सिविल मौत क्या होती है ?|| Civil Death Kya Hoti Hai?

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हेलो तो स्वागत है आप सभी का हमारे इस ब्लॉग पोस्ट में दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सिविल मौत क्या होती है (Civil Death Kya Hoti Hai?) इसके बारे में इस पोस्ट के माध्यम से डिटेल में जानकारी देने वाले हैं और बारीकी के साथ में इस पोस्ट को आप पड़ेगा तभी समझ पाएगा कि सिविल मौत क्या चीज (Civil Death Kya Hoti Hai) होता है।

सिविल मौत क्या होती है || Civil Death Kya Hoti Hai?

दोस्तों आपने कई बार टीवी चैनल लो या फिर दूरदर्शन के चैनलों में या फिर न्यूज़पेपर में या फिर कहीं भी जाते हुए जैसा बस स्टैंड या फिर दीवारों पर किसी व्यक्ति के गुमशुदा से जुड़े हुए विज्ञापन आपने देखा होगा । और इसे आप सबसे ज्यादा अखबारों में गुमशुदगी के जो विज्ञापन होते हैं उसे देखा होगा कि फलाना जगह फलाना व्यक्ति गुमशुदा हो गए हैं।

और कई बार ऐसा भी होता है कि कोई गुमशुदा हुए व्यक्ति को ढूंढते हैं पुलिस की सहायता भी लेते हैं लेकिन वह व्यक्ति मिलता ही नहीं है और इस प्रकार के जो मामले होते हैं उनमें जो परिवार वाले होते हैं उनके लिए यह मामला बहुत ही गंभीर परिस्थिति पैदा कर देती हैं। क्योंकि इस स्थिति में ना जाने कितने ऐसे कानूनी काम है जो केवल एक ही व्यक्ति को मृत घोषित होने के बाद ही किए जा सकते हैं ।

जैसे कि यदि मृत व्यक्ति की संपत्ति का नाम यदि नहीं चढ़ाया है तो उन्हें संपत्ति में अपने वारिसों का नाम चढ़ाना, यदि मृत व्यक्ति कोई सर्विस में है तो सर्विस के पैसे वापस लेना, यदि मृत व्यक्ति लाइफ इंश्योरेंस करवाए हैं तो उसके पैसा क्लेम करना आदि कई सारे काम होते हैं जो मृत व्यक्ति की मृत घोषित होने पर ही प्राप्त होती हैं।

इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि कि ऐसे मामलों में कोर्ट से किसी गुमशुदा व्यक्ति की मृत्यु की घोषणा कैसे करवाई जा सकती है और इसके लिए क्या-क्या डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है इसके बारे में।


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किसी भी गुमशुदा व्यक्ति की मृत्यु घोषणा करवाने के लिए कानून क्या कहता है ?

 मृत्यु का अनुमान – मृत्यु की धारा को इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 107 और 108 के तहत समझाया गया है। 107 और 108 की धारा में यह बतलाया गया है कि जब कोई व्यक्ति चाहे वह महिला हो या चाहे वह पुरुष कई वर्षों से गायब हो जाता है और ऐसी परिस्थिति के बाद कानून उसे मृत मानता है। धारा 108 में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के बारे में 7 वर्षों से कुछ सुना नहीं गया है अर्थात 7 वर्षों से उस व्यक्ति को किसी ने ना तो देखा है और ना ही उसे कहीं बातचीत करते हुए पाया गया है तो उस व्यक्ति को मृत या मरे हुए माना जा सकता है।

और जब किसी व्यक्ति को लगातार कई वर्षों से जिसे ना देखा गया हो और ना ही उसे वही सुना हो , और ना ही वहां कहीं दिखाई दिया हो तो उसे ही सिविल डेट अर्थात सिविल मौत कहा जाता (Civil Death Kya Hoti Hai?)है। इसके अलावा समाज में व्यक्ति ke अस्तित्व अर्थात उसके आने जाने की खबर बातचीत होने की खबर कब किसी भी प्रकार का कोई प्रमाण नहीं होना चाहिए।

क्या मृत्यु के अनुमान को सीधा प्रयोग किया जा सकता है ?

