हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे इस ब्लॉग छत्तीसगढ़ी जनउला pdf पोस्ट में . दोस्तों यदि आप छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं या छत्तीसगढ़ के आसपास के जिले के रहने वाले हैं और आप कोई सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही हैं या कोई आम व्यक्ति हैं और आप Chhattisgarhi Janaula ढूंढ रहे हैं तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सीजी जनउला उत्तर सहित के बारे में पूरी डिटेल के साथ में जानकारी देने वाले हैं .
साथ ही साथ हम इस पोस्ट में आपको जन्मला के प्रश्न के साथ उनके उत्तर देने की भी पूरी कोशिश किए हुए हैं. दोस्तों इस पोस्ट को लिखने के लिए मुझे काफी लंबा समय लगा है क्योंकि ऐसे पूछो को लिखने के लिए बहुत ज्यादा समय लगता है और बहुत ही सावधानी करनी पड़ती है. इसके लिए मैंने अपने दोस्तों का सहारा लिया है जो पिछले दो-तीन सालों से कोचिंग संस्थानों में अपना अध्ययन कर रहे हैं.
उम्मीद करता हूं कि यह पोस्ट आपको जरूर अच्छा लगेगा और मैं इतना दबा के साथ कह सकता हूं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको किसी अन्य पोस्ट को पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि काफी मेरा लंबा रिसर्च करने के बाद ही मैंने इस पोस्ट को लिखा है. यदि यह पोस्ट आपको अच्छा लगता है तो आप हमें रिव्यू दे सकते हैं जितना ज्यादा अच्छा रिव्यु देंगे उतना हमें मोटिवेशन मिलता है.
पहेलियाँ अनेक सब्द में एक सब्द या वस्तु के बारे में हमें बतलाता है । cg janula या पहेलियाँ भी अन्य भाषाओ की तरह ही अप्रकट करते हुए प्रकट को दर्शाते है । पहेलियाँ मानव बुद्धि को परखने की सबसे अच्छी उदाहरण है ।
छत्तीसगढ़ी पहेलियाँ क्या है ?
मुहावरा छत्तीसगढ़ी पहेलियाँ Chhattisgarhi Janula / छत्तीसगढ़ी जनउला उस उपबंध या वाक्यांश को कहते है जिसका कोई शाब्दिक अर्थ विलक्षण और लाक्षणिक होता है । जैसे की कसम खान , मार खाना , धोखा खाना ये सभी सब्द मुहावरे है । इनमे दिए गए खाने की न कोई है , और न ही खाने की कोई क्रिया के बारे में बताया गया है ।
इसका मतलब यह है लाक्षणिक , विलक्षण सब्द का मतलब है की उसी से मिलता-जुलता शब्द है । छत्तीसगढ़ी जनउला पहेलियां एक सिद्द और रुड इकाई होता है , इसके शब्दों में या फिर शब्दों के क्रम में हेरफेर करने से इसकी मुहावरे दारी नहीं रह जाती है ।
किसी भी भाषा में चमत्कार या ओज लेन के लिए मुहवरो की सही बनवत उसकी सब्दावली , शब्दक्रम और ठीक ठीक अर्थ तथा जानना अत्यंत आवश्यक है ।
तो चलिए दोस्तों हम आपको छत्तीसगढ़ी जनउला(पहेली) chhattisgarhi janaula को आपके साथ बताने वाला हु हो सकता है तो इसमें और मैं आवर ज्यादा लेन की कोशिश करुगा । तो चलिए दोस्त इस पहेलियाँ को पढ़ते है ।
जनउला क्या है? | cg paheli
संस्कृत में पहेली को प्रहेलिका कहा जाता है । पहेली का सबधिक अर्थ होता है बुद्धि पर शान चढ़ाने की कला है । लोक जनमानस में अनेक ऐसी पहेलियाँ प्रचलित है , जिनका उत्तर देने में बड़े से बड़े लोग के पसीने छूट जाते है पहेली में किसी भी वस्तु का वर्णन उसे प्रकटता के हिसाब से दिखाया जाता है किस्तु उत्तर केवल और केवल संकेत के साथ में उसके अर्थ को पकड़ते पकड़ते हुए ही उस तक पंहुचा जा सकता है छत्तीसगढ़ में इस पहेली को छत्तीसगढ़ी भाषा में इसे जनउला/cg paheli कहते है ।

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25+ छत्तीसगढ़ी कहानी | cg kahani | chhattisgarhi kahani
101 छत्तीसगढ़ी कहानी | cg kahani |cg story
दोस्तों सीजी जनउला उत्तर सहित पहेली में इसे अलग तरह से बांटा गया है तो हम आपको इन सभी पहेलियों को क्रम से दिखाएंगे ।
1 . प्रकृति से जुडी हुई Chhattisgarhi Janaula
1 . पर्रा भर ले अगास में बगराई
उत्तर – तारे
2 . नंदबाबा के नौ सौ गाय , रात चरत दिन बेड़े जाय ।।
उत्तर – तारे
3 . एक थाली माँ मोती भरे , ओमा ले एको न गिरे ।।
उत्तर – तारे
4 . मोर मां के नौ सौ गाय चारे दिन बेड़े जाय ।।
उत्तर – तारे
5 . जनमत बरुआ साठ गज जवानी मा गज एक
बुढ़ापा में तीस गज , पंडित करे विवेक ।।
उत्तर – छाया
6 . इति ोटी जावत हे धरे नै धरत हे ।।
उत्तर – छाया ।।
7 . कांटे के कटय नहीं , भोंगे ले भोगाय नहीं ।।
उत्तर – छाया , पानी
8 . एक थाली माँ दू अंडा एक ठंडा ता एक गरम ।।
उत्तर – चाँद , सूरज
9 . मुट्ठी भर anta घर भर बांटा ..
