RJ Kartik स्टोरी LIST
1 . झूठ की कमाई और सच की कमाई ।। RJ Kartik Story In Hindi
हम आपको ईमानदारी से कमाया हुआ और झूठ बोलकर के कमाया गया पैसा से क्या फर्क पड़ता है कैसे हमारे जिंदगी में परिवर्तन दिखाई देता इस विषय में छोटे से RJ Kartik Story In Hindi के माद्यम से समझने वाले है ।
दोस्तों ये RJ Kartik Story In Hindi है एक बड़े से शहर के एक मध्यम परिवार के 35-40 साल की व्यक्ति की है । उसके परिवार वाले पहले उनके दादा होटल में लोगो को रोटी-चावल खिलाने का काम करते थे , उसके बाद उसके पिता जी रोटी , चावल , दाल बनाकर के लोगो को खिलाते थे जब उसके लड़के जिसकी उम्र 35-40 साल के बीच है वे अब ढेले में चावल , रोटी और दाल लोगो को खिलाते थे । ये उनका परम्परा चली आ रही थी होटल से सारे परिवार के लोगो का भरण-पोषण और उन्ही पैसो से उनके छोटे-छोटे बच्चो के स्कूल फीस भी भरते थे । मतलब इस होटल की कमाई से पूरा घर टिका हुआ था ।

ये व्यक्ति रोज ढेले लेकर के शहर के चौराह में जाकर के बेचते थे । ये उनका रोजाना का काम था । रोज सुबह 9 बजे आते और शाम तक अपने होटल में लोगो को खाना खिलाते और चले जाते ।
पहले दो- तीन साल पहले जब वह लोगो को अपने ढेले में खाना खिलता था तो बहुत झूठ बोलता था । यदि कोई नए ग्राहक उनकी होटल में आ जाये तो उन्हें बहुत झूठ बोलकर के अपने खाना को उसे दे देता था । लोग पूछते गर्म खाना है तो बोलते गरम है लेकिन वह खाना पुरे ठण्ड हो चुके होते थे ।
यदि थोड़े बहुत सब्जी कम हो जाते थे उसमे पानी डाल कर के उसे नया बना देते । दाल कम तो उसमे भी पानी मिलाते , सुबह का बचे हुए खाना को शाम तक रखते , यदि थोड़ा सा ख़राब होने लगता तो फिर से उसे गर्म करके लोगो को खिलाते थे । ऐसा करत-करते अपना होटल चलते थे । लोग आते खाना-खाते और पैसे देके चले जाते ।
रोज उनकी कमाई हजार रुपये के आस-पास पहुंच जाता था , वह व्यक्ति बहुत ही खुश होकर के अपनी घर जाता और सारे पैसे को अपने माँ देता और बताता मैंने आज ये किया , मैंने आज उतना कमाई किया । आज दाल कम हो गया था तो उमसे मैंने ये मिलाया । अपने सारे काले करतूतों को अपनी माँ को बतलाता ।
उनकी माँ उसे रोज गाली देता , उसे रोज डांटफटकार लगाता , उसे ऐसा करने से मना करती थी । जब भी वह अपने ढेले लेकर के घर से निकलते थे तो उन्हें एक बात बता देते की बेटा ऐसा काम मत करना लेकिन व्यक्ति अपनी माँ के बात को नजरअंदाज कर देता ।
और कहता यदि माँ मै ऐसा नहीं करूँगा तो ज्यादा पैसे नहीं कमा पाउँगा , मेरा धंधा बंद हो जायेगा । आज कल ईमानदारी का जमाना नहीं है , बेईमानी करने वाले लोग बहुत पैसे वाले होते है उनके पास कोई कमी नहीं होते । मै तो बहुत कम ये काम करता हु ।
ये बोलकर के वंहा से ढेले लेकर के चले जाते थे ।
ऐसा करते करते उन्हें 2 से 3 माह बीत गए । सा ठीक चल रहा था । 4 माह अब उनके छोटी बेटी की तबियत ख़राब होने लगे थे । सफ्ताह में एक न एक दिन उसे डॉक्टर के पास ले जाते थे फिर भी उनका बेटी का तबियत में कोई सुधार नहीं होता था । यदि सुधार हो भी जाते तो घर के दूसरे बच्चे को कुछ हो जाता । यदि बच्चे ठीक हो जाते तो उनकी माँ का तबियत ख़राब हो जाता ।
इस तरह से एक न एक व्यक्ति का प्रतिमाह तबियत ख़राब हो जाता था । उनके आधे कमाई उनके परिवार , बच्चे , डॉक्टर के खर्च में चले जाते थे । कुल मिलाकर के घर में किसी भी प्रकार की शांति नहीं । पैसे खूब थे कमाने लगे थे लेकिन उनके परिवार की शांति पुरे तरह से ख़त्म हो गया था । घर में कलह होने लगे थे ।
जितने सालो तक उन्होंने होटल में झूठ बोलकर के लोगो को खाना खिलाते थे उतने सालो तक परिवार में किसी न किसी का तबियत बिलकुल खराब हो जाता था ।
