हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी लोगन के हमर chhattisgarhi kahani के प्रसंग में हम आपमन बार भर लेकर के आ जहां छत्तीसगढ़ी के माया दुलार , cg kahani ला आप सभी जहां के समक्ष लेकर के आये हो ।
पहली के बेरा मा संगवारी हो हमर घर मन में हमन हा अपने दादा दादी के साथ में बैठ कर के सुना करते थे लेकिन समय के परिवर्तन के साथ में इंटरनेट के जमाना के बाद से ये chhattisgarhi kahani के परम्परा , छत्तीसगढ़ी कहानी के परम्परा भी काम होने लगा ।
छत्तीसगढ़ी कहानिया
अब बच्चे अपने दादा दे के पास में न जाकर के इंटरनेट से cg kahani , chhattisgarhi kahani , सर्च कर के देख लिया जाता है । और आज यदि इंटरनेट में छत्तिसगरी कहानी भी बहुत ही कम देखने को मिलता है । यदि आप देखते है तो कुछ जी जगह में आपको छत्तीसगढ़ी कहानी किसा भी आपको बहोत ही कम मिलेगा ।
तो दोस्तों हम आपके लिए लेकर के फिर से हाजिर हो गए है chhattisgarhi kahani, cg kahani , जो आपको अपने छतीशगढ के साथ में जोड़ने का काम करेगा । ये chhattisgarhi kahani likha huaa जो आपकी मातृभाषा से जोड़ने का कम करेगी साथ ही chhatisgarh के lok katha , lok panvani , chhattisgarh nach parti छत्तीसगढ़ी नाचा,chhattisgarhi nacha party ,इन सभी परम्परा को बनाए रखेगा । दोस्तों ज्यादा देरी न करते हुए हम आपको ले चलते है cg kahani की ऒर
1 . सेठ जी अउ मिट्टू (Cg Kahani)
पहली कहानी chhattisgarhi kahani जय जोहर संगवारी हो बात हरे एक ठन गांव के जिन्हे रहए एक जहां सेठ । सेठ हा धार्मिक किस्म के आदमी तो नई राहय । फेर ओहा भगवान के पूजा करे बर रोज के मंदिर जाये ।
जैसे रोज के सुबह होय त सूत उठ के ओहा नाहा धो के बढ़िया मंदिर माँ पूजा पाठ करे बर जाये । अउ दिन के बांकी समय में वोहा साधु संत , सत्संग में बिताये ।
सेठ के घर में एक ठन रथे मिट्ठू । जे बेर सेठ हा मंदिर जाये ।
मिट्ठू हा सेठ ला कहाय – त मंदिर जाबे ता साधु महात्मा ले मोर एक ठन सवाल ला जरूर पूछबे की मोला आजादी कब मिलहि ।
सेठ हा घर ले पूजा करे ला निकलत राहय त ओतके समय मिट्ठू हा सेठ ला कहाय ।
फेर सेठ हा मिट्ठू के सवाल ला कभू नई पूछे । मिट्ठू के बात ला सुन के ओहा अनसुना कर दे ।
अइसने करत करत कई दिन बीत जथे । तभो ले सेठ हा मिट्ठू के बात ला नई कहाय ।
एक दिन के बात हरे सेठ के मन में का चलत रथे की ओहा मन में गुनत रथे आज ओहा मिट्ठू के बात ला पुचुहु कहिके सोचे लगथे ।
जिसने सेठ हा सोचत रथे ओइसनेच ओकर घर में महात्मा आ जाथे ।
सेठ हा महात्मा के आशीर्वाद ले के बैठ जथे अउ बढ़ टेम ले दोनों झन मन बढ़ टेम ले बात करते अउ अपन मिट्ठू के प्रश्न ला पूछते ।
सेठ हा कथे हे महात्मा मोर मिट्ठू हा मोला एक ही सवाल पूछते की जब भी तेहा कोन्हो महत्मा के पास में जाबे ता मोर एक ही सवाल ला पूछ लेबे कथे ।
मिट्ठू के ये सब बात ला महात्मा ला बताते – अंत में मिट्ठू के सवाल ला पूछते हे महात्मा हा मिट्ठू के प्रश्न ला सुन के वही बेहोश हो जथे ।
सेठ हा महात्मा ला बेहोश होक देख के बहुत ज्यादा परेशान हो जथे । ओला ये हालत में देख के डर लगे ला लग जथे फेर हिम्मत कर के महात्मा ठीक करते .
ओखर बाद में सेठ हा घर में आथे – अउ मिट्टू ऊपर बढ़ नाराज हो जथे ।
सेठ हा मिट्ठू करा जाके कथे – तेहा बढ़ टोनहा अउ एकदम ख़राब मिट्टू हरस । तोर सवाल ला जब मै जब महात्मा ला पुछव ता ओहा अपन सुध बुध ला खो के बेहोश हो गए ।
गुस्सा गुस्सा मा सेठ ला मिट्ठू ला कथे अब में हा तोर कोन्हो प्रश्न ला नई पूछो । अइसने कही के सेठ हा सुते बर चल देथे ।
मिट्ठू हा सेठ के बात ला सुन के बेचारा हा कुछु नई कहाय ।
सूबे कनक बिहनिया मा सेठ आ अपन अंगना मा आथे त सेठ हा के देखते की मिट्ठू हा तो मर गेहे ।
सेठ ला बढ़ दुःख होथें ।
सेठ हा मिट्ठू ला मरे देख के रोवन लगथे । ओकर आँखि ले आँशु निकलें लगथे ।
सेठ हा रोवत रोवत मिट्ठू के पिंजरा ला धर के बाहर निकलते ।
घर के बहरी में ले जा के मिट्ठू के पिकंजड़ा खोल देथे ।
जिसने मिट्ठू हा पिंजरा खुले देखते ठीक वइसने ही मिट्ठू ला पिंजरा दोनों ढेना न फरियात उड़ जथे ।
फेर ओ सेठ हा महात्मा करा जाथे । महात्मा ला अपन सबो बात ला बताते ।
की गुरूजी की मोर मिट्ठू ला तो बढ़ चालू निकलिस । बिहनिया जब में ओला देखेव ता लगिस की ओहा मर गए हे अउ जैसे ही ओला पिंजड़ा ले बाहिर निकालेव तो ओहा तो उड़िया गे ।
सेठ के बात सुन के महात्मा हा मन ही मन बढ़ मुस्काथे अउ सेठ ला कथे ते अभी भी मोर इशारा ला नई समझेस फेर तोर मिट्ठू ला समझगे .
