पुलिस FIR लिखने से मना करें तो क्या करे ? || Police FIR Likhne Se Mana Kare To kya kare

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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका इस ब्लॉग पोस्ट पोस्ट में आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम जाने वाले हैं कि यदि कोई पुलिस वाला अफसर या अधिकारी आपका जो f.i.r. (Police FIR Likhne Se Mana Kare To kya kare) है उसे दर्ज करने से भी यदि मना करता है तो आप क्या-क्या कर सकते है , उसके लिए लीगल कंडीशन कौन से अपना सकते हैं और कहां-कहां जो है आप उस अधिकारी के लिए जो है शिकायत दर्ज कर सकते हैं।  इसके बारे में आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको डिटेल के साथ में जानकारी देने वाले हैं तो चले दोस्तों बिना किसी देरी करते हुए इस पोस्ट को आगे बढ़ते हैं।

Police FIR Likhne Se Mana Kare To Kya Kare

दोस्तों अक्सर आपने कई बार न्यूज़पेपर या फिर और टीवी या फिर इंटरनेट के माध्यम से अक्सर यह सुनते होंगे कि police पीड़ित जो व्यक्ति है उसकी शिकायत को दर्ज नहीं करती है। और उसे कई बार थाना स्थानीय थाने के चक्कर लगाने पड़ते हैं। और कई बार तो ऐसा भी होता है कि पीड़ित जो व्यक्ति है वह अपने शिकायत को दर्ज कराने के लिए कई बार जिला अधिकारी के समक्ष अपनी पीड़ा को बतलाते हैं। कि उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई है। यह मामला जो है आजकल आम बात हो गई है जिसके कारण से इसमें पीड़ित व्यक्ति बहुत ही ज्यादा उनका शोषण होता है।

इस प्रकार से लोगों में कानूनी जानकारी के अभाव में के कारण से कई बार उनसे ना जाने कई बार पुलिस वालों के द्वारा एफ आई आर दर्ज करने पर उनसे रिश्वत भी मांगी जाती हैं। यह अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र की जनता पुलिस वालों से बेखबर और कानूनों से दूर रहते हैं जिसके कारण से उन्हें बहुत बार रिश्वत देने पड़ते हैं जिससे उनके आय का आधा हिस्सा ही पुलिस वालों को देने में ही चला जाता है।

अगर पुलिस आपकी f.i.r. को फाइल करने से यदि मना कर देता (Police FIR Likhne Se Mana Kare To kya kare) है तो आपके पास उसके बाद भी अपनी एफ आई आर दर्ज कराने की कई सारे रास्ते हैं जिन्हें हमें नहीं पता है आज की इस पोस्ट के माध्यम से दोस्तों हम आपको अगर कोई पुलिस वाला आपकी f.i.r. को दर्ज नहीं करती है तो आप क्या-क्या कर सकते हैं इसको कुछ प्वाइंटों के माध्यम से समझते हैं।

कोर्ट क्या कहती हैं?

एफ आई आर यदि दर्ज ना होने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का इस केस में फैसला सबसे अहम रोल माना जाता है। लगभग हर जागरूक नागरिक को इस फैसले को जानना अति आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले – 1 .सुप्रीम कोर्ट कहती है ke सीआरपीसी की धारा 156 (3) police अफसर को sangin अपराध की इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति देती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में साफ शब्दों में कहा है कि यदि धारा 156 (3) को बहुत कम शब्दों में लिखा गया है लेकिन इस धारा के तहत संबंधित मजिस्ट्रेट को अपराध के पंजीकरण का आदेश देने और संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को उचित जांच करने तथा सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश देने की पावर की बात इस धारा के अंतर्गत कहीं गई है।

2. एफ आई आर दर्ज ना होने की स्थिति (Police FIR Likhne Se Mana Kare To kya kare) में हाई कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सीआरपीसी की धारा ही पर्याप्त है इसलिए एफ आई आर दर्ज करवाने के लिए हाईकोर्ट में ना तो आपको रेट फाइल करनी चाहिए और ना सीआरपीसी की धारा 482 की याचिका मैं कोर्ट के दरवाजे नहीं खटखटाने चाहिए बल्कि इसके लिए कुछ पर्याप्त नियम कानून भी बताए हैं जिनका नीचे विवरण दिया जा रहा है-


