दोस्तों आज हम टॉप Rj Kartik new Storyबताने वाले है जो आपके अंदर एक नयी बदलाव ला देगी आपकी जिंदगी में । आप इस RJ Kartik Ki Kahani को पढ़कर के जिंदगी के उस मोड़ में चले जाएंगे जंहा आपको किसी भी प्रकार के परेशानी नजर नहीं आएगी , यदि परेशानी आएगी भी तो उसे आप हसकर के उस परेशानी को चुटकी में सॉल्व कर लेंगे ये दमदार Rj Kartik new Story लेकर के आपके पास में लाया हु जो आपकी दिमाग खोल देगी ।
RJ Kartik की सभी कहानिया
तो चलिए दोस्तों इस दिमाग को खोल देने वाले RJ Kartik Ki Kahani की और आगे बढते है –
1 . Word Most Peaceful Penting – RJ Kartik Ki Kahani
एक बार की बात है एक बड़े शहर में आर्ट गैलरी काम करता था जो बहुत बड़े-बड़े पेंटिंग , विश्व के सबसे अच्छे , सुन्दर और कलात्मक पेंट बनाता था और रखा भी जाता था । एक दिन उस आर्ट गैलरी ने एक बहुत बड़ी प्रतियोगिता रखा । उस आर्ट गैलरी ने अलाउंस किया की यदि कोई शांति को प्रदर्शित करने वाले विश्व के खुबशुरत पेंटिंग बनाएगा उसे बहुत बड़ा इनाम दिया जायेगा । उस आर्ट गैलरी ने इनाम में 20 मिलियन डॉलर का इनाम रखा ।
धीरे-धीरे उस आर्ट गैलरी के अलाउंस और शांति को प्रदर्शित करने वाले पेंटिंग के बारे में एक राज्य से राज्य और दूसरे से तीसरे राज्य और ऐसे करते-करते ये बात दुनिया भर में फ़ैल गई ।
दुनिया भर के पेंटर अपने पेंटिंग को भेजने लगे , विश्व के सभी कोने से उस प्रतियोगिता के लिए पेंटिंग आने लगे . देखते ही देखते उस आर्ट गैलरी में पेंटिंग की भरमार हो गई । पूरा के पूरा आर्ट गैलरी पेंटिंग से भर गया था । लाखो की संख्या में वंहा पेंटिंग पहुंच चुके थे । आर्ट गैलरी के चारो तरफ पेंटिंग ही एक से बढ़कर के एक पेंटिंग दिखाई दे रहा था ।
लाखो पेंटिंग को देखने के बाद में उस कांटेस्ट के जो जज थे उन्होंने फाइनली शार्ट लिस्ट किया और लाखो पेंटिंग में से मात्र 100 पेंटिंग को शार्ट लिस्ट किया । उस शार्ट लिस्ट लिस्ट किये गए 100 पेंटिंग को प्रदर्शनी के लिए लगाया ।
100 पेंटिंग को प्रदर्शनी में लगाने के बाद में उन सभी पेंटर को बुलाया गया जो शार्ट लिस्ट थे । उसके साथ ही साथ वंहा मिडिया वाले भी बैठे हुए थे और मिडिया वालो के साथ में हजारो लोगो की भीड़ भी जमा थी ।
क्यों प्रतियोगिता का प्राइज इतना था की सभी जानने को इंटरेस्ट था की आखिर कौन जीतेगा इस प्रतियोगिता को । सबकी नजर उन उस आर्ट गैलरी के जज में थे । वे एक टक लगा कर के देख रहे थे । शांत सा माहौल पूरा आर्ट गैलरी सस्पेंस से भरा । कोई बातें नहीं , कोई इशारा नहीं सिर्फ और सिर्फ जज को देख रहे थे ।
उस शार्ट लिस्ट किये गए 100 पेंटिंग में एक से बड़ के एक पेंटिंग थी जिसे देखते ही आप प्रसन्न हो जाते , आपको उस सभी पेंटिंग को देखकर लगता की वाह सच में शांति है यंहा , उन सभी पेंटिंग को देखकर के महशुश करने लगते की आप वंही है । आपने आप को उस पेंटिंग के कलाकारी में सजोने लगते आह ! कितना खुबशुरत था ।
उनमे से एक ऐसा भी पेंटिंग था जंहा पर एक बिल्कुल साफ पानी जिसके पीछे कुछ पहाड़ थे । उसके ऊपर बर्फ जमी हुई थी और पीछे से सूरज निकल रहा था ।
