TOP 5 Chhattisgarh Ke Lok Katha | छत्तीसगढ़ के लोक कथा

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हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग पोस्ट आज की सी पोस्ट के माध्यम से Chhattisgarh Ke Lok Katha के बारे में Top 2 Chhattisgarh Ke Lok Katha को जानने वाले है । यदि आप छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ के लोक कथा के पोस्ट को ढूंढ रहे है तो आप सही जगह में आय हुए है । आज की इस पोस्ट में हम आपको छत्तीसगढ़ के लोक कथा के बारे में जानकारी देने वाले है तो चलिए बिना किसी देरी के suru karte है इस छत्तीसगढ़ के लोक कथा को –

1 . राजा के सेज ( Chhattisgarh Ke Lok Katha)

एक बार के बात हरे संगवारी हो राजा महल सींग ला फूल से अब्बड़ लगाव रथे । जउन ला फूल से सुंदरता बहुत निक लागथे । राजा के महल है हरबेरा अइसने सजे धजे रथे ।

कर्तव्यपालन से हटके राजा हा प्रजा मन के हित से हट के भोग विलास में लिप्त रहए .

एक घाव संझा के बेरा मा राजा के सेज सजाये के काम कमला माली ला मिलथे ।

कमला हा बाद रंग बिरंगी फूल ले राजा के सेज ला सजा देथे ।

सेज ला सजाये के बाद में फूल के बढ़ सुग्घर कमला के शरीर में नशा छा जाथे . कमला हा गुंथे की एक एक ठन फूल ला चुने में अउ राजा के सेज ला सजाये बार महा अत्तिक मेहनत करेव ।

ता महू हा एक बार ये सेज मा सो के देख़ताव ? कतिक सुग्घर लागत होही ।

अइसने गुण के कमला हा राजा के सेज मा लेट जाथे , अउ थोरके देर मा फूल के खुसबू ले ओकर नींद हा पर जथे ।

अब राजा हा महल मा प्रवेश करथे – माली ला अपन सेज मा सोय देख ओकर आँखि क्रोध मा लाल । तुरते माली के चुंदी ला खींच के घिरलावत पटक देथे ।

दू कौड़ी के मालिन तोर ये मजाल की तेहै राजा के सेज मा सो गेस ।

कमला हा रोय गए ला सोड के खिलखिला के हसे ला लागथे ।

ओकर हंसी ला देख के राजा के क्रोध हा अउ भड़क जथे । ओहा अपन सैनिक मन ला बाला के मालिन ला कोड़ा लगाए के आदेश देथे .

फेर मालिन के हसी का चाबुक के मार के काम नई होये . जतका कोड़ा पढ़े मालिन हा ओतका हसे ।

आखिर राजा ने ले नई रहे गिस ओहा अपन सैनिक मन ला रोक देथे अउ ओहा कथे मालिन अत्तिक कोड़ा मारे मा ताको तै हा हसत हस , तेहै पगली तो नई हो गे हस ।

कमला हा कथे – महराज ये बात मा हसत हो थोर काम देर मा महा अपन कर्तव्य ला भुला के फूल के सेज मा सोय ले मोला अत्तिक कोड़ा के सजा मिलत हे , ता जउन राजा भक्ति भाव अउ अपन प्रजा ला भुला के रत अउ दिन भोग अउ विलाश मा लिप्त रथे , ओला भला कतिक  सजा मिलहि ।

malin के ये बात ला सुन के राजा के मुड़ी हा सरम के मारे झुक जथे अउ राजा हा मालिन से समां याचना करथे । अंत मा ओ दिन के बाद मा राजा हा अपन भोग विलाश ला त्याग के अपन भक्ति भाव अउ प्रजा पालन के कर्तव्य में लग जथे । 

2 . माँ के चमत्कार (Chhattisgarh Ke Lok Katha)

बैतल राम बढ़ गरीब मनखे रहए । अउ ओकर अंतस है अमीर मन के सानो सुकत ला देख के बढ़ दुखथे । ओला अपन झोपडी के बदला मा हिरा सोना ले लड़ाई महल के कामना रथे . आप ये इच्छा बार बैतल राम है जम्मो देवता कर जातिस अउ ओहा कामना करतिस ।

फेर ओकर आसा हा अभी तक पूरा नई हो पा रहिस  .