महा ओला बेहोश होय के नाटक करे बर बाले रेहेव ताकि ओहा आजाद हो सके .
तेहा रोज मंदिर मा मोर जगह आके ज्ञान के बात ला सुनस फेर तेहा ओला अपन जिनगी में कभू धारण नई करेश । फेर तोर मिट्ठू ला मात्र मोर एक ठन इशारा ला ही समझ गे ।
संगी हो कहानी के सार सोझे हे की हमर गुरु या जोन भी हमर ले बड़े व्यक्ति जो हमन ला ज्ञान के बात ला बताथे । जोन कुछु भी हमन ला अच्छा शिखाते ओला ध्यान से सुन्ना चाहिए । अउ अपन जिनगी मा अपनाना चाहिए ।
ज्ञान ही एक ठन ऐसे चीज हरे जेखर कोन्हो मोल नई होवय फेर ये फकत के चीज मा आमपन बहुत तरक्की कर सकथव , अउ अपन जिनगी मा सफल बन सकथव ।
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2 . डोकरा अउ डोकरी (Cg Kahani)
दूसरी kahani chhattisgarhi kahani -एक समय के बात हरे एक छोटे से गांव में एक झन डोकरी अउ एक झन डोकरा राहय । डोकरी अउ डोकरा बाद खुश रथे । दोनों है एक दूसर ले बढ़ मया करते ।
उकर घर में एक ठन गाय राहय ते है नवा बछरू ला जन्मे रहए । जेकर दूध है बहुत ज्यादा हो जाय तेला डोकरी अउ डोकरा दोनों झन हा नई खान सके था ज्यादा दूध हो जाये ता दोहरा हा ओ दूध ला बेचे ला ले जाये ।
डोकरी हा बढ़ होशियार राहय , चतुर राहय ।
जब भी डोकरा हा गाय के दूध ला बेचे ला जाये तब तब डोकरी हा दूध के टिपिन मा पहले ले पानी ला मिला दे रहए ।
अउ जब भी डोकरा हा दूध ला बेचे ला जातिस ता डोकरी हा कथे – ये डोकरा में हा ये दूध में पानी मिलाय हाव मोला पानी के पैसा ला देबे ।
ता डोकरा डोकरी के डर में दूध ला बेच के आथे अउ पानी के पैसा ला जैतिक बैठे तेला डोकरी ला दे देते ।
अउ अइसने अइसने करत करत बहुत दिन हो जथे ।
डोकरा हा दूध बेच के आये अउ डोकरी ला पानी के पैसा ला डोकरी ला दे देते ।
अइसने करत करत डोकरी करा दू सव (200 rupye) जोड़ लेथे ।
डोकरी करा 200 रुपया होथे ता डोकरी हा कथे डोकरा मोर बार फुल्ली ले देना डोकरा , मोर बार खिनवा ले दे न डोकरा ।
डोकरा हा ओकर बर डर के मरे फूली , खिनवा ले देथे ।
डोकरी हा फूली ला पहिन के बढ़ दूसर मन दिखाए बर येति oti सबो ढहान मतमताय बर लगिस ।
अउ डोकरा हा सोचन लागथे की ओला अब तीरथ जाना चाही ये मन में गुनत रथे ।
एक दिन डोकरा हा अपन मन के बात ला डोकरी करा बता देथे । ता डोकरी हा घलो जाहु कहिके परेशान करे लगिस डोकरा ला ।
डोकरा हा घलो काय करे डर के मारे डोकरी ला धर के लेग जथे ।
अउ जैसे ही डोकरा हा तीरथ स्थान में पहुंचते ।
ता आप सभी मन ला पता होही की जब भी कोई तीरथ स्थान में जाथन ता भगवान के दर्शन करे बर नहाय के जरुरत पढ़ते ।
ता डोकरा हा गलो तरिया में नहाय लगथे ।
डोकरी हा डोकरा ला नहात देख के वहु हा नहाय बर बइठ जथे ।
अब डोकरी अउ डोकरा हा दोनों एक साथ तरिया के पथरा में बइठ के नहात रथे ।
जैसे दोनों झन हा तरिया के पचरी में बइठे के नहात रथे ठीक ओतकी समय एक ठन मछली हा आथे ।
मछली के नजर हा डोकरी के फूली मा पड़ जथे ।
डोकरी के फूली हा बढ़ चमकत राहय , चमचम दिखत राहय ।
डोकरी हा जब तरिया में बूड़े बर जाथे ता मछरी हा डोकरी के फूली ला अउ ओकर नाक ला चोचन के ले जथे ।
डोकरी हा बढ़ जोर के आवाज से चिल्लाते अउ अपन नाक ला धर लेथे । अउ जल्दी जल्दी तरिया ले निकल जथे ।
ओकर बाद में डोकरा हा डोकरी के मुहु ला देकते ता डोकरा हा बढ़ चम्भित हो जथे । डोकरा हा देखते की डोकरी के नाक ले खून निकलथ हे अउ फूली हा घला नहीं हे ।
देख बढ़ हसन लगते ।
डोकरा हा डोकरी ला कथे देख ओ डोकरी पानी के मॉल गए पानी मा अउ तोर नाक गए बेमानी मा ।
संगवारी हो ये कहानी के सार हरे की बेईमानी से कमाया गया धन पानी के सामान होता है और वह धन हमारे पास में कभी ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता । इसलिए दोस्तों ईमानदारी के साथ में कम कमाय लेकिन अचछा जिंदगी के साथ , सुखी जिंदगी के साथ जी जिंदगी जीये .