एक और पेंटिंग थी जंहा पर पेंटर ने शांति को दिखाया था . फूल मून नाईट के रूप में यानि की ये पेंटिंग शांति को देखने वाली बहुत ही सुन्दर शानदार पेंटिंग थी । पानी बिल्कुल शांत , साफ एकदम क्लियर था । इतना शांत की आप उसके अंदर के परछाई को देख सकते थे बिल्कुल एक दर्पण की तरह । बिल्कुल काले आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे और एक चाँद चमक रहा था ।
इसके आलावा इक पेंटिंग थी जिसमे सफ़ेद बादल थे , नीला आसमान था और बिल्कुल हरी-हरी घास थी । यानि की सभी पेन्टिन बहुत ही शानदार खुबशुरत और शांति को दिखा रही थी । तो प्रतियोगिता में निर्णय लेना बहुत ही ज्यादा कठिन था । सारी पेंटिंग एक से बढ़कर एक थी की जजेस के शॉर्टलिस्ट करना बहुत ही मुश्किल था ।
कुछ समय बीतने के बाद में आखिर वो समय आ ही गया उन सभी पेंटिंग में एक पेंटिंग को सलेक्ट करना था । सभी जजेस ने मिलकर के अपना राय दिया और उनमे से एक पेंटिंग को शार्ट लिस्ट कर दिया । फाइनली उस पेंटिंग को उस सभी पेंटिंग से हटाकर के एक परदे के पीछे ले जाकर के रख दिया ।
सस्पेंस और बढ़ता जा रहा था की अमाउंट इतना बड़ा था । सभी लोग टक लगा कर के देख रहे थे । न्यूज़ और मिडिया वाले सभी लोग थे । अचानक से स्टेज से पर्दा हटता है । सबकी नजर उस पेंटिंग को देखने लगते है , न्यूज़ पत्रिका वाले उस पेंटिंग की फोटो ले रहे थे । सब एक-दूसरे की शक्ल देकने लगे । किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की एक्चुअल में हो क्या रहा है ? क्योंकि जो पेंटिंग वंहा पर दिख रही थी वो दूर-दूर तक शांति को प्रदर्शित नहीं कर रही थी ।
सबको लग रहा था की उस आर्ट गैलरी से कोई गलती हो गयी है , जजेस से कोई गलती हुई है और किसी गलत पेंटिंग को वंहा पर रख दिया है ।
कुछ पेंटर एक साथ आये और आकर के उस आर्ट गैलरी के ऑनर से मिले और उनसे पूछा । क्या ये कोई गलती ? , क्या ये गलती से आपने कोई गलत पेंटिंग तो वंहा पर तो नहीं रख दी ।
आर्ट गैलरी वाला थोड़ा सा मुस्कुराया (RJ Kartik Ki Kahani ) और कहा नहीं ये पेंटिंग ठीक है । जजेस से इसी पेंटिंग को सलेक्ट किया है और यही पेंटिंग आज इस प्रतियोगिता का विनर है , विजेता है ।
सारे पेंटर ये जवाब सुनकर के गुस्से से भर गए और सबने मिलकर के विद्रोह कर दिया । ये देखकर सभी मिडिया वाले खड़े हो गए और भागते हुए उस आर्ट गैलरी के ऑनर के पास में और उनके मुख के सामने सभी माइक को आगे कर दी ।
इसके बाद में फिर से उस आर्ट गैलरी वाले फिर हल्का सा मुस्कुराया और कहाँ मुझे कुछ बोलने से पहले आप इक बार इस पेंटिंग को ध्यान से देखिये । थोड़ा पास से देखिये शायद आपको कुछ ऐसा नजर आये जो दूर से नजर ना आ रहा है की आप सबने तो देख ली इस पेंटिंग में आंधी है , तूफान है चारो तरफ तहस नहस हो रहा है आसमान में बिजली कड़ड़ रहा है , काळा बदल छाये हुए है ।
ये सब तो आपने देख लिया लेकिन एक चीज नहीं देखि इस पेंटिंग में एक घर भी है । उस घर में एक छोटी सी खिड़की भी है । जंहा पर एक आदमी खड़ा है । ध्यान से जाकर के देखिये वो जो आदमी खड़ा और बाहर देख रहा है उसके चेहरे पर कोई डर नहीं है बल्कि हल्की सी मुश्कान है , एक ठहराव है , एक शुकुन है और ये ही है शांति का असली मतलब .