उत्तर – अंजोर
10 . लाल बैला कुड़ावत हे , करिया बैला भागत हे ।।
उत्तर – आग , कुहरा
11 . करिया बैला बैठे हे , लाल बैला भागत हे ।।
उत्तर – आगि
2 . सरीर के अंग से सम्बंधित Chhattisgarhi Janula / छत्तीसगढ़ी जनउला
12 . खाय मा सुखाय , बिन खाय मोटाय
उत्तर – चुंदी
13 . करिया हे पर कांवा नहीं , लम्बा हे पर सांप नहीं ।
तेल चढ़ाय पर हनुमान नहीं , फूल चढ़ाये पर भगवन नहीं ।।
उत्तर – बाल
14 . उप्पर पटरी , तरी patri , बीच में मोंगरी मछरी ।।
उत्तर – जीभ
15 . उचगुल गुचकुल कुंवा खदान , बत्तीस पेड़ मा एक पान ।।
उत्तर – मुँह
16 . एक मंदिर के दू दरवाजा ओमा निकले भरुवा राजा ।।
उत्तर – नाक
17 . पांच भाई के एके अंगना ।।
उत्तर – हथेली
18 . घाम में जन्मे , छाव में मुरछाय ।
अरे में पूछो तोला जेला देख के हवा सुख जाय ।।
उत्तर – पसीना
19 . बिन पंख के सुवना , उडी चलत आकाश ।
रूप रंग तो ओखर नै हे , मरे न भूख प्यास ।
उत्तर – जिव
3 . वस्त्रो से जुडी हुई छत्तीसगढ़ी जनउला pdf
20 . आय लूलू जाय लूलू , पानी ला डर्राय लूलू ..
उत्तर – जूता
21 . धन कोरे बिना बांधना , जे नै जाने ते चबे नहना ।।
उत्तर – ककई , कंघी
22 . चाँद बरोबर मुखड़ा , ना हे धरती अउ न हे अगास ।
घेरि बेरी ले बहु देखे , एको घर में न सास .
उत्तर – दर्पण
23 . चढ़े ले ना में , घरे ले कान में ।।
उत्तर – चश्मा
4 . जिव जंतु से जुड़े cg janula
24 . बिच तरिया मा गोबर जोन्था ।।
उत्तर – कछुआ
25 . बिच तरिया में गोबर थाला ।।
उत्तर – कछुआ ।।
26 . छै गेडिया बैड , बिन बुलाय आथे ।
बिन बीमारी सूजी देथे , बिन पैसा घर जाते ।
उत्तर – मच्छर
27 . बिन पाव के अहिरा भैया , बिन पाव के गाय ।
ऐसा अजूबा हमने देखे खारन खेत कुदाय ।।
उत्तर – सांप ोर मेढक
28 . पेट खल खल पूछी गाफीन ।।
उत्तर – काला चंदा
29 . लाम ढाढी मुहछा कर कान्हा आये मोर ठकुरा।।
उत्तर – बकरा
5 . विविधः वास्तु िषयक छत्तीसगढ़ी जनउला पहेलियां
30 . कंधे आये , कंधे जाय , नेंग नेंग में मारे जाय ।।
उत्तर – मृदंग
31 . दिखे म करिया जारी म लाल , फेक देबे ता सदा बताये एकर हाल
उत्तर – कोयला
23 . दिन मा सोवे रात में जागे , जतका जागे वतका सोवे ।
उत्तर – मोमबत्ती
34 . पूछी ला खाय ता मुड़ी हर हरियाय ।।
उत्तर – बीड़ी
35 . इ गांव मा आगि लगे , दूसर गांव में कुंवा ।
पान पाते जरगे , गोहार परे कुवा ।।
उत्तर – हुक्का ।
36 . बिच तलाव में थोरहे पानी , ओमा नाचे लाल भवानी ।।
उत्तर – पूड़ी
37 . चारा चरत ले चर बोकरा , चारा सिरागे ता मर बोकरा ।।
उत्तर – दिया
38 . पूछी मा पानी पिए, मुड़ी daahan हरियाय ।।
उत्तर – दिया
39 . रेचकी घोडा के पेचकी लगाम , ओमा चढ़े ससुर दामन्द ।।
उत्तर – चूल्हा
40 . चार पड़े हे , चार खड़े हे
उत्तर – खटिया
41 . ठड़गा नाचे तांगे तांगे ।।
उत्तर – ढेंकी ।
42 . छोट कण टुरा बीड़ा भर दातुन करे ।
उत्तर – चूल्हा
6 . खाद्य पदार्थ से जुडी सीजी जनउला उत्तर सहित
43 . बचपन हरा बुढ़ापा है लाल , टिप के परत मा बिगड़ गए हाल ।
उत्तर – मिर्च
44 . छै महीना के राधे भात जब खाबे ताते तात ।
उत्तर – मिर्च
45 . जब से जइबे तब से खाय ।
उत्तर – नमक
46 . फूल फुले रिंगी चिंगी , फल फारे लंडोरा ।।
उत्तर – मूंगा के फल