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3 . दू ठन पथरा(Cg Kahani)
तीसरा कहानी chhattisgarhi kahani – एक बार के बात हरे एक ठन नदिया है भरी ऊंच ले खाल्हे मा पहुँचथे . jaise वोहा उप्पर ले खाल्हे में पहुँचथे ता ओकर तीर मा बहुत अकन पथरा रथे ।
वो सबो पथरा में दू ठन पथरा हा ऐसे रथे जेमा बढ़ गहरा दोस्ती रथे ।
ओमे से एकठन पथरा हा गोल चिक्कन अउ दिखे मा बढ़ बढ़ सुग्घर रहए । फेर जोन दूसर पथरा रथे वो पथरा थोरकिन दरदरहा असन अउ दिखे मा बढ़ अलकरहा रथे , वो पथरा के कोन्हो रूप , कोन्हो आकृति नई रहय ओखर ।
एक दिन वो दू पथरा मन हा गोठियात बतरात रथे ता दरदरहा पथरा हा चिकना पथरा ला कथे मोला तोर ले एकठन बात बोलना रिहिस ।
एमा चिक्कन पथरा हा कथे बिलकुल बोल मित्र ।
डा दरदरहा पथरा हा कथे – में अउ ते दुनो जहां ये नदिया के ऊपर ले बोहात आये हन फेर तेहै अतीक गोल मटोल चिक्कन अउ बढ़ सुघर दिखथस । मेहा तोर आसान कबर नई दिखव ।
अब चिक्कन पथरा हा कथे यकीं मनो संगी हो वो पथरा हा जिनगी के सार समझा देते ।
चिक्कन पथरा हा कथे – देख मित्र में बहुत पहिली में महू हा तोरेच असन रहे हो बिल्कुल दरदरहा , दिखे मा बर अलकरहा , न मोर कान्हो रंग रिहिस ने , न मोर कोन्हो रूप रिहिस हे । ओखर बावजूद मेहा निरंतर बढ़ कोशिश करेव , अप्पन जिनगी मा बढ़ मेहनत करेव । कई बछर ले मेहा नदिया के तेज बहाव हा सही हव । हवा दर्रा , तूफान अउ नदिया के बहाव मोला कई घाव ले काटे हे ।
तब जाके मेहा कटत-पीटत अउ घिशात अतीक चिक्कन बने हव । अउ अतीक सुघर रूप मोला ओखर बढ़ में मिले हे ।
चिक्कन वाले पथरा हा कथे ते अपन रूप ले परेशान झन हो पूरा जिनगी भर संघर्ष कर । बिपत्ति अउ संकट के सामना ला कर । तेहा संघर्ष नई करबे ता तेहा अइसनेच रही जबे ।
पहली मोला ताको लागे रहिस ता चाहतेव ता मेहा महू हा संघर्ष नई करतेव आराम से एकठन नदिया के कोंटा मा रातेव । पर में हा हर कठिनाई के सामना करना बने समझेव अउ देख आज मई तोर आगू हव ।
संगी हो ये छोटे से कहानी हा हमर जिनगी के बहुत बड़े बात ला बता हे । संगी हो संघर्ष में अटका ताकत होते की ओहा मनखे ला बदल के रख देथे । अखेरे सेती ये कहनी में सुनकर पथरा के किरदार में कथे की जिनगी में सफलता पाना हे ता अपन कोशिश ला जारी राखहु ।
कई घाव आप मन ला लगी की आप मन के कोशिश के फल नई मिळत हे फेर एकर बाद भी अपन कोशिश ला आगे जारी राखहु । निरंतर अपन जिनगी मा अच्छा करे बर अच्छा पाए बर , अपन जिनगी ला अउ उचाई ले ले जाय बर लगातार मेहनत अउ संघर्ष करात रहु । संगवारी हो ये दुनिया मा कोई भी अइसन चीज नई हे जेमा नई पाए जा सके बल्कि ये दुइया में संगवारी हो मेहनत से हरचीज ला आसानी के साथ में पाय जा सकथे ।
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4 . पड़की अउ मोर (Cg Kahani)
चौथा कहानी chhattisgarhi kahani – झड़ी बादर के दिन रथे मोर हा अपन सुघर पंख ला बागरा के नाचत रथे । तीर मा एक ठन रुख में बैठ के पड़की हा ये सुन्दर नजारा ला बड़े ध्यान से देखत रथे ।
ये सुन्दर नजारा ला देख के पड़की हा मन में सोचथे की कान्हू मोर करा ताको अइसने सूंदर सुन्दर पंख रतिस ता मेहा एकर मन ले भी बाद सुघर दीखतेव । अइसने गुन के पड़की हा थोड़कन देर बाद
पड़की हा पहुंच जाते मोर के झुण्ड में उन्हे पढ़ी का देखथे
पड़की हा देखथे की धरती मा बढ़ अकन ले मोर के पंख हा बगरे हे । पड़की हा मोर पंख देख के बढ़ खुश हो जाते अउ सबो मोर के पंख ला उठा लेथे ।
अउ सबो मोर के पंख ला अपन पाछु के पूछी में बांध देथे । पड़की हा मोर के पंख ला लागए के बढ़ में मन ही मन बढ़ खुश हो जाते अउ मन ही मन ओहा अपन आप ला मोर असन समझन लगते .
पड़की हा मोर के पंख ला लगा के ठुमकत ठुमकत मोर के झुण्ड मा पहुंच जथे । अउ ठुमकत ठुमकत अपन सुंदरता ला दिखाए के चालू कर देथे ।
ता मोर मन हा ओला ध्यान से निहारते ता पहिचान जथे की ये तो पड़की हरे । अउ हमर टूटे पंख ला बांध के बढ़ इतरावत हे ।
येला देख के मोर मन हा पड़की ऊपर छल्ला जथे । अउ चोंचमार मार के पड़की के पंख ला नोच डारथे ।
पड़की के संगी मन ये नजारा ले दूरिया ले बैठ के देखत रथे ।
सबो मोर पंख हा निकले के बाद पड़की हा रॉट अपन संगवारी मन , संगी साथी मन करा चले जथे ।
फेर संगी मन पडली ले खूब नाराज रथे । पड़की के संगी मन हा कथे सुंघर पंछी देखे बर मात्र सुंदर पंडर पंख के जरुरत नई रहए । हर पक्छी के अपन अपन सुंदरता होते , गुन होते अउ ओखरे से ओला सब मन हा पहिचानथे ।
पड़की हा अपन संगी के बात ला सुन के समझ में आ जथे अउ अपन गलती के ओला बढ़ पछतावा होथे । अउ अपन बेजत्ती होय के बाद में ओहा ठान लेथे की अब दूसर पक्छी के सुंदरता ला नकल नई करव ।
संगी हो ये कहानी हा हमर जिनगी के बहुत बड़े सार के बात कथे कभू कभू हामान हा कोन्हो सुन्दर मनखे ले प्रभावित ओखरेच असन सुन्दर बने की कोशिश करथन . फेर संगवारी हो सुंदरता मात्र दिखे ले नई होय मनखे के गुन भी सुघर होना चाहिए .
