यु ही नहीं मिलती गोल्ड मैडल – Indias Best Hima Das

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पढ़ने वाले को सत सत नमन जिन्होंने अपना कीमती सैम,ay निकल कर के आप इस पोस्ट को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे है . दोस्तों आज हम बात करने वाले है हिमा दास की स्ट्रगल एंड उसकी सक्सेस स्टोरी को उनकी athelics की जर्नी को

साथ में उसकी इस सफलता में उन्होंने क्या क्या सिका क्या क्या खोया , और किस आभाव में हिमा दास भारत की पहली international महिला अटेलेटिस बनी इसके बारे में । तो चलिए बिना समय आपको हिमा दस् की स्ट्रगल स्टोरी को बतलाते है ।

यु ही नहीं मिलती गोल्ड मैडल – Hima Das

हिमदसा बतलते है की समय में हिमा दास फूटबाल खेला करती थी क्योंकि उन्हें पिता जी एक समय में एक अच्छा फूटबाल के खिलाडी थे जिनका प्रभाव उनके ऊपर भी पढ़ा था . इसके पहले की बात करे तो अपने बड़े भाइयो के साथ में मिलकर के गावो में फूटबाल , क्रिकेट खेला करती थी ।

हिमा दास बतलाती है की फूटबाल खेलने के बाद में हिमा दास सचिन तेंदुलकर को अपना inpiration मानती थी हिमा दास सपना देखती थी की वह कैसे पाना है । यह उनका पहला सपना था । हिमा दास बतलाती है की जब भी स्कूल में कोई खेलो की प्रतियोगिता होती थी तब वह हर खेलो में भाग लेती थी ल्कोई भी प्रतियोगिता से हिमा दास दूर नहीं रहती थी ।

हिमा दास बतलाती है जब हिमा दास स्कूल में प्रतियोटा होती थी तब वह खेल से जुड़ी हुई तब वह पहली साल उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ लेकिन उसके दूसरे साल में उन्होंने स्कूल प्रतियोगिता में लम्बी कूद में भी गोल्ड मैडल ले हुई थी , इसके आलावा स्क्वाड फोड़ में भी गोल्ड मैडल लेकर के आई और अपना स्कूल का नाम रोशन की लेकिन कहते है न दोस्तों सककूल तो स्कूल हो है जंहा सिर्फ आप अपने प्रतिभा तो निखार सकते हो लेकिन अपने प्रतिभा को आगे जाने का मौका नहीं मिलता है ।

ठीक हिमा दास के साथ ऐसा ही हुआ । इसके बाद में गोल्ड में लाने के बाद में स्कूल में 1 महीना का योग प्रैक्टिस में लगभग 30 लोगो का योग प्रैक्टिस करने के लिए जाती थी । हिमा दास बतलाती है की इस 30 दिन की योग में हिमा दास हमेशा सूत पहन कर के जाती थी , इसे देखकर के उनके सर ने उन्हें यह कहते हुए कहा की तुम खेल में तो अच्छा हो तुम एथेलेटिक्स में भी आओ और एथेलटिक्स में तुम कुछ नाम करोगी ।

हिमा सर से पूछती है – कैसे आउ ?

सर – डिस्ट्रीस लेवल से शुरू करो उसके बाद में असम ले लेवल ऐसे करते हुए तुम आगे बढ़ाना ।

हिमा आगे बतलाती है की 30 दिन की योग प्रैक्टिस करने के बाद में सर के एडवाइस देने के बाद में हिमा दास लगभग के साल तक घर में ही रही ।

और लगभग एक साल घर में रहने के बाद में हिमा दास फिर सर से कॉन्टेक्ट करती है की सर खेल कब है ?

इसके बाद में हिमा दास 3 महीने के पुनः इंतजार के बाद नौगा जिला में प्रतियोगिता होना था । हिमा बतलाती है की इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वह अपने पिता जी के पास साथ में रात के 4 बजे वंहा पहुंच गए थी । हिमा दास आगे बतलाती है की वंहा सभी लोगो के पास में स्पाइक जूते थी लईकिन उनके पास में इस्पाईक जूते नहीं थे ।

