प्रेम के बारे में न जाने कितना कुछ कहा जा चूका है , प्रेम के बारे में न जाने कितना कुछ बताया जा चूका है , इसके बारे में कई बार अधयो में पढ़ाया जा चूका है लेकिन फिर भी प्रेम एक ऐसी गाथा है जो लगातार ,, सालो दर साल से चलने वाली , अनवरत धारा है जो धरा में एक सुसरे के साथ में बह रही है । जिसमे न भावो की कोई बंधन नहीं है और न ही उनकी कोई सीमा है जिसे रोका जा सके ।
आज मई ये बात इसलिए आप लोगो को बता रहा हु क्योंकि जो Chhattisgarhi Prem Kavita || छत्तीसगढ़ी प्रेम कविता जो मई आपके साथ में लेकर के आया हु वह कविता वह प्रेम के बारे में है । इन सभी कविताओं Chhattisgarhi Prem Kavita || छत्तीसगढ़ी प्रेम कविता के माधयम से चाहे मई हु चाहे आप , चाहे कोई भी जब उसकी बात होती है यानि की प्रेम की बात होती है
चाहे किसी की भी तो किस प्रकार से उनके दिल में , मन में कल्पना की सागर उबड्ती है , किस तरह से एक प्रेम अच्छा दित मन , अपने साथ में उनके याद में एक दुनिया बनने लगता है । तो वे जो प्रेम भाव है जो इन सभी कविताओं के माध्यम से आप सभी को पढ़ने वाले है ।
इनमे से Chhattisgarhi Prem Kavita || छत्तीसगढ़ी प्रेम कविता कुछ ऐसे भी कविताएं है जब प्रेमिका को मानाने के लिए कितने पापड़ बेलने पढ़ते है । उस समय जो परिस्थिया बनती है उसके बारे में भी बताया है । इसके साथ ही जब प्रेम करने वाले जब प्रेमिका को नहीं मना पाती है तब उन्हें मन में प्रेमिका के प्रति जो ख्याल मन में आता है उसके बारे में भी बताया है ।
तो चलिए दोस्तों बिना किसी देरी के इस कविता (Chhattisgarhi Prem Kavita || छत्तीसगढ़ी प्रेम कविता) को शुरू करते है ।
BEST TOP 10 Chhattisgarhi Kavita || छत्तीसगढ़ी प्रेम कविता
1 . रात के तोर सपना में (Chhattisgarhi Prem Kavita)
रात के तोर सपना में
रोज मेहा आओ
सुन मोर कविता
में तोर संगीत बन जाओ
ते हवस मिठास ता
में हवा तोर रस
में हवा ताल ता
तेहा मोर स्वर
तोर ये सुन्दर रचना ला
मेहा ले में सजाव
सुन मोर कविता
में तोर संगीत बन जाओ
रात के तोर सपना में
हर रोज मेहा आओ
तोर जीवन अधूरा हे
मोर बिना रे
सज जा सवरजा
मोर सरगम में
अउ बसहि सब के कंठ में
तोर मोर नाव
सुन मोर कविता
में तोर संगीत बन जाओ
रात के तोर सपना में
हर रोज मेहा आओ
नदी के लहरा में
पान पतेरा jharna में
गुगरु के झंकार में
चिड़िया के चहचहाट में
सबो जगह मोला पाबे
चाहे शहर हो गए गांव
सुन मोर कविता
में तोर संगीत बन जाओ
रात के तोर सपना में
हर रोज मेहा आओ
सुन मोर कविता
में तोर संगीत बन जाओ ।।।।।
2 . तोर सुरता (Chhattisgarhi Prem Kavita)
छत्तीसगढ़ के बढ़ा सुहारी
जिमि कांदा सुहाए
तोर सुरता में नींद
मोला नई आये
कांदी कचरा बन कोदैला
धान सब हरियावत हे
भले खेत के बभूरि कांटा
गड जाय त पिराये
तोर सुरता में नींद
मोला नई आये
ओरछा के पानी चुहत हे
मोर हिरदय हा चूरत हे
पाक गे मया तेकर
कथरी गई ओड खाय
तोर सुरता में नींद
मोला नई आये
मोर पीरा ला मिहि ह
बोइर गुठलू कस चुहकत हो
महुआ पानी ले पि के
गली खोर में घुमत हो
मोला छोड़ तै अपन मया ल
सबो बर बरसाय
तोर सुरता में नींद
मोला नई आये
मोंगरा फूल कस महकत रहा
जोगनी कस चमकत रहा
हमर दुवा तो सदा यही हे
तोर तीर दुःख कभू न जाए
तोर सुरता तोर सुरता में नींद
मोला नई आये
कंहा कंहा तै घुमत हस
