आज जो हम कहानी (Mahendra dogney motivational story in hindi pdf) बताने जा रहे वह आपके जीवन के महत्वपूर्ण कहानियो में से एक हो सकती है । आपकी जीवन को बदलने में बहुत ही महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकते है । इस लिए इन तीनो कहानियो (Mahendra dogney motivational story in hindi pdf) को बहुत ही ध्यान से पढ़िएगा और अपने जीवन में क्या परिवर्तन ला सकते है अपने जीवन में उसे अप्प्लाई करने की कोशिश करियेगा ।
1 . संघर्ष ही हमें मजबूत बनाती है (Mahendra Dogney Motivational Story In Hindi)
पहले कहानी (Mahendra Dogney Motivational Story In Hindi)है एक ऐसे किसान की जो बरसात वाले सिस्टम से बहुत ही ज्यादा परेशान था क्योंकि वह चाहता था की यह जो मौसम वाला सिस्टम है वह उसके अनुसार हो जाए । उसने भगवन से बहुत विनती की की हे प्रभु की ये बारिश का मौसम है , ये धुप का मौसम है , ये ठण्ड का मौसम है ये सभी मेरे अनुसार कर दीजिये ।
उन्होंने बहुत ही ज्यादा प्राथना की और उसकी प्राथना को संकर के भगवन उसके पास में उपस्थित हुए भगवन ने पूछा की ऐसा क्या हो गया मेरे सिस्टम में जो तुम्हे ख़राब लग रहा है ?
उस किसान ने रोते हुए , गिड़गिड़ाते हुए कहाँ – की आपका सीटें बहुत ही जय्दा ख़राब है क्योंकि जब मै बारिश मांगता हु तब बारिश नहीं होती है , जब मै ठण्ड चाहता हु तब ठण्ड नहीं होती और जब मै धुप चाहता हु तब धुप नहीं होती और ये सभी चीज आपके अनुसार होती है , कभी कभी बहुत ही ज्यादा बारिश होती है , कभी कभी बहुत ही ज्यादा धुप पढ़ती है और कभी कभी बहुत ही ज्यादा ठण्ड पड़ती है
और इस चक्कर में मै इतना ज्यादा परेशान हो गया हु की मै कुछ भी फसल ठीक से बो नहीं पा रहा हु , मै अपने मन मर्जी से कुछ भी चीजे कर नहीं पा रहा हु इसलिए मै चाहता हु की आप इस पुरे के पुरे सीटें को मेरे हाथो में दे दीजिये ताकि जब मै चहु बारिश हो , जब मै चाहु तब ठण्ड पढ़े और जब मै चाहु धुप निकले ।
भगवन ने उस व्यक्ति के बातो को मान लिया । वह किसान बहुत ही ज्यादा खुश हो गया अब तो साडी की साडी चीजे मेरे अनुसार होंगे । मै जैसा कहूंगा वैसे होंगे और वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गया ।
सबसे पहले उसने कहा की थोड़ी थोड़ी सी बारिश हो जाये ज्यादा बारिश न हो ।
और वैसा ही हुआ थोड़ी थोड़ी बारिश होना शुरू हो गई ।
उस व्यक्ति उसके बाद में फसल की बुवाई करना शुरू कर दिया उसके बाद में और समय आगे बड़ा । उस व्यक्ति ने कहा की अब थोड़ी थोड़ी सी ठण्ड पढ़े , ज्यादा ठण्ड न पढ़े क्योंकि उससे मुझे बहुत ही ज्यादा परेशानी होती है और बारिश के समय ऐसा ही कहा था की बहुत ज्यादा बारीश मत करवाना की इससे बहुत ही ज्यादा दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है ।
कुछ महीने और बीतने के बाद में उस किसान के कहा की अब थोड़े थोड़े धुप पढ़ना चाहिए क्योंकि मुझे बहुत ही ज्यादा धुप लगती है मै बहुत ज्यादा गर्मी सहन नहीं कर पता इसलिए गर्मी जो है मेरे अनुसार थोड़ी थोड़ी बड़े ।
और ऐसा समय बीतता गया ।
थोड़े समय बीतने के बाद में जब किसान खेत में गया तो वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गया और वह बहुत ज्यादा प्रसन्न हो गया और अपने फसल को देखा की फसल जो बहुत ही जायदा अच्छे से लहलहा रहे है । पूरा खेत हरा भरा है ।