यानि की शांति का असली मतलब ये नहीं बाहर हमारे सब कुछ शांत है और फिर हम शांत है क्योंकि वो टेम्पररी है असली शांति का मतलब ये है की हमारे बाहर जो कुछ भी हो रहा हो हम अंदर से पूरी तरह से शांत है , हमारा मन शांत है क्योंकि जिसका मन शांत नहीं है उसको चाहे कितनी भी शुकुन दे दो और सुन्दर से सुन्दर जगह पर ले जाकर के बैठा दो वो वंहा पर भी जाकर के दुखी रहेगा ।
और वंही दूसरी तरफ से जिसका मन शांत है उसके बाहर चाहे कुछ भी हो रहा हो , चाहे मौसम कैसा भी हो , चाहे उनके आसपास में सब कुछ तहस नहस हो रहा हो , तूफान हो लेकिन वो अंदर से शांत रहेगा और यही है शांति का असली मतलब ।
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2 . अपने आप से प्यार करना सीखो – RJ Kartik Ki Kahani
एक बार की बात है एक छोटे से गांव में एक आदमी रहता था । उस आदमी का एक छोटा सा घर था . घर के पास में एक बड़ा पहाड़ था । व्यक्ति रोज सुबह उस पहाड़ में जाता और थोड़ी देर उस पहाड़ में बैठता और फिर थोड़ा देर बैठ के वापस आ जाता । ये उसका डेली का रूटीन बन गया था ।
रोज की तरह पहाड़ में चढ़ने के लिए जा रहा था पीछे से उसका छोटा लड़का आता है और उसका हाथ पकड़ लिया और लड़का कहता है आज मैं भी आपके साथ में चलूँगा ।
उसने अपने बेटे को थोड़ा सा समझाया और मना किया और कहा की जो रास्ता है वो बहुत ही छोटा है और चढाई बहुत ही ज्यादा है तो तुम मेरे साथ में नहीं चल पाओगे लेकिन उसके बेटे ने जिद करि और जिद पकड़ लिया तो पिता मान गया ।
तो बातें करने के बाद में बाप और बेटे पहाड़ चढ़ने लगे । पिता ने अपने बेटे का हाथ कसके पकड़ा हुआ था । दोनों रास्ते में चले जा रहे थे । रास्ते ऐसा था की एक तरफ पहाड़ था तो दूसरे तरफ खाई था । पहाड़ से थोड़ा सा हाथ फिसला तो सीधे खाई में जा गिरेगा ।
धीरे-धीरे दोनों बाप और बेटे पहाड़ में चढाई कर रहे थे । चढाई करते-करते वे दोनों पहाड़ के चोटी में पहुंचने ही वाले थे की उसके सामने रास्ते में एक बड़ा सा पत्थर आ जाता है । क्योंकि पिता उस रास्ते में रोज आता था तो उनको पता था की वंहा बड़ा सा पत्थर है तो पिता साइड से होकर के आगे निकल गया लेकिन जो बेटा उसका ध्यान कंही और था । बेटा उस पत्थर से जा टकराया । उसका घुटना उस पत्थर से जा टकराया तो उस बच्चे के मुख से जोर की चीख निकली – आह !