क्योंकि उनके पास में उतना पैसा नहीं था की हिमा दास स्पाइक जूता करोड़ सके फिर भी उनकोने बिना स्पाइक जूते यानि की सामने जूते से को पहनकर के प्रतियोगिता में भाग लेती है और इस प्रतियोगिता में उन्होंने अपने नार्मल जूते को पहन कर के नौगा जिला का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया था । वो कहते है दोस्तों चाहे आंधी आ जाये या तूफान आ जाये , हौसला हो जब बढ़ने की तो आभाव साथ बन जाय ।

इसके बाद में वह उनका इस प्रतियोगिता और परफॉर्मेंस को देखकर के उन्हें डिस्ट्रिक्ट लेवल में चुना गया और इस प्रतियोगिता के बाद में वह डिस्ट्रिक्ट लेवल में खेलने के लिए शिवसागर एक जिला है असम का वंहा खेलने के लिए आई । नौगा डिस्ट्रिक्ट के तरफ से दूसरा जिला में खेलने के लिए गई ।

Hima Das
Hima Das

और उन्होंने शीशगर डिस्ट्रिक्ट में भी अच्छा परफॉर्मेंस की । उनके बाद में लगातार के जिला से दूसरे जिला में लगातार एक साल तक एक जिले से दूसरे जिले में जाकर के प्रतियोगिता खेलती रही क्योंकि आप सभी को पता एसिया गेम्स केवल एक साल एक बार आता है ।

और इसके बाद में वह लगभग एक साल तक अपने गांव में रही और अपने पुराने खेल फूटबाल को फिर से खेलना शुरू करती है । क्योंकि आप सभी को पता है की उत्तर पूर्वी राज्यों में फूटबाल सबसे ज्यादा खेले जाते है । तो हिमदास भी लगभग एक साल तक गावो गावो में जाकर के फूटबाल प्रतियोगिता में भाग लेती रही और जितने के बाद में उन्हें 500 , 700 , 1000  , 1500 का इनाम मिलती जिन्हे हिमा दास इक्कठा कर के रखती थी ।

हिमा दास बतलाती है की उन्ही फ़ैमलीय एक जॉइंट फ़ैमलीय है जंहा तक़रीबन 17 परिवार एक साथ रहती थी और हिमा दास बतलाती है की हिमा दास किसी भी चीज के लिए घर वालो से पैसे नहीं मांगती थी हिमा दास अपना खर्चा खुद कैसे भी कर के निकाल लेती थी ।

इसके बाद में असम सरकार ने 2017 में फोन रैंकिंग कैंप लगभग एक महीना का कराया गया था । तो इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए हिमा भी पहुंची और वंहा भी अच्छा परफार्मेंश की । हिमा दास बतलाती है की जब कम्प के कुछ दिन यानि की एक दो दिन बांकी थी तब उनके सर ने गुहावटी आने के लिए कहा की तुम वहा अच्छा करोगी ।

इसके बाद में गुहावटी के लिए मुकुल शर्मा सर , नवजीत सर और एक ने सर ने उन्हें खाने , पिने ,, रहने की पूरी व्यवस्था की थी । हिमा दास बतलटी है जब हिमा दास गुहावटी आई थी तब उन्हें जेब में मात्र 350 रूपये ही थी । इतना गरीबी था उनके पास में ।

गुहावटी में आने के बाद में लगभग 2 महीने के प्रैक्टिस करने के बाद में नैशनल टीम से जुडी और हैदराबाद में नेशनल टीम की तरफ से खेलने के लिए आई और उनका पहले का सपना था इंडिया जा जर्सी पहने के वह पूरा हो गया ।

वो कहते है न दोस्तों मेहनत करते जाइये फल की चिंता मत करिये , फल ऊपर वाला देता ठीक वैसे हिमा के साथ में भी हुआ हिमा दास अपने बचपन के सपने को आज साकार कर ली , उनका इनका का जर्सी पहनने के सपना पूरा हो गया ।

इस नेशनल टीम में अच्छा प्रदर्सन करने के बाद में उनका सलेक्शन  जूनियर युथ एसियन चैंपियनशिप में सलेक्शन हो गई जो बैंकाक में खेलने के लिए जाने वाली थी ।

और लगातार प्रैक्टिस करने के बाद में बैंकाक गई और लगभग वंहा 200 मात्र दौड़ में  6 पोजीसन में रही जिसका फायदा भी मिला वर्ल्ड जूनियर युथ एसियन चैंपियनशिप बन गई वह भी इण्डिया की पहली बनी ।