हमर सूरत हा तो सुघर बन गए लेकिन हमर सीरत हा नई बनिस ता खुद सुंदरता के कोम्हो मतलब नई हे । हरदम हमन ला अपन आप से ही प्रभावित होना चाहिए । दूसर के सुंदरते के नक़ल करे से पड़की असन ही हल हो जथे तो संगवारी हो जो हमन ला सुंदरता मिले हे वही हमर मन बर बने हे , यही चेहरा हा बने हे ।
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5 . चिरई अउ किसान (Cg Kahani)
पांचवा कहानी chhattisgarhi kahani _ बात हरे एक ठन जंगल के । वो जंगल में रहय एक ठन चिरई जेकर बोली हा बढ़ सुन्दर अउ , गाना गातिस ता बढ़ गुरतुर .
एक घाव एक झन किसान हा यही जंगल ढहान ले नाहकत रथे . हाथ मा धरे रथे किसा मकोड़ा वाला संदूक .
चिरई हा किसान ला देख के बड़े प्यार ले पूछते – ते कोण डहर जात हस बाबा . अउ तोर ये संदूक मा का धरे हस .
किसान हा कथे मोर संदूक मा बढ़ आसान कीड़ा मकोड़ा हवे । ये मेला ले के जावत हव बाजार अउ उन्हे बेच के मेहा चिरई पंख ले आहु ।
अइसन कहिके किसान हा आघू ढहान रेंग देथे ।
जइसनेच किसान हा आगू ढहान बढ़ते वइसनेच चिरई हा कथे – टोला अगर चिरई पंख चाही ओ तो मोरो जगह तो हे मोला कीड़ा मकोड़ा ला खोजे बर बढ़ दूरिया जाना पड़ते .
चिरई हां कथे – एक काम कर सकथन ते मोर पंख ले के मोला कीड़ा मन ला दे दे । ऐसे करे से मोला कीड़ा मकोड़ा से दूरिया अउ टोला बाजार जाये के नई पढ़ही ।
किसान ला चिरई के बात हा फब जथे । अउ ओहा चिरई ला किरा मकोरा वाला संदूक ओला दे देथे ।
बदला मा चिरई हा घलोक अपन पंख ला छर्रा के किसान ला दे देथे ।
ओ दिन के बढ़ में किसान अउ चिरई के सिलसिला हा अइसने चालत रथे ।
किसान हा चिरई बर कीड़ा मकोड़ा लातिस अउ किसान ला चिरई हा अपन पंख ला छर्रा के दे देतिस .
संगी हो दिन पहाय मा जयदा बेर नई लागे ।
एक दिन ऐसे आते की चिरई के सबो पंख हा किसान ला दे में झर जथे । ओकर करा एको ठन पंख नई बचे . अब चिरई के समर्थ अटका ताको नई बचिस की ओहा उड़त उड़त जा के कीड़ा मकोड़ा ला पकड़ सके .
देखते देखत चिरई हा कमजोर पड़गे . अब ओकर बोली मा ओटिक मिठास अउ गुरतुर बोली पैन तहो नई सुनाय
अउ अंत में एक दिन ऐसे आते की चिरई हा अपन मुरकपन अउ कमजोरी के कारन मर जथे .
संगी हो ये चिरई अउ किसान के कहानी हा महार जिनगी मा तहो लागु होथे कैसे का कभू कभू हमन हा सरलता अउ आसानी के फेर मा अइसे रद्दा मा चल देथन की आगू जा के हमर ऊपर में परेशानी के पहाड़ हा टूथ जथे । यही सरलता अउ कम मेहनत के सेती ले चिरई हा अपन जान ला गवा देथे .
