20 Chhattisgarhi Hasya Kavita || छत्तीसगढ़ी हास्य कविता

Rate this post

संगवारी हो हमर ब्लॉग के पढिया मन ला मोर chhattisgarhi kavita ( Chhattisgarhi Hasya Kavita) में आप सब झन के स्वागत हे . जैसे के संगवारी हो धीरे धीरे हमर युवा पीढ़ी के मन में आधुनिक समाज के कारन से वोहा अपन मार्ग ले भटकत जात  हे  . आज के युवा पीढ़ी मन हा छत्तीसगढ़ के संस्कृति ला भुलावत जात हे . अपन मति , अपन भाखा ला छोड़त जात हे . जेकर कारण से हमर छत्तीसगढ़ के chhattisgarhi भाषा हा नदावत जात हे , chhattisgarhi sanskrit हा नदावत जात हे ।

एही युवा पढ़ी ला समाज ले जोड़े बे महा आप सबो संगवारी मन बर Chhattisgarhi Hasya Kavita || छत्तीसगढ़ी हास्य कविता ला लेकर के आय हाव जेकर माध्यम से हमर छत्तीसगढ़ के युवा पीढ़ी मन ला अपन भाखा , अपन बोली से जोड़े के एक ठन छोटे से प्रयास करत हाव । संगवारी हो जैसे की आप सबो झन ला पता हे की chhattisgarhi poems (छत्तीसगढ़ी कविता) में हमर दुःख अउ दर्द हा छिपे रथे .

ठीक वैसे ही हमन हा कोन्हो ला ताना मरे बर अउ कोनो ला सुने बार Chhattisgarhi Hasya Kavita || छत्तीसगढ़ी हास्य कविता ला अपन कविता के रूप मा जोड़ के गुनगुना लेथन ।

तो आवा संगवारी हो आपमन बर ये छत्तीसगढ़ी कविता (chhattisgarhi poems) ला गुदगुदा के , हँसा के एक घाव जरूर पढ़ लेथन ।

सभी छत्तीसगढ़ी हास्य कविता के लिस्ट 

1 . चिंगरी के मछरी लानेव (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

चिंगरी के मछरी लानेव
मगल बाजार ले

कढ़ाही मा तेल डारेव
चूल्हा ला बार के

चानी चानी पोइल डारेव
राधेव बघार के

खाय बार बैठ परेव थारी में निकाल के
देखत हे मनु बिलाई मुहु ला फार के

चिंगरी के मछरी लानेव
मगल बाजार ले ।।

2 . कुकुर काई काई नरियाय (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

आमा बगीचा में देखेव
पका पका आमा

बैठे हे रखवार भैया
लवठि धर के मामा

एक कोहा मार परेव
अलकरहा कव कव नरियाय

मुड़ी कान ला लग गे रे
ममा बिककत खिसियावे

नदिया के पानी मा
कोतरी के मछरी

बाल्टी धर के चल देन
छीते बर डबरी 

पानी मारें , पानी आटेन फसगे कुकुर कबरी
अलकरहा काई काई नरियाय

जोखि सैप चब डिस का रे
ममा बिककत खिसियावे ||


Chhattisgarhi Kahani सोन के फर | छत्तीसगढ़ी कहानी

TOP 20 Chhattisgarhi Kavita | छत्तीसगढ़ी कविता | CG Kavita


3 . खड़े हव चुनाव मा (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

गांव गांव सड़क बनवहु
घर घी सेप्टिक खोली

रोजगार बर गोदी खानहु
नदिया परिया डोली

पांच साल मा जतका बनहि
रपोट लुहू वो

खड़े हव चनाव मा
दीदी वोट दुहु वो

दीदी मन ला लुगरा दुहु
भैया मन ला दारू

प्रचार करेबा आय महा
नेता तुहार जुझारू

नान कुन लइका मन ला लंगोट देहु वो
खड़े हव चनाव मा दीदी वोट दुहु वो

जवान मन ला काम दुहु
बुढ़वा मन ला धोती

भट्ठी बंद कराहु
येति ओती सबो कोती

गांव भर मिलके मोला सपोट दुहु वो
खड़े हव चनाव मा दीदी वोट दुहु वो ।।

4 . मोला झोल्टू बनाके (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

तोर माया के जाल मा फ़ांस दिए वो
मोला झोल्टू बना के तै हांस दिए वो

मोबाईल में मई तोर रिचार्ज ला कराये रेहेव
रात भर ओढ़ना ओढ़े तोतरा कस गोठियाय रेहेव

