Top 3 Chhattisgarhi Kahani डोकरी अउ डोकरा | छत्तीसगढ़ी कहानी

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संगवारी आप सभी के स्वागत हे हमर ब्लॉग Chhattisgarhi Kahani डोकरी अउ डोकरा में आज हम आपकी फिर से एक नई कहानी छत्तीसगढ़ी कहानी- डोकरी अउ डोकरा (chhattisgarhi kahani dokri au dokra) के कहानी बताने वाले है । जैसे की आप सभी लोगो को पता है की हमारी छत्तीसगढ़ में हजारो की संख्या में chhattisgarhi kahani है लेकिन धीरे धीरे आधुनिक और मोबाइल के युग होने के कारण से  ये सभी कहानिया लुप्त होते चले जा रहे है । 

बच्चे आज के समय में मोबाइल में अपने सारे काम काज कर रहे है उन्हें अपने दादा दादी के पास में chhattisgarhi kahani सुनने का मौका नहीं मिलता है लेकिन दोस्तों हम आज की इस पोस्ट के माध्यम से छत्तीसगढ़ी कहानी- डोकरी अउ डोकरा (chhattisgarhi kahani dokri au dokra) के कहानी को फिर से नए युग के ,

नए दौर के नए समाज के बिच में लेकर के आये है जो उम्मीद करते है की यह (chhattisgarhi kahani dokri au dokra) छत्तीसगढ़ कहानी आपको जरूर पसंद आएगा . तो चलिए दोस्तों बिना किसी देरी के इस chhattisgarhi kahani को सुरु करते है । 

1 . छत्तीसगढ़ी कहानी- डोकरी अउ डोकरा

एक गांव में एक जहां डोकरी अउ डोकरा रथे । वो डोकरी अउ डोकरा के एको झन लइका नई रहए । फेर बूड़त काल में भगवन हा दया करथे । तब डोकरी हा गरु पांव हो जथे । 

एक दिन डोकरी हा डोकरा ला कथे – मोला करू खाये के शौक लगत हे . कंहू ले करेला ले आतेश बना के खा लेतेंव ।

डोकरा हा बखरी में जाथे अउ जम्मो बखरी म करू करेला नई मिले । डोकरा हा घरो घर जाक के बारी बारी ला घुमत रथे ओला करू करेला नई मिलय ।

डोकरा हा उदास हो के लौटत रथे तब ओला राजा के बखरी में करू करेला देख लेथे ।

डोकरा हा राजा के बखरी म जाथे अउ करेला तोडत रथे तब राजा के नौकर चाकर मन हा ओला देख डारथे अउ ओला करेला ला तोडत पकड़ लेथे अउ राजा के द्वार में ओला पेश करथे ।

दरबार म राजा बैठे रथे – नौकर मन हा राजा ला बताथे की ये आदमी हा बखरी के करेला ला तोडत रिहिस हे .

राजा पूछते डोकरा ला तेहा करेला ला कबर तोडत रहे .

राजा के बात ला सुन के डोकरा हा कथे – मोर डोकरी हा गरु पाव हे , ओला करेला खाये के मन लागिस ता मोला मंगाए हे ता महा करेला खोजत खोजत आपके महल कोती आ गेव . अउ महल के बखरी में करेला दिखिस ता मेहा करेला तोडत रेहेव मोला क्षमा कर देव .

ता राजा डोकरा ला कथे – ता सुन ता तुम्हार घर लड़की होही ता ओकर बिहाव हा हमर घर म होही ।

राजा के बात ला सुन के डोकरा डर के मारे कुछु बोलत नई रहाए ।

लेकिन राजा हा ओला कथे अगर तुमन हा न कहो ता तुमन ला बंदी बनाये जहि , तोला कैद खाना म डलवा दिए जहि ।

डोकरा हा डर के मरे जुबान दे के आ जाथे की मोर यंहा लड़की होही मई हा आपके घर में बिहाहु ।

9 महीना के बाद म डोकरी ला दू झन जुड़वाँ लइका हो जथे । एक झन लड़की अउ एक झन लड़का ।

जुबान के मुताबिक लड़की ला राजा हा अपन महल ले जथे ।

अउ डोकरी हा बेटी के याद में , बेटी के दुःख के वियोग में डोकरी हा मर जथे ।

डोकरा हा घलो खुश दिन में सागर के तीर म जाथे अउ सागर के तीर जाके मर जाथे ।

लड़का बेचारा हा नादान का करे , सहारा  देवइया कोन्हो नई रहाए । लड़का हा गीत गात-गात , भीख मांग-मांग के अपन जिंदगी ला चलावत रहिथे । अइसने करत करत बीते दिन ।

एक दिन महल के तीर मा गीत ला गात गात भीख ला मांगत रहे
दाई हा मरगे घर में कुरिया , ददा सागर पारे
बहिनी ला लगे वहसि राजा , घे कुलवंतिन घे  ।

लड़का के गीत ला लड़का के बहनी  हा हवेली ले सुन लेथे ।

लड़की हा अपन नौकर ला कथे कोण हा अतका दुःख भरे गीत गात है  , भीख मांगगत हे ओला बुलाके मोर पास लाओ   .