जैसे ही उसने जोर से कहराते हुए चीखा उसकी वो कहराने की आवाज उस पहाड़ में चारो तरफ गूंजने लगी । इसके पहले उस बच्चे ने कभी भी अपनी आवाज को गुजंते हुए नहीं सुनी थी । बच्चा थोड़ा सा घबरा गया और उसे लगा की शायद कोई है जो छुपकर के उसे देख रहा है और उसका मज़ाक उड़ा रहा है ।
फिर उस बच्चे ने जोर से आवाज लगाकर फिर कहा – कौन हो तुम ?
फिर पहाड़ के चारो तरफ वही गूंज कौन हो तुम ? , कौन हो तुम ? , कौन हो तुम ? धीरे धीरे ये आवाज गूंजते हुए कम होने लगी .
लड़का फिर गुस्सा हो गया कौन है ये जो मेरा मज़ाक उड़ाया जा रहा है ?
फिर उसने जोर से कहा – मैं तुम्हे छोडूंगा नहीं ।
वो जैसे पहाड़ के इस गूंज को सुना लड़का घबरा गया । उसके पिता जी समझ गए थे इसके साथ क्या हो रहा । लड़के में अपने पिता जी हाथ फिर से कस के पकड़ लिया । फिर उसके अपने पिता जी से कहाँ कौन है जो मुझे पुकार रहा है ?, कौन है मुझे इतना डरा रहा है ?
उसके पिता ने मुस्कुराये और नीचे खाई की तरफ देखा और फिर जोर से बोलै “मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु ।”
ये सुनकर बच्चा बहुत परेशान हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था वही इंसान जो उसका मज़ाक उड़ा रहा है , उसको तंग कर रहा है ? वही मेरे पिता को बोल रहा है की मैं तुमसे बहुत प्यार कर रहा हु ?
तो उसके पिता ने अपने बेटे को देखा वो समझ गए थे की उनके मन में क्या चल रहा है ?
फिर उसने दोबारा पहाड़ से ऊंची आवाज में बोला की – तुम बहुत ही अच्छे हो । चारो तरफ आवाज गूंजने लगी – तुम बहुत अच्छे हो , तुम बहुत अच्छे हो , तुम बहुत अच्छे हो ।
ये सुनकर की उसके बेटे ने फिर थोड़ा सा , हल्का सा मुस्कुराया और पूछा अपने पिता से की ये क्या हो रहा है ?
फिर उसके पिता ने अपने बेटे को समझाया ये जो आवाज तुम सुन रहे हो न ये किसी और की नहीं है । ये तुम्हारी ही आवाज है जो पहाड़ो में ही गूंज रही है और तुम्हे अपनी ही आवाज सुनाई दे रही है । जैसा तुम बोलते हो ठीक वैसा ही तुम्हे सुनाई देता है । अगर तुम गुस्से से कुछ कहोगे तो पलटकर जो आवाज आएगी उसमे भी गुस्सा होगा लेकिन तुम अच्छा कहोगे तो वो आवाज भी अच्छी आएगी और अच्छी होगी ।
बिलकुल इसी तरह से भी हमारी जिंदगी में भी होता है जैसा तुम अपने मन में अपने जिंदगी के बारे में सोचते हो ये जिंदगी भी तुम्हारे लिए वैसे ही हो जाती है । अगर तुम मन ही मन अपने आप को ये बोलते रहोगे मेरी जिंदगी तो बहुत ही बुरी है तो तुम्हारी जिंदगी सच में बुरी हो जाएगी और अगर तुम अपनी जिंदगी से प्यार करोगे तो तुम्हरी जिंदगी भी तुमसे प्यार करेगी ।
लड़का अपनी पिता के बात को बड़े ही ध्यान से सुन रहा था । उनके पिता जी के कही बात उनके दिमाग में , मन में घर कर गयी । कुछ देर बाद में दोनों बाप और बेटा उस पहाड़ के छोटी में चले गए । बच्चे के दिमाग में उनके पिता की बातें ही घूम रही थी । पहाड़ की छोटी में पहुंचने के बाद में थोड़े देर बैठने के बाद में । बच्चे ने खिलखिला के हंसा और उन्होंने अपने दोनों हाथ को खोलकर के जोर से अपने पूरी ताकत के साथ में बोला “मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु” ।
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3 . अपनी नजर को बदलो -Rj Kartik new Story
एक छोटे से जंगल में एक साधू कुटिया बना के रहते थे । साधु के बारे में लोगो ने तरह-तरह के बातें करते थे , प्रसंसा करते थे और आसपास के लोगो से और थोड़े दूर दराज के लोगो से साधु महाराज प्रसिद्ध हो गए थे । उनके पास लोग अपने परेशानी लेकर के आते थे और कंही-कंही कोई न कई समाधान जरूर पा के जाते थे ।