मोर मन ला तै कबर उदास किये वो
मोला झोल्टू बना के तै हांस दिए वो

मड़ई घुमाहु कहिके फटफटी ला बिसियाय रेहेव
मेला के ठेला मा गुपचुप खवाय रेहेव

जिनगी के गाड़ी ला हाथ तोर दिय रहेव
गाड़ी ला तै डबरा मा तै धस दिय वो

मोला झोल्टू बना के तै हांस दिए वो
तोर माया के जाल मा फ़ांस दिए वो ।।

5 . एक दिन के बात रिहिस (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

एक दिन के बात रिहिस
समधिन हमर साथ रिहिस

अंधियारी ओ रात रिहिस
जाने कइसन हमर मुलाकात रिहिस

समधिन रहए तेहै कथे
लेना समधिन ते मोला कछु सुना न

ता समधिन ला में है केहेव
का सुनाव समधिन मोला तै बता न

समधिन हा कथे
गाना एको ठन गा न

ता समधिन ला केहेव
मोला तो गे ये आये नहीं तहि हा सुना न

ता समधिन कहिथे
हमर घर आये रहे ता गे रहे

ता मै हा कथो
मै कहां गाय रहेव

ता जान डारेव में समधी ला
एक बार समधिन हा आय रिहिस ता हमर घर गाय रिहिस

ता समधिन मा में याद दिलायेव
ये समधिन ते हमर घर आय रहे न ता गाय रहे न

समधिन ला कहेव तै एक बार आये रहे ता गाय रहे न
जम्मो पारा के मनखे मन ला बुलाये रहे

ओ सब झन के बिच में तै गाय रहे
लेकिन में नै जानो की हरियाणा गाय रहे की , देशी गाय रहे

फेर ते एक बार आय रहे ता गाय रहे
फेर ते एक बार आय रहे ता गाय रहे ।।

6 . समय बढ़ा अलकरहा हे (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

Chhattisgarhi Hasya Kavita || छत्तीसगढ़ी हास्य कविता
Chhattisgarhi Hasya Kavita || छत्तीसगढ़ी हास्य कविता

सब जतर क़तर ,  सब खदर बदर
जगह जगह में गोललर हरहा हे
समय बढ़ा अलकरहा हे

टेटकू बने हे नेता जी
पगी ओकर फोस्क्त हे
महगाई के मार में फुले जनता के
ओकर मुढ़ी घोलो नई ओोसकत हे

अरे घुस खवइया ऑफिसर
ता चपरासी घलो ललहा हे
समय बढ़ा अलकरहा हे

चोर मोटाई घुस घुस ले
ता पुलिस वाला मरहा हे
समय बढ़ा अलकरहा हे

जुन्ना माल ला बेचे व्यापारी
भर के नवा नवा खोखा मा
उत्ता धुर्रा में लेवत संगी
ओला नवा के भोरहा म

डुबलीकेट हा चमके चमचम
अउ रीजनल हा पटपटहा हे
समय बढ़ा अलकरहा हे

टुरी मन के हाथ हे खाली
अउ तुरा मन के हाथ म लाली
टुरी मन नई पहिने खिनवा
ता तुरा मन के कान म बाली

चुंदी कपडा अउ चाल ला देख के
टुरी मा टुरा के भोरहा हे
समय बढ़ा अलकरहा हे

सोज चलत हन साइड म
ता पाछू वाला कोचकत हे
सिधवा आदमी घानी कस बइला
ता टेड़गा मन हा बोचकत हे

चुप रहिबे ता कहिथे जोजवा हे
अउ ज्यादा गोठियाबे ता कहिथे लफरहा हे
समय बढ़ा अलकरहा हे ।।