47 . अलग खान्धि मर फरे लकड़िया ते का चांटे मोर लकडिया ।
उत्तर – मूंगा के फल
48 . नान कुन तुरी कोकणी असं पेट , कान्हा जब तुरी रतन पुर देश ।
उत्तर – नारियल के फल
49 . कटोरा के ऊपर कटोरा बाप हा बेला ले हे ज्यादा गोरा ।।
उत्तर – नारियल के फल
50 .. तीन मुद के संकर नोने , दूध देथे ते गाय घलो नो हरे , अउ रुख में रथे ते पंछी घलो नो हे ।
उत्तर – नारियल के फल
51 .omnath के बखरी में सोनाथ के कांटा , एक थान फूल पुले 50 ठन भांटा ।।
उत्तर – केला के फल
52 . बाप बेटे के एके नाम नाती के नाम दूसरा ।।
उत्तर – मउहा का फूल
53 . पांच कबूतर पंचे रंग , महल में जाके एके रंग ।।
उत्तर – पान – सुपारी
54 . एक हड़िया जेमे दुरंग के पानी ।।
उत्तर – अंडा
55 . कलिंदर जैसे गोल मटोल , सेव कस चमकीला ।
हरियर हरियर डरा हा ओरमे , दिखत हे रंगीला ।।
उत्तर – टमाटर
56 . एक फ़क़ीर जेकर पेठ में लकीर ।
उत्तर – गेहू के दाना ।
57 . सूखा तरिया मा बगुला फाडफाये ।
उत्तर – मुर्रा के लाइ
58 . नान कुन बटुकदस oha पहिरे सोउ पचास ..
उत्तर – प्याज
59 . बोवत देखेव बटुरा , जमात में कुसियार ।
ढाई महीना के छोकरा , dhadi मूंछ में होशियार ।।
7 . अस्त्र शास्त्र से जुडी हुई Chhattisgarhi Janaula
60 . पहाड़ में चारा चारे अउ चट्टान में पानी ला पिए ।
उत्तर – शूरा , / चाकू
61 . नानकुन तुरी हा कूद कूद के पार बांधे ।
उत्तर – सुई धागा.
62 . एक दन्त के टेड़गा डउका , नै डरव भादो के लहुका ।।
उत्तर – नागर । हल
63 . भुझे मुसवा हा रुख चघे ।
उत्तर – टांगी
64 . सागा घर सागा जाये , धार सागा सागा ला , मार सागा सागा ला ।।
उत्तर – लोहा
65 . तनक से फुदरी फुदकत जाय , नौ सौ अडवा पारत जाय ।।
उत्तर – सुई
8 . पैराणिक पात्र से जुडी हुई छत्तीसगढ़ी जनउला pdf
66 . खटिया गाँथे तान बितान , दू सूतइया के 22 कान ।।
उत्तर – रावण मंदोदरी ।
67 . कत्था सुपारी बांग्ला पान , नारी अउ पुरुष के 22 कान ।
उत्तर – रावण मंदोदरी
9 . अन्य छत्तीसगढ़ी जनउला । पहेलियाँ
68 . तोर ऊपर चढ़े हे
उत्तर – नाम /
69 . पहाड़ हे फेर पथरा नहीं , नदी हे फेर पानी नहीं ।
sahar हे फेर मनखे नहीं , बन हे फेर बिरवा नहीं ।।
उत्तर – नक्सा
70 . सावन भादो खूब चले मांग पूस में थोड़ी ।
आमिर खुसरो कहन लगे बुझ मोरे पहेली ।
उत्तर – नाला
71 . पेड़ न पत्ता ऊपर बड़े सत्ता ।
उत्तर – अमरबेल । जिसे सब्जी बन के खाया जाताहै. मशरूम
72 . पंडरा खेत में करिया नागर ।
उत्तर – कलम
73 . गोरिया खेत के करिया बीज ।
उत्तर – कागज के स्याही ।
74 . निकले कहुँ बजार में, त हाँथो हाँथ बेचाय।
हरियर घोडा पूरा लगाम , नै जानबे ता तोर डंडा नीलाम
उत्तर – सुआ
76 . चार चोर चार खुसियार दही थान खाई ।
उत्तर – चारपाई
77 . थोरहे खाय हदर मरय , ज्यादा खाय फूल मरे
उत्तर – गुब्बारा / फुग्गा
78 . पंडरा खेत मा करिया नगर ।
उत्तर – कलम
79 .हरियर लाटा , लाल पराठा ।
उत्तर – मेहँदी
80 . धवरी गाय करोंदा खाय , ढीले बैला लंका जाय ।
उत्तर – बन्दुक
81 . छोटे कण धागा , गोठ ले के भागा
उत्तर – टेलीफोन
82 . एक जानवर असली , हड्डी न पसली ।
उत्तर – जोंक
83 . संगमरमर के खिड़की बने हे , खिड़की न दुवार ।।
भीतर सागर बीच पुराइन , फूल बिना नार
उत्तर – अंडा
84 . बीच तरिया में टेड़गी रूख?
