फूलबासन में किसकी कथा है | Success Story Phoolbasan Bai Yadav

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Phoolbasan Bai Yadav एक गरीब परिवार की महिला है । जो एक गरीब परिवार में था की जो ज्यादा पढ़ाई नहीं की । एक होटल में काम करती थी । धीरे धीरे प्रगति करते गावो में जाकर-जाकर स्वं सहायता समूह को पुरे भारत में फैलाने का श्रेय श्रीमती Phoolbasan Bai Yadav को जाती है । श्रीमती फुलबासन बाई यादव को पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया है । आइये जानते है इनके फूलबासन में किसकी कथा है , CG Success Story तक की कहानी को –

Phoolbasan Bai यादव परिचय 

पद्मश्री फुलबासन बाई यादव का जन्म छत्तीसगसढ़ के राजनांदगांव जिले के छुरिया तहसील में ( छुरिया में ही ) सन 5 दिसंबर 1969 को एक गरीब परिवार में हुआ । पिता का नाम झड़ी राम यादव , माँ के नाम सुमित्रा बाई है । जन्म के समय का परिवार में 5 बहन , दो भाई थे ।

जन्म के समय फुलबासन बाई यादव के पिता एक झोपड़ी में चाय के दुकान था ।  फुलबासन बाई यादव इसी दुकान में आकर के कप बस्सी धोने का काम बचपन में किया करती थी । इसी दुकान से सभी घर परिवार का पालन पोषण करते थे ।

Phoolbasan Bai Yadav -
Phoolbasan Bai Yadav –

 

घर में परिस्थिति ऐसी थी की Phoolbasan Bai Yadav को पढ़ाई नहीं करा पाए थे । आप इंटरव्यू में बताती है की जब होटल में काम करते  समय किसी को पुस्तक पकड़े देखते थे तो मन में पढ़ाई की इच्छा उत्त्पन हो जाती थी लेकिन पिता जी को कहने पर भी नहीं पढ़ा पाई की उस समय उसकी गरीबी बहुत ही ज्यादा थी ।

Phoolbasan Bai Yadav – विवाह/ शादी

गरीबी इतना था की बेटी नहीं पढ़ा पाए और उस समय बाल विवाह का प्रथा तो कम उम्र में ही तक़रीबन उस समय आपकी उम्र 10 साल की थी तब आपकी शादी करा देते है । उस समय ऐसा प्रथा छत्तीसगढ़ में प्रचलित था की यदि किसी लड़की को कोई घर वाले पसंद कर लेता था तो उसी पसंद से कम उम्र में ही , बिना लड़के को देखे ही शादी करा देते थे । ये  भी बताती है की पति के साथ कैसे फेरे लिए ये भी याद नहीं है इतनी कम उम्र में शादी हो गयी थी । राजनांदगांव के सुकुल दैहान में चंदूलाल यादव के साथ ।

Phoolbasan Bai Yadav strugle की शुरुआत 

ससुराल में घर एक झोपडी था जो ऊपर से पालीथीन ( पाल ) से ढका हुआ था और सामने से सीमेंट के बोरे से ढका हुआ था । उस समय आपके पति दूसरे के यहाँ नौकर का काम करते थे जहा गाय-बकरी चराने का काम करते थे । 18 साल तक गाय बकरी चराना, गोबर उठाने काम करती रही । उस समय ऐसा था की गाय- बकरियों को चराने के लिए चप्पलें भी नहीं थे । बिना चप्पलें के ही गाये- बकरी चयारा करते थे । पहनने के लिए ठीक तरीका से साड़ी भी नहीं थे ।

Phoolbasan Bai Yadav
Phoolbasan Bai Yadav

 

Phoolbasan Bai Yadav ससुराल की स्थिति 

Phoolbasan Bai Yadav कुछ समय घर की परिस्थिति ऐसा था की जब शाम को गाय- बकरी चराकर के आते थे तब किसी के घर में चावल मांगने जाते थे कोई एक गिलास चावल नहीं देते थे और कुछ भी करके रात का भोजन कर लेते थे । ऐसी ही जिंदगी से गुजर बसर चल रही थी । 20 साल की उम्र में 4 बच्चे की माँ बन गयी थी ।  रात में पानी को पीकर या खली पेट ही बच्चो के साथ सो जाया करती थी । 