Chhattisgarhi Kahani सोन के फर | छत्तीसगढ़ी कहानी

chhattisgarh ke lokgeet || छत्तीसगढ़ के लोकगीत


7 . चोरहा (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

कमाय बर जांगर चोराथे
अउ खाली चोरी कर के दिन नहकाथे

ककरो छेना ला चोराथे ,
ककरो पैछा ला चोराथे
ता ककरो करपा ला ले जथे

कोई घर बनात हे ता खपरा ला ले जथे
कोई ईटा बना हे ता ईटा ला ले जथे

अउ गए हे बाजार ता साग भाजी ला सलटाथे
कमाय बर जांगर चोराथे
अउ खाली चोरी कर के दिन नहकाथे ।।

8 .  फसिया गे दाई (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

ये दाई ये नरी के टाई
अद्किच अब्बड़ टेंसन
बबा रे फैसन

अध्वा होगेंव दाई
चस्मा ला हेर दे दाई

दुकान मा रहे एक पीस
बोझा ढोहत हे जीन्स

खजवात हे जूता मोजा
दाई गोड़ ला तुमन खोजा

मै हावव छोट
मोर ले गरु ये कोट

नई समझ आवे कोन्हो हा
घेरि बेरी बाजे फ़ोन हा

गरमी मा घलो फुलपेंट
मूड फिर मा कुरता मा घलो सेंट

छोड़ देव इन्हा नई अब देर
फैसन मा कौन रही हर बेर

ऐसे भी खिया गे हे चुपर चुपर के साबुन
दाई अब तो ते हा सुन

नई बचाव वो फैसियइस गे हे वो
मार डालिस ये नरी के टाई
बबा रे फैसन  ।।

9 . अलकरहा टुरा (Chhattisgarhi Hasya Kavita)

गए हे कालेज पढ़ेबा

उन्हे जा के लफरहा होंगे

अउ दारू पीके ठकराहा होंगे

खेती खार के बुता भुलागे

अउ पढाई म लड़बढ़हा होंगे

अब में है का बताओ संगी

यहु टुरा अलकरहा होंगे ।।

10 . टोला कैसे मनावत पंडित (Chhattisgarhi Kavita)

टोला कइसे के मै मनावत गा
मोर बिना भाग के पंडित

टोला कइसे के मै मनावत गा
खवइया कुकरा साग के पंडित

जबकि पंडित तब के पंडित
तहि बता तै कब के पंडित

अमृत बानी तोर कान्हा नदा गे
पक्का लगत तोर मन टपके

मन्त्र जाप तोर कान्हा नदा गे
फ़िल्मी गाना जपले पंडित

टोला मुंदरहा कइसे जगावत गा
मोर अड़बड़ जी जाग के पंडित

टोला कइसे के मै मनावत गा
खवइया कुकरा साग के पंडित

संस्कृत वेद पुराण भुलागेस
अत्याचारी इंसान मा आगेस

ब्रम्हचारी तोर छईहा बन गे
अब तै खुद दसपति कहागेस

तन होंगे कपटी मन होंगे झपटी
कलजुगिया लखपति म आगेस

टोला कइसे के दूध पियावत गा
मोर डोमि नाग के पंडित

टोला कइसे के मै मनावत गा
खवइया कुकरा साग के पंडित ।।


TOP-5 छत्तीसगढ़ी बांस गीत || Chhattisgarhi Bans Geet

Top 10 Chhattisgarhi Lokgeet || छत्तीसगढ़ी लोकगीत || cg lokgeet


11 . दरुआ मन के कहानी (Chhattisgarhi Kavita)