संगी हो ये छोटे से कहानी हा ये बताते की बिना लालच मा परे , अपन मेहनत के बल से सफलता के छोटी में आगू बढ़ना चाहिए । ताकि हमर संग मा कोन्हो भी विप्पति आ जाये ता वो विप्पति ला सही के सामना हो सके ।
संगवारी हो ये कहानी (chhattisgarhi kahani)से आपमन हा का सीखे हो अउ ये कहानी (short lok katha in hindi) हा कैसे लगिस कमेंट कर के जरूर बताव ।
संगवारी हो ये कहानी(छत्तीसगढ़ी कहानी किस्सा) ला आपमन अपन दोस्त करा । परिवार में , रिस्तेदार करा , अउ whats App group , facebook group में शेयर कर दीजिये ।
संगवारी हो आपमन के एक शेयर हा , लाइक हा , अउ कमेंट हा हम ला अच्छा चाहा कहानी (chhattisgarhi kahani) लिखे के प्रेणा देथे अउ हमला आपके लिए बढ़िया से बढ़िया कहानी (hindi lok katha) लिखे बर motivate करथे ता ।
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6 . पथरा अउ नरियर(Cg Kahani)
छटवा कहानी chhattisgarhi kahani – नरियर के रुख हा बढ़ उच्च होथे अउ देख मा बढ़ सुघर दिखथे । एक घाव के बात हरे नदिया के तीर मा एक ठन निरयर के पेड़ उगे रिहिस । वो निरयर लटलट फरे रहय ।
नरियर हा अपन सुघर फर के कारण अपन आप मा बढ़ घमंड करथे । बढ़ उच्च मा फरे होय के कारण ओला अपन में abbad गरब होथे तेहा तो गरब बन्थेज ।
अउ यही गरज में नदिया करा के एक ठन पथरा ला बढ़ निच्चट समझे बढ़ अपमानित करे वो पथरा के , अउ ओला निचा दिखाय ।
एक घाव एक झन शिल्प्कार का यही नदिया कोती ले जात रथे ता ओकर नजर हा पर जथे नरियर के पेड़ के निचे के पथरा मा जेकर नरियर के पेड़ हा मज़ाक उड़ाय ।
शिल्पकार हा ओ पथरा ला धुरिया ले देख के पास में जथे अउ अपन जातिक सामान रथे तेल बॉक्स ले निकल के वो पथरा ला ठोके पीते के चालू कर देथे ।
नरियर हा येला देख के बढ़ खुश हो जथे । अउ पथरा कथे – देख पथरा तोर का जिनगी हे नदिया भीतरी रहिके येति ओट्टी के ठोकर खास नदिया ले बहार निकलेस ता मनखे मन में गोड मा खुनदास अउ आज ये शिल्पकार हां तको टोला जगह जगह मारत हे – पीटत हे ।
अउ तेहा मुहु उतार के मर खात हस । नरियर हा अउ कथे – मोला बढ़ सरम लगत हे तोर ये जिनगी ऊपर एक घाव तो ते मोला तो देख । में हा कतिक सान से ये सुन्दर पेड़ मा फरे हो ककरो ये मज़ाल नई हे की कोई मोला मारे ।
नरियर के अत्तिक निचा दिखा के बात करे के बाद भी वो पथरा हा ओला एको भाखा कुछु नई बोले ।
देखते देखत दिन पाहत रथे । रोज शिल्पकार हा आते अउ वो पथरा ला थोक पीठ के बरोबर करत रथे ।
नरियर के कम तको जारी रथे वो हा पथरा ला निचा दिखाते ।
नरियर हा रोज के पथरा ला निचा दिखाय के कोन्हो कसर नई छोड़े ओला आपन बात बात में निचा दिखाय ।
थोड़ दिन मा ओ शिल्पकार हा टोक थोक के पथरा ले सालिक राम बना देथे । वो पथरा अब बढ़ सुन्दर दीखते ओकर रूप रंग सबो बदल जथे ।
वो शिल्पकार हा वो पथरा ला ले जा के मंदिर मा रख देथे ।
एक झन भक्त हा वो मंदिर मा पूजा करे बर आथे अउ भेट मा वो गमंडी नरियर ला सालिकराम में चढ़ा देथे ।
सालिक राम के गोड में छाडे नरियर मुड़ी ला गाडियाय निचे दहन देखत रथे । ओकर मुड़ी हा उठेच नई पाए ।
अब सालिकराम रूपी ओ पथरा हा कथे – देख नरियर भाई बढ़ पीड़ा साहिके मोला जउन जिंदगी मिलिस ओखर आघू में जम्मो मनखे मन हा नदमस्तक हे । मोला लागे हर एक ठोकर हा मोला भगवन बना दिस ।
जउन हा अपन दुःख दर्द , पीड़ा ला सहिके भी कभी अपन भाग ला नई कोशे अउ अपन करम करत रथे यही हां आदर पाते , अउ यही हां सम्मान ला पाथे । अउ जोन हा घमंड में चूर दूसर ला निचा दिखाय के कोशिश करते तेन हा जिनगी मा अतका निचे गिर जथे जे मेर ला वो हा कभू उठ नई पाय ।
सालिक राम हा खहतेच रथे की भक्त हा निरयर ला धार के जोर से दूसर पथरा में जोर के मरते की नरियर हा छरियाके 365 कुटका हो जथे ।
संगवारी हो ये कहानी के सार यही हरे की हमन घमड़ कर के अपन खुद के छवि के अपनमान करथन , अपन छवि ला खुद कम करथन । घमंड ही हरे जो हमर नाश के कारण बनथे ।
कहे भी गए हे की सफलता मिलथे जेन हा अपन सफलता मा घमंड नई करे यही हां असली में सफल होथे । घमंडी मनखे हा कतको ऊपर उठ जाये । फेर एक दिन ओहा जरूर निचे गिरते . जे मनखे हा अपन तरक्की के घमंड मा दूसर ला निचा दिखाथे । ओकर जिनगी के नास हा ये घमंडी नरियर असन होथे ।
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7 . राजा अउ तीन रानी (Cg Kahani)
सातवां कहानी chhattisgarhi kahani – एक बार की बात हरे एक छोटे से राज्य में एक राजा रहय . अउ राजा के तीन झन पत्नी रहए .
राजा हा अपन पहली पत्नी सन बढ़ मया करे । अउ अपन दूसर पत्नी ला संगी जइसे माने । जब कभू राजा ला कोन्हो परेशानी होतिष ता ओहा अपन इन्ही दुनो पत्नी मन ले सुझाव लेतिस .
राजा के तीसरा पत्नी जेन ला राजा हा तनिक भी मया नई करे फेर जोन तीसरी वाली रथे वो हा राजा ला बढ़ मया करथे । वो हा राजा ला अपन सब कुछ समझते अउ भगवन मानते ।
एक घाव राजा के तबियत हा बढ़ घराब हो जथे , हाकिम बैध मन ओकर इलाज पानी मा लग जथे और कुस समय में राजा के हालत अइसे हो जथे की राजा के बचे के सम्भावना नई रहय ।
जब राजा के इतना बीमार होय में राजा के इच्छा होथे की मोला अकेला नई मरना हे ता अब ओहा अपन पहली वाली पत्नी ला बुलाते अउ ओला कथे तेहा चल न मोर साथ में ऊपर ।
येला सुनके ओकर पहली वाली पत्नी हा कथे – आप कैसे बात करथो जी मेहा अभी ले नई मर सको , मोला अभी बहुत अकन ले जीना हे ।
राजा के पहली पत्नी के उत्तर ला सुन के राजा हा बढ़ निराश हो जथे ।
अउ ओहा अपन दूसर पत्नी ला पास में बुलाते अउ वइसनेच प्रश्न पूछते – की चल न मोर संघरा ऊपर ।
ता राजा के बात ला सुनके ओकर दूसर पत्नी भी मरे बर मन कर देथे । अउ कथे की – मेहा तो अभी जवान हव , मेहा अभी कबर मरहु , अउ मोर तो अभी पूरा उम्मर हा बांकी हे ता मेहा तोर मरे के बाद में दूसर बिहाव नई रचहु का ।
अपन दुनो पत्नी के विचार ला सुन के राजा हा मने मन बढ़ कमजोर हो जथे अउ उदास हो जथे । अउ ओहा मन बना लेथे की अब ओला अकेला ही मरना हे ।
यही सोचत रथे वोतका बेर राजा के तीसर पत्नी रथे ओहा राजा करा आथे अउ कथे – महू जन्हु आपमन के संघारा का आपमन मोला लेगहु ।
अपन तीसर पत्नी के बात ला सुन के राजा बढ़ खुश हो जथे , बढ़ गदगद हो जथे । अउ थोड़कीन देर मा ही निराश हो जथे अउ कतेह – में टोला अपन जिनगी मा एक कनिक मया नई करे हव । मेहा तोर बर कुछु करेच नई हो अउ आज तेहा मोर संग मरे बर राजी हस ।
राजा हा अपन शर्मिदा मह्सुश करन लगते अउ कथे – मेहा अपन आप ला कभू माफ़ नई कर पहु .