एक बार की बात है एक नेता साधु की प्रसिद्धि को सुनकर के उसके आश्रम में पहुंचते है । नेता आश्रम में पहुँचता है देखता है एक कालीन बिछा हुआ था वंहा बहुत सारे लोग बैठे हुए थे और साधु महराज किसी व्यक्ति को उनके प्रश्नो के उत्तर दे रहे थे ।
जैसे नेता अंदर गया उसके साथ में उसके 4 बॉडीगार्ड भी थे । जब भी वह कंही पर जाते थे तो बैठे हुए लोग खड़े हो जाते थे और दोनों हाथो को जोड़कर कर के प्रणाम करते थे लेकिन साधु महराज के कुटिया में आने पर जस्ट उसके विपरीत हुआ । साधु ने उनकी तरफ देखा तक नहीं क्योंकि वो साधु किसी के प्रश्नो का उतर दे रहा था ।
नेता को साधु पर गुस्सा आ गया । नेता को लगा की ये यंहा आने पर उसकी बेज्जती हो गयी तो उस नेता ने साधु की बातो को बीच से काटते हुए बीच में ही कहा – मैं आपसे कुछ कहना चाहता हु ?
साधु ने उसकी तरफ देखा और फिर कहा – आप थोड़ी देर रुकिए मैं इनके सवाल का जवाब दे लू उसके बाद में मैं आपसे बात करूँगा । तब तक आप बैठ सकते है ।
साधु की बातो को सुनकर नेता को बड़ा जोर से गुस्सा आया । नेता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया फिर उसने अपना सारा गुस्सा उसने साधु पर निकाल दिया । अभी तक नेता बहुत ही तमीज से बात कर रहा था यानि की आप कह के बात कर रहा था । अब वो तू तड़ाक पे उतर आया ।
नेता ने फिर उस साधु को जोर से गुस्से से – तुझे पता भी है मैं कौन हु और तू किस्से बात कर रहा है ।
साधु ने नेता की तरफ देखा और कहा की मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आप कौन है ? और आप जो कोई भी आप चाहते है की मैं आपके सवाल का जवाब दू तो आपको कुछ देर रुकना होगा ।
साधु के ये कहते ही नेता गुस्से से पागल हो गया , अंदर से आग बबूला हो गया और वंही सबके सामने चीखने चिल्लाने लग गया । नेता जोर से कहने लगा देख अब मैं तेरी असली औकात दिखाऊंगा , तूने मुझसे पन्गा लेकर के ठीक नहीं किया । तुझे पता भी है मैं तेरे बारे में क्या सोचता हु ?
साधु ने बड़े प्रेम से नेता की और देखा और फिर वही बात को दोहराते हुए कहा की मुझे इससे कोई फर्क आप मेरे बारे में क्या सोचते है ? , आप जो चाहे मेरे बारे में सोच सकते है ।
फिर उस नेता ने जोर से गुस्से में कहा तू मुझे सुनना चाहता है या नहीं लेकिन मैं तुझे बताऊंगा की मैं तेरे बारे में क्या सोचता हु ? नेता गुस्से में बोलते ही गया – तू बहुत ही घटिया इंसान है , तू कोई साधु नहीं है , तू ढोंगी है , पाखंडी है और यंहा पर जितने भी लोग बैठे है उन सब को बेवकूफ बना रहा है । तेरे बस एक ही मकसद है कि लोगो कि जेब में जितना भी पैसा है वो पैसा तेरे पास में आ जाये । तू अपने फायदे के लिए इन सभी लोगो का इस्तेमाल कर रहा है और अब मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला , मैं तुम्हारा असली चेहरा दुनिया के सामने लाकर के रहूँगा ।

उसके इतना बोलने के बाद भी साधु ने गुस्सा नहीं किया उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान बनी रही ।
और साधु के चेहरे में मुस्कान को देखर से नेता और तिलमिला गया फिर उसने कहा मैं यंहा एक भी समय नहीं रह सकता , मैं यंहा एक मिनट भी नहीं रुकने वाला लेकिन अभी भी तेरे पास में मौका है अगर मुझसे माफ़ी मांगनी है या मुझसे कुछ कहना है तो कह सकते हो ?