उत्तर – कोकड़ा पंछी
85 . कारी गाय कलिन्दर खाय, दुहते जाय पनहाते जाय?
उत्तर – कुआ का पानी
86 .नानूक टूरा, राजा संग खाय ल बैठे?
उत्तर – मिर्च
87 . बिना पूछी के बछवा ला देख के , खोड़वा राउत है कुदाइस ।
खेत के ऊपर बैठ के राजा , बिना मूड के राजा देखिस
उत्तर – मेडक सर्फ़ गिरगिट। ( जैसे की दोस्तों मेडक का कोई पूंछ नहीं होता इस पहेली में बताया गया है ।)
88 . नानकुन टुरी के फुलमत नाव , गवा के फुंदरा गिजरिया गांव ।।
उत्तर – पैली काठा ।
89 . कटे कटूंगा उल्हाय नहीं ।
उत्तर – बोड़री ।
91 . एक थान धन के घर भर भूसा .
उत्तर – चिमनी ।
92 . करकरा कुकरा ऐठ पूछी , अउ छू डिस दे किकिया उठिस ।
उत्तर – शंख ।
93 . खा पीके जूठी बलाए ।।
उत्तर – बाहरी ।
94 . दिन भर अल्लर रहे , रात कन अड़े राहये ।
उत्तर – छाँड़ डोरी ।
95 . पेट भरी डौकी के कुल ला चाटे ।
उत्तर – चोगी । जैसे ही गांजा को पीने से पहले उसमे तम्बाकू डाला जाता है उसके बाद में पिया जाता है इस Chhattisgarhi Janaula(छत्तीसगढ़ी मुहावरे ) में बाते जाता है ।
96 . लाल बैला भागत हे , करिया बैला कुदत हे ।
उत्तर – आग धुँआ ।
97 . अक्कड़ लकड़ी के जक्कड़ बंधना नै जानबे ता चब दिहि नाहना .
उत्तर -ककई .
98 . करि चेरी के गर में डोरी , चल रे चेरी हाट के बेरी ।
उत्तर – तराजू । ( तराजू में दोनों पलड़ो में रस्सी होते है और जैसे चाहे हम उसे chhattisgarhi muhavare(छत्तीसगढ़ी जनउला(पहेली)/ ) अपने हिसाब से कर सकते है । )
99 . बहना चक्ति कर गहे बाघा के आसार ।। लपा सरीखे मिलना , दिन में सौ बार .
उत्तर – लक्समी पारवती , सरस्वती ।
100 . दस पाव घरती चले , पचास पांव आकाश ।
अउ नौ मन के धड़ बने ता साधु करो विचार ।।
उत्तर – – विष्णु , रूद्र , ब्रम्हा , चक्र , कमल तीर, बैल , गरुड़ हंस ।
101 . खड़िया गाथे तान बितन , दू सूतइया 22 कन ।।
उत्तर – रावण , मंदोदरी
102 . एक पेड़ दस पति के , टेकर बारह घाव
तीस तीस के जोथा , तेकर अलग अलग पाव ।।
उत्तर – महीना , दिन , रात ,
103 . छिंदक छिन्दक फूल , बारह राजा होंगे मंजूर ।
उत्तर – डुमर के फूल
104 . बाप लम्बा , बेटा पोंडा , नाती है निंद्या –
उत्तर – पेड़ , फूल , फल ।
105 . बिना पूछी के गर्व ला देख के , खोरवा राहत है कुदाइस ।
खेत के मेड में बैठ के , बिना मुड़ी के राजा देखिस ।।
उत्तर – केकड़ा , सांप , मेडक
106 . तीन ठन गोड़ के बढ़ा बने , दू ठन गोड़ के गाय ।
एक गोड़ के अहिरा बने , अउ दूध दही खाय ।।
उत्तर – पटवारी को तिरपाइ , प्रकार , और कलम
107 . ताकत हे , टुकवाट के दोनों गोड़ हा अलगावत हे ।।
उत्तर -कोकड़ा उड़ाय के समय करते
108 . ते फार में हा डारथव ।
उत्तर – धान बोरी , अउ धान ( धान भरे के समय )
109 . धार सागा सागा ला , मार सागा सागा ला।
उत्तर – हथौड़ी ( किसी भी वास्तु को पीटते समय का पहेली )
100 . मोल टोल कतिक बेर , धारिश हे ततिके बेर
हाय सु कतिक बेर , आधा मा जय ततिक बेर ।।
पाँव पलौटी कतिक बेर , जब सबो हा जाय ततिक बेर
उत्तर – महिलाय चुडिया पहनती है उस समय का पहेली है ।।
111 . हहात , ये तमसा कान्हा ,
पीठ ऊपर कनिहा नाचे , ये तमाशा कान्हा।।
उत्तर – घोडा के ऊपर चढ़ने के बाद का कहावत है ।
112 . नान कन टुरी गोटानी आसान कान्हा जाबे टुरी रतनपुर देश
उत्तर – चिट्टी है ।
113 . कारी गाय करंगा पीला , मरगे गाय सटक गए पीला ।।
उत्तर — बन्दुक की गोली ( बन्दुक की गोली को चलते समय का पहेली है । )
114 . सब जर जाय , सब जर जाय लेकिन राजा के लंगोटी जहां जरे ।।
उत्तर – रास्ता है ( जब हम रास्ता भूल जाते है उसे समय के लिए इस Chhattisgarhi Kahawat (छत्तीसगढ़ी जनउला )का प्रयोग किया जाता है .)