Phoolbasan Bai Yadav समूह की शुरुआत 

ऐसे गरीबी को देखकर कभी कभी सुबह से शाम तक सोचते रह जाते है के कैसे मै गरीबी को दूर कर सकती हु , कैसे मै अपने परिवार के लोगो गरीबी से निकल सकू, कैसे मै गांव के गरीब लोगो के गरीबी को दूर कर सकता हु ।  मन में एक विचार उठता है प्रत्येक घर से एक मुठ्ठी भर चावल सभी गांव भर से एकत्रित करके गरीब परिवार के लोगो को खिलाने का सोचते है । सबसे पहले गांव के महिलाओ से मिलकर उनको अपने बातो को बताते थे और तन मन धन देकर के गांव में समूह बनाने का काम शुरू कर देते है । 10 महिलाओ के साथ पहला समूह प्रज्ञा माँ बम्लेश्वरी स्वम् सहायता समूह बनाई । 

उस समय गांव में सभी लोग बहुत ही जायदा कहा करते थे की ये गांव के पूरा महिला को बिगाड़ देंगे । बार बार गांव के सभी पटेल, कोटवार मन परेशान करना शुरू कर दिए थे । कई बार तो दण्डित भी किए । ये ऐसे समय था की गांव के लोगो कम पड़े लिखे थे जिसे  नहीं समझ पा रहे थे क्या करना चाह रहे है ।


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गांव में कम पड़े लिखे होने के कारण समझाने में बहुत ही ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ती थी । यहाँ तक की पति भी दूसरे लोगो के भड़काने में आकर कभी कभी गाली-गलौच दे देते थे । कभी कभी समूहों के मीटिंग में थोड़ा भी रात हो जाते तो पति पीटा करते थे और कभी कभी तो घर के दरवाजा को नहीं खोला करते थे । परिवार वाले , पति, सभी गांव वाले बहुत परेशान करते रहे ।

और यही समय था आपके स्ट्रगल का , अपने सपने को साकार करने का , गरीबी को दूर करने का और एक नई दिशा देने का जिससे हजारो महिलाओ को इससे जोड़ने का उनके सपने को साकार करने का । वो कहते है जब सफलता और कामयाबी आना शुरुआत होती है तो सभी लोग तुम्हारे खिलाफ खड़े हो जाते है । ऐसा भी आपके साथ हो रहा था ।

अब ऐसा समय आ गया था की लोगो को अब हम क्या कर सकते है इसको दिखने के लिए किसी को कुछ न बोलकर अपने समूह के 10 महिलाओ के साथ गांव के गाली, मोहल्ला, बोरिंग, तालाब आदि को साफ किए । ऐसे करके गांव के लोगो उत्साहित किए ।

Phoolbasan Bai Yadav पहली जमा राशि 

कुछ समय बीतने के बाद इसके बाद से अपने समूह प्रज्ञा माँ बम्लेश्वरी स्वम् सहायता समूह में 10 महिलाओ के साथ  2 रूपये प्रति महिलाओ के हिसाब से सफ्ताह में समूहों में बचत करना शुरुआत करते है । बहुत ही मुश्किल से उस समय महीना में 10 रुपया जमा हो पाते थे । इस बचे हुए पैसे को बैंक में ले जाकर जमा करते थे ।

उस समय बैंक में मात्र 100 रुपया ही एक माह में जमा कर पाते थे । 6 माह तक लगातार 10 रुपया जमा करने के बाद महशुश किए की अब 20 रुपया जमा करना चाहिए और प्रति महिला अब 250 रुपया  प्रतिमाह जमा किये । इसके बाद समूह वाले सभी महिलाए को किसी भी प्रकार के आवश्यकता होने पर समूह से पैसे देने शुरू कर दते है ।