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पुलिस FIR लिखने से मना करें तो क्या करे ? उनके कुछ उपाय

सीआरपीसी की धारा 482 की याचिका मैं कोर्ट के दरवाजे नहीं खटखटाने चाहिए बल्कि इसके लिए कुछ पर्याप्त नियम कानून भी बताए हैं जिनका नीचे विवरण दिया जा रहा है-

थाने स्तर पर अपनी बात रखे 
1. यदि पुलिस अधिकारी आपकी एफ आई आर दर्ज करने से साफ तौर पर मना करें तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है सबसे पहले आपको अपनी जो शिकायत है उसको लिखित रूप अर्थात कागज और पेन में लिख ले। और इस लिखित शिकायत को लेकर के आप थाने के एसएसओ (SSO) के समक्ष इस लिखित शिकायत को पेश करें और अपनी समस्या को बतलाए।

2. दूसरी कंडीशन यह है कि यदि थाना के थाना अध्यक्ष आपकी शिकायत की रिसीविंग ना दे या फिर एफ आई आर दर्ज ना करें तो ऐसी स्थिति में आप अपनी शिकायत की एक कॉपी रजिस्टर्ड पोस्ट ऑफिस के माध्यम से थाना अध्यक्ष को भेज दें तथा रजिस्टर्ड पोस्ट के सबूत अपने पास सुरक्षित संभाल कर के रखें और यदि रिसिविंग मिलती है तो भी उस रिसीविंग को आप संभाल करके रखें।

उच्च अधिकारी के स्तर पर शिकायत
1. सीआरपीसी की धारा 154 (3) में साफ शब्दों में लिखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी थाने के ऑफिसर इंचार्ज के द्वारा किसी भी पीड़ित व्यक्ति का एफ आई आर दर्ज ना किए जाए (पुलिस FIR लिखने से मना करें तो क्या करे) तो पीड़ित व्यक्ति अपनी लिखित शिकायत को डाक के माध्यम से अर्थात रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से वह अपनी शिकायत उच्च अधिकारी अर्थात जिले के एसपी को शिकायत कर सकता है।

रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से जब आप एसपी के पास अपनी शिकायत को दर्ज करेंगे तो हो सकता है यदि लेटर पर को उस शिकायत में किसी संगीन अपराध होने का जिक्र है तो खुद एसपी साहब या तो उसके कि खुद जांच कर सकते हैं या फिर किसी अधिकारी को उस केस की जांच करने के आदेश दे सकते हैं। और इस बात पर विशेष ध्यान रखें कि यदि आप किसी भी कुछ अधिकारी के स्तर पर अपनी पुलिस FIR लिखने से मना करें तो क्या करे (Police FIR Likhne Se Mana Kare To kya kare) तो आपको जिस डाक के माध्यम से आपने लिखित शिकायत किया है  .

उसके सबूत डाक के सबूत या रिसीविंग अपने पास में बड़े ही सुरक्षित और संभाल करके रखें क्योंकि इसी रिसीविंग के आधार पर आपकी इन्वेस्टिगेशन को पूरी की जाती है। और इसकी जरूरत भी पड़ती है तो इसलिए रिसिविंग या डाक के सबूत को बड़े ही ध्यान से और सुरक्षित रखें।

कोर्ट के स्तर में अपनी शिकायत करें
यदि एसएसओ और एसपी के बाद भी आपकी शिकायत का कोई रिस्पांस नहीं मिलता है या आपकी शिकायत को नहीं लिखा जाता है तो आप इसके बाद कोर्ट मैं अपनी बात को उस थाने से संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। धारा 156 (3) के तहत मजिस्ट्रेट से यह प्रार्थना कर सकते हैं कि संबंधित पुलिस ऑफिसर को एफ आई आर दर्ज करने के आदेश दिए जाएं।

और उसके बाद आप उसको बदलेंगे कि मैंने थाने और एसपी स्तर पर भी कंप्लेंट की है लेकिन उसका अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है और आपको एसपी और थाने स्तर की रिसीविंग या डाक सबूत को धारा 156 (3) के तहत साथ लगाना अनिवार्य होता है।

इसके साथ ही सीआरपीसी की धारा 200 के तहत अपराधिक शिकायत भी दर्ज की जा सकती है। इस बात पर विशेष ध्यान दें कि 156 (3) के तहत बस f.i.r. रजिस्टर करने की प्रार्थना की जाती है जबकि धारा 200 के अंत तक मजिस्ट्रेट के समक्ष पूरा केस दाखिला होता है ।


