
गाढ़ा के खिला ला
पाटी में लगाना हे
घुरवा के कचरा ला
खातु फैलाना हे
दिनभर बतर गए अब
lattha गे हैवे
ओदरे ला भीतरी ला उठाना हे
पेरावत के पेरा ला
कोठी कोबर के सेना ला
तोपे ले परही
बादर छाये के पहली
सानी के खपरा लहुटाना हे
बरसात आये के पहली ।।
सानी के खपरा लहुटाना हे
बरसात आये के पहली ।।
10 . थोरको पि लेथन (Chhattisgarhi Kavita)

जांगर पेरत ले काम करथन
खटिया में सूत के आराम करथन
गोड़ हाथ पिराथे ता
थोरको मार लेथन
काम बुता म संसो नई करन
खेती किसानी म जी लेथन
अन्याय होते हमर सन
ता चुपे चाप पि लेथन ।।
11 . जाड़ के दिन आगे (Chhattisgarhi Kavita)
दिन छोटे अउ रात बड़े
सुरुज कान्हा लुकागे
खोल कथरी निकाल लो गा
जाड़ के दिन आगे
बेरा उगते ढेरिया के
turte होते मुंधियार
सीत गिरथे साझा म
गोरसी म भूरी बार
पर्रा में रखे खोइला हा
खर खर ले सुखागे
खोल कथरी निकलव गा
जाड़ के दिन आगे
धान पाक के कटागे
सीत म खेत पटागे
ठंडा म संगी हो
खून घलो जड़ा गे
पानी जरथे सिये म कुन कुन
नोनी के दाई हा हो गेहे मून मून
दिन भर जाड़ लगे
पहिरे हो कोट
जाड़ के दिन आगे
कथरी निकलव गा ।।
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12 . जय हो दारु जय हो दारू (Chhattisgarhi Kavita)
येति ओती चारो कोती
एकेच जयकारा हे
जय हो दारु
जय हो दारू
कोन्हो कहाये ये नया जमाना के चलन
ता कोन्हो कहाये ये काम हे सैतानी
आज के मनखे करे हे तोर संग मिटनी
लइका सियान , बुढ़वा जवान
सब हे तो मयारू
जय हो दारु जय हो दारू
दूध गली गली बेचा हे
तभो येला कोन्हो कान्हा भा हे
टोला पाए बर मनखे
थारी लोटा ला मढ़ा हे
एकर सेती करम ला ठठाहे
घर के मेहरारू
जय हो दारु जय हो दारू
तोर ठौर ला मिल हे
मदिर के सानी
गिरा गंभीर हे
तोर भगत मन के कहानी
तोर भगत सूत उठ के
तोरे दरस ला पाथे
साँझा बिनहिया माझनिया
तीनो बेरा हाजरी लगाथे
तोर भगत मन तोला पाए बर अउ ललचाथे
अउ तोर भक्त मन के भक्ति हावय चारु चारु
जय हो दारु जय हो दारू
कोन्हो कोन्हो भगत
अपन घर कुरिया घला चढ़ा हे
अउ कोन्हो कोन्हो दुरपति कस
बाई ला दाव म लगाहे
लोग लइका के चिंता घला
ओला कहा सत्ता हे
तभे तो घर के जम्मो जिनिस
बेच खा हे
अब तो वो तोर दुवारी म
लगावत हे झाड़ू
जय हो दारु जय हो दारू
तोर भक्ति म कुछ भक्त
ऐसे समाधी लगाहे
मनखे है कोन कहाये
कुकुर मन पानी चढ़ा हे
इकर आन बान अउ शान
भोले बाबा ले कान्हा कम हे
चिखला , कचरा , घुरवा
एकर बर घलो कम हे
कहत हे रमेश अउ सब भक्तन मन
देवत हे हुंकारू
जय हो दारु जय हो दारू ।।
13 . तोर सुरता म बेरा (छत्तीसगढ़ी कविता)
तोर सुरता में बेरा
पहावय नहीं वो
अउ का जादू डारे हस तै
खवावय नहीं वो
तोर बोली गुरतुर करेजा बान मारे
अउ सपना है मोला आवय नहीं वो
तोर सुरता में बेरा पहावय नहीं वो
साँझा बिहनिया तोला गुनत तोला रहिथव वो
कछु कही बरी मोला सुहावय नहीं वो
तोर सुरता में बेरा पहावय नहीं वो
हमरो तो जिनगी होंगे
अबरेथा बरोबर
का करम करे हो
चिंहावय नहीं वो
तोर सुरता में बेरा पहावय नहीं वो
रद्दा चलैया मोला ताना मारत हवय
देहे तोर चीन्हा भुलवाव नहीं वो
तोर सुरता में बेरा पहावय नहीं वो
तोर सुरता में बेरा पहावय नहीं वो ।।
14 . नई बरसत हे पानी (छत्तीसगढ़ी कविता)
नई बरसत पानी अब
आंखी पतरा गेहे अब
रोज निकलते बादर
भादवा मन बिजरावत हे
काउ कोढ़ी कस
अपन हाथ पाव खजवावत हे
जेला मानेन मितवा
हम ला बिसरा गे हे अब
नई बरसत पानी अब
आंखी पतरा गेहे अब
टर–टर करके भेंगवा के गला सुखागे
अउ चिखला के पानी ला
सुरुज हा उठागे गे
भरे भरे अरपा हा उतरा गेहे अब
अउ नई बरसत पानी अब
आंखी पतरा गेहे अब
खेत खार फाटे हे
जइसे करम फ़टे हे
अउ चोर उच्चका मन
अंगना म बइठे जुटे हे
गजभर के छाती किसान
के सक्ला गे हे अब
अउ नई बरसत पानी अब
आंखी पतरा गेहे अब
कभू कभू दू बून्द चूहथे
रोवत जइसन
अउ निर्लज बनके पाके
अंखिया हुकमत जइसन
खंडवा बोहे चांटी रद्दा बगरागे अब
अउ नई बरसत पानी अब
आंखी पतरा गेहे अब
अइसन हम का पाप करे हन
ये दिन देखेन
अउ भरे असाढ़ म छाती अंगरा ला सेकेन
सपना के माटी कन्हार हर
अउ नई बरसत पानी अब
आंखी पतरा गेहे अब ।।
20 Chhattisgarhi Hasya Kavita || छत्तीसगढ़ी हास्य कविता
TOP 20 Chhattisgarhi Kavita | छत्तीसगढ़ी कविता | CG Kavita
15 . चलो जल बचाथन (छत्तीसगढ़ी कविता)
नदिया प्यास म सुखागे
बांध हा प्यास म अटा गे
जल स्तर उतर गे हे डहरा म
पानी कहा भगा गे जी
फोकट झन बोहावव जल
जल बचाव आज बर कल बर
पहली युद्ध होवय गुलामी बर
अब युद्ध होही पानी बर
नदिया वाले देश म
पानी के कमी
पतियाना मुश्किल हे पर इहि सही
हे सब लापरवाही के नतीजा हरे
अब अउ पानी नई बचे हे बोतल भर
पानी बचावव जल बचाव आज बर कल बर ।।