नौकर मन हा लड़का ला हवेली मा लाथे । अउ लड़का बेचारा यही गीत ला गावत गावत महल के तीर मा आथे ।
दाई हा मरगे घर में कुरिया , ददा सागर पारे
बहिनी ला लगे वहसि राजा , घे कुलवंतिन घे ||

लड़की पर्दा के तीर में आवाज ला सुन के अपन भाई ला देख लेथे ।

दोनों भाई बहिनी हा एक दूसर ला देख के खूब रोते ।

ताहन लड़की हा अपन पति राजा ला कथे – ओला अपने हवेली मा रख लेतेंव ।

राजा हा अपन पत्नी के बात ला मान के लड़की के भाई ला महल में रहे के आदेश दे देते अउ दोनो बहिनी अउ भाई हा महल में धन लष्मी के रूप में रहे ला लगथे ।


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2 . Chhattisgarhi Kahani डोकरी अउ डोकरा (बेमानी के मॉल पानी में)

एक गांव में एक झन डोकरी रथे अउ एक जहां डोकरा रथे । डोकरी अउ डोकरा मन हा एक ठन दूध देवइया गाय रखे रथे जेकर डोकरा हा रोज के दूध ला बेचे बार सहर में ले जाए ।

डोकरा के डोकरी हा बहुत ही ज्यादा चतुर रथे ओहा रोज के दूध मा पानी मिला के देथे ।

डोकरा हा रोज के सूबे के समय दूध ला धर के जाथे । एक दिन के बात हरे एक दिन डोकरा हा दूध ला बेचे बार जात रथे ता डोकरी हा डोकरा ला कथे – ये डोकरा ये दूध में जतका पानी डारे हो ते पानी के पैसा ला मोला ला के देबे .

डोकरा बेचारा हा डोकरी के डर मा दूध ला बेच के आथे अउ जतका पानी के पैसा रथे तेला डोकरी ला दे देथे ।

डोकरी अउ डोकरा के ऐसे करइ करइ मा बहुत दिन हो जथे .

ऐसे करत करत डोकरी हा पानी के पैसा ला जोर के 200 रुपया कर लेथे ।

डोकरी के पास में जब 200 रुपया हो जथे ता डोकरी हा साँस नई रोक सके अउ डोकरा करा जा के डोकरा ला परेशान करे ला लगथे की डोकरा मोर बर फूली ले दे , डोकरा मोर बर फूली ले दे कहिके डोकरी हा डोकरा ला कहिथे .

डोकरा का डोकरी के डर ले डोकरा हा एक दिन बाजार ले फूली लेके नान देथे ।

डोकरी ला डोकरा के लाय फूली ला लोगन ला देखाय बर दिनभर ये गांव में घुमते रथे .

एक दिन डोकरा के मन में ख्याल आथे की ओला तीर्थ स्थान में खुम के आना चाही करके डोकरी ला अपन मन के बात ला बताथे ता डोकरी ला डोकरा के मन के बात ला सुन के कथे महू जानहु कर के ।

डोकरा बेचारा हा का करे डोकरी के डर के मारे डोकरा हा डोकरी ला अपन साथ में तीरथ घुमाये भर लेग जथे ।

डोकरी अउ डोकरा हा धीरे धीरे करत , उठत बैठत तीर्थ स्थान में पहुंच जथे ।

डोकरा हा तीर्थ स्थान में पहुंचे के पहली भगवन के दरसन करे से पहली पास में एक ठन तरिया रथे तिन्हा नहाथे । डोकरा के नहाये के बाद में डोकरी हा घलो तरिया में नहाहू कंही के तरिया में जाथे ।

डोकरी जैसे ही तरिया में नहाये बर बढ़ते वइसनेच तरिया के मछरी हा डोकरी के फूली ला देखते चम् चम् चमकत ता डोकरी के फूली ला अउ डोकरी के नाक ला चोचन के एक साथ ले जथे ।

डोकरा हा डोकरी के नाक ला दखते ता डोकरा का डोकरी ला कथे – देखे डोकरी पानी के माल पानी मा , तोर नाक हा गए बेमानी मा ।।


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3 . Chhattisgarhi Kahani डोकरी अउ डोकरा ( बिलइ अउ डोकरी ) 

Chhattisgarhi Kahani डोकरी अउ डोकरा
Chhattisgarhi Kahani डोकरी अउ डोकरा

एक ठन छोटे से गांव में एक झन डोकरी अउ डोकरा रथे । जूनो झन हा बड़े हसी ख़ुशी के साथ में गुजर बसर करत रथे ।

एक दिन डोकरा के मन में मछरी खाये के मन होथे । डोकरा हा डोकरी ला कथे – ये डोकरी चल न तरिया कर के दोबरा में मछरी पेले जा जाबो .