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एफ आई आर की शिकायत दर्ज करने से पहले कुछ सुझाव

1. एफ आई आर दर्ज करवाने के लिए पुलिस के सामने गिर जाने की परंपरा खत्म करना होगा। अगर कोई संगीन अपराध घटित होता है तो पुलिस की यह जिम्मेदारी बनती है कि एफ आई आर दर्ज करें। एफ आई आर दर्ज करवाने के लिए किसी भी पुलिस अधिकारी को कभी भी रिश्वत ना दें।
2. अगर किसी भी थाने में जहां आप रहते हैं मैं आपकी शिकायत दर्ज नहीं (Police FIR Likhne Se Mana Kare To kya kare) हो पा रही है तो कानून के तहत उचित रास्ते को ही अपनाएं। यह रास्ता थोड़ा लंबा या मेहनत होने वाला जरूर हो सकता है ।

3. एफ आई आर दर्ज ना होने की स्थिति में (पुलिस FIR लिखने से मना करें तो क्या करे) आप सीधा सीआरपीसी 156 (3) की याचिका कोर्ट में फाइल नहीं कर सकते । एफ आई आर दर्ज ना होने की स्थिति में सीआरपीसी धारा 156 (3) की कुछ बातें हैं जिन्हें आप को जानना जरूरी है। सीआरपीसी 156 (3) को कोर्ट में लगाने से पहले आपको सबसे पहले थाने और एसपी स्तर पर अपने कंप्लेन को देनी होती है

और उसके बाद चाहे वह रिसिविंग के माध्यम से हो या फिर उसे आप डाक के माध्यम से दिए हो सबसे पहले आपको थाने स्तर पर और उसके बाद में एसपी के स्तर पर शिकायत करना होगा तब जाकर के आप 156 (3) को इस्तेमाल कर सकते हैं


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FAQ.

1 . अगर पुलिस कार्रवाई न करे तो क्या करें?
अगर पुलिस कार्रवाई न करे तो आप इसका शिकायत लिखित में आप एसपी के पास में अपना शिकायत को दर्ज कर सकते है लेकिन इसका भी कुछ कंडीसन है । यदि आप अगर पुलिस कार्रवाई न कर रहा हो तो आपको सबसे पहले उस थाने से थाने के रिसीविंग फाइल ले लेनी है । जो की आपको एसपी के पास में शिकयत करने से पहले आपको यह रिसीविंग फाइल एसपी को दिखाना होता है ।

इसे आप खुद एसपी ऑफिस में जाकर के मैनुअल रिपोर्ट कर सकते है या फिर आप एसपी से ऑफिस नहीं जा सकते है तो आप रजिस्टर्ड डाक सेवा के माध्यम से आप एसपी से शिकायत पत्र भेज सकते है । ध्यान रहे की जब भी आप एसपी से शिकायत करते है तो आपको पहले थाने के रिसीविंग फाइल और पोस्ट ऑफिस से रिसीविंग फाइल ले लेनी है क्योंकि इसकी जरुरत एसपी को देखने के लिए जरुरी होता है ।

यदि एसपी सर को लगता है की आपकी शिकायत में कोई संगीन अपराध होने की बात कही गई है तो वे खुद इस केस को देखेंगे या फिर वे दूसरे अफसर को इस केस को देखने के लिए कहेंगे ।

2 . पुलिस के खिलाफ शिकायत कहां करें ?
पुलिस के खिलाफ शिकायत एसपी से कर सकते है । 

3 . एफ आई आर. क्या निरस्त हो सकती है ?
एफ आई आर. कभी भी निरस्त नहीं हो सकती है । लेकिन दोनों पक्क्षो के मध्य समझौता हो सकता है लेकिन कोई संगीन अपराध न हो तब यदि चोरी हो तब यह समझौता हो सकता है . लेकिन एफ आई आर. क्या निरस्त नहीं हो सकता है । 

4 . एसपी से शिकायत कैसे करें 
एसपी से शिकायत आप एसपी ऑफिस में जाकर के अपनी शिकयत को कर सकते है । इसके आलावा आप रजिस्ट्रर्ड डाक के माध्यम लिखित में से भी आप एसपी से शिकयत कार कते है ।

 

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