115 . कंधे आये कंधे जाय , नेंग नेंग में मारे जाये ।।
उत्तर – बाजा है ( जब बाराती या किसी भी कार्यक्रम में बाजा का उपयोग किया जाता है उसी का ये cg janaula (छत्तीसगढ़ी मुहावरे )है । )
116 . माई पीला के एक ठन करधन । मतलब सभी लोगो का एक ।।
उत्तर – बाड़ी के घेरा ( सभी के घर में एक ही बाड़ी होता है उसी के लिए कहा गया cg janaula (छत्तीसगढ़ी मुहावरे) है । )
117 . बच्छर दिन के भात , जाबे जब छूबे तब तात ।।
उत्तर -खातु ( खाद) इसका इसका मतलब यह है की जब हम खेत में खाद डालते है उतने ही जल्दी फसल संभल जाता है ।
118 . में जाट हाव ते दे देबे ।।
उत्तर -कपाट ( इसका Chhattisgarhi Janaula (छत्तीसगढ़ी मुहावरे) मतलब ये हुआ की जब हम कंही पे जा रहे होते है और उसी के समय जो घर से पीछा निकलता है उतने समय ये पहली को बोलै जाता है , मै जा रहा हु तुम दरवाजा लगा देना .)
119. बेड़े जाये ।
उत्तर -चाँदनी और तारा ( इसका chhattisgarhi muhavare (छत्तीसगढ़ी जनउला(पहेली) मतलब ये हुआ की जब भी हम रात के समय खुले आसमान को देखते है तो हमें रात में चंदैनी अउ तारे ही दिखाई देता है )
120 . पर्रा भर लाई , गिनने मा ना सिराई
उत्तर – चाँदनी और तारा ( इस cg kahawat छत्तीसगढ़ी जनउला में भी तारे के बारे में बताया गया है । )
121 . पर्रा भर लाई घर भर छरियाई ।
उत्तर – चाँदनी और तारा ( इस Chhattisgarhi Kahawat (छत्तीसगढ़ी जनउला )में भी तारे के बारे में बताया गया है । )
122. देखबे ता दुनो रोटी एक बराबर ।
उत्तर – सूरज और चन्द्रमा ( दोनों को देखने पर रोटी के सामान ही दिखाई देता है इस कारन से ये chhattisgarhi muhavare (छत्तीसगढ़ी मुहावरे) बनी है । )
123 . गाड़ा भर गेहू मा एक ठन गोटी ।।
उत्तर – चाँदनी और तारा ( इस(छत्तीसगढ़ी मुहावरे) Chhattisgarhi Kahawat को तो आपको बताने की जरुरत ही नहीं होगा । )
124 . तरिया पार में थाली चिकचिकाय।।
उत्तर – सूर्य ( जब हम शाम के समय तालाब के पानी में सूरज को देखते है तब हमें सूरज चमकती हुई थाली के सामान दिखाई देता है ।
125 बीच तरिया में कंचन थाली ।।
उत्तर – पुरइन पत्ता ( जो तालाब में पाया जाता है जिसका आकार थाली के समान होता है ।)
126 . लाल बैला पिछवाय हे करिया बैला अघुवाय हे ।।
उत्तर – कोहरा धुँआ ( इसका मतलब ये है जब भी हम कुहरा को देखते है तो उस समय कुहरा दूर दूर तह हम से आगे फैला होता है इस कारन से इक Chhattisgarhi Janaula (छत्तीसगढ़ी जनउला )है । )
127 . पेअर में चक्की बांध के हरिणा खुदा होय ।
उत्तर – हाथी के पांव के चिन्ह
129 . करिया बन के रहिथव मै , लाल पानी पिथव मै
जुआ ( सर में पाया जाता है ।
130 . पेट खलाखल , पूछी हा गाभिन , नई जानबे तोर बेटी राधीन
उत्तर – चिटा
131 . चार गोड़ , दू ठन पंखी , मूड ले बड़े ओकर आँखि ।
उत्तर – दतिया ( एक उड़ने वाला कीड़ा है जिसका चार पैर होता है , दो पंख होता है जिसके काटने से बहुत ही ज्यादा असहनीय दर्द Chhattisgarhi Kahawat(छत्तीसगढ़ी मुहावरे) होता है । )
132 . बिना पाव के अहिरा भैया , बिना सींग के गाय ।
अइसन अजरज हमने देखा , खारे खारे कुदाए ।
उत्तर – सांप और मेढक ( सांप का पीर नहीं होता , मेढक का सींग नहीं होता और सर्प उसे पकड़ने के लिए खोटो में कूदता है इस लिए ये (cg janaula) छत्तीसगढ़ी जनउला बनाया गया है । )
133 . अत्थर ऊपर पत्थर , पत्थर ऊपर दू पैसा ,बिना पानी के महल बनाये , रहे कारीगर जैसा ..