येमा राजा के तीसर पत्नी हा राजा ला कथे – आपमन हा भले ही मोला मया नई हव फेर में हा आपमन ले बढ़ मया करथव . मोर बर ापनमान ही सब कुछ हरो . अउ यदि आपमन नई होहु ता मोर जिए के का मतलब हे ।
राजा तीसर रानी के मुख ले ये बात ला सुन के बढ़ भाउक हो जथे अउ थुरथे ओला पोथार लेथे । कुछ देर बढ़ में दोनों झन हा अपन प्राण ला त्याग देथे ।
फिर भगवन के चमत्कार अइसे होथे की राजा ला अपन तीसर पत्नी के सेती ले ही स्वर्ग me जगह मिलथे जंहा दोनों झन के आत्मा हा संग में रथे ।
तो दोस्तों ये छोटी से कहानी में हमें बहुत कुछ बताथे जी मया के असली हक़दार वही जे आप ला पसंद करथे , जोन आप मन बर सब कुछ करे बर तैयार हो ।
अउ मया के असली हक़दार वो नोहे जेन ला आप हा पसंद करथो ।
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8 . बाप अउ बेटा(Cg Kahani)
आठवां कहानी chhattisgarhi kahani – एक के बात हेरे एक लकड़ा अउ ओखर पिता है डोंगा माँ सवार होक पानी के रद्दा ले जावत रथे । अउ दुनो जहां पानी के रद्दा ले डोंगा में बैठे के अइसन जगह में पहुंच जथे जे मेर दू ठन टापू मन है आजु बाजु म पहुंच जथे ।
लड़का के पिता जी है लड़का ला कथे अब मोला लगत हे की हम दुनो झन के अंतिम समय आ गए हे , लड़का के पिताजी अउ कथे – जातिक धुरिया ले मोर नजर है जात हे यत्तिक धुरिया ले कोई नै दिखत हे , कोन जांहि हमर मदद कौन करहि , हामान ला बचाय बार कोन आहि ।
तुरा के दादा है घबरा के कथे – लगत हे अभी अंतिम समय आ गेहे ता यही हमन है भगवन ला सुमहार लेटर कहिके अपन बेटा ला कथे ।
लड़का पिता के बात ठीक समझिस अउ दोनों झन मन है अलग अलग टापू म चल देते .
एक ठन टापू में लड़का है रथे अउ दूसर टापू म ओकर पिता हा ।
दोनों झन हा अलग अलग टापू में जाय के बाद में भगवन के विनती चालू कर देते ।
बेटा हा भगवन ला कथे – हे प्रभु ये टापू म फल फूल के बाद अकन पेड़ पौधा उग जाये . जेकर ले महा अपन भूक ला मेट सको . बेटा के बिनती ला करत के देरी रथे भगवन हा तुरंतेच ओ टापू म एक ले बाद के एक फल फूल के पेड़ फॉधा उग जथे ।
बेटा हा येला देख के मन में गुंथे ये बढ़ चमत्कार होंगे । बेटा हा लालच में आ जथे अउ लालच के मरे ओहा भगवन ला एक ठन अउ विनती कथे – की ये भगवान की हे भगवन ये जगह एक झन सुन्दर स्त्री आ जाये जेकर संग माँ रहिके अपन परिवार ला बसा सको ।
बेटा के सोचे बस के देरी रहे तुरंते एक झन सुन्दर स्त्री ओ मेर प्रकट हो गे ।
बेटा हा अउ सोचे ला लगथे वो सोचथे की मोर तो हर विनती हा सवीकार होत जथे ता मोला ये मेर ले बाहर निकले के विनती करना चाहिए ।
बेटा हा लालच में आके फिर भगवन से हाथ जोड़के विनती करन लगथे – बेटा हा विनती करते की ये जगह एक ठन बड़े से डोंगा आ जाये जेमा हमन स्वर होक ये मेर ले निकल जान ।
बेटा के भगवान ले विनती करे के देरी रिहिस तुरंतेज बड़े से नदी में डोंगा आ जथे ।
डोंगा में सवार होक वो बेटा हा अउ वो सूंदर स्त्री हा घर कोती निकलथे ।
लड़का हा जब डोगा में जात रथे ततकी समय आकाश ले गर्जन होते – गर्जन में कथे – बेटा ते तो अपन पिता जी ला भुलागेस , वो हा ओ टापू में विनती करत हे । तेहै ओला भी अपन संघरा काबर नई लेगत है ।
अकास के गर्जना ला सुने के बाद में बेटा हा कथे – ओला हमन नई लगन इहि मेर रहन दे ओला ओ हा तो येखरे लायक हरे . बेटा अउ कथे – हमन दुनो झन भगवान ले विनती करे के विचार कर रेहेन फेर भगवान हा मोर पिता के एक ठन बात ला भी नई सुनिस .
