हेलो दोस्तों स्वगत है आप सभी का हमारे इस ब्लॉग पोस्ट में इस पोस्ट में हम आपको छत्तीसगढ़ी संज्ञा के के बारे में बहुत ही सिंपल तरीके से जानकारी देने वाले है । जिसे आप पढ़कर के आसानी के साथ में सिख सकते है ।
मेरा नाम है देवा और और छत्तीसगढ़ का रहने वाला हु और मैंने छत्तीसगढ़ी संज्ञा और छत्तीसगढ़ी व्याकरण के बारे में मुझे बहुत कुछ जानकारी है इसके पहले मैंने CG PSC की तयारी भी की थी लेकिन सफल नहीं हो पाया जिसके कारण से chhattisgarhi sangya और छत्तीसगढ़ के व्याकरण के बारे में मुझे पूरा जानकारी है । आपसे इतना कह सकता हु की आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद में आप पूरी तरीके से छत्तीसगढ़ी संज्ञा के बारे में समझ जायेंगे और किसी अन्य माध्यम का सहारा नहीं लेंगे । इतना सरल तरीके से प्रस्तुत करने की में कोई कमी नहीं की है ।
किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, जाति , धर्म , भाव आदि के नाम संज्ञा कहलाते हैं। छत्तीसगढ़ में हिंदी भाषा के अनुरूप की संज्ञा शब्द का उपयोग होता है।
उदाहरण – केरा ( केला ) , आमा ( आम ) , अक्छर (अक्षर), आदा ( अदरक) , उपास (उपवास), कका ( चाचा ) , घेंच ( गर्दन ) , झोरा ( झोला ) , डबरा ( पानी का गड्ढा) , बाला ( कान का गहना ) , दाई ( मां ) नरवा ( नाला ) , माची ( छोटी खाट ) , लुगरा ( साड़ी ) , होरी ( होली )
छत्तीसगढ़ी संज्ञा (Chhattisgarhi Sangya)के प्रकार
हिंदी भाषा के अनुसार ही छत्तीसगढ़ी भाषा में संज्ञा को पांच प्रकार में बांटा जा सकता है –
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा –
• जिस शब्द से किसी एक व्यक्ति, स्थान , वस्तु आदि के नाम व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
व्यक्तियों के नाम – बुधराम, फेकन , दुकालू , विशाल
स्थानों के नाम – बेलासपुर , राईपुर , दुरुग, भेलाई , गोल बाजार , शनिचरी
दिशा के नाम – उत्ती ( पूर्व ) , बुड़ती ( पश्चिम ) , रक्सहु ( दक्षिण ) , भंडार ( उत्तर )
नंदी , पर्वतों के नाम – अरपा , शिवनाथ , मैकल , सिहावा , महानदी
त्योहारों के नाम – होरी , देवारी , हरेली
दिन , महीनों के नाम – सम्मार, बिरसपत , सनिच्चर , चइत , बइसाख
पुस्तक , पत्र , पत्रिकाएं – रमायन , नवभारत , गीता, गमकत गीत
2 . जातिवाचक संज्ञा –
• वे संज्ञा शब्द जिससे किसी एक ही प्रकार की वस्तुओं या प्राणियों का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे – बइला , रुख , मछरी , परेवा , छेरी , मुसवा , नदिया , टुरा , टुरी ।
3 . भाववाचक संज्ञा –
• जिस शब्द से व्यक्ति या वस्तु के गुणधर्म , भाव का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं ।
जैसे – सियानी , मितानी , कल्लई , पियास ।
4 . द्रव्यवाचक संज्ञा –
• जिससे द्रव्य पदार्थ का बोध हो उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं |
जैसे – धान , गेहु , तिवरा , होरा , सोन , तेल , चांउर , दार ,
5 . समूहवाचक संज्ञा –
• वे संज्ञा शब्द जिससे समूह का बोध होता है है उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे – झोत्था , बरात , कोरी (बीस का समुह ) , बरदी ( मवेशी का समुह )
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छत्तीसगढ़ी संज्ञा निर्माण

•संज्ञा शब्दों का निर्माण निम्नलिखित प्रत्यय लगाकर भी होता है –
• आ – बोल-बोलैया , गिजर – गिजरा ( हंसने वाला )
• हा – बिलासपुर-बिलासपुरिया
• ई, इया , ली , वा – लुगरा-लुगरी , ठेंकवा-ठेंकली , लोटा-लोटिया
• वाला , वाली – घरवाला , घरवाली , गाडीवाला
• हार, हारिन, हारनिन – बनि-बनिहार/बनिहारी , हाट-हटहार
• ई – जुआन-जुआनी , नदान-नदानी
• दार – जमीन-जमीनदार , जवाब-जवाबदार
• कार – गोठकार , गीतकार
• वार – रखवार , लगवार
भाववाचक संज्ञा निर्माण –
अई , आई , आस , पा , पन , प्रत्यय लगाकर विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाया जाता है
- अई, आई – चतुर – चतुराई , मुरुख – मूरुखाई
- आस , आसी – मीठ – मिठास , करु – करूआई
- पा बुढ़ा – बुढ़ाप
- पन अम्मट – अम्मटपन , बड़ा – बड़पन
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