डोकरी हा डोकरा के बात ला नई काट सकिस काबर की डोकरी हा मछरी के बढ़ ललचहीन रहए .

डोकरी अउ डोकरा हा मच्छरदानी अउ दू ठन बाल्टी ला धर के तरिया के तीर के डोबरा में मछरी छींटे ला चल देथे ।

दुनो झन हा मिल के बड़े जान डोबरा site  के शुरू करथे । जब डोकरा हा थक जाये ता डोकरी हा सीते । अउ जब डोकरी हा थक जाये ता डोकरा हा सीते ।

दुनो झन हा बड़े जान डोबरा ला थक हार के डोबरा ला सीत डरते । अउ दू तीन किलो मछरी ला पकड़ डालथे .

दुनो झन ला सूबे के गए गए माझनिया हो जथे ।

डोकरा अउ डोकरी हा मछरी ला लान के , धो धुवा के खाना बनाये के चालू करथे ।

डोकरा के पेट मा चूहा कुदत रथे ता डोकरी ला कथे – ये डोकरी जल्दी बनाबे खाना ला मोर जोर के भूख लगत हे । ते ऐसे कर जल्दी से खाना ला बनाबे मेहा थोड़ा से नींद मार लेथो ।

ऐसे कहिके डोकरा का कुरिया में चले जथे सुते बर ।

डोकरी हा डोकरा ला भूख लगे हे कहिके जल्दी जल्दी ले आगि ला बारथे । कुछ देर मा मछरी के साग हा चूर जथे ।

डोकरी हा मछरी के साग हा कैसे लगे हे कहिके देखे बर मछरी के एक फर ला निकाल के खा के देखथे । डोकरी ला साग में नमक हा कम लगथे ता डोकरी हा ओमे नमक ला डारथे ।

अउ फिर ले एक ठन फोरि ला निकाल के चख के देखथे ता दूसर बर भी ओला नमक कम लगथे । ओकर बाद भी ओला नमक कम लगथे ता डोकरी हा नमक अउ डारथे ।

ऐसे करत करत डोकरी हा कढ़ई के सब्बो साग ला खा डरथे । डोकरी हा डोकरा के डर ले सबो साग उरग गे कहिके बढ़ चिंता में पड़ जथे ।

डोकरी ला जल्दी जल्दी अउ डोकरा के डर के मारे कोन्हो उपाय नई सूझत रहए ता डोकरी हा डोकरा ला नई जाने कहिके अपन कुला के मास ला साग बनाथे ।

डोकरी हा जब अपन कुला के मास ला काटत रथे ता एक ठन बिलइ हा सपट के देखत रथे ।

डोकरी हा जब खाना ला बना डरथे अउ डोकरा ला खाना देथे ता बिलइ हा सपट के देखत रथे ।

डोकरा हा जब एक कौरा ला खाये बर अपन मुहु करा लगे ता बिलइ हा गाना गाये – डोकरी के कुला के मॉस ला डोकरा खावत हे न जी ।

डोकरी हा बिलइ के गाना ला सुन के जोर से भगा दे ।

फेर डोकरा हा जब दूसर कौरा जब अपन मुहु में ले जाए बर करथे ता बिलइ हा फिर ले गाना गाते – डोकरी के कुला के मास ला डोकरा खावत के जी ,, डोकरी के कुला के मास ला डोकरा खात हे जी ।

डोकरी हा फेर बिलइ जोर से कुदाते ।

अइसने करत करत डोकरा हा जब जब कौरा ला लगे ता बिलइ हा वइसनेच गाना ला गाये ।

डोकरा हा बिलइ के गाना ला सुन के डोकरी ला पूछते – की डोकरी का ये सही हरे तेहा अपन कुला के मास ला मोला खवात हस ।

डोकरी हा डोकरा के डर के मारे डोकरा ला सबो बात ला बता देथे ।

डोकरा हा डोकरी के बात ला सुन के दंग रही जथे अउ डोकरी ला कूट कूट ले मारथे ।


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ये रही दोस्तों हमारी Chhattisgarhi Kahani डोकरी अउ डोकरा की टॉप 3 कहानियो जो छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोककथा  के रूप में प्रचलित है । आज भी जन मानस इन सभी छत्तीसगढ़ी कहानी डोकरी अउ डोकरा को सुनते आ रहे है ।

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