आनी बानी के खावत हस
तोला देख बखरी के
टमाटर घलो लजाये
तोर सुरता तोर सुरता तोर सुरता में नींद
मोला नई आये
अब जा जंहा जाना हे ते
नई आवव तोर तीर में
ते हरस खट्टा भाजी
जे खाये ते पछताए
तोर सुरता तोर सुरता में नींद
मोला नई आये
तोर सुरता में रानी मोला नींद नई आये वो
तोर सुरता में रानी मोला नींद नई आये वो ।।
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TOP 20 Chhattisgarhi Kavita | छत्तीसगढ़ी कविता | CG Kavita
3 . आमा पेड़ छाव (Chhattisgarhi Prem Kavita)
छाव रे छाव
आमा पेड़ छाव
मेटे ले मिटाय नहीं
हिरदय में लिखे हे तोर नाव
कइसे कटे दिन हा
कइसे कटे रात
तोर सुरता आथे गोरी वो
भूख लगे न प्यास
अब जीना होंगे मरना
का तोला बताओ वो
छाव रे छाव
आमा पेड़ छाव
मेटे ले मिटाय नहीं
हिरदय में लिखे हे तोर नाव
हवा में उड़े लुगरा
मन ला मोर भाय
छुनुर छारन पाव के पैरी तोर सुनाये
होठ के लाली गजब मोला भये
जाव ते जाव मेहा कंहा जाओ
छाव रे छाव
आमा पेड़ छाव
मेटे ले मिटाय नहीं
हिरदय में लिखे हे तोर नाव
हसी गोरी हसी }
तोर खिलखिला के हसी
एही होंगे मोर बर
सेबल बड़े फ़ासी
मोर मया ला तड़पा के कब होबे राजी
कतिक मै चूरत हाव मै कैसे दिखाओ
छाव रे छाव
आमा पेड़ छाव
मेटे ले मिटाय नहीं
हिरदय में लिखे हे तोर नाव
कमल कस तोर काया
जोगनी कस चमके
तिहि हा बसे हस रानी
मोरे मन में
तोर बिना नई हे कहानी जीवन में
बन के आजा सजनी
मोर घर में रख के पांव
छाव रे छाव
आमा पेड़ छाव
मेटे ले मिटाय नहीं
हिरदय में लिखे हे तोर नाव ।। ।।
4 . मन ला बहा के (छत्तीसगढ़ी प्रेम कविता)
मन ला बन ला बना के
तन ला सजा के
चल मया ला बढाबो
ते आबे गोरी नदिया कछार
दुनो झन करमा ला गाबो
सुन्दर तोर काया में लाली रंग लुगरा
लम्बा लम्बा बेनी में मोंगरा के गजरा
मंदार के धिनिक धानक ताल में
कनिहा ला मटकाबो
ते आबे गोरी नदिया कछार
दुनो झन करमा ला गाबो
मन ला बन ला बना के
तन ला सजा के
चल मया ला बढाबो
लहरा के बहत हैवे नदी के धार हा
गवाह हमर प्रीत के खेत खार हा
चल सपना के कुटिया ला बनाबो
ते आबे गोरी नदिया कछार
दुनो झन करमा ला गाबो
मन ला बन ला बना के
तन ला सजा के
चल मया ला बढाबो
छूनर छानर बाजे तोर पावे के पैरी
हवा में लहराही मोर माथ के कलगी
मटकावत कनिहा ला दुनो झन गाबो
ते आबे गोरी नदिया कछार
दुनो झन करमा ला गाबो
मोर मन में का हे तोला मई सुनहु
तोर मन में का हे मोला तै सुनाबे
हमर प्रेम कहानी ला दुनिया ला दिखाबो
ते आबे गोरी नदिया कछार
दुनो झन करमा ला गाबो
मन ला बन ला बना के
तन ला सजा के
चल मया ला बढाबो
ते आबे गोरी नदिया कछार
दुनो झन करमा ला गाबो ।।
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टॉप 20 CG Kavita | Chhattisgarhi Kavita | छत्तीसगढ़ी कविता
5 . उपहास (Chhattisgarhi Prem Kavita)
हटरी अउ बाजार में
कर्जा अउ उधार में
अउ जम्मो पैसा खस ले उरग जथे
ये दुनिया संसार में
kot कचहरी अउ अस्पताल में
अउ जम्मो पैसा खस ले उरग जथे
ये दुनिया संसार में
भटभटि अउ कार में
तुरा तुरी के प्यार में
अउ जम्मो पैसा खस ले उरग जथे
ये दुनिया संसार में
दारु भट्टी अउ बवाल में
जन्म दिन अउ बार में
अउ जम्मो पैसा खस ले उरग जथे
ये दुनिया संसार में
श्रीमती अउ ससरल में
शर्त लगाई कोई सवाल में
अउ जम्मो पैसा खस ले उरग जथे
ये दुनिया संसार में
