चोरी, लूट और डकैती में क्या फर्क है? | Chori Lut Or Dakaiti Me Fark

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दोस्तों हमने कई बार अखबारों में चोरी की खबरें लूट की खबरें, यहां तक की डकैती की खबरें न्यूज़ पेपरों टीवी चैनलों और कई बार किसी व्यक्ति के मुखाग्नि से भी हम सुनते हैं कि यथा स्थान पर चोरी हुआ है , डकैती हुई है और कई सारे जीव रातों को ऑन चोरो , डकैतों ने लूट करके संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है ऐसे बात हमें सुनने को मिलता है।

लेकिन दोस्तों हमें यह नहीं पता होता है कि चोरी क्या चीज है? , लूट क्या है ? और डकैती क्या है ? हमें तो सिर्फ एक ही बात पता होता है कि उनके घर से चोरी किया और माल लूट करके ले गया (Chori Lut Or Dakaiti Me Fark)।

चोरी , लूट और डकैती में क्या फर्क है?

लेकिन दोस्तों चोरी लूट और डकैती इन तीनों की कानून के दृष्टिकोण से या अपराध तो है किंतु इनकी कानून की दृष्टि से यदि देखें तो इनके देखने का जो नजरिया है वह कुछ अलग ही है जिससे हमें इस बात से आंकलन लगा सकते हैं कि यह जोड़ी है या फिर लूट है या फिर डकैती है तो दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम इसी के बारे में

अर्थात लूट किसे कहते हैं चोरी किसे कहते हैं और डकैती किसे कहते हैं इसी के बारे में विस्तार के साथ जाने वाले हैं तो आइए दोस्तों बिना किसी जानकारी के कानून के इन तीनों अपराधों में चोरी लूट और डकैती के फर्क को आसान भाषा में समझते हैं:- 

चोरी की परिभाषा क्या है (Chori Lut Or Dakaiti Me Fark)

1. कानून की दृष्टिकोण से यदि देखे तो चोरी की परिभाषा को आईपीसी की धारा 378 ( ipc 378 in hindi ) में विस्तृत की गई है। जिसके अनुसार आईपीसी की धारा 378 ( ipc 378 in hindi ) के अनुसार जब कोई व्यक्ति या फिर लुटेरा आपके पास से कोई चल संपत्ति को आप की सहमति के बिना बेईमानी के इरादे से वहां से हट आता है तो वह चोरी कहलाता है।

उदाहरण के लिए समझिए कि अगर कोई व्यक्ति आपके घर में चुपके से घुस कर के आपकी कोई चल संपत्ति अर्थात जैसे पैसे गहने मोबाइल लैपटॉप या मोटरसाइकिल उठाकर के बिना बताए ही वह ले जाता है तो वह आईपीसी की धारा 378 ( ipc 378 in hindi )के तहत कानूनी रूप से वह चोरी कहलाता है।

2. चोरी की सजा के लिए आईपीसी की धारा 379 ( ipc 379 in hindi ) में दी गई है जिसके तहत चोरी करने वाले को 3 साल तक की सजा या जुर्माना या फिर अधिक संगीन अपराध उसमें जुड़ा हो तो सजा के साथ में जुर्माना भी हो सकता है अर्थात दोनों हो सकता है।

यदि चोरी किसी निवास स्थान में की जाती है तो इस स्थिति में आईपीसी की धारा 380 (ipc 380 in hindi) के धारा अज्ञात चोरी के विरुद्ध चोरी का इल्जाम लगाया जाता है साथ ही उस चोरी करने वाले के विरुद्ध 7 साल तक की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान 380 के तहत दिया गया है।


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लूट की परिभाषा क्या है (Chori Lut Or Dakaiti Me Fark)