उसने भगवन को याद किया और कहा देखा मैंने कहा था न यदि आप मेरे अनुसार इस बारिश के इस धुप के , इस ठण्ड के सिसन मेरे अनुसार कर देंगे तो सब कुछ ठीक हो जयेगा और देखिये वैसा ही हुआ ।
फसल कितनी अच्छी उगी है धीरे धीरे किसान उस खेत के बीचो बिच गया जैसे ही उसने फसल की और ठीक से देखा वो रोने लगा , वो गिड़गिड़ाने लगा , वो परेशान हो गया और वंही पर बैठकर के अपना माथा पीटने लगा और कहने लगा की ये क्या कर दिया भगवन फिर से आप ने मेरे साथ धोखा कर दिया इसमें तो बीज ही नहीं है , इसमें तो फसल ही नहीं है फसल तो दिख रही है लेकिन फसल के अंदर दाना ही नहीं है ।
और वो याद करने लगा भगवान को की आप मेरे सामने उपस्थित होइए और आप मेरी सारी के सारी बातो का जवाब दीजिये ।
किसान के बातो को सुनकर के भगवान उसके सामने प्रकट हो गए और कहने लगे की अब क्या हुआ ?
तुम जैसा चाहते थे वैसा मैंने किया , तुम चाहते थे की जैसा धुप पढ़े वैसे धुप पढ़ी , तुम चाहते थे वैसे ठण्ड पढ़ी , और तुम चाहते थे की जैसे बरसात हो वैसे ही बरसात हुई तो अब क्या दिक़्क़्क़त है ।
तो उसने कहा की आपने सारे चीजे मेरे अनुसार की लेकिन उसके बाद भी देखिये फसल तो बहुत अचे लहलहा रही है लेकिन उसके अंदर बीज ही नहीं है ? बिना दाने के मै इतनी अच्छी फसल का करूँगा क्या ? मेरे पास तो फसल ही नहीं है ?
तब भगवान मुस्कुराये और उस किसान की ओर देखा और कहा की इसी प्रकार से जीवन में साड़ी चीजे चलती है आपको लगा था की थोड़ी सी बारिश से सारी चीजे ठीक हो जाएगी क्योंकि तुम्हे बारिश पसंद नहीं थी , तुम्हे ज्यादा तकलीफ पसंद नहीं थी इसलिए तुमने थोड़ी सी बारिश करवाई , लेकिन जब ज्यादा बारिश होती है तब जमीं के अंदर तक पानी जाता है ओर वह पानी ही अच्छी फसल के लिए जरुरी होता है
उसके बाद में भगवान ने कहा – की जब ज्यादा ठण्ड पढ़ती है तो बीज अंकुरित होता है फसल के अंदर बीज आता है , ज्यादा बीज बढ़ता है , ज्यादा फसल बढ़ती है लेकिन तुमने अपनी सहूलियत के अनुसार उसे बदल दिया , उस नियम को बदल दिया तुमने क्या कहा की ज्यादा ठण्ड नहीं पढ़ना चाहिए क्योंकि मुझे ठंड लगती है, लोगो को परेशानी होती है ठण्ड के कारण ।
इसके अड़ ज्यादा धुप के बाद में वह फसल ज्यादा पकती है लेकिन तुमने फसल को पकने के लिए ज्याद धुप पढ़ने ही नहीं दी क्योंकि तुम उस तकलीफ को सहन नहीं कर पाए इसलिए तुमने ऐसा किया ।
अब परिणाम तुम्हारे सामने है । इन सारी बातो को सुनकर के किसान सारी की सारी बातो को समझ चूका था ओर
शायद आप भी समझ गए होंगे आपकी जीवन के बहुत सारी बातो के उत्तर को आपकी जीवन में भी ऐसे आहूत सारी मुसीबते आती है जिनसे आप घबरा जाते है आप चाहते है की जीवन आप बहुत कुछ बड़ा करे , बहुत कुछ आगे जाए लेकिन आप छोटी छोटी सी मुसीबते चाहते है , आप छोटे छोटे से संघर्ष चाहते है ओर चाहते है की आप बहुत बड़े बन जाये लेकिन याद रखियेगा की जब भी भी आपको बड़ी सफलता चाहिए बड़े संघर्ष , बड़े तकलीफ से ही मिलेगी ।
2 . सफलता का मूलमंत्र (Mahendra Dogney Motivational Story In Hindi)
दूसरी कहानी (Mahendra Dogney Motivational Story In Hindi)है सुकरात की के सर सुकरात के पास में उनका एक शिष्य आया पूछने लगा की सुकरात जी मुझे ये बताइये की सफलता का असली रहस्य क्या है ? की मै ऐसा क्या करू की मुझे अपनी जीवन में सफलता मिल जाये ?