ऐसे करते करते उनके माता जी तबियत ख़राब हो जाती , लम्बे समय तक बीमार होने के कारण और वृद्ध होने के कारण उनके माता जी का स्वर्गवास हो गया ।
उसके बाद से उनके सब कुछ बदल गया । उनके ऊपर पुरे घर की जिम्मेदारी आ गया । उन्हें लगता था यदि घर में रहता तो अच्छा था उसे सलाह देने वाला कोई नहीं है , उसे रोकने वाला कोई नहीं है । व्यक्ति अपने आप को बहुत ज्यादा कोशने लगा मैंने अपने माँ को नहीं बचा पाया । कई बार तो वह व्यक्ति अपने ढेले में बहुत ही ज्यादा रोता था । ग्राहक के सामने अपने माँ के बारे में बताते हुए उनके आँखों से आँशु निकलने लगते थे ।
एक माह बीतने के बाद में उनकी माँ की कहा गया बातें याद आता है । वह उसके बाद ठान लेता आज के बाद वह कभी भी मिलावट , झूठ बोलकर के अपने होटल के सामने को बेचेगा नहीं चाहे कमाई हो या न हो । उसके बाद में उस दिन से उसने ईमानदारी के साथ में लोगो को कहकर के खाना खिलाना शुरू कर दिए ।
कुछ दिन बाद में उनके पास का भी कम लोग आने लगे थे उनके कमाई भी कम होने लगे थे । उसने धीरे-धीरे करके पुरे ईमानदारी के साथ में लोगो को खाना खिलाते । यदि खाना बच भी जाता था तो उस बचे हुए खाना को गाय , बैल को खिला देते थे । वो अब ज्यादा कमाने का लालच नहीं करने लगे , वे अब जितना कमाते थे उतने में ही खुश हो जाते थे ।
अब उनकी दिनभर की कमाई 4 सौ – 5 सौ रूपये तक ही जा पाता था । इतने में ही वे अपने आप को बहुत ही संतुस्ट कर लेते थे । इस माह में ईमानदारी के कमाई के बाद में उनसे बेटी जिसकी पहले बहुत ही ज्यादा तबियत ख़राब होती थी अब उनका तबियत ठीक होने लगे थे । कुछ समय बाद में उनके परिवार में किसी को कोई परेशानी , किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं था । अब उनके परिवार पुरे हंसी खुसी के साथ में ईमानदारी के साथ में कम कमाई से बहुत ही ज्यादा खुश थे ।
वह व्यक्ति अपने माँ को जब भी याद करता उनके आँखों में आँशु निकल आते थे और अपने आप को मन ही मन बहुत ही कोसते थे की काश मै अपने माँ के बात को मान लेता तो आज उनकी माँ जिन्दा होती हमारे साथ में ख़ुशी के दो पल बिता बातें लेकिन नियति को कंहा मंजूर था ।
भगवान जो भी करता है अच्छे के लिए ही करता है । जो भी होता है अच्छे के लिए होता है । देर सही लेकिन अच्छा सही ।
INSPIRATIONAL STORY- दोस्तों ये छोटी सी RJ Kartik Story In Hindi हमें जिंदगी में कुछ सीखा जाता है । ईमानदारी के 1 रूपये की कमाई बेईमानी के 1 हजार से कंही ज्यादा अधिक है । जिसकी कीमत समय आने के बाद ही दिखाई देता है । जो इस Rj Kartik Story में दिखाई दिया है । इसलिए हमें हमेशा ईमानदारी के साथ में काम करना चाहिए । भले ही वे पैसा कम क्यों न हो ।
दूसरी सिख – हमें हमेशा अपने से बड़े व्यक्ति की सही सलाह को जरूर मानना चाहिए । क्योकि वे हमेशे बड़े है और वे जो भी बताते है अपने उन्ही अनुभव को बतलाते है जो उनके साथ में घुट चूका है इस RJ Kartik Story In Hindi में भी यही बताया गया है उसके माँ ने उन्हें बहुत ही ज्यादा समझाने की कोशिश की लेकिन वह व्यक्ति नहीं माना और अंत में उनके माँ के चले जाने के बाद में उन्हें समझ में आया । यही हमारे साथ भी होता है । इसलिए हमेश बुजुर्ग व्यक्ति के सही सलाह हो मानना चाहिए
2 . अपने आप की तुलना किसी ने नहीं करना चाहिए ? ||आरजे कार्तिक की कहानियां
एक दिन साधु कंही जा रहे थे । एक कौवा पेड़ के टहनी में बैठा था । साधु उसी रस्ते से होकर के जा रहे थे अचानक से साधु के चेहरे में पानी की एक बून्द टपकी । साधु ने चेहरा उठाकर ऊपर देखता है तो देखता है की कौवा टहनी में बैठकर रो रहा था । साधु ने कौवा को बोलै क्यों रो रहा है ?