कानून की दृष्टिकोण से लूट की परिभाषा को भारतीय संविधान की आईपीसी धारा 390 (ipc 390 in hindi) में दी गई है । आईपीसी धारा 390 के (ipc 390 in hindi) अनुसार इसे डकैती को चोरी से ज्यादा उग्र माना गया है . यदि चोरी का कार्य करने के लिए किसी व्यक्ति चाहे वह महिला हो या चाहे वह पुरुषों को किसी भी प्रकार या कोई चोट पहुंचाने, बंदी बनाने या उसे मृत्यु करने का प्रयत्न करता है तो इसे लूट के रूप में जाना जाता है।

यदि इसे साधारण भाषा में कहें तो यदि कोई चोरी करते वक्त किसी व्यक्ति पर हिंसा होती है तो उसे लूट की परिभाषा में गिना जाता है। उदाहरण के लिए समझिए कि यदि अगर कोई व्यक्ति आपके घर में घुसकर आपके साथ जबरदस्ती मारपीट करता है और आपकी कोई चल संपत्ति जैसे कि पैसे , गहने या मोबाइल, लैपटॉप या कोई भी घर के अन्य सामान उठाकर के बिना बताए आपको ले जाता है तो वह लूट की गिनती में आएगा ।

लूट के लिए सजा – आईपीसी की धारा 392 (ipc 392 in hindi) में दी गई है जिसके तहत लूट करने वाले व्यक्ति को 10 साल तक का कड़ा कारावास और उसे इस धारा के तहत जुर्माना भी हो सकता है यदि लूट इसी हाईवे पर किया गया है और सूर्यास्त और सूर्य उदय के बीच में की जाती है तो उस व्यक्ति को 14 साल तक का कड़ा कारावास और करवा के साथ जुर्माना हो सकता है।


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डकैती की परिभाषा (Chori Lut Or Dakaiti Me Fark)

भारतीय संविधान में डकैती की परिभाषा को आईपीसी की धारा 391(ipc 391 in hindi) में दी गई है। जिसके अनुसार जब कोई 5 या 5 से अधिक व्यक्ति मिल कर के कोई लूट करते हैं या फिर संगठन बनाकर के लूटने का प्रयास करते हैं तो वह डकैती कहलाती है। उदाहरण के लिए समझिए कि यदि कोई पांच व्यक्ति या फिर उससे अधिक व्यक्ति मिलकर के किसी के घर में घुस जाते हैं और वहां से लूटपाट करते हैं तो उसे डकैती कहते हैं।

डकैती के लिए भारतीय संविधान में सजा के रूप में आईपीसी की धारा 395 (ipc 395 in hindi) में इसका प्रावधान दी गई है जिसके अनुसार डकैती करने वाले को 10 साल तक का कड़ा कारावास या फिर उम्र कैद की सजा और जुर्माने का प्रावधान 395 धारा (ipc 395 in hindi) में सजा के रूप में दिया जाता है

गिरफ्तारी कैसे होती है

चोरी हो या लूट हो या डकैती तीनों ही एक संगीन अपराध अपराध है । मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति इनमें से कोई भी अपराध करता है तो उस अपराधी को पुलिस के द्वारा बिना किसी वारंट के उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।

यदि चोरी, लूट और डकैती तीनों ही अपराध गैर जमानती अपराध है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति इनको छुड़ाने की प्रयास करता है तो उसके लिए सर्वप्रथम कोर्ट से जमानत लेनी पड़ती है तब जाकर के उसे छुड़ाया जा सकता है ।


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कोर्ट में किसके समक्ष चलता है

1 .चोरी का केस किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष चल सकता है।
2 .लूट का केस फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के समक्ष चलता है
3 . डकैती का केस सेशन कोर्ट में चलता है।

चोरी , लूट और डकैती में क्या समझौता हो सकता है ? 