Phoolbasan Bai Yadav पहली सफलता 

इसके बाद बैंक की तरफ से सुकुल दैहान में ही एक कार्यक्रम महिला समूह के लिए आयोजित किया । जिसमे बैंक के अधिकारियों को द्वारा आपको जब पहली बार मंच में बुलाया गया तब किसी दो लोग पकड़कर के ले जाने के बाद मंच में गए और किसी अधिकारी के नाम पूछने पर भी ठीक तरीका से नाम को नहीं बता पाए थे और इसी मंच से अपने पुरे मन की बात को लोगो तक रखते है । आपके भाषण को अधिकारी को बहुत ही ज्यादा पसंद आते है और आपको समाज में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते है ।

इसके बाद से गांव वाले लोग अब परेशान करना बंद कर दिए और प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया । अब इधर परिवार की स्थिति भी थोड़ा अच्छा होने लगा । गांव के महिलाए भी अब समूह में जुड़ना शुरू कर देते है । पहली बार 26 जनवरी 2001 को गांव के सभी लोग स्कूल में झंडा फहराने का अवसर देकर सम्मानित करते है ।


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एक ऐसा भी समय था की जब आपको सम्मान दिया था तो उसे घर में पति को लाकर दिखाने के बाद उसे सम्मान पत्रिका को कागज समझकर चीड़ फाड़कर फेक देते है दिए गए चांदी के सिक्के को फेक देते है । आप कई इंटरव्यू में बाते है की उस समय सम्मान क्या है, किसे कहते है नहीं पता था आपने दिय गए चांदी के सिक्के को उठाकर बेच करके परिवार चलाया था ।

इसके बाद से आप कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखे और लगातार, सतत प्रयास से आगे बढ़ती गयी और सफलता हासिल करती गई ।

Phoolbasan Bai Yadav पहली बाजार ठेका
 

इसके बाद बैंक के लेन देन अच्छे होने के बाद अपने महिला समूह के साथ पुरुषो से मुकाबला करते हुए गांव में होने वाले बाजार ठेका लेते है इस में आपके साथ एक घटना भी हो जाती है जो पहले बाजार ठेका ले रहे थे वे ठेका छोड़ने को कहकर धमकाते है लेकिन आपने कभी हार नहीं मानी और बाजार ठेका के काम करना शुरू कर देते है और एक माह तक लगातार परेशान कर दिए थे और आज महिलाए बाजार ठेके को कर रहे है ।

इसके बाद से आपने समूह प्रज्ञा माँ बम्लेश्वरी स्वम् सहायता समूह के नाम से अपने समूह को आगे बढ़ाये और यही से बैंक की सहायता से आगे आकर समाज में महिलाओ और गांव गांव जाकर अब महिला समूह का गठन करना शुरू कर देते है ।

Phoolbasan Bai Yadav full success  

इसके बाद अन्य महिलाओ को भी साथ में जोड़ते गए । आज महिला स्वं सहायता समूह से थ्रेसर मशीन , रेडी टू इट फ़ूड और पतली बनाना , सिलाई और अन्य राशन दुकान और न जाने कई कामो में फुलबासन बाई यादव के सहयोग से महिला आज पुरुषो के कदम से कदम मिलाकार चल रहे । आज महिलाओ को उनके सम्मान तक लेन का भी श्रेय Phoolbasan Bai Yadav को ही जाता है ।

Phoolbasan Bai Yadav अब सफलता के सही समय में थे वो गांव में जाकर , महिलाओ को प्रेरित करके , स्वं सहायता समूहों को बनाते , समझाते, कैसे लेन देन करना है ये सभी बातो को बताते । Phoolbasan Bai Yadav आज करीब दो लाख से अधिक महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रेरित कर चुकी हैं और करीब 14 हजार से अधिक महिला समूहों का गठन किया है.

Phoolbasan Bai Yadav का सम्मान/अवार्ड 

भारत सरकार ने इसके निष्ठा , प्रतिभा और इसके लगातार मेहनत के बाद में Phoolbasan Bai Yadav को 2012 में इनके सामाजिक कार्य के उत्थान के लिए और महिलाओ को बलवान बनाने के लिए सामजिक कार्यकर्त्ता के रूप में पद्मश्री से सम्मानित किया गया ।

सन 2004 में जमन लाल बजाज अवार्ड छतीससगढ़ सरकार की तरफ से इन अवार्ड को दिया गया जो की छत्तिश्गढ़ में कुछ ही गिने चुने लोगो को ही अब तक ही मिला है ।