उत्तर – दीमक
134 . तरी पचरी , ऊपर पचरी बीच में मोगरी मछरी .
उत्तर – जीभ
135 . दू कोढ़ा के गोबर ला के हाथ में हेरे .
उत्तर – नाक
136 . अहो रतन सींग , अहो रतन सींग जोर से बंधे ज़ुरा
लहू के धार बोहागे , हाड़ा के दू कुरा ।।
उत्तर – गन्ना का रस
137 . लाल नरियर के हरियर पुंछ , नई जानो मेहा तोर कतिक लम्बा पुंछ
उत्तर – बांग्ला ( बांग्ला घर जिसका कोई ant नहीं होता है . )
138 . असाले में , मसाले में , लाल नरियर के पुंछ वाले में .
उत्तर – लौंग
139 . बन ले लायो बेंदरी , घर में केन्दो कान .
दूध भात के भोजन कर के फेक दियो मैदान
उत्तर – पतरी ( जिसमे हम भोजन खाने के बाद में उसे फेक देते है इस कारन से इस Chhattisgarhi Janaula छत्तीसगढ़ी जनउला में इसका उपयोग किया गया है ।)
140 . छिछिल तलैया मा डूब मारे सीतलैया ।
उत्तर – पूड़ी ( जब हम पूड़ी के रोटी बनाते है तो पूड़ी तेल में टाला जाता है )
141. नान कन टुरी बड़ टोनही ।
उत्तर – मिर्ची ( जिसे खाने के बाद में किसी भी के आँखों में आँशु ला देता है । )
142 . सगा घा सगा जाये , धार सगा सगा ला मार सगा सगा ला ।।
उत्तर – लोहा हथौड़ी ।
143 . सून कास गगरी , मैना कस ढकना
जे नई जाने तेल चाबे हाना
उत्तर – तेन्दु का फल ( तेन्दु के फल के बारे में बताया गया है इस पहेली में )
144 . लोहा कस पेड़ में , son कस फूल ।
चांदी कस फर में , पथरा कस झूल
उत्तर – बाबुल के फल , फूल , पेड़ ( बाबुल के पेड़ में ये सब होता है )
145 . हरदी के बुंग बाग़ , पीतल के लोटा ।।
ये पहेली ला नई जानबे ता तेहा बेंदरा के बेटा ।।
उत्तर – घंटी ( घंटी का हल्दी रंग अलग होता है जो सोने के समान चमकदार होता है । इस कारन से इस cg kahawat (छत्तीसगढ़ी मुहावरे) में इसका प्रयोग किया गया है ।
146 . राजा के राज में नई हे , अउ बनिया के दुकान में नई हे ।।
उत्तर – बर्फ
147 . सुरुज सलोती फूलगि मा गाठ
नई जांहि तेकर नाक ला काट ।।
उत्तर – लसहुन ( लसहुन में ये सब होता है .)
148 . फूल फुले रिंगी चिनगी , फर फारे कटघेरा ।अहु कथा ला जान ले बेटा , जाबे अपन तै डेरा .
उत्तर – भसकाठिया ( छत्तीसगढ़ में पाया जाने वाला कटीला पौधा जिसमे बहुत सरे छोटे छोटे काटे होते है इसके बारे में इस cg janula (छत्तीसगढ़ी जनउला(पहेली))में बताया गया है । )
149 . खुशूर खुसुर खोर्री , छे आँखि तीन खोर्री ।
उत्तर – किसान , बैल , नागर
150 . तीन मूड के शंकर नोहे ,दूध देते ते गाय नोहे ,रुख में रथे थे पंछी नो हे ।
उत्तर – नारियल
151 . बगैर बगैर के भैस चराये , बांधे पठरू मोटाई ।
उत्तर – मखना मतलब कुम्हड़ा ( कुद्दु के पौधा कई जगह में फैला होता है और कद्दू का फल इक ही जगह में रहकर के उसका आकर बढ़ जाता है । एक कारन से इस chhattisgarhi muhavare(छत्तीसगढ़ी मुहावरे) में इसी के बारे में बताया गया है ।
152 . बोवत देख ले बटरा , जागे मा खुसियर ।
ढाई महीना के छोकरा , दाढ़ी मेछा में होशियार ।।
उत्तर – जोंधरा बुट्टा ( जो बोवाई के समय बीज होता है लेकिन ढाई महीने बाद में वह पूरा ओक कर तैयार हो जाता है इस कारन से इस Chhattisgarhi Kahawat (छत्तीसगढ़ी जनउला )में कहा गया है ।
152 . धढ़ कटे धारिनि गिरे , गंगा नहाय ला जाये ।हाड़ा दिखे ओकर संगे संग , खाल बचाये जाये ।
उत्तर – पटवा , सन ( जिससे मज़बूत रस्सी बनाया जाता है । जिसे काटने के बाद में तालाब में ले जाकर के डुबाया जाता है और उसके रेसे को निकल कर के बाजार में बेचा जाता है ।)
154 . झिमरि टुरी के भीतरी लेडा ।
उत्तर – muraai ( खाने की sabji muraai )
155 . पान के ओढ़ा में , मास के घोंघा .