इतना सब होने के बाद भी साधु महराज बिलकुल शांत था और उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी । साधु महराज अपनी दोनों आँखों को बंद कर दिया और दो तीन मिनट आँख बंद करने के बाद में फिर आँख को खोला और दोनों हाथ को जोड़कर के बड़े ही कोमल , सहृदय से कहा मुझे आपसे कोई गिला सिकवा नहीं है , मेरे मन में आपके लिए कोई भी गलत ख्याल नहीं है । जो आपने मेरे बारे में जो आपने मेरे बारे में कहा वो आपकी अपनी सोच थी तो मुझे आपमें कोई बुराई नजर नहीं आती , मुझे आपमें एक बहुत ही भले इंसान लगते है ।
और साधु के इतना कहते ही नेता जी का दिमाग सातवे आसमान पर पहुंच गया । उनके चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी थी कि उस साधु ने वही कहा जो बाकि सब लोग उस नेता को कहते है । और साधु कि इस बात को सुनकर के नेता बड़े ही ख़ुशी ख़ुशी आश्रम से अपने घर कि ओर चले गए ।
नेता जी घर में जाकर के अपने पिता जी के सामने बैठ गए । उस समय उसकी पिता जी कि आँखे बंद थी । उनके पिता जी उस समय ध्यान में था । तो कुछ देर बाद में उनके पिता जी ध्यान से उठा तो देखा कि उनके सामने उनके बेटे बैठे हुए थे । उन्होंने देखा कि उनके बेटे के चहरे एक अजीब ख़ुशी दिखाई दे रही थी कि इससे पहले तक उसने ये ख़ुशी देखा भी नहीं था ।
उसके बाद में नेता जी अपने पिता जी के पास में बैठकर के आज क्या हुआ एक एक करके उन सभी घटना , साधु के साथ में क्या हुआ , वो उनके ऊपर कैसे गुस्सा हो गया इन सभी बातो को एक-एक करके अपने पिता जी को बताने लगा ।
जब उसके पिता जी ने उनकी पूरी बातो को सुना तो उसने थोड़ा सा मुस्कुराया और अपने बेटे कि तरफ देखकर बोले – उन्होंने तुम्हारी तारीफ नहीं कि , उन्होंने वो नहीं कहा कि जो तुम हो , उन्होंने वो कहा जो वो खुद है ।
और तुमने जो कुछ भी उनके बारे में कहा जो वो खुद नहीं है बल्कि तुमने वो कहा जो तुम खुद हो ।
यही बात वेदो में भी बताई गई है , कही गई है । ये दुनिया तुम्हे वैसे दिखाई नहीं देती जैसे कि ये दुनिया है बल्कि ये दुनिया ऐसी दिखाई देती है जैसे तुम खुद हो ।
जिसकी नजर जैसी है ये दुनिया उनके लिए वैसी है । अगर तुम अपनी दुनिया को बदलना चाहते हो तो तो उसका सिर्फ एक तरीका है अपनी नजर को बदलो दुनिया खुद ब खुद बदल जाएगी ।
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4 . जब भी गुस्सा आये तो यह बात याद रखना – Rj Kartik new Story