एक कप दारु नहीं
भलुवा सही झूमत हे
भट्टी के चारो मुरा
भौरा कस घुमत हे

कुकुर सही लूट-लूट
मिल गे त घुट-घुट
पी पाइस ता पुट-पुट
अउ गोट ला पूछबे ता झन पूछ

लोग लइका तिड़ी-बीड़ी
पोट-पोट करत हे
दारू बिना पेट हा
कोट-कोट करत हे

काबर अइसन बैरी मन हा
बोझा बन के जियत हे
उवत बूड़त धक-धक पियत हे
भक भक उछरत हे

नई पियो नई पियो
महावहि में घुसरत हे

माई पाव डेरी गोड़
डेरी पांव माई गोड़
काहत काहत थक गेव
दारू दारू छोड़

थोक-थोक मांग के पैसा ओहा सकलत हे
गली खोर में निकल के आनी बानी बफ़लत हे

अरे कोन ओला पैसा देथे
कान्हा ले पा जाथे जी
अरे दारू नहीं गांजा ला
पि के भोकवा जाथे

आँखि हवय बम लाल
गुहु खाय दिखत हे
गाल हा चेप्ट गे हे
अउहा-जउहा झींकत हे

दुनिया म भैया दरवा मन के महिमा अपार हे
सुनते ता मोला कथे तोर सायरी बेकार हे ।।

"कितने चेहरे से उत्तर गे वो गलत फैमि के नकाब 
कल तक जो चीख रहे थे रोटी को 
वो आज खरीद रहे है शराब 
वो आज खरीद रहे है शराब ।।"


12 . एसो के तीजा पूरा(Chhattisgarhi Kavita)

तीजा पोरा तिहार म मन म बैठ के गुनत हे
बेटी माई के अन्तस् के पीरा ला कोन्हो नई सुनत हे

भेट होही मीत मितानी सहेली संग
आस बँधाये रहिथे ,
दुःख सुख बचपन के सुरता ला
एक दूसरा ले कहिथे

तिजियरीन संग आ जाहि कही के
गांव के मन डरथे
आगि लगे कोरोना ला बिरि हा तप्त हे

कोन्हो आन गांव दारू बर ता
आनी काम करत हे
ये सब गांव के सियानी करएया
ला नई दिखत हे

लगते एकर नियाव करएया
कोन्हो नई हे जी
फेर काबर बेटी माई के आये बर
मुनियादी परत हे

एसो स्वास लेव बेटी माई मन
घर म दूध के करू भात ला खा लव
तीज उपवास रहिके भोलेनाथ ला मन लव
ठेठरी खुरमी चौसेला
कथरी चूजी ला जमा लव
रहे खुशाली सब घर
उमा पति ला मन लव

भैया दाई ददा के आस हर टूट गे
एसो के तिहार म बहिनी ला तीजा लेवई छूट गे
एसो के तिहार म बहिनी ला तीजा लेवई छूट गे  ।।

13 . बढ़ा पछताथव बिहाव करके (Chhattisgarhi Kavita)

की बड़ा पछतात हव बिहाव करके
अउ बने रहेव कुंवारा जी
अउ हरहा गोललर सही भूकरत रहेव
ये पारा वो पारा जी

की एक ले महा दू होगेंव
अउ दू ले होगेंव तीन चार जी
अब तो थोरको सुहावे नहीं
मोला खेती खार जी

अउ पारा परोसी ताना मारे
अउ मारे साड़ी सारा जी
अउ हरहा गोललर सही भूकरत रहेव
ये पारा वो पारा जी

की बड़ा पछतात हव बिहाव करके
अउ बने रहेव कुंवारा जी
अउ हरहा गोललर सही भूकरत रहेव
ये पारा वो पारा जी ।।

14 . स्वदेसी अपनाव (Chhattisgarhi Kavita)

की बहना कहिथे मूसर ले कब होही भेट
अरे बहु होंगे सुखिया चलावत हवे नेट

कइसे बिसरा देहो कर लेतेंव आरो
ये वो नोनी बुधिया रानी नवपारो

घोसोर घोसोर कुटत रेहेव बिहनिया धान
कतको दुकाल म बचे प्राण

अउ कोन्हो कंही कहे गा
गवइहा गा तान

खेत अउ खार म नई दिखे गाढ़ा
नवा डरिश कनिहा ला । तोड़ डरिश हाड़ा

सट्टा के पट्टी अउ , अस्तुन के खोल
धोखर के खूटा सन ढाढी होंगे छोल

नहना बरही हा जुड़ा ला कहाय
हमर असन पीरा ला कोन बहिनी सहाय ।

की कोन हा रोवत हे जांता बापू बपरा
अउ परे परे दिखत हवे निचत चितकबरा

अउ घरर घरर दरत रेहेव दार अउ पिसान
au कई बछर होंगे हे कर दे हे बीरान ।।


लीलावती और आगर की प्रेम कहानी || Chhattisgarh Ki Kisi Ek Nadi Se Sambandhit Lok Katha