एक गांव जांगले जहाँ बैतल राम के भेट हा एक जहां साधु महराजle हो जाथे ।

महराज हा बैतल राम के उतरे आसन मुहु ला देख के कथे – बेटा ते हा  अइसने राबे ता तोर आस हा कभू पूरा नई हो पाए । तेहै मन्थस ता माता भगवती ला सुमर अउ ओकर भक्ति भाव ला अपन अंतस मा जगा अउ फेर देख मा भगवती के चमत्कार .

बैतल राम हा मा भगवती के भक्ति ला अपन मन मंदिर मा बैठा लेथे । अउ जंगल दहन रेंगे परथे ।

रेगत रेंगत मोला सुनसान जांगले में ओला एक जहां डोकरी मिलथे । डोकरी हा कथे कबर तेहै बन बन भटकत हस । टोला जउन खजाना के  तलाश हे ओहा ओ खाल्हे वाले गुफा मा हे ।

तेहा हा उन्हे जा अउ टोला जतका हिरा जेवरात चाही तोला ले जा ।

बैटल राम हा तुरते गुफा मेर पहुंच जाथे अउ एक ठन चट्टान ला हटा के गुफा के फ़ितरी मा प्रवेश करथे ।

जूफा हा फुरा जीरा अउ जेवरात ले जगमगत रथे , चारो कोती हिरा जेवरात के भरमार ।

बैतल राम हा मने मन बढ़ पसताते की ओहा अपन साथ में बहुत आसान झोरा ला धार के कबर नई लाइस फिर ओहा का करे ओहा अपन पहिरे के कपडा मा जातिक हमा जाये उत्का अकन उठा लेथे ।

अतकेच मा ओला जोर के गरजइ सुनाई देथे , अउ इक ठन बड़े जान चट्टान हा ऊपर दाहन ले गिरथे अउ गु के द्वार हा हो जाथे बंद ।

गुफा के बैटरी हवा हा रुक जथे , अउ बगैर हवा के बैटल राम हा सटपटाये ला धर लेथे ।

ओहा गुंथे की अगर महा मर जाहु – ता ये हिरा अउ जेवरात हा का काम आहि , एकर ले तो महा गरीबच ठीक रेहेव हो , कम से कम बारीर मा खुले मा हवा तो चले ।

ओला महात्मा के ओ देवी माँ वाले ओ बात हा सुरता आथे , अउ ओहा पुकारे ला धरथे – मा सीतला मा , भगवती मोर प्राण ला बचा , मोर प्राण ला बचा ले  माँ ।

बैतल राम के अंतस ले निकले एक पुकार हा एक दयालु माँ करा पहुंच जथे ।

अउ अतकेच मा एक ठन जोर से गरजइ के संघारा चट्टान हा उंहा ले हट जथे , अउ गुफा के द्वार हा हट जथे ।

सीतल हवा हा बैतल राम करा पहुँचथे । 

अउ ओ डोकरी हा माँ भगवती के रूप मा दिखाई पड़ते ।

बैतल राम हा सबो खजाना ला छोड़ के माँ भगवती के चारा में  गिर जथे अउ अपन भूल के प्रायश्चित करथे ।

3 . मोर माँ हा झूठ बोलथे ( Chhattisgarh Ke Lok Katha)
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एक लड़का रिहिस हे ओहा अब्बड़ मस्ती अउ मज़ाक के साथ ओहा जिंदगी कटत रहिस हे । पढाई में ओकर एक बून्द भी धयान नई रहए ओहा कभू भी पढाई ला महत्व नई देय ।

ओकर मा हा ओला अब्बड़ समझाए की बेटा तोला पढ़ लिख के कुछु करना है अउ कुछु अच्छा करना हे ।

लेकिन ओहा लड़का हा अपन माँ के बात ला एक नई सुने ओकर बात ला नजर अंदाज कर दे .

एक ओकर स्कूल के परीक्षा में ओहा सबो सब्जेक्ट में फ़ैल होंगे . घर में आके ओहा अपन माँ ला बताथे ।

ये देखकर के माँ हा ओ लड़का ला बहुत डाटते , चिल्लाथे । रो रो कर के ओ लड़का ला समझाथे लेकिन ओ लड़का हा बेसरम रथे ओकर समझाए के बाद भी लड़का हा नई माने .