कौआ बोलै रौ नहीं तो क्या करू ? मुझे काला बनाया ?
साधु बोले क्या तकलीफ है ?
कौवा – तकलीफ ही तकलीफ है ? जिसके घर में बिउठु काउ-काउ करे तो लोग मुझे उड़ाने लगते है । कोई पालता नहीं हमें , आज तक आपने देखा किसी कौवे को पालता है कोई ? पालकर के कोई दाना खिलाया , कोई रोटी खिलाई ? श्राद में काम आता हु ? जूठा खिलाते है लोग मुझे ?
तो साधु बोलता है – क्या बनना चाहता है यदि मै तुम्हे दुबारा मौका दू तो ?
कौवा – यदि आप मुझे बनाना ही चाहते है तो मै हंस बनना पसंद करूँगा । क्योकि हंस के क्या जबर्दरस्त सफ़ेद रंग , शांति का प्रतिक , आह !
साधु में बोले आज मैं तुम्हे हंस बनाऊंगा इसके पलहे मेरा एक शर्त है जाके एक बार हंस से मिल आ ?
कौंवा भागते हुए हंस के पास गया – हंस उस समय तालाब में था । कौंवा प्रसंसा करते हुए कहता है – ओय हंस भाई क्या पानी में पैदल चलता है , क्या सफ़ेद सफ़ेद रंग लोग तुम्हे कितना पसंद करते है ? कितना खुश रहता है ?
हंस बोला कौन बोला तुझे की मैं इतना खुश रहता हु । मैं खुश नहीं हु इस रंग से ये रंग मौत के बाद का रंग है , लोग तस्वीर खींचते है पानी मेरी लेकिन पता ही नहीं चलता की पानी है की इसमें मैं भी हु ? , मैं पानी से दिखने लगता हु ?
तो कौंवा बोला तू खुश नहीं है इस रंग से ?
हंस – नई , बिलकुल भी नई ?
दोनों अब साधु महराज के पास गया ? अपनी बात बताई ।
हंस कहता है एक मौका तो दे दो हमें बनने की ?
तो साधु महराज ने कहा तेरे हिसाब से बता की तू क्या बनाना चाहता है ?
हंस – साधु महराज मैं तोता बनाना चाहता हु ? क्या चोंच , क्या रंग , लोग पालते है उन्हें , वो बोलता है ? बना दो प्रभु एक बार ।
साधु महराज कहता है मेरी एक शर्त है की तुम्हे एक बार उस तोते से मिलकर आओ ।
साधु महराज के बातो को मानकर हंस और कौंवा दो जंगल में चले गए । एक पेड़ में बहुत सरे तोते थे । उस पेड़ के दो-तीन चक्कर लगाने के बाद में अंत में वो तोता मिला ।
हंस प्रसंसा करते हुए कहता है – वो तोता भाई क्या मस्त जिंदगी है तेरा , क्या सुर है लाल-लाल , ये हरे रंग के तेरे पंख , लोग तुम्हे पालते है , क्या नहीं खिलाते है तुम्हे , क्या मस्त होगा न तेरा जिंदगी , कितना खुसी के साथ में जिंदगी जी रहा है ना ?