तो सुकरात जी ने कहा की कल सुबह शुबह तुम मेरे साथ में आना मै तुम्हे सफलता का असली मन्त्र बताऊंगा ।
सुकरात के पास में उसका शिष्य अगले दिन शुबह शुबह आया ।
सुकरात ने उसे अपने साथ में चलने के लिए कहा । चलते चलते वह एक नहीं के किनारे में पहुंचे ओर सुकरात ने उस लड़के को कहा की चलो नहीं के बिच में चलो
ओर जैसे ही वह शिष्य नदी के बिच में गया वैसे ही सुकरात ने उसका सर पकड़ा ओर नदी के अंदर घुसा दिया अब जो वह लड़का तड़पने लगा , अपने मुँह को इधर उधर हिलाने लगा , परेशान होने लगा , उसका पूरा सरीर नीला पढ़ गया लेकिन सुकरात उसका एक भी बात नहीं सुन रहा था , उसकी झटपटाहट को मानो इग्नोर कर रहा था ।
अब वह लड़का बहुत ही ज्यादा परेशान हो गया वो मरने की स्थिति में आ गया लेकिन अंत समय में जब अंत समय आ रहा तब सुकरात ने उस लड़के के मुख को पानी से बाहर कर दिया ।
अब वह झटपटाहट से कहने लगा मैंने तो तुमसे सफलता का रहस्य माँगा था लेकिन तुम तो मुझे मरे जा रहे थे .
तब सुकरात में मुस्कुराते हुए कहा – की जब तगम पानी के अंदर थे तब कौन से ऐसी चीज थी जो बेसब्री से चाहते थे तो
उस शिष्य ने जवाब दिया की – सिर्फ एक ही चीज थी की मै उस पानी से कैसे बाहर निकलना चाहता था साँस लेना चाहता था ओर वही एक चीज थी जो मै करना चाहता था ।
सुकरात ने फिर से मुस्कुराया ओर जवाब दिया ओर यही है सफलता का असली मन्त्र ।
जिस मामय तुम जीवन में एक लक्ष्य बनाओगे ओर उस एक लक्ष्य के लिए इतना तड़पो गे , इतना बेबस हो जाओगे की सिर्फ आपको वही चाहिए ओर आपकी जीवन में कोई ओर चीज नहीं चाहिए उस दिन सफलता आपके हाथो में भी होगी ।
ओर यही मन्त्र आपके जीवन में भी लागु होता है ओर जीवन के लिए भी बहुत ही ज्यादा जरुरी है क्योंकि आप सभी अपने जीवन में सफलता चाहते है लेकिन उसके लिए तड़पते नहीं है , उसके लिए परेशान नहीं होते है , उसके लिए म्हणत नहीं करते है । आप चाहते है की आपको बहुत बड़ी सफलता मिले लेकिन आप एक लक्ष्य बनाकर के उस पर काम नहीं करते है ।
जिस दिन आप भी मजबूती के साथ में पूरी तड़प के साथ में अपने लक्ष्य की ओर ध्यान लगाएंगे जैसे की आपको साँस लेने में तकलीफ हो रही है ओर आप का आत्म समय आ गया है ओर आपको अपना लक्ष्य को प्राप्त करना ही है उस दिन आपको सफलता प्राप्त करने से दुनिया के कोई भी ताकत नहीं रोक पायेगी ।
3 . देखने का नजरिया (Mahendra Dogney Motivational Story In Hindi)
एक बार एक बहोत बड़ी कंपनी के मालिक ने जुटे बेचने के लिए एक सेल्समेन को इक बहुत ही दूर के ग्रामीण इलाके में भेजा । जंहा पर आदिवासी लोग रहते थे , जंगली लोग रहते थे ।
अब जैसे ही सेल्समेन वंहा पर पंहुचा उसने देखा की किसी भी आदिवासी के पैरो में जुटे चप्पल है ही नहीं , सारे के सारे नंगे पाव घूम रहे है ।
वैसे ही उसने अपने बास को फोन लगाया ओर कहा की मेरा अभी के अभी मेरा वापसी का टिकट काट दो .
