Satwantin Bahini Ki Kahani Hindi Me

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हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमरे ब्लॉग में आज की इस पोस्ट में हम आपको satwantin bahini ki kahani hindi me (chhattisgari kahani kisaa) के कहानी के बारे में पूरी डिटेल्स के साथ में जानकारी देने वाले है । इस कहानी satwantin bahini ki kahani hindi (chhattisgari kahani kisaa)में  आप को पढ़कर के बहुत ही आनंद का अनुभव करेंगे । तो चलिए दोस्तों इस कहानी को शुरू करते है ।

EK बहुत प्राचीन समय के बात हरे एक गांव में सात भाई और उसका मात्र एक बहन थे । उन साथ भाई बहनो के माँ आप भी नहीं थे । उनके सबसे छोटे भाई के नाम था सन्तु , और उसका बहन का नाम था सतवंतिन था ।

6 भाई के विवाह हो गया था उनके सबसे छोटे भाई के विवाह नहीं हुआ था , सतवंतिन सबसे प्यारी और लाड़ली बहन थी । उनके भैया और भाभी मिलकर के उनका पालन पोषण किया था और उनका विवाह भी करा भी दिया था ।

पहले के ज़माने में विवाह के पहले बिदाई बाद में किया जाता था तो सतवंतिन अपने मायके में ही अपने भाइयो के साथ रह रही थी । सतवंतिन का नाम जैसा था वैसा काम भी था । वह बहुत ही सीढ़ी सधी लड़की थी वह सीढ़ी सधी लड़की के साथ में बहुत ही मेहनती किस्म की लड़की भी थी ।।

सतवंतिन बहुत ही सुन्दर लड़की थी उसे उनके भाई , भाभी जैसा काम करने कहती थी वैसा काम  करती थी उनके खाने में जो भी मिल जाता था कभी भी कहने की अवहेलना नहीं की करती थी । इसी प्रकार से सुबह से शाम शाम तक घर में काम के साथ में दिन चलता ही रहा था ।

उनके सबसे छोटे भाई के विवाह नहीं होने के कारण से वह अपने छोटे बहन से बहुत ही ज्यादा लाढ करती थी ।

जैसे तैसे समय बीतने के बाद में खेती किसानी का समय आ जाता है । धीरे धीरे घर के सभी सदस्य खेतो के काम में व्यस्त हो जाते है सुबह काम करने के लिए सभी लोग घर जाते और खेत में काम करके शाम को वापस घर लौट आते थे ।

घर में बेचारी सतवंतिन रहती और घर का सारा काम को पूरा करके रखती थी । कभी कभी घर का सारा काम करके अपने भाइयो के लिए खेत में खाना भी ले जाती थी ।

एक दिन की बात है एक दिन उसके भाभियो ने उसे कहा की सतवंतिन बड़ी के चना भाजी ला तोड़ के चना भाजी के सब्जी बनाना ।

भाई भाभी के खेत जाने के बाद में सतवंतिन बड़ी के चना भाजी लो तोड़कर के लाई उसको सब्जी बनाने के लिए उसको हसिया ( परसुल ) में काट रही थी तभी अचानक उसकी हाथ हसिया से लग गई और हाथ कट गई , सतवंतिन के ऊँगली से खून का धार निकलने लगी वह खून को बंद करने के लिए अंगुली को दबाई लेकिन सारा का सारा खून चना के भाजी में में जा समाया , चना का भाजी खून ही खून हो गया ।

सतवंतिन अपने ऊँगली को एक छोटे से कपडे में लपेट कर कस के बांध दी ।

और जल्दी जल्दी से चना के सब्जी को बनाने लगी । और चना के सब्जी को बना कर के चना सब्जी को पकड़कर के खेत की और चली गई ।

दोपहर के जब सभी भाई और भाभी खाना खाने के लिए खेत के मेड में बैठे और चना भाजी के सब्जी को खाने लगी ।

खाते खाते उनकी बड़े भाभी कहती है – आज का सब्जी बहुत ही ज्यादा स्वादिस्ट है और कहती कैसे सतवंतिन क्या डाल के बनाई है ?