बेटा बिना सोचे ही अपन पिता के बारे में कुछ भी बोले जथे ।
बेटा कथे – शायद मोर पिता जी के मन हा पवित्र नई हे टेकर कारन से ओखर पूरा के पूरा टापू हा ओइसने हवे हे ।
लड़का बिना रुके कथे ओकर फल ओला यही मेर भोगन दो ।
बेटा हा आकाश के गर्जना ला अइसने कही के आगे बढ़त रथे । ता ऊपर ले फिर अकास वाणी कथे – का बेटा टोला पता हे की तोर पिता हा का बिनती कर रिहिस हे ।
बेटा कथे – मोला का पता ?
फिर आकाशवाणी हा कथे – टोला नई पता हे ता ध्यान से सुन तोर बाप के विनती रिहिस हे की हे भगवान मोर बेटा हा जॉन कुछ भी तोर ले मांगे टोला तै तुरते दे देबे . बस मोला अउ कुछु नई चाही .
बेटा ये बात ला सुन के हो जथे पानी पानी , ओला अपन आप में बहुत सर्मिन्दा मह्सुश होथे , ओहा अपन आप ला कोशन लगथे की काश में हा बोले के पहली कुछु सोच लेतेंव .
बेटा हा नव ला मोड़ के दूसरा टापू म ले जथे अउ जेक के अपन पिता के पैर में हाथ जोड़ के गुर जथे अउ माफ़ी मगे लगथे ।
संवरी हो ये छोटे से कहानी हमन ला ये बताथे की माँ और पिता जी का माया अपन लइका मन बर होथे ओतका मान्य काकरो अउ के मन म होना असम्भव हे । चाहे बेटा कइसनो हो फेर ओकर दाई अउ बाबू दोनों झन मन ओकर बर जउन कुछ भी करथे ओ माया हा होथे सर्वश्रेष्ठ ।
फिर दुःख के बात तो यही हरे की कई झन बेटा ये बात ला माँ बापू के गुजरे के बाद ही समझ पाथे ।
संगवारी हो दूसर सिक्सा ये देते की काकरो बारे में कुछु भी सब्द बोले से पहली का बोलना हे , कैसे टाइप के बोलना हे एकर बारे में एक घाव जरूर सोच लिहा जैसे के ये कहानी म होत हे ये कहानी में लड़का हा अपन पिता के विचार के बारे में कुछ भी बोलते लेकिन बाद में शर्मिदा होथे । तो संगवारी हो कोन्हो ला कोई भी बात बोले से पहली एक बार सोच जरूर लिहा ।
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9 . भोले बाबा अउ अज्ञानी चोर(Cg Kahani)
नौवा कहानी chhattisgarhi kahani – भगवान संकर जेला हमन है बाद प्यार से भोले नाथ कथन अब कबर की ओहा अब्बड़ के भोला भला भगवान हरे अउ भोलेनाथ है तुरते प्रसन्न घलो हो जाथे । एकरे सेती ले संकर जी के नाम परगे भोले नाथ । आप सबो मन ला असुर भस्मा सुर के कहानी chhattisgarhi kahani तो याद होही या कहारों मुहु ले तो सुने घलोक होहु .
जमा खुदे भगवान भोलेनाथ हा ओला वरदान दे रिहिस ते हा जेकर मुड़ी मा हाथ ला राखबे ओहा भसम हो जाहि । अंत मा अउ का भष्मा सुर हा तो संकर ला ही भसम करे के कोशिश करते तेमा सबकर के रक्षा करे बार भगवान बिस्नु हा सुंदरी के रूप ला धारण कर के भस्मा शुर के हाथ में अपनेच मुड़ी ला रखवा के भस्म करा देथे ।
ता भस्मासुर के कहानी के सामान ही भगवान भोले शंकर के ये सुन्दर कहानी ला अउ लेके आये हो आप मन के पास में ता चली ये कहानी के मज़ा लिहा ।
संगी हो आज के कहानी हा एक जहाँ ऐसे मनखे के बारे में हरे जेह हा रथे तो चोर फेर ओहा ऐसे गलती कर लेते जेमे भोलेनाथ हा ओला श्राप दे के जगह वरदान दे देथे ।
ता चलो कहानी ला पढथन
महाकाल के मदिर जेला उज्जैन भी कथन उन्हे रहे एक जहां चोर । ये चोर हा बढ़ गरीब अउ बढ़ दरिद्र राहय ।
जब भी ओला मौका मिले ता छोटे मोठे चोरी करे अउ अपन चोरी करके पेट ला भरे । वो चोर के न आगू कोई रिहिस न ओकर पाछू मा कोई नई रिहिस । राहय ता घर में अकेला । अउ ओला कोन्हो काम कौड़ी हा घलो नई सुहाय । तेखरे पाय के ओहा चोरी के धधा ला उठाये राहय ।
एक घाव चोरी करे के नौका नई मिलिश अउ ओहा भूखा मरे बर बजबूर होंगे । अब भूख के कारन ओहा यती ोटि किंजरे के चालू कर दिस काबर की ओला अपन पेट के भूख ला शांत करना रिहिस हे ।
ओहा भूख में एक ठन भोले नाथ के मंदिर ले नाहकथे ता वो हा देखते की मदिर के भीतरी में बड़े जान घंटा हा झूलत हे .
चोर हा घंटा ला देख के मने मन में सोचे लागथे की ये घंटा हा मोला मिल जातिस ता ओला बेच के मोर चार पांच दिन के मोर खाये के चारा हो जाहि .
फेर अभी रथे मंझनिया के बेरा . अउ अतीक समय तो मंदिर मा रथे बढ़ भीड़ .
चोर हा यही सोच के ठान लेते की ये घंटा ला महा रात के चोरहु .