ये छोटी कहानी है एक छोटी सी बच्ची की जिसको बहुत ही ज्यादा गुस्सा आता था । हर एक बात पे बहुत ही ज्यादा गुस्सा करती थी । जब गुस्सा करती थी की वो बच्ची ये नहीं देखती थी उनके सामने कौन है ? और जो मन में आता थी . वो बोल देती थी । कई-कई बार तो इतना गुससा हो जाती की उनके सामने कोई भी सामान होती थी उसे गुस्से से जमीं में फेक करके तोड़ देती थी ।
ये सब देखकर के उनके माँ बाप बहुत ही ज्यादा परेशान हो गए थे और ये उनका डेली का रूटीन बन गया था । उनके माँ बाप उनके गुस्से से बहुत परेशान होकर उन्हें ये समझ में नहीं आ रहा था की वो उस बच्ची के साथ क्या करे । उन्होंने बहुत कोशिश करि उस बच्ची को समझाने की । उन्होंने बच्ची को समझाने के लिए कई अलग अलग तरीके अपनाये लेकिन भी उस बच्ची को समझा नहीं सकी और हार मन गई अपने बच्ची को समझाने में ।
फिर एक दिन उसकी माँ ने उसकी ट्युसन टीचर से बात करि । एक ट्युसन टीचर ही एक ऐसी थी की उसकी बात को वह सुनती थी और उसकी बातो भी मानती थी वो करने के लिए वो बच्ची ट्युसन टीचर के बात कभी न नहीं करती थी और उस पर कभी गुस्सा नहीं होती थी ।
ट्युसन टीचर ने उसकी माँ की सारी बातो को उसने सुनी और कहा aap बिलकुल ही टेंसन मत लीजिये आने वाले कुछ दिनों के अंदर आपकी बच्ची का गुस्सा धीरे-धीरे पूरा ख़त्म हो जायेगा वो किसी पर कोई गुस्सा नहीं करेगी ।
उनकी माँ को कुछ समझ में नहीं आया लेकिन उन्होंने कहा की कोशिश करने में क्या जाता है और उसकी ट्युसन टीचर ने हां कह दी ।
फिर रोज की तरह बच्ची जब ट्युसन करने के लिए टीचर के पास आई । इसके साथ में कई अन्य बच्चे भी ट्युसन करने के लिए आती थी ।
जब सभी बच्चे ट्युसन पढ़ने के लिए आ गई तब के टीचर ने कहाँ आज हम पढ़ाई नहीं करेंगे , आज हम एक गेम खेलेंगे । फिर बच्ची और अन्य सभी बच्चे बहुत ही ज्यादा खुश हो गए ।
फिर टीचर उस सभी बच्ची के साथ में घर के पीछे एक दिवार के पास में जाकर के खड़ी हो गई और गेम ये है की तुम्हे जब भी गुस्सा आये तो एक कील लेनी है और अपने घर के दिवार गाड़ देनी है । थोड़ी सी या फिर तुमसे जितनी हो सके .
फिर उस सभी बच्ची के साथ में वह गुस्सा करने वाली लड़की भी थी ने ट्युसन टीचर से पूछा की इससे क्या होगा ?
तो ट्युसन टीचर ने कहा जब ये गेम ख़त्म होगी तब तुम्हे प्राइस मिलेगा .