चोरी को एक समझौता वादी अपराध माना गया है जिसके अनुसार यदि कोई चोर संपत्ति के मालिक को सुलाकर के मामला को खत्म करना चाहता है और दोनों आपस में एक दूसरे से सुला हो जाते हैं तो वह मामला पुलिस के देखरेख में तुरंत ही खत्म हो सकती हैं।

जबकि लूट और डकैती को गैर मानवतावादी माना गया है जिसके कारण इन दोनों अपराधों में समझौता वादी नहीं किया जा सकता।

चोरी के सामान खरीदने पर भी सजा (Chori Lut Or Dakaiti Me Fark)

किसी से कोई वस्तु खरीद लेते वक्त जरूरी जांच पड़ताल अवश्य कर लेनी चाहिए। क्योंकि चोरी की वस्तु को लेना या अपने पास में रखना भी एक अपराध है जिसका विवरण आईपीसी की धारा 411(ipc 411 in hindi) के तहत एक डंडी अपराध माना गया है। यह एक संगीन अपराध है वह गैर जमानती अपराध है जिसके तहत जमीन खरीदने वाले को 3 साल तक की सजा या जुर्माना भी हो सकता है।।

हमारे सामने ना जाने कितने ऐसे मामले आते हैं जिनमें किसी वस्तु को खरीदने वाले व्यक्ति को पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 411 (ipc 411 in hindi) के तहत आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया जाता है क्योंकि वह वस्तु चोरी की होती है। इस प्रकार चोरी करने वाले व्यक्ति के साथ-साथ चोरी की वस्तु खरीदने वाला व्यक्ति भी आरोपी बन जाता है और उसे भी कोर्ट में जमानत लेनी पड़ती है तथा उसे कोर्ट में जा करके अपना केस लड़ना पड़ता है।

उम्मीद करते हैं दोस्तों आपको यह पोस्ट जरूर पसंद आया होगा और आप समझ गए होंगे कि चोरी ,  लूट और डकैती में क्या अंतर है ? (चोरी लूट और डकैती में फर्क) Chori Lut Or Dakaiti Me Fark और इनसे कौन-कौन से जुड़े सजा का प्रावधान है और कैसे हम जो है इस वजह से जमानत पा सकते हैं इसके बारे में यदि दोस्तों आपको यह हमारा पोस्ट अच्छा लगता है तो आप इसमें अपने दोस्तों के पास में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में शेयर कर सकती हैं।

FAQ.

 1 . चोरी में कौन सी धारा लगती है ? 
चोरी में कौन धारा आईपीसी की धारा 378 ( ipc 378 in hindi ) लगती है ।

2 . चोरी के आवश्यक तत्व क्या है ?
चोरी के आवश्यक तत्व है जब कोई व्यक्ति या फिर लुटेरा आपके पास से कोई चल संपत्ति को आप की सहमति के बिना बेईमानी के इरादे से वहां से हट आता है तो वह चोरी कहलाता है ।

3 . लूट की धारा क्या है
लूट की धारा भारतीय संविधान की आईपीसी धारा 390 (ipc 390 in hindi) है ।

4 . डकैती की धारा क्या है ?
डकैती की धारा आईपीसी की धारा 391(ipc 391 in hindi) है ।

5 . चोरी की धारा और सजा 
चोरी की सजा के लिए आईपीसी की धारा 379 ( ipc 379 in hindi ) में दी गई है जिसके तहत चोरी करने वाले को 3 साल तक की सजा या जुर्माना या फिर अधिक संगीन अपराध उसमें जुड़ा हो तो सजा के साथ में जुर्माना भी हो सकता है अर्थात दोनों हो सकता है।

यदि चोरी किसी निवास स्थान में की जाती है तो इस स्थिति में आईपीसी की धारा 380 (ipc 380 in hindi) के धारा अज्ञात चोरी के विरुद्ध चोरी का इल्जाम लगाया जाता है साथ ही उस चोरी करने वाले के विरुद्ध 7 साल तक की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान 380 के तहत दिया गया है।

6 . धारा 391 क्या है
धारा 391 लूट की सजा का प्रावधान है ।

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