फिर उसके बाद में लगभग गुहावटी में प्रैक्टिस करने के बाद में जूनियर से सीनियर में 400 मीटर दौड़ की लगभग एक महीने की फिर से ट्रेनिंग की । हिमा दास बतलाती है की 400 मीटर के दौड़ में कैसे दौड़ना है , कितना मिटन में पूरा करना है , कैसे करना है उन्हें कुछ भी नहीं पता था । फिर भी उन्होंने एक महीने की ट्रेनिंग ली ।

एक महीन के ट्रेनिंग के बाद में फिर से नैशनल सिनिओरी प्रतियोगिता थी चेन्नई में जंहा उन्हें साथ में कई ओलम्पिक में खेलने वाली लड़की , नैशनल लेवल की कई खिलाडी यानि की उनसे कई बड़े धावक एक से बढ़कर एक खिलाडी चेन्नई में आये हुई थी । हिमा दास बतलाती है की इनसभी लोगो को देखकर के वह बहुत ही डर गई थी आगे कटी है की उन सभी को देखकर के उन्हें बुखार आ गया थी । वो पहले से डरा हुई और और उसके दूसरे दीं खेल के समय बारिश हो गया लेकिन

डर और पानी के कारण से वह 200 मीटर में ही रुक गई लेकिन उन्होंने भागना बंद नहीं किया और अंत में हिमा दास गई । लेकिन उसके बाद में जब दूसरे दिन सुबह के समय में 200 मीटर की दौड़ हुई तो उसमे उन्हें गोल्ड मैडल लाई ।

Hima Dasबतलाती है की उनका बुखार का आना , पानी का गिरना , सबसे पीछे होना ये सब उन्हें साथ में एक नया मोड़ लेकर के आ गई और इसके बाद में गोल्ड मैडल लाने के बाद में सलेक्शन इंडिया के टीम में हो गई ।

इसके बाद में उन्होंने कई सारे सफलता मिलनी शुरू हो गई । और ब्राउन मेडलिस्ट गेमिना मैम से लगभग 6 मत तक टैनिंग के बाद में गुहावटी में ट्रेनिंग , तिरुवंतपुरम  में ट्रेनिंग की वनह से पोलेंड

इसके बाद में पटियाला में फेडरेशन टूर्नामेंट में भाग ले उसके बाद में अच्छे परफॉर्मेंस के बाद में उनका सलेक्शन कॉमनहिमा दासल्थ में गेम्स में सीनियर टीम से लिए चुनी गई ऑस्ट्रेलिया में खेलने के लिए ।

हिमा दास टलती है की इस बीच में उन्होंने कई बार रिले की ट्रेनिंग ली , मिक्स रिले की ट्रेनिंग ली , पोलेंड से ट्रेनिंग , पटियाला से ट्रेनिंग , गुहावटी से ट्रेनिंग ली थी ।

Hima Das बतलाती है की वह रत के 7 बजे फ़िनलैंड के लिए रवाना हुई और जब 12 तारिक को फ़िनलैंड में दौड़ में उत्तरी उसके बाद में उन्होंने भारत के लिए महिला सीनियर दौड़ में पहली गोल्ड मैडल लेन वाली खिलाडी बनी । हिमा दास बतलाती है की जब वह दौड़ के लिए उत्तरी थी तब उन्हें विस्वाश नहीं रहा था की वह फाइनल में पहुंची है ।

वह कहती है उनके 12 के फ़ाइनल मुकाबले में गोल्ड मैडल को छोड़कर के समय को बेहतर करने की सोची थी और उसका सारा फोकस 400 मीटर से आखरी लाइन को टारगेट बनाई , हिमा दास कहती है की timing अगर अच्छी है तो गोल्ड मैडल लाई जा सकती है ।

Hima Das कहती है जब भी वह भारत की पहली गोल्ड मैडल दौड़ की विडिओ देखती है और कहती है मई नहीं भाग रही हु और कहती है इस विडिओ को देखने के बाद में उन्हें खुद inpiration मिलता है । इसके बाद asiayan गेम्स में 2 गोल्ड मैडल के साथ में भारत को नाम रोशन की ।

Hima Das अंत में कहती है – हिमा दास टाइम के पीछे भागती है यदि समय अच्छा रहा तो गोल्ड , सिल्वर , ब्राउन सभी लाया जा सकता है ।


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