इस प्रकार से उनके सभी भाई , भाभी सभी ने आज की चना भाजी के सब्जी की सभी प्रसंसा की ।

उसका मझली भाभी कहती है – सतवंतिन इसमें क्या क्या मिलाई है ? मुझे भी तो बताओ ?

तब सतवंतिन है अपने भाई और भाभियो के डर से सारी बाते बताई । उनके बात को सुनके सभी लोग दंग रह गई किसी ने कुछ भी नहीं कहा ।

शाम तक काम करने के बाद में सभी लोग घर में वापस आ गए ।

रात के समय उनकी छोटी बहन के सोने के बाद में रात में उनकी सभी भाई और सभी भाभी किचन में एकत्रित हो गए और एकत्रित होकर के कहने लगे की उनके खून का लगे चना के सब्जी है इतना सुन्दर लगा , स्वादिस्ट लगा तब उसका मांस कितना स्वादिस्ट होगा अब कुछ भी हो जब कल सतवंतिन जब खाना लेके खेत में आएगी तब तब उसको मारकर के उसके मांस को मारकर के खाएंगे ऐसा सभी लोग बाते करने लगते है ।

इन सभी के बातो को चुपके से सतवंतिन के छोटे भाई सन्तु सुन रहा था और मन ही मन अपने भाइयो को कोष रहा था और कह रहा था की अपने जीभ के स्वाद के लिए अपने बहन को मारकर के खाने वाले हो , मै ऐसा मेरे रहते हुए नहीं होने दूंगा ।

ये सुनकर के रात के समय सोच सोचकर के सन्तु को नींद नहीं आ रहा था वह रात भर अपने बहन को बचाने के उपाय सोच रहा था लेकिन रात भर सोचने के बाद में उन्हें किसी प्रकार के उपाय नहीं मिला और

वह अपने दोनों हाथो को जोड़कर के भगवान से प्राथना करता है की ये भगवान मेरे बहन के जान ला कैसे भी कर के बचा ले मै तो कुछ भी नहीं कर सकता हु लेकिन आप तो अंतर्यामी हो कैसे भी कर के सतवंतिन के जान को बचा लीजिये ।

ऐसे सोचते सोचते रात कैसा निकला पता ही नहीं चला और शुबह होते होते सन्तु की आँख लग गया ।

सुबह होते ही अपने प्लान के मुताबिक हल्दी , धनिया , मिर्च आदि को पकड़कर के खेत की और चले गए ।

खेत जाने से पहले वे सभी सतवंदिन को जल्दी से खाना लाने को कहते है ।

खेत जाने के बाद में सभी काम को जल्दी जल्दी पूरा कर के खाना ( बासी ) पकड़कर के खेत की और चली गई ।

सतवंतिन के खेत जाने के बाद में उसके सभी भाई और भाभी मिलकर के खेत में मार डाली ।

मरते समय सतवंतिन अपने भाई और भाभी को हाथ जोड़कर के विनती करती है , दया के भीख मांगती है , गिड़गिड़ाने लगती है , हाथ जोड़कर के रोने लगती है लेकिन उनके हाथ जोड़कर रोने से , गिड़गिड़ाने से , दया की भीख मांगने से उनके भाइयो ने उनकी एक ना सुनी ।

जब उनको मार रहे होते है तब वह अपने छोटे भाई सन्तु को चीख चीख कर चिल्लाने लगती है ।

उधर सन्तु की घर में सोया हुआ था वह हड़बड़ा कर के जोर से उठा सुबह से दोपहर होने वाला था ।

हड़बड़ा कर के उठने के बाद में जोर से अपने बहन को चिल्लाने लगता है सतवंतिन , ये सतवंतिन , सतवंतिन , ये सतवंतिन ।

सन्तु जब घर में किसी के ना होने का आभास होता है तो वह डर के मारे वह सीधा खेत की और दौड़ने लगा हाँफते हाँफते जब वह खेत में पंहुचा तो देखा की उनकी बनान को काटकर के सब्जी बना रहा था ।