Satwantin Bahini Ki Kahani Hindi Me


15 . की दारु कहिथे (Chhattisgarhi Poems)

की दारू कहिथे सुन रे दरवा
चिभिक लगा के तै झन पी

सरो देहु तोर पेट के पोटा
अउ लील देहु मै तोर जिव

अउ बेच दुहु तोर घर अउ बारी
दुनो घर के लोटा थारी

कुकुर हा सूंघी तोर मुहु ला
रद्दा रेगत खाबे गारी

कुटका कहिथे करहु कुटका
गाल ला तोर सरोवत जहू

सबो दांत ला तोड़ तोड़ के
हरु बरोबर तोड़ घेंच ला खाहु

अउ का करबे ता करले तै हा
संगे संगे रोग लाहु
रोबे तेहै मूड धर के तै
मै खुल खुल हासत जहु

गांजा के घलो गाथ ला सुन ले
दबा दबा के ज्यादा झन तीर
मुहु ला तोर चपलवा करहु
देखत रा तै धीरे धीर

अरे भोभला होबे मूड धर रोबे
नई खा सागबे भाते साग
अउ लार टपकही तोर मुहु ले
समझावत हव तै हा जान

की काबर आज समाज नई गुने
समय बढ़ दुःख दाई

बीड़ी माखुर पान सुपारी
कूकरी बोकरा ले पहुनाई
झन खाओ जी मांस जीवे के
खाव्व जी भर दूध मलाई

छट्टी मरनि बर बिहाव ले
टारव जी कुरित बुराई
छट्टी मरनि बर बिहाव ले
टारव जी कुरित बुराई ।।

16 . मया के दर्द (Chhattisgarhi Poems)

की लगथे ओकर जिनगी ले मोर बिदाई हो जहि
sune हो ये महीना ओकर सगाई हो जाहि

विहि गर्मी दिन म नवा नियाव होही
लगत हे गर्मी म ओकर बिहाव होही

भरे गर्मी में काय काम रही
हम तो लकड़ी कट्बोन गा

अउ जौहर होंगे गा
लगथे ओखरे बिहाव म डिस्पोजर बाटबो गा

ता सियान मन बुजहा दिया ला छमा कही
बछर बाद ओखरे टुरा टुरी मन मोला ममा कही ।।

Download Chhattisgarhi Hasya Kavita PDF FILE

 SANGVARI हो ये रही हमारी Chhattisgarhi Hasya Kavita || छत्तीसगढ़ी हास्य कविता जो आपको जरूर पसंद में आया होगा । ये सभी chhattisgarhi kavita हमारी छत्तीसगढ़ी के भाषा छत्तीसगढ़ी में लिखा गया है । इनमे से कई chhattisgarhi poems मार्मिक है , दिल को छूने वाली , नशे मुक्ति से जुडी हुई है , समाज को नई दिशा देने वाली है , समाज को chhattisgarh के संस्कृति से जोड़ने वाली है । 

तो उम्मीद करते है दोस्तों यह Chhattisgarhi Hasya Kavita || छत्तीसगढ़ी हास्य कविता आपको जरूर पसंद में आया होगा । यदि हमारी लेख आपको पसंद में आया होगा तो इस chhattisgarh poet  को अपने दोस्तों के पास में ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करे । 

जय जवान जय जोहर ,
 छत्तीसगढ़ की जय 
मोर माटी मोर महतारी 
जय छत्तीसगढ़ महतारी 
जय छत्तीसगढ़ महतारी ।।

प्रातिक्रिया दे