उत्तर – भाटा
156 . गांव तीर तीर में मरी मरे तेला कुकुर कौंवा नई खाये .
तेला मनखे मन चिप चिप करके खाय ।।
उत्तर – गन्ना
157 . थोकुन ओला थोकुन ओला धरमस के uila
उत्तर – चटनी ( सील में पीसकर के बनाया गया चटनी को सभी लोगो को कम कम बाट कर खाया जाता है इस cg janaula(छत्तीसगढ़ी मुहावरे) में बताया गए आ गया है ।
158. न फैले नहीं , न फुले नहीं । जब तक जिओ , तब तक पाय ।।
उत्तर – नमक ( जो न तो फलता है और न फूलता है )
159 . पान हा गुजगुज , फर हा लाडवा ,ये जनउला ला नई जांहि देहा फड़वा ।।
उत्तर – प्याज ( प्याज के पट्टी नरम होता है और प्याज का कांदा लड्डू के सामान होता है इसलिए इस (छत्तीसगढ़ी जनउला(पहेली)) Chhattisgarhi Janaula में प्याज के बारे में बताया गया है।
160 . कटोरा ऊपर कटोरा , बाप हा बेटा ले ज्यादा गोरा ।
उत्तर – नारियल का फल ( जिसमे नारियल का ऊपरी भाग फुरा रंग का होता है और अंदर का भाग सफ़ेद होता है )
161 . बिना पानी के उजर सूत ।।
उत्तर – दूध
162 . सूखा डबरी में बगुला फड़फड़ाये ।।
उत्तर – लाई – मुर्रा
163 . फुले फूल रिंगी चिनगी , फारे फर लमडोरा ..
उत्तर – मुनगा ( जब जब फूल में रहता है तो और फल लगने की स्थिति को इस chhattisgarhi muhavare छत्तीसगढ़ी जनउला में बताया गया है । )
164 . एक फूल फुले सौ फर फरे ।
उत्तर – केला
165 . बारो महीना के चूरे भात , जब खाबे ता ताते तात ।
उत्तर – मिर्चा
166 . बीच तरिया में कोकड़ा फड़फड़यए ।
उत्तर – लाई
167 . ऊपर ले दिखे लोंदा बरोबर , पुछु ढहान बिख ।
येला काये काय बता दे संगी , भीतर हे झांकी तीन ।।
उत्तर – खीरा ( खीरा के फल सबसे पहले लोढ़ा के सामान दीखता है और अंदर से काटकर के देखने पार वह तीन अलग अलग भागो में दिखाई देता है ।
168 . कूट कुटेला कूटते जाये ,
ओखर दादा के मेछा हा ढूढ़ते जाये ।
ओकर दाई के पेट फूलते जाये ।
उत्तर – गेहू ( जब गेहू को कुत्ता जाता है तो उसका बाली में जो मूंछ के समान रेसा होता है वह टूटते जाता है और उसको पकाया जाता है तो वह बहुत ही ज्यादा फूलते जाता है इसी को इस (छत्तीसगढ़ी मुहावरे) cg kahawat में बताया गया है ।
169 . अटका जड़ चूमिया में लाला पीला , ओला खाय माई पीला ।
उत्तर – नारियल
170 . सुलग सुटकेनि ओकर फूलगि में गाठ ।नई जानहि तेकर नाके ला काट ।
उत्तर – नदिया के तीर के गोनदिला ( गोनदिला नदी किनारे पाया जाने वाला खरपतवार है )
171 . भाई खड़े हे आयर परत हे ।
उत्तर – पोतनी ( घर को पोछा लगते समय के लिए यह मुहावरा बनाया गया है । )
172 . आय लूलू जाये लूलू , पानी ला डर्राय लूलू ।।
उत्तर – जूता
173 . एक सींग के बोकरा , मुँह कोटि ले खाय, बाखा कोटि ले पगुराए ।
उत्तर – जांता
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174 . नांदिया तीर तीर चल बोकरा , पानी अटागे मर बोकरा ।।
उत्तर – दिया ( जब तक के तेल रहता है तब तक के डीप जलता है और दिया में तेला कम हो जाता है तो दीप बुझ जाता है । ऐसे इस cg janula (छत्तीसगढ़ी जनउला(पहेली))में माद्यम से बताया गया है ।
175 . दस खिला जड़े हे , दरबार में खड़े हे , मैदान में पड़े हे ।।
उतर – पतरी ( पटरी जिसे गांव में पत्तो से लकड़ी के टुकड़ो से सिलकर बनाया जाता है ।