तभी कुछ दिन के बाद में ओकर यंहा कुछ सागा संबधी मन हा आथे ।

तब सगा मन के बात चित हा चलत रथे ता लड़का ला पूछथे – बेटा पढाई कैसे चलत हे ।

ओकर बेटा कुछु कहे ओकर पहली ओकर माँ हा कथे – बहुत अच्छा चलत हे मोर बेटा के पढाई हा । बहुत पढ़ते मोर बेटा हा , खूब नाम कामहि जिंदगी में ।

येला सुन के बेटा हा अपन माँ ला देखथे।

जब सबो सगा मन हा चल देथे ता बेटा हा माँ ला कथे माँ तेहा झूठी हस तेहा काबा सगा मन ला झूठ बोलेश ।

माँ के आँखि ले अंशु के धर बहिगे , अउ माँ हा छुपे चाप रहिगे .

येला देख के बता के मन हा पसीच जथे अपन माँ के रोवइ ला देख के लड़का हा कथे माँ में हा आज ले वादा करत हो आज से मेहा रोज के पढाई करहु , माँ मेहा खूब पढ़हु , देखबे माँ में हा तोर सबो सपना ला पूरा करहु ।

माँ को झूठ नई बोले ला बढे अउ माँ ला रोय के जरुरत मत होये एकर कारन से अपन के झूठ ला सच में बदल देथे ।

4 . भगवान के योजना( Chhattisgarh Ke Lok Katha) 

एक घाव बहगवां के सेवक हा भगवन ला कथे की प्रभु आपमन मदिर मा एक जगह खड़े खड़े थक गए होहु आज मेहा आपमन के जगह खड़े हो जथे । आप मोर रूप ला बना के ये जार ला बना के आ जाओ ।

भगवान हा मुस्काथे अउ स्वेवक के बात ला मान जथे ।

फेर भगवान हा सेवक ले एक ठन सरत रखथे की जउन मनखे मन हा मंदिर में पांव परे बर आहि तेकर बिनती ला तै बस सुन लेबे , ओला किछु बोलबे झन । मेहा ओकर सब के बनउकी ला बना डरे हो ।

एमए सेवक है मान जाते अउ भगवन के मूर्ति कस बन के मंदिर मा खड़े हो जाथे । 

थोरकन देर मा मदिर मा एक झन माल गुजर है आथे ओहा भगवन ला कथे – की महा एक ठान गोदाम खोले हो ओमा मोला बढ़ सफलता दवाबे प्रभु अइसने कहत ओ मॉल गुजार है अपन मानता ला तेखथे ।

ता अतकिच मा ओकर खीसा ले पर्स हा खाल्हे dahan  गिर जथे । मॉल गुजार ला एकर पतच नहीं चल पाए अउ ओहा बिना पर्स के मंदिर ले चले जथे ।

ये सब नजारा हा सेवक ला दिखत रथे ।

ओहा गुंथे की माल गुजार ला रोक के ओकर पर्स के बारे में बता दो । फेर भगवान के सरत याद आथे ता ओहा माल गुजार ला कंहीच नई कहाये ।

अब आथे एक झन निच्चट गरीब मनखे ओहा भगवान ला हाथ जोड़त कथे – भगवान मोर घर मा खाये बार कुछु नई हे आप मन हा कुछु मदद कर दो प्रभु ।

अतकिच मा ओ गरीब मनखे के नजर हा खाल्हे में पर्स में पढ़ते । ओहा पर्स हा उठाथे ता ओमा अब्बड़ पैसा रथे । येला देख के गरीब मनखे हा भरी गदगद हो जथे ।

अउ बहगवां ला बढ़ धन्यवाद करथे , पर्स ला लेके चले जथे ।

अब मंदिर मा आथे तीसर मनखे जउन हा रथे पानी जिहाज कप्तान हाथ जोड़ के भगवान ले विनती करथे की मेहा 20 दिन ले समुन्दर के रास्ता मा जावत हव । हे प्रभु आप मन हा मोर ऊपर अपन कृपा ला बनाये रखहु अउ मोर यात्रा हा सफल हो ।

अतकिच मा ओ माल गुजार मनखे हा पुलिस ला धर के मंदिर मा आथे ।

ओला लगथे की मंदिर मा ओकर बाद जहाज के कप्तान हा आये होही अउ मोर पर्स ला यही हा चोराये होही ।

मालगुजार हा पुलिस ला का कथे यही मनखे हा मोर पर्स ला चुराए हे , येला आप अंदर करो ।