बास ने कहा क्या बात हो गई ?
तो वो सेल्समैन ने कहा – की यंहा पर तो सब जंगली लोग रहते है , सब आदिवासी लोग रहते है , इन्होने तो किसी भी ने तो जूते चपल नहीं पहने है । यंहा पर तो बिक ही नहीं पाएंगे . तो आप मेरा वापसी का टिकट करवा दीजिये ।
उस बॉस ने ऐसा ही किया । वह व्यक्ति वापस आ गया । लेकिन थोड़ा देर के बाद में एक नवयुवक आया जो बहुत ही स्मार्ट सेल्समैन था । उस व्यक्ति को वंहा पर भेजा गया , उस दूरगामी , आदिवासी इलाके में भेजा गया ।
जैसे ही वह वाहन पंहुचा वैसे ही उसने अपने बास को काल किया ओर कहा की जितने भी जूते हमारी कंपनी में रखे है , हमारे फैक्ट्री में रखे है सारे के सारे यंहा भिजवा दो ।
बास ने कहा अरे ऐसा क्या हो गया ? पिछले जो सेल्समैन जा रहा था उसने तो कहा था की यंहा पर जूता एक भी नहीं बिकेगा लेकिन तुम ऐसी कैसे बाते कर रहे हो की सारे की सारे बेच दोंगे ।

उसने वंहा पहुचकरके क्या किया उसने 2 , 3 को पकड़ा ओर कहा की मै तुम्हे बहुत ही अच्छी चपले पहनाउंगा की तुम्हारे पैरो जो कांटे गढ़ते थे , कनकट गढ़ते थे वे नहीं गड़ेंगे ओर इसके लिए मै तुम्हे कोई पैसा भी नहीं लूंगा ।
2 ,3 लोगो ने उन चपलो को पहन लिया , उन जूतों को पहन लिया ओर पुरे गांव में घूमते रहे ।
जब सभी लोगो ने देखा की इसके पास में क्या ये अजीब अजीब से चीज है जो इनके पैरो में तकलीफ नहीं नहीं हो रहे है हर व्यक्ति उन चीजों को पाना चाहता था , उन चप्पलो को , उन जूतों को पहनना चाहता था ।
सारे के सारे लोग आ गए वंहा पर चप्पल खरीदने के लिए ओर सारे के सारे जूते चप्पल बिक गए ।
यही अंतर होता है नजरिये का । पहले व्यक्ति का नजरिये था नहीं हो सकता क्योंकि कोई नहीं कर रहा है ओर दूसरे व्यक्ति का नजरिया था की ये होगा की अभी तक ये किसी ने नहीं किया है ओर उसने ये कर के दिखाया ।
इसी प्रकार से आप भी अपने जीवन में अपने नजरिये को बदलिए , अपने नजरिये से देखे की वह जो हमेशा नकारात्मक सोचता है , या फिर सकरात्मक सोचता है , वो चीजों के नेगेटिव एक्सपेक्टिव को देखता है या फिर पॉजिटिव एक्सपेक्ट को देखता है ।
आप सभी ने Mahendra Dogney Motivational Story In Hindi के इन top 3 कहानियो (Mahendra dogney motivational story in hindi pdf)से क्या सीखे प्लीज् आप मुझे कमेंट कर के जरूर बताइये ।