उन सभी बच्चो ने वैसा ही किया जो टीचर ने बताया था । वो बच्ची भी जब भी उन्हें गुस्सा आती वह हौथड़े और कील लेकर के अपने घर के दिवार के पीछे चली जाती थी और कील को दिवार के अंदर गाड़ देती जैसे की उस लड़की बहुत ही ज्यादा गुस्सा आता था तो पहले ही दिन 18 से ज्यादा कील उस दिवार में गड गई ।
लेकिन उसे उस कील को गाड़ने के लिए बार-बार घर से बाहर जाना पड़ता और उस कील को गाड़ना पड़ता . दूसरे दिन फिर लड़की को गुस्सा आया तो उन्होंने 15 किले दिवार के अंदर गाड़ दी । फिर लड़की को लगी की जितनी मेहनत मैं इस कील को गाड़ने में लगती हु उतनी मेहनत करके गुस्से को कंट्रोल करने के लिए कर सकती हु ।
उसके अगले दिल 12 किले गड़ी उसके अगले दिन 10 और उसके अगले दिन 6 और उसके अगले दिन 4 , फिर 2 , फिर 1 और ऐसे करते करते लड़की को ऐसा भी दिन आया की उसे एक भी गुस्सा नहीं आया । लड़की ये देखकर बहुत ही ज्यादा खुश हो गई ।
ख़ुशी ख़ुशी अपने टीचर के पास में गई और और उन्होंने अपने टीचर को बताया की देखिये mam आज एक भी बार मैं गुस्सा नहीं किया और आज एक भी कील दिवार के अंदर नहीं गाडी लड़की बहुत ही ज्यादा खुश थी . तो mam ने उसे थोड़े से शाबाशी दी ।
टीचर उसके दूसरे दिन उसके घर गई और बच्ची के साथ में उस दिवार के सामने जा के कड़ी हो गई और उस टीचर ने कहा लेकिन गेम अभी ख़त्म नहीं हुई अब तुम्हे क्या करना है और जिस भी दिन तुम्हे बिलकुल भी गुस्सा न तो उस दिन के अंत में तुम इस दीवार से एक कील को निकल दोगी .
तो बच्ची टीचर के बातो ना नहीं कही सकी और बच्ची में वैसा ही किया क्योंकि किले बहुत ही ज्यादा थी तो उसे निकालने में उसे 2 महीने से अधिक का समय लग गया उन किलो निकालने में । वह लड़की रोज एक कील को डेली निकलती और एक दिन ऐसा भी आया की एक भी कील नहीं थी उस दीवाल में ।
जब उस बच्ची ने सारी किलो को निकालने के बाद में उसके दूसरे दिन उस बच्ची ने टीचर में पास में जाकर के Mam उस दिवार में एक भी कील नहीं मैंने उन सभी किलो को निकाल दिया ।
फिर उसके शाम को टीचर उसके घर गई और बच्ची के साथ में उस दिवार के पास जाकर के खड़ी हो गई उसके देखा की एक भी कील नहीं है दिवार में फिर उसको टीचर शाबाशी देते हुए टीचर ने उनकी फेवरेट चकलाते उसे दी ।
और बोली की तुम इस प्राइस को जीत गई हो और बच्ची अपने पसंद के चॉकलेट को पाकर बहुत ही खुश हो गयी । बच्ची को टीचर ने फिर कहा – क्या तुम्हे इस दिवार में कुछ नजर आ रहा है ।
तो बच्ची ने कहा नहीं मैम कुछ भी नजर नहीं आ रहा है ? मैंने तो सारी किले निकाल दी है ।
एक बात ध्यान से देखो शायद कुछ नजर आये तो उस बच्ची ने फिर उस दिवार को देखा ।
बच्ची दिवार को देखने के बाद कहती है – वो जो मैंने दीवाल में किले गाड़ी थी उसके निशान मुझे नजर आ रही है ।
जब बच्ची ने दिवार में लगे कील को देख लिया तब उसकी मैम ने कहा – जैसे तुमने इस दीवाल में कील गाड़ी है वैसे ही तुम कील को निकल सकते हो लेकिन उसके निशान को नहीं मिटा सकती ठीक इसी तरह से होता है जब तुम गुस्सा करती हो । जब तुम गुस्सा करती हो अपने माँ -बाप पे या किसी पे भी तो उनके दिल में में चोट लगती है उनको भी दर्द होता है
और वह पर निशान रह जाता है । उस निशान को चाह करके हटा नहीं सकते चाहे जितना मर्जी तुम माफ़ी मांग लो । ये सुनकर के बच्ची को अपने गुस्से को याद करके अपनी गलती का अहसास करती है ।
गलती का अहसास होने के बाद में वो रोने लगी और बच्ची भागती हुई गई और अपने माँ के पास में जाकर के गले लग गयी और अपने माँ को बोली माँ आज के बाद मैं कभी भी गुस्सा नहीं करुँगी । मुझे समझ आ गया है मैंने क्या गलती करि है ।
उस दिन के बाद में उस बच्ची कभी गुस्सा नहीं किया ।
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