ओ जहाज के कप्तान ला कुछु समझ मा नई आवे आखिर होत का हे ।

ओहा अब्बड़ घबरा जथे अउ पुलिस के बार बार पूछे हे के बाद पर्स ला मेहा नई चुराए हो कहत रथे ।

पुलिस हा नई मने अउ ओला जबरदस्ती अपन संघरा लेगत रथे ।

सेवक हा ये  नजारा ला देखत रथे ओला तो ये चीज हा बिलकुल भी बने नई लगे । अउ ओहा तुरते एक ठन आकाशवाणी करथे की पर्स ला जहाज के कप्तान हा नई चुराए हे ओला तो एक झन गरीब मनखे आये रिहिस तेहै लगे हे ।

अब का पुलिस हा ओ जहाज के कप्तान ला छोड़ के गरीब मनखे के खोज बिन चालू कर देथे । 

बढ़ खोजे के बढ़ में ओ गायब मनखे हा माल गुजार के पर्स के साथ में मिल जथे अउ अंत मा ओ गरीब मनखे ला चोर समझ के जेल मा डाल देथे ।

रात कउनु भगवान हा मंदिर मा आथे सेवक हा भगवान ला देख के दिन भर के किस्सा ला ओला सुनाथे । सेवक हा भगवान ला कथे हे प्रभु में हा आज बढ़ अकन काम करवाय हव । एक झन निर्दोष ला जेल में डाले ले बचाये हो ।

येमा भगवान हा कथे – तेहा आकाशवाणी करवा के कारको काम ला बनाये नई हस बल्कि तेहा अउ काम ला बिगड़ देस ।

सेवक ला समझ में नई आये – भगवान हा का कहत हे करके ।

भगवान हा सेवक ला समझाथे ते जउन माल गुजार के पर्स ला वापिस लौटाए हस ओहा गलत धंधा करे । अगर ओला ओकर पर्स भी मिलतिस भी नहीं तभू ले ओला किछु फर्क नई पड़तीश ।

एकर ले तो ओकर पाप ही कम होतिस काबर की ओ पर्स हा गरीब मनखे ला मिले रिहिस । अउ पर्स के पैसा ले ओकर लइका मन हा भूख ले नई मरतीस ।

अब रिहिस बात ओ पानी जिहाज के कप्तान के ओहा जउन यात्रा में निकलने वाला है । उन्हे बढ़ तूफान आने वाला है अगर ओला आज पुलिस जेल मा दाल देतीश ता ओकर प्राण हा बांच जातिस । अउ okhar bai हा विधवा नई हो रतिश । तेहा तो आज पूरा गड़बड़ कर देष । 

ये काल्पनिक ( Chhattisgarh Ke Lok Katha) हा हामान ला समझाथे की कई बेरा ऐसे होते की मोरेच संघरा काबर होत हे ता एकर पाछू मा भगवान के योजना हा रथे । हर विप्पति हा अपन संघरा बहुत बड़े सफलता के रहस्य धर के आथे । जब भी कोन्हो विप्पति आये , कठिनाई आये ता उदास झन होहु , ओकर डट के सामना करहु । अउ ये छत्तीसगढ़ी के लोक कथा ( Chhattisgarh Ke Lok Katha ) ला जरूर याद रखहु की जो कुछु भी होते अच्छा बर ही होथे । बढ़ परेशानी आथे सफलता के रद्दा मा । येला कौन नई जाने फेर मंजिल तो यही हा पाते जउन हार नई माने । 

5 . कोलिहा अउ बघवा ( Chhattisgarh Ke Lok Katha)

Chhattisgarh Ke Lok Katha
Chhattisgarh Ke Lok Katha

एक घाव के बात हरे भगवान अउ भक्त हा जंगल दहन ले लकड़ी ला लात रथे . अतकेच मा ओकर नजर है एक ठन कोलिहा ऊपर परथे .o कोलिहा हा एक ठन गोड़ re खोरवा रथे .