अब सवाल इस बात पर उठता है कि यदि 7 वर्ष के बाद क्या मृत्यु के इस अनुमान को सीधे तरीके से प्रयोग कर सकते हैं कि यदि वह कई सालों से लापता है और उसके आने जाने की कोई खबर नहीं है तो उसे मृत घोषित किया जा सकता है ताकि आगे के जो कानूनी कार्यवाही हैं उसे किया जा सके।

तो ऐसा आंकलन यदि आप लगा रहे हैं तो यह बिल्कुल ही सर्वथा गलत है। मृत्यु के अनुमान को तभी इस्तेमाल किया जा सकता है जब कोर्ट में इस अनुमान उठने पर साबित हो जाता है कि व्यक्ति का 7 वर्षों से कोई अता पता नहीं है और ना ही उसकी कोई खैर खबर है । सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में यह साफ कर दिया है कि इस प्रावधान के तहत मृत्यु के अनुमान को व्यक्ति के किसी भी प्रकार की मृत्यु रिकॉर्ड को उत्पन्न करने के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता।


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मृत्यु की घोषणा कैसे करवाएं

ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाने पर उचित कानूनी परामर्श ले और परामर्श लेते हुए सिविल कोर्ट में आपको मृत्यु की घोषणा करवाने के लिए डिक्लेरेशन सूट दायर करें। अगर इस प्रावधान के तहत जरूरी बातें आप साबित करने में यदि सफल हो जाते हैं तो आपको सिविल कोर्ट के द्वारा गुमशुदा व्यक्ति (Civil Death Kya Hoti Hai?) की सिविल डेट घोषित कर दी जाती है। उसके बाद में आप कोर्ट के इस आदेश को लेकर के किसी भी संबंधित विभाग में व्यक्ति के रिकॉर्ड को आप अपग्रेड करवा सकते हैं तथा मृत्यु से जुड़े हुए अन्य बचे हुए जो कानूनी कार्यवाही है या कानूनी काम है उसे आप पूरा करा सकते हैं।

ऐसे व्यक्ति हैं जिनके दो या दो से अधिक नाम हैं

हमारे इस भारत देश में कई ऐसे व्यक्ति हैं जिनके दो या दो से अधिक नाम हैं लेकिन भारत देश में यह दो या दो से अधिक नाम होना कोई बड़ी बात नहीं है यह यहां आम बात है। और इसमें यह देखा गया है कि अक्सर एक नाम घर का होता है और दूसरा नाम उस व्यक्ति का पक्का नाम होता है। और इस वजह से कई बार देखने को मिलता है कि एक व्यक्ति के कुछ डॉक्यूमेंट घर के नाम पर बन जाते हैं और कुछ डॉक्यूमेंट उनके पक के नाम से।

यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं तो खासकर के ऐसे मामलों में भी सिविल डेट (Civil Death Kya Hoti Hai?) निकालने में बड़ी ही समस्या आती है क्योंकि दोनों के डाक्यूमेंट्स अलग-अलग नामों से है और इनका एक नाम बनाने में बहुत ही ज्यादा समय लगता है और जिसके कारण से क्लेम को रोक दिया जाता है।

यदि आपके पास भी कोई ऐसी कंडीशन बन जाती है तो आप इसे भी सिविल कोर्ट में डिक्लेरेशन सूट दायर कर सकते हैं और कोर्ट में यह घोषणा करवा सकते हैं कि दोनों का नाम एक ही व्यक्ति के हैं तब जो है आप आगे के जो बचे हुए कानूनी काम है उसे इस प्रकार से आप पूरा कर सकते हैं।


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