176 . तरिया के तीर मा चिक्कन माटी , उठ रे मोर बड़वा हाथी
उत्तर – ढेंकी
177 . तोर घर गए रेहेव , मोला दे पोछ के ।।
उत्तर – बर्तन
178 . छिटका कुरिया म बाग़ गुर्राय ।।
उत्तर – जांता ( जब हम किसी भी चीज यानि की दाने को जांता बे पिसते है तो जोर की आवाज आती है इसी के बारे में इस Chhattisgarhi Janaula (छत्तीसगढ़ी मुहावरे) बताया गया है ।
179 . एक पैसा लेनी देनी , पीछू कोती फेक देनी ।
उत्तर – फुंदरा
180 . मारहु ता रो देबे , धरहु ता चुप हो जबे ।।
उत्तर – बर्तन ( जब बर्तन को जोर से गिरता है तो आवाज करता है लेकिन जब उसे जैसे ही पकड़ते है उसकी आवाज बंद हो जाती है । इसी को इस मुहावरे chhattisgarhi muhavare में बताया गया है ।)
181 . कतबे ता कटाय नहीं भोग देबे ता भोंगाये नहीं ..
उत्तर – परछाई
182 . करिया घोडा भागे , लाल घोडा कुदाय ।
उत्तर – आगि के लपट
183 . फांदे के बेर एक ठन , छोरे के बेर दू ठन ।।
उत्तर – दातुन , दातुन का जीभलि
184 . कारी गाय कारी पीला , कारी खददर खाय ,
पत्थर ऊपर पानी पिये , ये जनउला है ।
उत्तर – चाकू ( जिसे हम पत्थर में धार करते है इसके बारे में इस (cg janaula) छत्तीसगढ़ी जनउला के माध्यम से बताया गया है । )
185 . मुठा म धरे अउ खचवा में भरे .
उत्तर – जनता चक्की
186 . रात भर नगरा , दिन भर पहिरे .
उत्तर – अड़गसणा
187 . पहाड़ ले उतरे रेचकी घोड़ी ओकर पीला 18 कोरी ।
उतर – चलनी
188 . धन कोरी बिकट बंधना , je नए जाने ते चाबे नहना ।।
उत्तर – ककई
189 . होत साथ करधन पहिराए ।।
उत्तर – चोंगी ।
190 . उदात्त देखे काग कुड़ी , बैठत ढेना पसार लखन जिवारा मार के , अपन परे उपास ।।
उत्तर – मछली के जाल ( मछली के जाल में कई बार हम मछली पकड़ते है लेकिन जाल कभी भी मछली को नहीं खाता है इसी को इस पहेली Chhattisgarhi Kahawat में बताया गया ही ।
दोस्तों ये रही हमारी छत्तीसगढ़ी जनउला Chhattisgarhi Janaula जो आपको अच्छा लगा होगा यदि यह जैनुल ायपको अच्छा लगा तो आप इसे अपने दोस्तो के पास में ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करे ।
FAQ ANSWER
जनउला क्या है?
संस्कृत में पहेली को प्रहेलिका कहा जाता है । पहेली का सबधिक अर्थ होता है बुद्धि पर शान चढ़ाने की कला है । लोक जनमानस में अनेक ऐसी पहेलियाँ प्रचलित है , जिनका उत्तर देने में बड़े से बड़े लोग के पसीने छूट जाते है पहेली में किसी भी वस्तु का वर्णन उसे प्रकटता के हिसाब से दिखाया जाता है किस्तु उत्तर केवल और केवल संकेत के साथ में उसके अर्थ को पकड़ते पकड़ते हुए ही उस तक पंहुचा जा सकता है छत्तीसगढ़ में इस पहेली को छत्तीसगढ़ी भाषा में इसे जनउला कहते है ।
पहेली को छत्तीसगढ़ में क्या कहा जाता है?
पहेली को छत्तीसगढ़ में जनउला कहा जाता है.
पहेली को जनउला कौन से अंचल में कहा जाता है?
पहेली को जनउला CHHATTISGRH अंचल में कहा जाता है .
छत्तीसगढ़ी गाली कैसे देते हैं?
छत्तीसगढ़ी गाली रिश्ते नाते , के हिसाब से गाली देते है जैसे – रोगहा – इसका अर्थ होता है किसी रोग से पीड़ित । साले – साला | हरामखोर – हराम का खाने वाला | किरहा – कीड़ा लगा हुआ | बेस्या – वेश्या करने वाली | और न जाने कई प्रकार के गाली छत्तीसगढ़ में दी जाती है ।