हंस की प्रश्नशा को सुनकर तोता कहता है – कौन कहता है की मैं इतना खुश हु ? ,
हंस बोला – तू भी खुश नहीं है ? , तुम्हे क्या तकलीफ है ?
तोता – तक्लीक ये की तुम चार चक्कर लगा गए तब जाके मुझे मिले देखे हो । ये कोई रंग है साला , पेड़ में मिल जाता हु ? मै दिखाई ही नहीं देता ?
अब तीनो आ गए साधु महराज के पास फिर तोता कहता है – महराज हमें मयूर बना दो । एक बार तो जरूर बना दो आपकी बड़ी दया होगी ।
साधु महराज उसे फिर कहता है – बेटा तीनो को मयूर तो बना दूंगा लेकिन मेरा भी एक शर्त है । शर्त ये है की तुम्हे मयूर से एक बार मिलना चाहिए ।
साधु महराज के बातो को सुनकर बड़ी उत्सुकता के साथ तीनो चले गए मयूर को ढूंढ़ने । एक बड़े जंगल में जाने के बाद में एक जगह बहुत सारे मयूर विचरण कर रहे थे । तीनो उनके पास पहुंचे ।
तोता , मयूर की प्रसंसा करते हुए कहता है – की मयूर क्या जिंदगी दिया है तुम्हे भगवान ने देख कितना सुन्दर है तू , जब बरसात होती है है और जब तेरे पर खुलते है तब कितना सुंदर लगते है , लोग उनके फोटो खींचते है , लोग तुझे राष्ट्रीय पक्छी कहते है , लोग तुम्हारे नाचने का प्रतिक्छा करता है , कितना खुश नशीब है तू , भगवान ने तुम्हे कितना शानदार सुन्दर बनाया है , बड़ा खुश रहता होगा ?
मयूर कहता है – थोड़ा देर तो तोता के प्रसंसा को सुनकर चुप रहा । ता मयूर कहता है मैं कैसे खुश रह सकता हु मैं । थोड़ा देर चुप रहा रहा । फिर बोला ध्यान से सुन कोई आवाज आ रही है ?
तोता बोला है आवाज आ रही है । कौन है ?
मयूर कहता है – ये शिकारी है मेरा शिकार करने , मुझे पकड़ने के लिए आ रहा है । मेरे दोस्तों को मारडाला एक-एक पंख को नोचा गया है उसके जिश्म से और पुरे शहर में , पुरे देश में इसे बेचा जायेगा , लोग अपने घरो में लगाएंगे ।
ये कोई जीवन है । लोग ऐसे करते रहेंगे हम मरते रहेंगे । तो क्यों बनाना है मयूर ।
कौवा ने कहा तू इस रंग से खुश नहीं , तू इस शरीर से खुश नहीं – तो महुए कहता है – नहीं मैं खुश नहीं , नहीं बिलकुल भी खुश नहीं हु ।
कौवा में जोर से बोला तेरे हिसाब से क्या बनाना चाहिए और कौन सबसे ज्यादा खुश है ?
मयूर ने कौवे को कहता है तू ?
कौंवे के वो कहा कैसे ?