ये देखकर के उनकी आँखों से जोर की आंसू निकलने लगा वह अपने दोनों हाथो को सर पे हाथ रखकर के बैठ गया और जोर से रोने छाती पीठ पीटकर के रोने लगा ।

सन्तु को इस प्रकार से रट देखकर के उनके भाई , भाभी डर गए और वे सभी मिलकर के सन्तु को डरा धमका कर के चुप करा दिया और कहा की इस घटना को किसी और को बताओगे तो तुम्हे भी हम सभी मार के खा जायेंगे ।

इस सभी लोगो के बात को सुनकर के सन्तु पुरे तरीके से डर गया उनका रोना बंद हो गया ।

दोपहर के समय खाना खाना के लिए सभी लोग इक पेड़ के छाव में  खाना के लिए बैठे तब सबो ले थाली में सतवंतिन के मांस के थाली को परोसा गया । सभी भाई , भौजी बड़े ही चाव के साथ में खाने लगते है लेकिन बेचारा सन्तु के आँखों से आंसू की धारा बहाने लगती है ।

बेचारा सन्तु क्या करता मांस ला कौर बना कर के खाना खाने का दिखावा करता है लेकिन मांस को सभी के नजरो को बचाकर के पास के भोड़ू ( बिल ) में डाल देता था ।

खाने पिने के बाद में सभी लोग अपने काम में लग गए और शाम हुआ तो सभी लोग खेत से वापस हो गए ।

रात के समय फिर एक बार सभी लोग घर में एक जगह एकत्रित हो गए तब बड़े भाभी कहती है – की सतवंतिन के पतिदेव जब आएगा तब उन्हें क्या जवाब देंगे तब

मझला भाई कहता है सतवंतिन है पेट दर्द में मर गयी कहेंगे ।

तब बड़े भाभी फिर कहती है – जब गांव वाले पूछेंगे तब क्या कहेंगे ?

तब उसकी मझली भाभी कहती है – सतवंतिन ससुराल चली गई कहेंगे ।

सन्तु बेचारा अपने भाइयो और भाभियो के डर से किसी को कुछ भी नहीं बताया और अपने बहन के याद करके अपना हुलिया पागल जैसा बना लिया था ।

इस प्रकार से समय बीतता गया और ऐसे करते करते 2 साल बीत गए ।

जब सतवंतिन के बाद दूल्हा है अपने पत्नी को ले जान के लिए आया – तब सतवंतिन के भैया , भाभी कहते है दामाद बाबू सतवंतिन है पेट के दर्द में मर गई ऐसे दिखावा करते हुए सभी भी लोग ढोंग के आंसू निकालने लगे ।

ये सुनकर के सभी आये बाराती वापस होने लगी थी और वापस आते समय उसी खेत में सभी बाराती सुस्ताने के लिए रुक गए जिस खेत में सतवंतिन के मांस ला सन्तु बिल में डाला हुआ था वंहा उस स्थान में एक सुन्दर सा फूलो से लदा हुआ पौधा लगा ऊगा हुआ था ।

फूल इतना सुन्दर था की सभी बारातियो का मन उस पौधे के फूल में मन आ गया , सभी के मन को भाने लगा था । उनमे से एक बाराती फूल को तोड़ने के लिए अपने हाथ को उस पौधे के पास में लाया तब फूल की डाल ऊपर की ओर चला गया ओर पौधा से एक आवाज आया ओर गाना गाने लगा  ।

इस आवाज को सुनकर के बारातियो के होश उड़ गए क्योंकि कभी भी किसी भी पौधा को गाना गेट नहीं सुना हुआ था ।

ये देखकर के पौधा गाना गा रही है तो सतवंतिन के जेट भी पौधे से फूल तोड़ने की कोशिश करता है लेकिन वह फूल को नहीं थोड़ पाते है ।

