छत्तीसगढ़ी बांस गीत – मूल रूप से एक कथा गायन है , जिसमे गायक , वादक , रागी , प्रमुख रूप से होते है । Chhattisgarhi Bans Geet में गायक कथा को गाता है , रागी हुनकरी भरता है और वादक बांस बजाता है । वादक अपने बांस वादक को सजा दजा के रखते है । इसमें जो बांस प्रयुक्त होते है वह एक मोठे बांस का होता है और इस बांस की लम्बाई 1 मीटर तक हो सकती है और वाद्य यंत्र में बांस के प्रयोग होने के कारण से इसे बांस गीत कहा जाता है ।
छत्तीसगढ़ी बांस गीत (Chhattisgarhi Bans Geet) को छत्तीसगढ़ में राउत (यादव) जाति के लोग गाते है . इसके माध्यम से करुण गीत गया जाता है । बांस गीत के प्रमुख गीत में सीता बंसल , मोरध्वज और कर्ण की गाथाओ को गाया जाता है । बांस गीत के गायन के समय बीच बीच में बांस को गीत के माध्यम से बजाय जाता है । छत्तीसगढ़ी बांस गीत (Chhattisgarhi Bans Geet) के छत्तीसगढ़ के प्रमुख कलाकार ग्राम बासीन के श्री केजूराम यादव , खैरागढ़ के नुकूल यादव बांस गीत के सर्वश्रेष्ठ कलाकार है ।
बांस गीत में बांस की सुरली और खुरदुरी आवाज ही बांस गीत को मधुर बनाती है
छत्तीसगढ़ के प्रमुख छत्तीसगढ़ी बांस गीत (Chhattisgarhi Bans Geet)
1 . बरसात बीत गे (Chhattisgarhi Bans Geet)
ये दिन गवाय राजा कमरा अउ खुमरी के
राते गवाए पापी नींद हो
कारी धन ला बेच डारेव राजा
अब सुतो गोड लामये हो
ये दिन गवाय राजा कमरा अउ खुमरी के
राते गवाए पापी हा हो
कोन तोर करहि राजा राम रसिया के
कोन रचे जेवरात हो
कोन तोर करहि रजा पलंग पिछवना
कोन जोहय तोर पाठ हो
मैया रसे मोरे रास रसैया
बहिनी रचे जेवणास हो
पड़की चिड़िया हा मोर पलंग बिछाही
मुरली जोहय मोरे पाठ हो
ये दिन गवाय राजा कमरा अउ खुमरी के
राते गवाए पापी नींद हो
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2 . सुमिरन बांस गीत (Chhattisgarhi Bans Geet)
तुम्ही ला सुमिराव गा दुक्ता धारी के हनुमान हो
श्री अग्नि गली के बंसी ला सुमिरव बासी
श्री अग्नि गली के बंसी ला सुमिरव बासी
ये मोर रामे लखन के धनुस बांध हो
सरे दिन अगासे रे मोर भैया
गुरु हा दिए रे मोला ज्ञान
माता पिता ने अगा जन्म दिए हे बासी मोरे भैया
रुपए दिए हे भगवान हो
राजा हरिमेव भैया मोरे नव लाखन दिए गा भाई मोला
अरे सिंघला बांगर मा मोरे चौर दिए हे रे मोर भाई
रे कैथी जावे के अहीर , चारो धाम के राजा हे शिव रे मोरे भाई
देवी के सरन मा रे भैया मोर
पैला लगाव मै हा तोर
काली के भजन में न मोर पानी ला पियावे न
गौरा गोशाला बर भैया मोर चौनिया दे लगाए न रे भैया मोर
ये दिन गवाय राजा कमरा अउ खुमरी के
राते गवाए पापी नींद हो
कारी अउ करीना के नई धन बेचव न
अउ पास के बजारे में कैना मै तोला झन बचाव न
अरे तोर जगह के बदला में कैना मै छोड़व बजारे न
छोड़व बाजारे न कैना मै तोरे भर हो
तारा गढ़ के धनि तहि है मोर अइहर मइहर मोरे राजा

3 . बालक बैरवा के किस्सा (Chhattisgarhi Bans Geet)
काकर गाबोन भैया , काकर बजाबों भैया गा
काकर लेवत हस नाम ला हो
कोने अउ देवता गा दुनिया में रवैया मोर
ये मोर भैया काकर बन्दों दोनों पाव ला हो
राम के गाबोन भैया , राम के बजाबों गा
राम के लेवत हव नाम ला हो
महा अउ बिराजे गा दुनिया में जा रवहईया मोर
ये मोर भैया एकर बलदा परो पांव ला हो
संगी अउ बांसे में सरसती बिराजै गा
तोला बिराजे राजा राम हा हो
मडवा लबनासी में केवट भवानी बिराजै हो
मडवा लबनासी में केवट भवानी बिराजै हो
ये मोर भैया बिराजै सती सरग पार हो
बालक बसरवा रागे मोर चलन लागै न
सिंघण घर के खर में रागे पहुचन लागै न
अउ कुकरा के बासत पहुचन लागै न हो
अलकपरिन मोरे रागे मोरे आवन लागै न
अलकपारिन मोरे जवान लागै न
बालक बसरवा मोरे देखन लागै न हो
अउ कैसे वो रागी मोर बोलन न
टिल टिल जावे मोरे रागी रौताइन छोकरी ला न
चला जाबो वो मोरे बहिनी गंगा नहाये ले जाबो
अउ मोरे रौताइन डोकरी रागी मोरे रद्दा रेंगय न
अउ गंगा असना में मोर बहिनी वो रेगन रेगे न
फुलिया कांच के लोटा मोर मुड़ी मा बोहये हो
पूजो पूजो गोरखनाथ अमृत बानी बरसे कमरा भीगे ला पानी जी
पूजो पूजो गोरखनाथ अमृत बानी बरसे कमरा भीगे ला पानी जी
कौंवा के ढेना में पीपर के पासा , मुसवा के बिलाई होवय नासा जी
कौंवा के ढेना में पीपर के पासा , मुसवा के बिलाई होवय नासा जी
तरी हे गइला ऊपर पनिहारी , लइका के गोदी में खेले पनिहारी जी
पूजो पूजो गोरखनाथ अमृत बानी बरसे कमरा भीगे ला पानी जी