स्कूली शिक्षा अउ बेरोजगारी के अपार में
फैसन के चककर में
मोबाइल अउ इंटरनेट के जाल में
अउ जम्मो पैसा खस ले उरग जथे
ये दुनिया संसार में ।।
6 . अनकहा पहला प्यार (Chhattisgarhi Prem Kavita)
कितने बाते होते है कहने को
लेकिन कंहा हम हर बार कह पाते है
और उन सभी बातो में एक बात होती है
पहला पहला प्यार के
जो अक्सर अनकही रह जाती है
वो अनकहा पहला प्यार
छिपा रह जाता है कंही दिल में
जैसे कोई सूखा गुलाब
दबा रह जाता है
किसी पसंदीदा पुराणी किताब में
फिर कंही यु ही टटोलते
पन्नो को पलटते
निगाह थम जाती है उस सूखे गुलाब पर
और उंगलिया आप ही सरकने लगती है
उस बेजान पर
मनो ढूंढती हो
शायद कुछ जान बांकी हो
जो कभी बरसी थी
वो बरसात आज भी बांकी हो
तभी एक बयार
रोम रोम छू जाती है
सपनो के घरोंदे को
जमी में उतार जाती है
वो मासूम सा पहला प्यार
जिसने सीने में
दिल की जगह बताई थी
चाहत तो था बहोत
पर जुबा कह न पाई थी
एक अफ़सोस
न कह पाने का
आँखों के किनारो को
नम कर जाता है
और बनकर हलकी सी मुस्कान
होठो पर ठहर जाता है ।
वो अनकहा पहला प्यार ।।
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7 . प्रेम (छत्तीसगढ़ी प्रेम कविता)
की इस कदर खानुष होता गया
अपने इश्क और आशिकी में
की मतलब ही भूल गया दुनिया में
मै खुद यु झिलमिलाता सा रह गया
खुद की रौशनी भूल गया दुनिया में
खजाने जब मिलने शुरू हुए
की सागर के लहरों में
मै लहरों लहरों में डूबता चला गया
मै काफिर सा बन गया
और अपनी ही घर का रास्ता भूल गया
मै इस कदर डूबता गया इश्क और आशिकी में
मुझे मालूम था की शाह रात दर्द देती है
मगर वो जो था जो मुझे डुबोता चलता गया
मह्होबत में इस कदर फानूस होता गया
अपने इश्क और आशिकी में ।।
9. नगर प्रेम का (छत्तीसगढ़ी प्रेम कविता)

यु ही बातो बातो में
जब बाते तेरी चलती है
मै शेष अकेले बचता हु
दुनिया कुछ ऐसे ढलती है
मेरे प्रेम की दुनिया में
नगर प्रेम का बस जाता है
मेरे घर से तेरे घर का
रास्ता मोड़ सवर जाता है
गली गली की प्रेम कथाये
फूलो को चूमती बलाए
शहरी हाल सुनाते गाते
एखलाती सी चलती जाए
प्रेम रंग में डूबे डूबे
मेहदी सावन बच जाता है
मेरे प्रेम की दुनिया में
नगर प्रेम का बस जाता है
किस्से कोई एक सुनाता
सुनने वाले योक हो जाते
किस्से वाला छलिया कोई
काश कभी हम भी हो जाते
यह स्वप्न सत्य न भी हो पाए
सुनकर भी प्रेमी तर जाता है
मेरे प्रेम की दुनिया में
नगर प्रेम का बस जाता है
मेरे घर से तेरे घर का
रास्ता मोड़ सवर जाता है
कोई सफलता प्रेम अपने
मीठे-मीठे स्वर जाता है
आँखों के कोरो से कोई
मीठे यदि छलक आता है
है दोनों का अपना सुख
मन कुछ ऐसे ढल जाता है
मेरे प्रेम की दुनिया में
नगर प्रेम का बस जाता है
मेरे घर से तेरे घर का
रास्ता मोड़ सवर जाता है
देखो कितनी सीतलता
कोमलता भी तरछाइ है
है हाल जब तू नहीं यंहा
बस यादे तेरी आई है
तुम आओगी तो जब सोचु मै
मन एकदम सा महक आता है
मेरा हाल बिगड़ जाता है
मेरे भीतर की दुनिया में
मेरे प्रेम की दुनिया में
नगर प्रेम का बस जाता है
मेरे घर से तेरे घर का
रास्ता मोड़ सवर जाता है
यु ही बातो बातो में
जब बाते तेरी चलती है
मेरे प्रेम की दुनिया में
नगर प्रेम का बस जाता है
मेरे घर से तेरे घर का
रास्ता मोड़ सवर जाता है ।।
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