पौधा के पास में जब भी कोई फूल तोड़ने के लिए आता था तो उसे रिश्ते नाते के हिसाब से गाना सुनाता था ओर फूल का डाल ऊपर हो जाता था जिससे की कोई भी उस पौधा का फूल नहीं थोड़ पा रहा था । बारातियो में से सभी लोगो ने कोशिश कर के देख लिया लेकिन किसी ने भी उस पौधा से फूल को नहीं तोड़ पाया था ।

अंत में दूल्हा राजा , सतवंतिन के पति फूल तोड़ने के लिए उस पौधा के पास में जाता है ओर फूल को तोड़ने के लिए हाथ को आगे बढ़ाया ओर जैसे ही उसने हाथ को आगे बढ़ाया वैसे ही सभी पौधे के फूल निचे की ओर आ गया । दूल्हा सभी फूल को तोड़कर के बारातियो के साथ में वापस आ गया ।

जब से सतवंतिन के मायके से बिन दुल्हिन के मायके से लौटे थे तब से दूल्हा के घर में एक विचित्र बात शुरू हो गया था । दूल्हा के माँ , बहिनी जब शुबह के समय उठे तब घर के सभी काम पानी भरना , झाड़ू लगाना , गोबर उठाना सभी काम हो जाया करता था ।

ये देखकर के घर का सारा काम हो गया है करके सभी लोग एक दूसरे से पूछने लगते है किसने किया है , किसने किया है काम लेकिन कई कोशिश करने के बाद में काम करने वाला का पता नहीं लगा सके ।

ये देखने के लिए की काम कौन करता है इसके लिए घर के बुजुर्ग लोग घर में पहरा देने लगे इसके बाद भी काम करने वाले का पता नहीं लगा सके ।

Satwantin Bahini Ki Kahani Hindi Me
Satwantin Bahini Ki Kahani Hindi Me

एक रात की बात है दूल्हा है घर के पहरा देत अपन कमरा में सोये हुए थे पहरा दे रहा था , रात को जागते जागते रत भी बीत गया था सुबह के पहर में वह देखता है की जिस स्थान में सारा का सारा फूल था उसी स्थान से सतवंतिन है निकलती है ओर घर का सारा काम करने के बाद में उसी स्थान में समा गई और अदृश्य हो गई ।

ये सभी घटना को देखकर के दूल्हा आश्चर्य चकित और डर गया और सोच में पद गया की सतवंतिन उसके घर में आया नहीं है लेकिन अभी जो देखा वह कौन है ?

इस बात को दूल्हा अपने घर से सभी सदस्य को बतलाता है की घर के सभी काम को सतवंतिन करती है । ये बात किसी को भी समझ में नहीं आया और सभी लोग कहने लगते है की सतवंतिन यंहा आई ही नहीं है उसके मौयके के सभी लोग उनको तो मरे हुए कहते है ? , कभी वह उनका बहुत तो नहीं है ?

सभी लोग घर में विचार किये पास के एक बूढ़े और तंत्र विद्या के अच्छे जानकर को घर में बुलाया और सतवंतिन को जिन्दा करने का उपाए पूछा गया ?

बूढ़ा तांत्रिक है विचार कर के एक उपाए बताया – की दूसरा रात के जब सतवंतिन है जब घर के सभी काम करने के बाद में जब फूल में जाने की कोशिश कर रही होती है तब उसी समय उसका दूल्हा सभी फूलो के टोकरो को तोड़कर के आग लगा देता है ।

और तांत्रिक के दिए जय राख को सतवंतिन के ऊपर में डाल देता है । ऐसा करते ही सतवंतिन है जिन्दा हो जाती है ।

ये बात सारी गांव में सुबह तक हवा की तरह फ़ैल जाती है । सभी लोग सतवंतिन को देखने के लिए घर आने लगी सतवंतिन अपने ऊपर हुए जुल्म के कहानी को सभी लोगो को सुना देती है और ये बात राजा तक भी पहुंच गया उनके सभी भाइयो जो जेलखाने में भेज दिया जाता है और उसका छोटा भाई सतवंतिन को देखकर के ठीक हो जाता है ।

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