सन 2008 में Zee TV Astithva अवार्ड from Zee Entertainment Enterprises 2008 यह टीवी सिनेमा में दिया जाने वाला अवार्ड है जिसे Phoolbasan Bai Yadav को उनके सामाजिक कार्यकर्त्ता लगन , मेहनत और प्रतिफल के कारन से उन्हें जी टीवी की तरफ से दिया गया ।


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सन 2010 में कन्नगी स्त्री शक्ति अवार्ड खासकर के इस अवार्ड को महिलाओ के उत्थान और महिलाओ को आगे बढ़ाने के लिए दिया जाता है । जो की Phoolbasan Bai Yadav को इस पुरुस्कार को दिया गया ।

सन 2010 में सद्गुरु गणनानंदा नेशनल अवार्ड भी Phoolbasan Bai Yadav को दिया गया ।

सन 2011 गोडफ्रे फिलिप्स नेशनल ब्रावेरय अवार्ड Phoolbasan Bai यादव फिर से उसके सामाजिक उत्थान और महिला उत्थान , गरीबी उन्मूलन , गरीब लोगो के उत्थान के लिए आपको इस अवार्ड के लिए चयनित किया गया ।

सन 2014 में छत्तीसगढ़ सरकार ने जननी  सुरक्षा योजना नामक प्रसूति कार्यक्रम के लिए उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया गया । खासकर के जननी सुरक्षा योजना गर्भवती महिलाओ के लिए है जो उन्हें गर्भवती में बच्चे होने के बाद में दिया जाता है ।

तो दोस्तों इस प्रकार से रही Phoolbasan Bai Yadav ki जीवन गाथा , फूलबासन बाई यादव का जीवन परिचय , Phoolbasan Bai Yadav biodata in hindi  , phoolbasan bai yadav qualities , padma shri from chhattisgarh , लेने वाली छत्तिश्गढ़ के प्रभुति महिला ।

दोस्तों फूलबासन में किसकी कथा है के बारे में जितने भी सब्द कहा जाये उसके लिए हर सब्द अनमोल है cg success story की पहली महिला रही है जो अपने struggle के लिए कन्हा से कन्हा तक ठोकर खा खा के अपनी आज से कल को बनाई है । और कहा भी गया है की हिरा जब खदान में होता है और जितना घिसता जाता है वह उतना ही चमकदार होता जाता है । ठीक वैसे ही फूलबासन बाई यादव का जीवन परिचय , padma shri from chhattisgarh  , Phoolbasan Bai Yadav biodata in hindi
, phoolbasan bai yadav qualities वैसे है उन्होंने बचपन में कई दुःख तकलीफ दिया है लेकिन कल के लिए उन्होंने आज से मेहनत शुरू की थी ।

यदि सीखा जाए तो Phoolbasan Bai Yadav biodata in hindi से बहुत कुछ सीखा जा सकता है । इस padma shri from chhattisgarh , Phoolbasan Bai Yadav biodata in hindi से सीखें तो जिंदगी में गरीबी के रोना रोने के बजाय उस गरीबी से कैसे निकला जाय इसके बारे में सोचना चाहिए जो की इस फूलबासन बाई यादव का जीवन परिचय के cg suceess story में बताया है उसने अपने गरीबी का रोना न रोकर के न लाज करके , न शर्म करके अपने गरीबी को हटाने के लिए बकरी चरा कर , बकरी पालन कर के आगे बड़ी अपनी गरीबी  को दूर की और cg success story के नाम को भी रोशन की ।

इस लिए दोस्तों आपको Phoolbasan Bai Yadav बनना है या आपको गरीबी का रोना रोना है और गरीब बनके ही इस दुनिया से चले जाना है । दुनिया में आये हो तो कुछ अच्छे काम कर के जाओ ।

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Fulbasan Bai Yadav is a woman of courage who along with women has to inspire them for self-employment.

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The best thing about Fulbansan Bai Yadav is that by taking women forward, the oppression of women in the society or motivating women for self-employment is to move forward in building a new society on their own. Which works as an inspiration for the people.

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Fulbansan Bai Yadav is a social worker who is working as a social worker not only for Chhattisgarh but also for All India.

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