अउ खोरात खोरात जंगल ला नाहकत रथे ।

भक्त का कोलिहा ला देख के गुंथे की ये कोलिहा अतका विप्पति मा जिन्दा कैसे हे । भक्त ला बढ़ ताजुब होथे की ये कोलिहा खोरवा होये के बाद बढ़ जननक दिखत रथे ।

भक्त हा अइसने गुणतेच रथे अतकिच मा चारो कोती भगदड़ कस होथे अउ जंगल के राजा बघवा हा भक्त dahan आवत रथे । भक्त हा बघवा ला आवत देख के एक ठन ऊंच पेड़ मा चढ़ जथे  ।

अउ यही पेड़ मा बैठे के खाल्हे dahan  बघवा ला देखत रथे ।

बघवा हा एक ठन हिरन के शिकार करे रथे ओला अपन मुँह में दबा के कोलिहा कोती आत रथे । फेर बघवा हा कोलिहा ला अबके चमकाए नहीं बल्कि कोलिहा ला खाय बार थोरकिन मॉस ला दे देथे ।

ये दृश्य हा बढ़ अलकरहा रथे की बघवा हा कोलिहा ला हबके बर छोड़ के अपन संघरा खवावत रथे ।

भक्त ला आँखि मा विश्वाश नई होय अउ एकरे सेती ओहा दूसर दिन तको । जंगल मा उहीच मेर आ जथे । अउ पेड़ मा चढ़ के बघवा ला अगोरत रथे ।

आज तको ओइसनेश होथे बघवा हा अपन शिकार के थोरकुन मास के बांटा ला कोलिहा ला दे देथे ।

भक्त ला सब समझ आ जथे की यह भगवान के होय के प्रमाण हरे ।

भक्त हा मने मन गुंथे की ऊपर वाला हा जिला पैदा करे हे ओकर रोटी के इंतजाम तको करे हे । आज ले महा तको ऊपर वाले के दया में ही जिहु ओहा मोरो बर खाये के व्यवस्था जरूर करहि ।

अइसने गन के भक्तः हा शांत जगह में जाके एक ठन पेड़ के निचे में जाके बैठे जथे ।

भक्त हा बिना खाये पिए पेड़ के खाल्हे मा बइठे हे । पहली दिन कइसनो कर के गुजर जथे ओकर जगह में कोन्हो नई आवे । दूसर दिन कई जहां मनखे मन हा ओ dahan ले नाहकथे फेर भक्त के उप्पर काकरो नजर हा नई जाए ।

भक्त हा दिन बा दिन कमजोर होवत रथे अइसनेच बढ़ दिन बीत जथे । अब तो ओकर थोर बहुत बचे ताकत हा घलो कम हो जथे । ओहा अतका कमजोर हो जथे की ओहा रेंगे तको नई सके । अउ मरे मनखे असन हो जा रथे ।

अटकेच्मा एक जहां साधु महात्मा हा एक दिन उहि तीर ले नाहकथे ता भक्त ला देख के ओ साधु महात्मा हा पहुंच जथे ।

अउ ओकर दशा ला देख के ओकर बारे में पूछथे ।

भक्त हा अपन कहानी ला पूरा साधु महात्मा ला सुनाथे अउ कथे की महराज आप मन हा बताओ की ऊपर वाला अत्तिक निर्दई कैसे हो सकथे।

का कोन्हो ला अइसने हालत में पहुंचना कोई निर्दई नो हरे का ।

साधु महात्मा हा कथे ते सही कहात हस अइसने हा तो बिलकुल पाप हरे । फेर तेहा बहगवां के भक्त हो के अत्तिक मूरख कइसे हो सकथस ।

भक्त ला साधु महाराज के बात हा कछु समझ में नई आवे की महात्मा हा ओला का कहात हे ।

एमा साधु महात्मा हा ओला समझाथे अउ कथे तेहा ये चीज ला काबर नई समझत हस की भगवान हा तोला ओ बघवा असन बने बर पैदा करे हे । कोलिका के असन नहीं ।

महात्मा के ये बात ला सुन के ओ भक्त के आँखि हा खुल जथे अउ ओला अपन ऊपर बढ़ पछतावा होथे ।

ता संगवारी हो ये chhattisgarh ke lok katha  ( छत्तीसगढ़ के लोक कथा )यही शिक्षा देथे की कई घाव हमर जिनगी मा अइसन होथे की हमन ह जउन चीज ला जइसन समझना चाहिए लेकिन हमन हा ओकर ले उल्टा समझ जथन । भगवान हा हमर मन मा कुछु न कुछु ऐसे शक्ति दे हे जउन हा हमन ला महान बना सकथे । जरुरत हे ता अपन मन के काबिलियत ला पहिचाने के ।

ये तो ओ भक्त के स्वभाग्य रिहिस की ओला अपन गलती के अहसास कराये बर साधु महात्मा हा मिल जिस फेर हमन ला बढ़ चौकन्ना होम चाही । हमन ला बघवा बनाना हे न की कोलिहा ।

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