अब बहा पहाथे बिहनिया ले , मंझनिया अउ मंझिया ले साँझा अउ संझा ले रात हो जाथे ।
अउ रात कुन चोर हा भोलेनाथ के मंदिर में पहुंच जथे । मंदिर मा बढ़ अंधियार , अउ कोन्हो नई दिखे ओला । घंटी हा घलो अंधियार में दिखत नई हे ।
अब चोरी करे बर अउ घंटी ला देखे बर चोर हा अपन खीसा ले दू ठान पथरा ला निकल के रगड़थे । अउ जोन पथरा ले चिंगारी निकलते ओकर ले अपन पहिरे कुरथा ला निकाल के बार देथे ।
जैसे ही गुरथा में आग लागथे तइसनेच मंदिर में बढ़ उजाला हो जथे , चोरो ढहान के अंधियारी हा भगा जथे ।
शिवपुराण के अनुसार सुनसान शिवमंदिर में रातकुन के पूजा के विशेष फल मिलथे । अउ डीप दान के तो बाद महत्व होते ।
ऐसे में ही वो चोर हा अनजाने में ही अपन कुरथा ला बार के भोले संकर के मंदिर में दीप दान कर देथे ।
अब कुरथा के उजाला में वो मंदिर के घंटा ला अमरे के प्रयास करते फेर घंटा हा तो थोरकन उच्च मा ओरमे में । ता चोर हा नई आमराय ता ओहा शिवलिंग के ऊपर में चघ जथे । जैसे ही ओहा शिवलिंग में चघथे वैसे ही ओकर हाथ हा घंटा में पहुंच जथे ।
चोर ला अटका भी नई समझ हे की ओहा न भगवान ला समझे न ही शिवलिंग ला समझे , अउ न ही ओकर पूजा अर्चना करे ।
मदिर के नजारा हा कुछ ऐसे हे की शिवलिंग में चघे हे चोर जेकर एक ठन हाथ में जलत कुरता हे अउ दूसर हाथ हा तागय हे गति ला पकडे हे ।
अब हिमालय पहाड़ में ये सब होय के बाद भगवान के ध्यान में विघन पड़थे । मा पारवती हा बोले करा तीर मा बैठे हे । बोले बाबा के ध्यान हा टूटते अउ माता पारवती ल कथे घोर आश्चर्य देखत है पारवती अभी तक तो मेहा देखे रेहेव की मनखे मन हा मोर ऊपर में जल चघाथे , बेल पान चघाथे , दूध चघाथे । फेर ये हा ऐसे कौन भक्त हरे जो खुदे ला मोर ऊपर चढ़ा दिस ।
पार्वती मैया हा सुन के अकचका जथे ।
भोले बाबा हा ये देख के तुरते मंदिर मा प्रकट हो जथे ।
चोर हा भोले बाबा ला देख के बाद घबरा जथे अउ भगवान ला देख के मंदिर के घंटा ला छोड़ के , कपडा के आगि ला छोड़ के डर के मारे जोर से भाग जथे ।
फेर भगवान ले कोन्हो व्यक्ति आजतक भागपाय हे का भोले बाबा हा ओला रोकते अउ ओकर ज्ञानता ला देख के ओला ऐसे वरदान दे देथे की ओ चोर के अंतस में ज्ञान के उजाला अउ भक्ति आ जथे ।
ज्ञान आय के बाद में वो चोर हा जोर से भगवान भोलेनाथ के चरण में गिर जथे अउ अपन चोरी के क्षमा याचना करे ला लगथे ।
फेर बोले बाबा हा तो ओला पहली ले ही माफ़ कर दे रथे ।
आगे जा के यही चोर हा अतीक जड़ साधु महात्मा बन जथे जोन हा पूरा अवंतिका पूरी मा शिवमहापुराण के कथा ला लोगन ला बताथे अउ अंत में मोक्ष ला भगवान के नाम ले प्राप्त करते ।
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10 . सच्चा प्यार(Cg Kahani)
दसवा कहानी chhattisgarhi kahani – चंदा अउ इमला दोनों सहेली मन माँ अब्बड़ के दोस्ती रथे । अउ दोनों सहेली हा कुछु न कुछु नया करे । अउ हमेशा दुनो झन मन हा मिलबैत के कोन्हो भी चीज करे अउ खाये पिए के चीज ला घलो बाट के काय । अभी दुनो झन मन हा कालेज के पढ़ाई करात रथे ।
एक घाव के बात हरे दोनों सहेली हा कालेज ले आत रथे ता ओ मन ला एक झन टोकरा बाबा हा दिखाई देते ।
बाबा के उम्र हा बढ़ हो जा रथे । ओ बाबा ला देख के दोनों सहेली मन हा गुंथे कोरर तीर में जेक ओखर हाल चल ला पूछ लेथन कहिके दोनों संगवारी मन हा कथे ।
वही गुण के दोनों झन सहेली मन हा डोकरा बाबा करा जा के बैठ जाथे ।
चंदा हा कथे बने बने हस नई बाबा एमा डोकरा हा कथे हाव बेटी में हा तो बने हो तुमन हा बताओ ।
चंदा हा कथे हमु मन हा बने बने हाँ बबा ।
थोर देर तक ओकर मन के गोठबात हा चलत रथे तभी ओकर दूसर सहेली हा पूछ परथे की बबा सच्चा प्यार सबो ला नई मिले ।
एमा आपमन का कथो – ओकर सहेली के बात ला सुन के बबा हा मुस्कुरा देते ।
अउ मुस्कुरा के कथे – बेटी तुमला कभू प्यार होय हे ।
येमा ओकर सहेली हा कथे – अब तक तो नई होय हे बबा ।
अब बबा हा दूनो झन के परीक्षा ले के सोचते अउ कथे – एमे तीर मा एक ठन फूल के बगीचा हे । उन्हे जाओ अउ जोन फूल भी तुमन ला सुन्दर लागहि ओ फूल ला थोड़ के ले आओ ।
अब दुनो सहेली बबा के बात ला मान के ओ फूल के बगीचा मा चल देते ।
अब वो मन हा बगीचा मा का देखथे । वो मन दोनों सहेली हा देखथे के की बगीचा में एक ले बढ़ के एक फूल खिले हे । दोनों सहेली हा घंटा भर ले ओ बगीचा में सुग्घर फूल ला खोजथे ।
फेर दोनों ला आदिक सुघर फूल के बिच में कुछु समझ में नई आये के कते ला तोड़न की कते ला सबब्बो फूल हा सुन्दर रहए ।...
1+ छत्तीसगढ़ी लोक कथा || chhattisgarhi lok katha
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dhanywad aapka sajesan dene ke liy aage kosis karunga