मयूर ने कहा – तुम बहुत खुश नशीब हो । जो तुम यंहा वंहा घूम सकते हो , लोग तुम्हे देखकर भगा देते है । लोग तुम्हे मरकर तो नहीं खाते । तुझे किसी ते तकलीफ भी नहीं , ना तुझे किसी से खतरा है , मस्त जिंदगी जी रहे हो और क्या चाहिए जिंदगी जीने के लिए । खा रहे हो पि रहे हो स्वतंत्रता से जिंदगी जी रहे और क्या चाहिए । तुम हो इस सबसे बड़े खुशनशीब ।
MORTAL OF STORY – दोस्तों ये आरजे कार्तिक की कहानियां हमें बहुत बड़ी बात सीखा जाती है हमें किसी से अपनी आप की तुलना नहीं करना चाहिए । जो भी है हम , जैसे भी अवस्था में है हम , जिस रंग के साथ है वह ही हमारे लिए बेहतर है । वही हमारे लिए उचित है । वही हमारे लिए फलदायक है ।
3 . दुःख और सुख कैसे मिलता है ? | RJ Kartik Story In HindI
दोस्तों आज हम आपको #दुःख और #सुख के बारे के बारे में एक RJ Kartik Story In Hindi के माध्यम से बताने वाले है । ये Rj Kartik Motivational Story बहुत ही छोटा है लेकिन अच्छा है । इस Rj Kartik ki kahani को पढ़ने के बाद में आपको #दुःख और #सुख के बारे में आपको #दुःख और #सुख के बारे में पता चल जायेगा । तो आइये पढ़ते है इस RJ Kartik Story In Hindi को –
एक बार एक महिला जिसकी एक छोटी सी बेटी ही थी । उनकी छोटी सी बेटी घर के बाहर आंगन में चार-पांच छोटे-छोटे अन्य बच्चो के साथ में खेल रही थी ।
महिला अपने बेटी और बच्ची और अन्य बच्चो की खेल को घर के दरवाजे से बैठ कर देख रही थी और बड़े मन ही मन खुश हो जाती है मुस्कुराने लगती है । महिला को उन बच्चो को खेलते हुए देखकर बहुत ही ज्यादा खुश हो गयी और सोचने लगी की इन बच्चो कुछ देने की सोचते है । महिला घर के अंदर जाती और घर से बाजार से लाये हुए तिल के लड्डू को उन सभी बच्चो को दे देती है ।
बच्चे तिल के लड्डू को पाकर बहुत खुश हो जाती है हो ज्यादा मस्त होकर के खेलने लगती है । तिल के लड्डू को देकर महिला घर के अंदर काम करने के लिए चली जाती है ।
अँधा-एक घंटा बीतने के बाद में महिला फिर घर से निकल कर के बच्चो को देखने के लिए आती है । महिला देखती है उनके आंगन में खेल रहे सभी बच्चे बहुत ही ज्यादा बदमाशी कर रहे थे । महिला को लगा की उन बच्चो को जाकर के अच्छे से सुताई करे लेकिन महिला ने सिर्फ अपने बच्ची को जाकर के दो चमटे लगा दिया । सभी बच्चे उनकी तरफ देखने लगे , सभी बच्चे शांत हो गए , उनके बदमाशी करने रुख गए बल्कि उनकी बच्ची रोना शुरू कर दिया ।
Short Of The Inspirational Story –
दोस्तों ये छोटी सी आरजे कार्तिक की कहानियांहमें हमें #सुख और #दुःख के बारे में बाटे बताती है । दोस्तों इस Rj Kartik ki kahani में #दुःख #सुख की आरजे कार्तिक की कहानी Lyrics में यदि महिला को भगवान है जिसमे उन्होंने छोटे-छोटे सभी बच्चो को तिल का लड्डू खिलाकर उन्हें #सुख दिया है उन्हें खुश किया है अर्थात यंहा पर उन्हें #सुख दिया गया है । भगवान भी चाहता है की उनके बनाये सभी जीव #सुख रहे , हंसी ख़ुशी के साथ में जिंदगी जिए ।
वैसे ही #दुःख के पात्र में की बेटी है । जब सभी उन्ही माँ उन्हें जब सभी बच्चियों को तिल के लड्डू दे रही थी तब उनकी उनकी बहुत ही ज्यादा लालच से तीन-चार तिल के लड्डू पकड़े थी । इस कारण से उसकी माँ ने उनमे से किसी भी बच्ची को न डांटकर , अपने ही बेटी को दो चमाता लगाती है ।
ऐसे ही दोस्तों जब भी कोई व्यक्ति गलत काम करता है , घृणा करता है , दुसरो को हानि पहुंचते है , चोरी करते है , झूठ बोलते है , गलत बोलता है लालच करता , पाप करता है , दोष करता है तो भगवान उनका किसी न किसी समय उनके द्वारा किये गए गलत कामो का फल हमें #दुःख के रूप में दिखाई देखे देता है । #दुःख का कोई समय नहीं होता ये किसी भी समय हमारे पास आ सकता है लेकिन दोस्तों आज तक #दुःख ज्यादा समय तक नहीं रहा है ।
#सुख और #दुःख जिंदगी में लगा रहता है । दोनों एक सिक्के के दो पहलु के सामान है । कब क्या हो जाये कुछ कहा नहीं सकता है इसलिए जिंदगी में दुसरो को खुशी देते चलिए , दुसरो के चेहरे में मुस्कान बाटते चलिए ऊपर वाला आपके चेहरे पर भी मुस्कान बाटते चलेगा , खुशी बाटते चलेगा ।
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